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बालारुण की स्वर्ण-रश्मियां
बालक महावीर का सुन्दर गौर वर्ण था । मांसल शरीर और दीर्घ भुजाएं थीं। चन्द्रमा के समान मुख-मण्डल और विशाल नेत्र थे। उनके मुख-मण्डल पर निरन्तर दिव्य-ज्योतिसी खेलती रहती थी। मनुष्य ही नहीं, देवता भी उनकी मोहक छवि को देखकर विमुग्ध हो जाते थे।।
बड़े-बड़े ज्योतिषी, बड़े-बड़े गणक और बड़े-बड़े विद्वान् बालक महावीर के शरीर के लक्षणों को देखकर विस्मित-चकित हो गए थे। एक बहुत बड़े साधु ने बालक महावीर के शरीर के लक्षणों को देखकर उनके भावी जीवन के सम्बन्ध में इस प्रकार घोषणा की थी, "हे राजन, आपका यह बालक धर्म और यश में अद्वितीय होगा। इसके लिए संस्कार व्यर्थ हैं, क्योंकि इसके शरीर-लक्षणों से प्रकट होता है कि यह सिद्धरूप है।"
बड़े-बड़े ज्योतिषियों ने भी बालक महावीर के जन्म के नक्षत्रों का अध्ययन करके स्पष्ट शब्दों में घोषणा की थी, "यह