Book Title: Antar Ki Aur Author(s): Jatanraj Mehta Publisher: Prakrit Bharti Academy View full book textPage 7
________________ आल्म-कथ्य समय-समय पर प्रभु उपासना करते हुए भारत भूमि के दर्शन का उसमें छिपेअनन्त ऐश्वर्य, श्री, वैभव का पान करते हुएप्रभु के गीत गाने का प्रयास करता रहा हूँ। उन्हीं स्वर्णिम अवसरों पर प्रकृति के साहचर्य से अनन्त आनन्द 'श्री' का आस्वादन करते हुएजो भाव अन्तर मन में प्रवहमान होते रहे उन्हें बाँधने का एक लघु प्रयास किया है। डॉ. जतनराज मेहता सोनी चौक, मेड़ताशहर, जिला-नागौर (01590-220135)Page Navigation
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