Book Title: Agamoddharak Kruti Sandohe Part 01
Author(s): Manikyasagarsuri, 
Publisher: Shantichandra C Zaveri

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Page 230
________________ पर्युषणा प्रभाः सन्दोहे मागमो- इए ॥३॥ सावजजोगविरती, अणवज्जासेवणं तु सामाइयं । | सक्खं ॥११॥ संपुण्णा सामाइय किरिया चेईयवंदणा मज्झे। द्धारककृति-IKI आगममयं न मन्नइ, तुह भत्तो तेण तंपि तहा ॥४॥ वसहीए उ पमजणमुग्गहियं जं रओहरणं ॥१२॥ सामापुव्वापजं कप्पइ कप्पियकम्मो(प्पो)वमागमपसाहो । अणजुज्जतं यारिविसेसो जइ ते सामइएण संबद्धा। इरियत्ति किं मुत्ते गाढग्गहालयपरमत्थो ॥५॥ आवस्सयवित्तिमुहे, साहु- असग्गहु कत्थवि संबंधमविलढुं ॥१३॥ अणवजजोगसे॥२२०॥ समीवे पुरा कयस्स विही । सामाइयस्स जो तं साहसि वणरूवा इरिया जई य सा पच्छा । तो सव्वविरइपोसहकिं चिंतिया पुव्वं ॥६॥ आह ततो एताए गंता विहीए विहीइ किं कीरए पुब्बिं १ ॥१४॥ आवस्सयाइवयणं न य || त्ति फुड स सत्यमि | अन्नं च साहुपाढा भिण्णो पाढो- | सामाइयविहाणसंबद्धं । इरियादसकालियमहानिसीहाणं तं त्ति निद्दिसइ ॥७॥ तिविहेणं नमिऊगं साहू पच्छा करेई | कजं ॥१५॥ वित्तीए उत्तरज्झाण आयरिया सतिसूरिणो सामइयं । पज्जुवासामि अंत पाढं पढिऊण इति वुत्तं ॥८॥ आहू । चउवीसत्थयपढणं सामाइयकरणो पुव्वं ॥१६॥ किंचुत्ता आवस्सगपमुहे सत्थंमि पुवकालेणं । सामाइयस्स | आवस्सयाहिगारा न य तं साहूणमुद्दिसिय भणियं । रिया मुत्तच्चारेण संजुत्ता ॥५॥ न य कत्थइ सामइए फुडमणियंपि न मनसि पुव्विं इरियापडिक्कमणं ॥१७॥ संबद्धा भासिया तहि इरिया। जं तउ पच्छा इच्चाइ- पुच्विं इरियाऽभावे न सुद्धकिरीयत्ति आह वित्तिकरो सद्दपारंभिया भणिया ॥१०॥ इरिया पढमा गुरुणो वंद- (हरिभद्दो)। इरियापडिक्कमणे फलमिइ बयणं महानिसीहे णहेउ तह पढणहे । आणंतरियं तस्सेव सव्वथवि दीसए ॥१८॥ सामनविसेसत्तं उस्सग्गववायया य नहि बच्चा ।

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