Book Title: Agam 12 Upang 01 Auppatik Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Devendramuni, Ratanmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 220
________________ सिद्धः सारसंक्षेप ....१७७ लगा था, उससे वे छूटे हुए हैं। वे अजर हैं-वृद्धावस्था से रहित हैं। अमर हैं-मृत्युरहित हैं तथा वे असंग हैं सब प्रकार की आसक्तियों से तथा समस्त पर-पदार्थों के संसर्ग से रहित हैं। १८८- णित्थिण्णसव्वदुक्खा, जाइजरामरणबंधणविमुक्का । अव्वाबाहं सुक्खं, अणुहोति सासयं सिद्धा ॥ २१॥ १८८- सिद्ध सब दुःखों को पार कर चुके हैं, जन्म, बुढ़ापा तथा मृत्यु के बन्धन से मुक्त हैं। निर्बाध, शाश्वत सुख का अनुभव करते हैं। १८९- अतुलसुहसागरगया, अव्वाबाहं अणोवमं पत्ता । सव्यमणागयमद्धं, चिटुंत्ति सुही सुहं पत्ता ॥ २२॥ १८९- अनुपम सुख-सागर में लीन, निर्बाध, अनुपम मुक्तावस्था प्राप्त किये हुए सिद्ध समग्र अनागत काल में भविष्य में सदा प्राप्तसुख, सुखयुक्त अवस्थित रहते हैं।

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