Book Title: Agam 02 Suyagado Angsutt 02 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 31
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra २२ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सूपगडी १/५/१/३१७ (३१७) से सुब्बई नगरवहे व सद्दे दुहोवणीताण पदाणं तत्थ उदिकम्माण उदिष्णकम्मा पुणो पुणो ते सरहं दुहेति ( ३१८) पाणेहि णं पाव विओजयंति तं मे पवक्खामि जहातहेणं दंडेहि तत्था सत्यंति बाला सव्वेहि दंडेहि पुराकएहिं ( ३१९) ते हम्ममाणा नरगे पडंति पुण्णे दुरुबस्स महाभितावे चिट्ठति तत्था बहुकूरकम्पा जहाकडे कम्प तहा से भारे (२६) समचिणित्ता कलुषं अणज्जा इट्ठेहि कंतेहि य विप्पहूणा ॥३१७॥१-18 ते तत्व चिट्ठति दुरुवभक्खी तुट्टति कम्पोवगया किमीहिं ॥ ३१९ ॥ - 20 (३२०) सया कसिणं पुण घम्मठाणं गाढोवणीयं अइदुक्खधम्मं अंदू पक्खिप्प वित्तु देहं वेहेण सीसं सेऽभितावयंति (३२१) छिंदंति बालस्स खुरेण नक्कं ओट्ठे वि छिंदंति दुवे विकण्णे जिन्यं विणिक्कस्स विहत्थिमेत्तं तिक्खाहि सूलाहि मितावयंति ॥३२१ ॥ - 22 (३२२) ते तिप्पमाणा तलसंपुढं व्व राईदियं तत्थ वणंति बाला गलति ते सोणियपूयमंस पोइया खारपदिद्धियंगा (३२३) जइ ते सुया लोहियपूयपाई बालागणी तेयगुणा परेण ॥३२२|| 23 कुंभी महंताऽपियपोरुसीया समूसिया लोहियपूणपुण्णा ॥ ३२३ ॥ - 24 (३२४) पक्खिप्प तासुं पपचंति बाले अट्टस्सरे ते कलुणं रसंते तन्हाइया ते तउतंबतत्तं पजिजमाणट्टयरं रसंति (१२५) अप्पेण अप्पं इह वंचइता भवाइमे पुव्वसए सहस्से ॥३२४॥-25 113941-19 ॥३२०१/-21 For Private And Personal Use Only ॥३२५॥-28 ते दुब्बिगंधे कसिणे य फासे कम्मोवगा कुणिमे आवसंति ॥ ३२६ ॥ -27 त्ति बेमि • पंचमे अायणे पढमो उसी समतो -: बीओ उद्देसो : (३२७) अहावरं सासयदुक्खधम्मं तं मे पवक्खामि जहातहेणं बाला जहा दुक्कइकम्मकारी वेयंति कम्माई पुरेकडाई (३२८) हत्येहिं पाएहि य वंधिऊणं उदरं विकतंति खुरासिएहिं हत्तु बालस्स वित्तु देहं बद्धं थिरं पिट्ठउ उद्धरंति (३२९) बाहू पकरांति य मूलओ से धूलं वियासं मुहे आडहंति ॥३२८॥-2 रहंसि जुत्तं सरयंति बालं आरुस्स विज्झति तुदेण पठ्ठे ॥३२९॥-3 (३३०) अयं व तत्तं जलियं सजोई तओवमं भूमिमणुक्कमंता ॥३२७॥-1 तेज्झमाणा कलुणं धणंति उसुजोइया तत्तजुगेसु जुत्ता ॥ ३३०|| - 4 (३३१) याला बला भूमिमणुक्क मंता पविजलं लोहपहं व तत्तं सीऽभिदुग्गंसि पयमाणा पेसे व दंडेहि पुरा करेति 1133911-6 (३३२) ते संपगाढंमि पवज्रामाणा सिलाहि हम्मेति भिपातिनीहिं संतावणी नाम चिट्ठिईया संतप्पई जत्थ असाहुकम्पा ॥३३२॥-B

Loading...

Page Navigation
1 ... 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122