Book Title: Agam 02 Suyagado Angsutt 02 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 68
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुयक्ांधो-२, अज्झयणं-२ ५९ से मेहावी पुव्यमेव अप्पणा एवं समभिजाणेज्जा इह खलु मम अण्णयरे दुक्खे रोगातंके समुष्पज्जेज्जा अणिट्टे अकंते अपिए असुभे अमणुष्णे अमणामे दुक्खे नो सुहे से हंता भयंतारी णायओ इमं मम अण्णयरं दुक्खं रोगातंकं परियाइयह-अणिट्ठ अकंतं अप्पियं असुमं अमणुष्णं अमणामं दुक्खं नो सुहं माऽहं दुक्खामि वा सोयामि वा जूरामि वा तिप्पामि वा पीडामि वा परितप्पामि वा इमाओ मे अण्णतराओ दुक्खाओ रोगातंकाओ परिमोयह अणिट्ठाओ अकंताओ अभियाओ असुभाओ अमणुष्णाओ अमणामाओ दुक्खाओ नो सुहाओ एवमेवं नो लद्धपुब्वं भवइ तेसिं वा वि भयंताराणं भम नाययाणं अण्णयरे दुक्खे रोगातं समुपज्जा अणि अकंते अप्पिए असुभे अमणुण्णे अमणामे दुक्खे नो सुहे से हंता अहमेतेसि भयंताराणं नाययाणं इमं अण्णतरं दुक्खं रोगातंकं परियाइयामि-अणिट्ठ अकंतं अप्पियं असुभं अमणुण्णं अमणामं दुक्ख नो सुहं मा मे दुक्खंतु या सोयंतु वा जूरंतु वा तिष्यंतु वा पीडंतु वा परितप्पंतु वा इमाओ णं अण्णयराओ दुक्खाओ रोगातंकाओ परिमोएमि- अणिट्ठाओ अकंताओ अप्पियाओ असुभाओ अमणुण्णाओ अमणामाओ दुक्खा - ओ नो सुहाओ एवमेव नो लद्वपुव्वं भवति अन्नस्स दुक्खं अन्नो नो परियाइयइ अन्नेण कतं अन्नो नो पडिसंवेदेइ पत्तेयं जायइ पत्तेयं मरइ पत्तेयं पचइ पत्तेई उववज्जइ पत्तेयं झंझा पत्तेयं सण्णा पतेयं मण्णा पत्तेयं विष्णू पत्तेयं वेदणा इति खलु नातिसंजोगा नो ताणाए वा नो सरणाए वा पुरिसे वा एगया पुव्विं नाइसंजोगे विप्पजहइ माइसंजोगा वा एगया पुव्वि पुरिसं विप्पजहंति अन्ने खलु नातिसंजोगा अन्नो अहमंसि से किमंग पुण वयं अण्णमण्णेहिं नाइसजोगेहिं मुच्छामो इति संखाए णं वयं नातिसंजोगे विप्पजहिस्सामो से मेहावी जाणेज्जा वाहिरगमेयं इणमेव उवणीयतरगं तं जहा - हत्था में पाया मे बाहा मे ऊरू मे उदरं मे सीसं मैं आउं मे बलं में वण्णो मे तया मे छाया मे सोयं मे चक्खुं मे धाणं मे जिभा में फासा मे ममाति वयाओ परिजूरइ तं जहा - आऊओ बलाओ वण्णाओ तथाओ छापाओ सोवाओ चक्खूओ घाणाओ जिब्माओ फासाओ सुसंधिता संधी विसंधीभवति वलितरंगे गए भवति किव्हा केसा पलिया भवंति जं पि य इमं सरीरगं उरालं आहारोवचियं एवं पिय में अणुपुवेणं विप्पज - हियव्वं भविस्सति एवं संखाए से भिक्खू भिक्खायरियाए समुट्ठिए दुहओ लोगं जाणेज्जा तं जहा जीवा चेव अजीवा चेव तसा चैव थावरा चैव इह खलु गारत्या सारंभा सपरिग्गहा संतेगइया समणा माहणा वि सारंभा सपरिग्गहा-जे इमे तसा यावरा पाणा ते सर्व समारंभंति अण्णेण वि समारंभावेंति अण्णं पि समारंभंतं समणुजाणंति इह खलु गारत्या सारंभा सपरिग्गाहा संतेगइया समणा माहणा वि सारंभा सपरिग्गाहा जे इमे काममोगा सचित्ता वा अचित्ता बाते सयं परिगिव्हंति अन्नेवि परिगिण्हावेति अन्नं पि परिगिन्हं समगुजाणंति इह खलु गारत्था सारंभा सपरिग्गाहा संतेगइया समणा मारणा वि सारंमा सपरिग्गाहा अहं खलु अनारंभे अपरिग्गहे जे खलु गारत्या सारंभा सपरिग्गाहा संतेगइया समणा माहणा वि सारंभा सपरिग्गाहा एतेसिं चेव निस्साए बंभचेरवासं वसिस्सामो कस्स णं तं हेउं जहा पुव्वं तहा अवरं जहा अवरं तहा पुव्वं अंजू एते अणुवस्या अणुवट्ठिया पुणरवि तारिसगा चेव जे खलु गारत्या सारंभा सपरिग्गाहा संतेगइया समा माहणा वि सारंभा सपरिग्गाहा दुहओ पावाई कुव्वंति इति संखाए दोहि वि अंतेहिं For Private And Personal Use Only

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