Book Title: Agam 12 Upang 01 Auppatik Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Devendramuni, Ratanmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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मगध का ही एक विभाग था। राजा श्रेणिक अंग और मगध इन दोनों का अधिपति था। त्रिपिटक-साहित्य में अंग और मगध को साथ में रखकर अंग-मगधा' द्वन्द्व समास के रूप में प्रयुक्त हुआ है। 'चम्पेय जातक' के अनुसार चम्पा नदी अंग और मगध इन दोनों का विभाजन करती थी, जिसके पूर्व और पश्चिम में दोनों जनपद बसे हुए थे। अंग जनपद की पूर्वी सीमा राजप्रासादों की पहाड़ियाँ, उत्तरी सीमा कोसी नदी, दक्षिण में उसका समुद्र तक विस्तार था। पार्जिटर ने पूर्णिया जिले के पश्चिमी भाग को अंग जनपद के अन्तर्गत माना है। महाभारत के अनुसार अंग नामक राजा के नाम परं जनपद का नाम अंग पड़ा।
कनिंघम ने लिखा है-'भागलपुर से ठीक चौबीस मील पर पत्थरघाट है। इसके आस-पास चम्पा की अवस्थिति होनी चाहिए। इसके पास ही पश्चिम की ओर एक बड़ा गाँव है, जिसे चम्पानगर कहते हैं और एक छोटा सा गाँव है, जिसे चम्पापुर कहते हैं, सम्भव है, ये दोनों गाँव प्राचीन राजधानी 'चम्पा' की सही स्थिति प्रकट करते हों। १८
फाहियान ने चम्पा को पाटलीपुत्र से अठारह योजन पूर्व दिशा में गंगा के दक्षिणी तट पर अवस्थित माना है। महाभारत की दृष्टि से चम्पा का प्राचीन नाम 'मालिनी' था। महाराज चम्प ने इसका नाम चम्पा रखा। चम्पा के 'चम्पावती', 'चम्पापुरी','चम्पानगर' और 'चम्पामालिनी' आदि नाम प्राप्त होते हैं। दीघनिकाय के अनुसार इस महानगरी का निर्माण महागोविन्द ने किया था। चम्पक वृक्षों का बाहुल्य होने के कारण इस नगरी का नाम चम्पा पड़ा हो।
दीघनिकाय के अनुसार चम्पा एक विशालनगरी थी। जातकों में आये हुए वर्णन से यह स्पष्ट है कि चम्पा के चारों ओर एक सुन्दर खाइ थी और बहुत सुदृढ़ प्राचीर थी। पालि ग्रन्थों के अनुसार चम्पा में "गग्गरापोखरणी" नामक एक कासार था, जिसका निर्माण गाग्गरा नामक महारानी ने करवाया था। प्रस्तुत कासार के तट पर चम्पक वृक्षों का एक बहुत ही सुन्दर गल्म था, जिसके कारण सन्निकट का प्रदेश अत्यन्त सौरभयक्त था। तथागत बद्ध जब भी चम्पा में आते थे, वेग के तट पर ही रुकते थे। इस महानगरी की रमणीयता के कारण ही आनन्द ने गौतम बुद्ध के महापरिनिर्वाण के उपयुक्त नगरों में इस नगरी की परिकल्पना की थी। तथागत बुद्ध के जीवन से सम्बन्धित होने के कारण बौद्धयात्री समय-समय पर इसी नगरी के अवलोकनार्थ गये। चीनी यात्री फाहियान ने चम्पा का वर्णन करते हुए लिखा है, चम्पा नगर पाटलीपुत्र से अठारह योजन की दूरी पर स्थित था। उसके अनुसार चम्पा गंगा नदी के दक्षिण तट पर बसा हुआ था। चीनी यात्रियों के समय चम्पा १६. (क) दीघनिकाय- ३/५
(ख) मज्झिमनिकाय-२/३/७
(ग) थेरीगाथा-बम्बई विश्वविद्यालय संस्करण, गाथा ११० १७. जर्नल ऑव एशियाटिक सोसायटी ऑव बंगाल, सन् १८९७ पृ. ९५
८. दी एन्शियण्ट ज्योग्राफी आफ इण्डिया, पृ. ५४६-५४७ १९. ट्रैवेल्स ऑफ फाहियान, पृ. ६५ १०. ला.बी.सी., इण्डोलॉजिकल स्टडीज, पृ. ४९ ११. दन्तपुरं कलिङ्गानमस्सकानाञ्च पोतनम् ।
माहिस्सती अवन्तीनम् सोवीराञ्च रोरुकम् ॥ मिथला च विदेहानम् चम्पा अङ्गेसु मापिता । वाराणसी च कासीनम् एते गोविन्द-मापितेती ॥
- दीघनिकाय, १९, ३६! २२. दीघनिकाय-२-१४६ २३. जातक-४/४५४ २४. मललसेकर-२/ ७२४
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