Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Virmatibai Mahasati, Artibai Mahasati, Subodhikabai Mahasati
Publisher: Guru Pran Prakashan Mumbai
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श्री ठाशांग सूत्र - १
प्रभपति, (3) जे सोभ, (४) जे रुद्र, (4) जे अहिति, (5) जे बृहस्पति, (७) जे सर्प, (८) जे पितृहेवता, (८) जे भग, (१०) जे आर्यभा, (११) जे सविता, (१२) जे त्वष्टा, (१३) जे वायु, (१४) जे इन्द्राग्नि, (१५) जे मित्र, (१) जे छेन्द्र, (१७) जे निऋति, (१८) जे अप, (१८) जे विश्वा, (२०) जे ब्रह्मा, (२१) जे विष्णु, (२२) जे वसु, (२३) जे वरुण, (२४) जे अ४, (२५) जे विवृद्धि, (25) जे पुषन्, (२७) जे अश्व, (२८) जे यम.
विवेशन :
જંબુદ્રીપમાં બે ચંદ્ર અને બે સૂર્ય હોવાથી તેનો પરિવાર પણ બમણો હોય છે. તેથી કૃતિકાથી ભરણી પર્યંતના ૨૮ નક્ષત્ર પણ બે—બે કહ્યા છે. ૨૮ નક્ષત્રના દ્વિત્વની જેમ તેના માલિક દેવતા પણ બે—બે होय छे.
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જંબુદ્વીપમાં ગ્રહ :
४७ जंबुद्दीवे दीवे दो इंगालगा, दो वियालगा, दो लोहितक्खा, दो सणिच्चरा, दो आहुणिया, दो पाहुणिया, दो कणा, दो कणगा, दो कणकणगा, दो कणगविताणगा, दो कणगसंताणगा, दो सोमा, दो सहिया, दो आसासणा, दो कज्जोवगा, दो कब्बडगा, दो अयकरगा, दो दुंदुभगा, दो संखा, दो संखवण्णा, दो संखवण्णाभा, दो कंसा, दो कंसवण्णा, दो कंसवण्णाभा, दो रुप्पी, दो रुप्पाभासा, दो णीला, दो णीलोभासा, दो भासा, दो भासरासी, दो तिला, दो तिलपुप्फवण्णा, दो दगा, दो दगपंचवण्णा, दो काका, दो कक्कंधा, दो इंदग्गी, दो धूमकेऊ, दो हरी, दो पिंगला, दो बुद्धा, दो सुक्का, दो बहस्सई, दो राहू, दो अगत्थी, दो माणवगा, दो कासा, दो फासा, दो धुरा, दो पमुहा, दो विगडा, दो विसंधी, दो णियल्ला, दो पइल्ला, दो जडियाइलगा, दो अरुणा, दो अग्गिल्ला, दो काला, दो महाकालगा, दो सोत्थिया, दो सोवत्थिया, दो वद्धमाणगा, दो पलंबा, दो णिच्चालोगा, दो णिच्चुज्जोया, दो सयंपभा, दो ओभासा, दो सेयंकरा, दो खेमंकरा, दो आभंकरा, दो पभंकरा, दो अपराजिया, दो अरया, दो असोगा, दो विगयसोगा, दो विमला, दो वितता, दो वितत्था, दो विसाला, दो साला, दो सुव्वया, दो अणियट्टी, दो एग- जडी, जो दुजडी, दो करकरिगा, दो रायग्गला, दो पुप्फकेतू, दो भावकेऊ चारं चरिंसु वा चरंति वा चरिस्संति वा । भावार्थ :- ८८ ग्रहोना नाम- अंजूद्वीप नामना द्वीपमां (१) जे अंगार, (२) जे विडालड, (3) जे