Book Title: Agam 12 Upang 01 Auppatik Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Devendramuni, Ratanmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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परिव्राजकों का उपपात
१२९
धरित्तए, णण्णत्थ अलाउपाएण वा दारुपाएण वा मट्टियापाएण वा। तेसि णं परिव्वायगाणं णो कप्पइ अयबंधणाणि वा जाव (तउअबंधणाणि वा, तंबबंधाणि वा, जसदबंधणाणि वा, सीसगबंधणाणि वा, रुप्पबंधणाणि वा, सुवण्णबंधणाणि वा, अण्णयराणि वा)। बहुमुल्लाणि धारित्तए। तेसि णं परिव्वायगाणं णो कप्पइ हारं वा, अद्धहारं वा, एगावलिं वा, मुत्तावलिं वा, कणगावलिं वा, रयणावलिं वा, मुरविं वा, कंठमुरविं वा, पालंबं वा, तिसरयं वा, कडिसुत्तं वा दसमुद्दिआणंतगं वा, कडयाणि वा, तुडियाणि वा, अंगयाणि वा, केऊराणि वा, कुंडलाणि वा, मउडं वा, चूलामणिं वा पिणद्धित्तिए, णण्णत्थ एगेणं तंबिएणं पवित्तएणं। तेसि णं परिव्वायगाणं णो कप्पइ गंथिमवेढिमपूरिमसंघाइमे चउव्विहे मल्ले धारित्तए, णण्णत्थ एगेणं कण्णपूरेणं। तेसिं णं परिव्वायगाणं णो कप्पइ अगरूएण वा, चंदणेण वा, कुंकुमेण वा गायं अणुलिंपित्तए, णणस्थ एक्काए गंगामट्टियाए।
७९- उन परिव्राजकों के लिए मार्ग में चलते समय के सिवाय अवट—कुए, तालाब, नदी, वापीबावड़ी- चतुष्कोण जलाशय, पुष्करिणी–गोलाकार या कमलयुक्त बावड़ी, दीर्घिका-सारणीक्यारी, विशाल सरोवर, गुंजालिका वक्राकार बना तालाब तथा जलाशय में प्रवेश करना कल्प्य नहीं है अर्थात् वे मार्ग-गमन के सिवाय इनमें प्रवेश नहीं करते, ऐसा उनका व्रत है।
___ शकट-गाड़ी (रथ, यान, युग्य–पुरातनकालीन गोल्ल देश में सुप्रसिद्ध दो हाथ लम्बे चौड़े डोली जैसे यान, गिल्लि—दो आदमियों द्वारा उठाई जाने वाली एक प्रकार की शिविका, थिल्लि—दो घोड़ों की बग्घी या दो खच्चरों से खींचा जाता यान, शिविका—पर्देदार पालखी) तथा स्यन्दमानिका-पुरुष-प्रमाण पालखी पर चढ़कर जाना उन्हें नहीं कल्पता उनके लिए यह वर्जित है।
उन परिव्राजकों को घोड़, हाथी, ऊँट, बैल, भैंसे तथा गधे पर सवार होकर जाना—चलना नहीं कल्पता—वैसा करना उनके लिए वर्जित है। इसमें बलाभियोग का अपवाद है अर्थात् जबर्दस्ती कोई बैठा दे तो उनकी प्रतिज्ञा खण्डित नहीं होती। ___ उन परिव्राजकों को नटों-नाटक दिखाने वालों के नाटक, (नर्तकों-नाचने वालों के नाच, रस्सी आदि पर चढ़कर कलाबाजी दिखाने वालों के खेल, पहलवानों की कुश्तियां, मौष्टिक या मुक्केबाजों के प्रदर्शन, मसखरों की मसखरियां, कथकों के कथालाप, उछलने या नदी आदि के तैरने का प्रदर्शन करने वालों के खेल, वीर रस की गाथाएं या रास गाने वालों के वीर गीत, शुभ अशुभ बातें बताने वालों के करिश्मे, बांस पर चढ़कर खेल दिखाने वालों के खेल, चित्रपट दिखाकर आजीविका चलाने वालों की करतूतें, तूण नामक तन्तु-वाद्य बजाकर आजीविका कमाने वालों के करतब, पूंगी बजाने वालों के गीत, ताली बजाकर मनोविनोद करने वालों के विनोदपूर्ण उपक्रम) तथा स्तुति-गायकों के प्रशस्तिमूलक कार्यकलाप आदि देखना, सुनना नहीं कल्पता।
उन परिव्राजकों के लिए हरी वनस्पति का स्पर्श करना, उन्हें परस्पर घिसना, हाथ आदि द्वारा अवरुद्ध करना, शाखाओं, पत्तों आदि को ऊँचा करना या उन्हें मोड़ना, उखाड़ना कल्प्य नहीं है, ऐसा करना उनके लिए निषिद्ध है।
उन परिव्राजकों के लिए स्त्री-कथा, भोजन-कथा, देश-कथा, राज-कथा, चोर-कथा, जनपद-कथा जो अपने लिए एवं दूसरों के लिए हानिप्रद तथा निरर्थक है, करना कल्पनीय नहीं है।