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[301] त्रयोविंश अध्ययन
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र in
जा उ अस्साविणी नावा, न सा पारस्स गामिणी। .. जा निरस्साविणी नावा, सा उ पारस्स गामिणी॥७१॥ (गौतम-) जो नौका छिद्रयुक्त होती है, वह पार ले जाने वाली नहीं होती अपितु जो नाव छिद्ररहित होती है, वही पार ले जाने वाली होती है॥ ७१॥
(Gautam-) A boat with holes is not the one that can take one across, only a boat without holes is capable of taking one across. (71)
नावा य इइ का वुत्ता ?, केसी गोयममब्बवी।
केसिमेवं बुवंतं तु, गोयमो इणमब्बवी॥७२॥ (केशी-) वह नाव कौन-सी कही गई है? केशी ने गौतम से पूछा। केशी के पूछने पर गौतम ने इस प्रकार कहा-॥७२॥
Keshi said to Gautam-What is said to be this boat? Hearing these words of Keshi, Gautam replied - (72)
सरीरमाहु नाव त्ति, जीवो वुच्चइ नाविओ।
संसारो अण्णवो वुत्तो, जं तरन्ति महेसिणो॥७३॥ (गौतम-) शरीर को नौका कहा गया है और जीव को नाविक (मल्लाह) कहा जाता है तथा संसार को समुद्र कहा गया है; जिसे महर्षि तैरकर पार कर जाते हैं॥ ७३॥
Body is said to be the boat and soul the sailor. Worldly existence (samsar) is the ocean and great sages swim it across. (73)
साहु गोयम ! पन्ना ते, छिन्नो मे संसओ इमो।
अन्नो वि संसओ मज्झं, तं मे कहसु गोयमा !॥७४॥ (केशी-) गौतम! तुम्हारी प्रज्ञा श्रेष्ठ है। तुमने मेरा यह संशय मिटा दिया। मेरा और भी एक संशय है। हे गौतम ! उसके सम्बन्ध में भी मुझे कहो ॥ ७४ ॥
(Kumar-shraman Keshi-) Gautam ! You are endowed with excellent wisdom. You have removed my doubt. I have another doubt. Gautam! Please tell me about that also. (74)
अन्धयारे तमे घोरे, चिट्ठन्ति पाणिणो बहू।
को करिस्सइ उज्जोयं, सव्वलोगंमि पाणिणं ? ॥ ७५॥ भयंकर, घने अन्धकार में बहुत से प्राणी अवस्थित हैं, रह रहे हैं। सम्पूर्ण लोक के प्राणियों के लिए कौन उद्योत-प्रकाश करेगा? ॥ ७५ ॥
Innumerable beings live in awfully dense darkness. Who will bring light to the beings of the whole universe? (75)