Book Title: Agam 12 Upang 01 Auppatik Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Devendramuni, Ratanmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
View full book text
________________
३०
औपपातिकसूत्र
- पूरा तप चार परिपाटियों में निष्पन्न होता है। चारों परिपाटियों में पारणे का रूप कनकावली जैसा ही है।
एकावली तप की चारों परिपाटियों में ४२२+४२२+४२२+४२२ - १६८८ दिन = चार वर्ष आठ महीने तथा आठ दिन लगते हैं। लघुसिंहनिष्क्रीडित
__सिंह की गति या क्रीडा के आधार पर इस तप की परिकल्पना है। सिंह जब चलता है तो एक कदम पीछे देखता जाता है। उसका यह स्वभाव है, अपनी जागरूकता है। इसे प्रतीक मानकर इस तप के अन्तर्गत साधक जब उपवासक्रम में आगे बढ़ता है तो एक-एक बढ़ाव में वह पीछे भी मुड़ता जाता है अर्थात् अपने बढ़ाव के पिछले एक क्रम की आवृत्ति कर जाता है।
___ यह तप दो प्रकार का है—लघुसिंहनिष्क्रीडित तप तथा महासिंहनिष्क्रीडित तप। छोटे सिंह की गति कुछ कम होती है, बड़े सिंह की गति अधिक। इसी आधार पर लघुसिंहनिष्क्रीडित तप में उपवास-सीमा नौ दिन तक की है तथा महासिंहनिष्क्रीडित तप में सोलह दिन तक की है।
अन्तकृदशांग सूत्र के अष्टम वर्ग के तृतीय अध्ययन में (महाराज श्रेणिक की पत्नी, राजा कूणिक की छोटी माता) आर्या महाकाली द्वारा लघुसिंहनिष्क्रीडित तप किये जाने का वर्णन है।' १. एवं महाकाली वि, नवरं खुड्डाग सीहनिक्कीलियं तवोकम्म उवसंपज्जित्ता णं विहरइ, तं जहा— चउत्थं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ। चोद्दसमं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारे ।
करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ। दुवालसमं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारे।। चउत्थं
करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ। सोलसमं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारे।। अट्ठमं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ। चोद्दसमं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ।
करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ । अट्ठारसमं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारे । दसमं
करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारे। सोलसमं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारे।
करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ। वीसइयं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारे।। दुवालसमं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ। अट्ठारसमं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ। दसमं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारे। वीसइम करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ। सोलसमं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ। अट्ठमं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ। अट्ठारसमं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारे।
करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ। चोद्दसमं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ।
करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ। सोलसमं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ । अट्ठमं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारे । बारसमं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ। चउत्थं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ । चोद्दसमं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ।
करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ। दसमं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ।
करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारे।। बारसमं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारे ।
तहेव चत्तारि परिवाडीओ। एक्काए परिवाडीए छम्मासा सत्त य दिवसा। चउण्हं दो वरिसा अट्ठावीसा या दिवसा जाव सिद्धा।
-- अन्तकृद्दशासूत्र, पृष्ठ १५६
छद्रं
छटुं
अट्ठमं
दसमं
छटुं
चउत्थं