Book Title: Agam 02 Suyagado Angsutt 02 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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॥६३1-4
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||६५||-6
1६11-7
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॥७०11-11
सुपक्खंपो-१, अज्मपणं-१, उद्देसो-३ (६३) एवं तु समणा एगे वट्टमाणसुहेसिनो
मच्छा वेसालिया चेव घायमेसंतणंतसो (६४) इणमण्णं तु अन्नाणं इहमेगेसिमाहियं
देवउत्ते अयं लोए वंभउत्ते त्ति आवरे (६५) ईसरेण कडे लोए पहाणाइ तहावरे
जीवाजीवसमाउत्ते सुहदुक्खसमष्णिए (६६) सयंभुणा कडे वोए इति वुत्तं महेसिणा
मारेण संघुया माया तेण लोए असासए (६७) माहणा समणाएगे आह अंडकडे जगे
असो तत्तमकासी य अयाणंता मुसं वए (६८) सएहिं परिवाएहिं लोगं यूया कडे ति य
तत्तं ते न बियाणंति नायंणाऽऽसी कयाइ वि अमणुण्णसमुपायं दुक्खमेव विजाणिया
समुप्पायमजाणंता किह नाहिंति संवरं (७०) सुद्धे अपावए आया इहमेगेसिमाहियं
पुनो कीडापदोसेणं से तत्य अवरज्झई (७१) इह संडे मुणी जाए पच्छा होइ अपावए
वियडं व जहा भुञ्जो नीरयं सरयं तहा (७२) एयाणुवीइ मेहावी बंभचेरंण तं वसे
पुढो पाचाउया सव्वे अक्खायारो सयं सयं सए सए उबट्ठाणे सिद्धिमेव न अण्णहा अधो वि होति वसवत्ती सव्वकामसमप्पिए सिद्धा य ते अरोगा य इहमेगेसि आहियं सिद्धिमेवपुरोकाउं सासाए गढिया नरा असंवुडा अणादीयं भमिहिंति पुनो-पुनो कप्पकालमुवनंति ठाणा आसुरकिब्धिसिय - त्ति बेमि • पढमे अम्झयणे तइओ उद्देतो समत्तो.
- चउत्थो उद्देसो :(७६) एते जिया भो न सरणं बाला पंडियमाणिणो
हिया गं पुव्यसंजोगं सितकिच्चीवएसगा (७७) तं च भिक्खू परिण्णाय विजं तेसु नं मुच्छए
अणुक्क स्से अणवलीणे मझेण मुणि जावए (७८) सपरिग्गहा य सारंभा इहमेगेसिमाहियं
अपरिग्गहे अणारंभे भिक्खू जाणं परिष्वए
७१||-12
||७२||-13
(७३)
॥७३।1-14
||७४||-15
॥७५11-16
॥७६||-1
॥७७11-2
७८||-3
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