Book Title: Agam 02 Suyagado Angsutt 02 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 14
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra सुयक्षो १, अज्झयणं-१, उद्देसो-२ (10) www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir न सयं कडं न अण्णेहिं वेदयंति पुढो जिया संगइयं तं तहा तेसिं इहमेगेसिमाहियं (३१) एवमेयाणि जंपंता बाला पंडियमाणिणो निययानिययं संतं अयाणंता अबुद्धिया (३२) एवमेगे उपासत्या ते भुज्जो विष्पगमिया एवंपुवट्ठिया संता नऽत्तदुक्खविमोयगा (३३) जविनो मिगा जहा संता परिताणेण तज्जिया असंकियाई संकंति संकियाई असकिनो (३४) परिताणियाणि संकंता पासियामि असंकिनो अन्नाणभयसंविग्गा संपलिंति तहिं तर्हि अह तं पवेज्ज वज्झं अहे वज्झरस वा वए मुधे पयपासाओ तं तु मंदे न देहई (३५) (३८) ( ३६ ) अहियप्पाऽहियपण्णाणे दिसतेणुवागए से बद्धे पयपासाइं तत्थ घायं नियच्छइ ( ३७ ) एवं तु सपणा एगे मिच्छदिट्ठी अणारिया असंकियाई संकंति संकियाइं असंकिनी धम्मपन्नवाजा सा तं तु संकंति मूढगा आरंभाई न संकंति अवियत्ता अकोविया (३९) सब्वप्पगं विउक्क स्सं सव्वं नूमं विहूणिया अप्पत्तियं अकम्मंसे एयमट्ठ भिगे चुए (४०) जे एयं नाभिजाणंति मिच्छदिट्ठी अणारिया भिगा वा पासबद्धा ते घायमेसंतऽणंतसो माहणा समणा एगे सच्चे नाणं सयं वए सव्वलोगे वि जे पाणा न ते जामंति किंचणं (४२) मिलक्खू अमिलक्खुस्स जहा वुत्ताणुभासए न हेउं से वियाणा भासियं तऽणुभासए (४३) एवमण्णाणिया नाणं वयंता वि सयं सयं निच्छयत्वं न जाणंति मिलक्खू व्व अबोहिया (४४) अण्णानियाण वीमंसा अण्णाणे न नियच्छ‍ अप्पनी य परं नालं कतो अण्णाणुसासिउं (४५) वणे मूढे जहा जंतू मूढणेयाणुगामिए (४१) दो वि एए अकोविया तिव्वं सोयं नियच्छाई (४६) अंधो अंधं परं तो दूरमद्धाण गच्छाई आवजे उप्पहं जंतू अदुवा पंथाणुगामिए For Private And Personal Use Only ॥३०॥१-३ 113911-4 ॥३२॥-5 ।।३३।।-6 ||३४||-7 |३५||-8 113811-9 ।।३७।।-10 ।। ३८।।-11 ॥३९॥१-12 ॥४०॥-13 1911-14 ॥१४२॥-15 ॥। ४३ ।। 16 ॥४४॥-17 ॥४५॥-18 ॥४६॥-19 ५

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