Book Title: Agam 12 Upang 01 Auppatik Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Devendramuni, Ratanmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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औपपातिकसूत्र अवशेष वर्णन पूर्व की तरह जानना चाहिए।
विवेचन- प्रस्तुत सूत्र में प्रयुक्त पल्योपम शब्द एक विशेष, अति दीर्घ काल का सूचक है। जैन वाङ्मय में इसका बहुलता से प्रयोग हुआ है।
पल्य या पल्ल का अर्थ कुआ या अनाज का बहुत बड़ा कोठा है। उसके आधार पर या उसकी उपमा से काल-गणना की जाने के कारण यह कालावधि 'पल्योपम' कही जाती है।
पल्योपम के तीन भेद हैं—१. उद्धार-पल्योपम, २. अद्धा-पल्योपम, ३. क्षेत्र-पल्योपम।
उद्धार-पल्योपम– कल्पना करें, एक ऐसा अनाज का बड़ा कोठा या कुआ हो, जो एक योजन (चार कोस) लम्बा, एक योजन चौड़ा और एक योजन गहरा हो। एक दिन से सात की आयु वाले नवजात यौगलिक शिशु के बालों के अत्यन्त छोटे टुकड़े किए जाएं, उनसे ढूंस-ठूस कर उस कोठे या कुए को अच्छी तरह दबा-दबा कर भरा जाय। भराव इतना सघन हो कि अग्नि उन्हें जला न सके, चक्रवर्ती की सेना उन पर से निकल जाय तो एक भी कण इधर से उधर न हो सके, गंगा का प्रवाह बह जाय तो उन पर कुछ असर न हो सके। यों भरे हुए कुए में से एक-एक समय में एक-एक बाल-खंड निकाला जाय। यों निकालते-निकालते जितने काल में वह कुआ खाली हो, उस काल-परिमाण को उद्धार-पल्योपम कहा जाता है। उद्धार का अर्थ निकालना है। बालों के उद्धार या निकाले जाने के आधार पर इसकी संज्ञा उद्धार-पल्योपम है। यह संख्यात समय प्रमाण माना जाता है।
उद्धार-पल्योपम के दो भेद हैं—सूक्ष्म एवं व्यावहारिक। उपर्युक्त वर्णन व्यावहारिक उद्धार-पल्योपम का है। सूक्ष्म उद्धार-पल्योपम इस प्रकार है
व्यावहारिक उद्धार-पल्योपम में कुए को भरने में यौगलिक शिशु के बालों के टुकड़ों की जो चर्चा आई है, उनमें से प्रत्येक टुकड़े के असख्यात अदृश्य खंड किए जाएं। उन सूक्ष्म खंडों से पूर्ववर्णित कुआ ढूंस-ठूस कर भरा जाय। वैसा कर लिए जाने पर प्रतिसमय एक-एक खंड कुए में से निकाला जाय। यों करते-करते जितने काल में वह कुआ, बिल्कुल खाली हो जाय, उस काल-अवधि को सूक्ष्म उद्धार-पल्योपम कहा जाता है। इसमें संख्यात वर्ष-कोटि परिमाण-काल माना जाता है।
___ अद्धा-पल्योपम- अद्धा देशी शब्द है, जिसका अर्थ काल या समय है। आगम के प्रस्तुत प्रसंग में जो पल्योपम का जिक्र आया है, उसका आशय इसी पल्योपम से है। इसकी गणना का क्रम इस प्रकार है–यौगलिक के बालों के टुकड़ों से भरे हुए कुए में से सौ सौ वर्ष में एक-एक टुकड़ा निकाला जाय। इस प्रकर निकालतेनिकालते जितने काल में वह कुआ बिलकुल खाली हो जाय, उस कालावधि को अद्धा-पल्योपम कहा जाता है। इसका परिमाण संख्यात वर्ष कोटि है।
अद्धा-पल्योपम भी दो प्रकार का होता है—सूक्ष्म और व्यावहारिक। यहाँ जो वर्णन किया गया है, वह 'व्यावहारिक अद्धा-पल्योपम का है। जिस प्रकार सूक्ष्म उद्धार-पल्योपम में यौगलिक शिशु के पालों के टुकड़ों के असंख्यात अदृश्य खंड किए जाने की बात है, तत्सदृश यहां भी वैसे ही असंख्यात अदृश्य केश-खंडों से वह कुआ भरा जाय। प्रति सौ वर्ष में एक खंड निकाला जाय। यों निकालते-निकालते जब कुआ बिलकुल खाली हो जाय, वैसा होने में जितना काल लगे, वह सूक्ष्म अद्धा-पल्योपम कोटि में आता है। इसका काल-परिमाण असंख्यात वर्ष