Book Title: Agam 02 Suyagado Angsutt 02 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 71
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सूयगडो २/२/-६६७ लोइणो अधम्मपलज्जणा अधम्मसीलसमुदाचारा अधम्पेण चेव वित्तिं कप्पेमाणा विहरंति हण छिंद मिंद विगत्तगा लोहियपाणी चंडा रुद्दा खुद्दा साहस्सिया उवकंचण-वंचण-माया-नियडिकूड-कवड-साइ-संपओगबहुला दुस्सीला दुव्याया दुप्पडियानंदा असाहूं सयाओ पाणाइवायाओ अप्पडिविरया जायजीवाए सव्वाओ मुसावायाओ अपडिविरवा जावज्जीवाए सव्वा ओ अदिन्नादाणाओ अप्पडिविरया जावजीवाए सचाओ मेहुणाओ अप्पडिविरया जावजीवाए सब्बाओ परिग्गहाओ अप्पडिविरया जावजीवाए सव्वाओ कोहाओ पाणाओ मायाओ लोभाओ पेजाओ दोसाओ कलहाओ अमक्खाणाओ पेसुष्णाओ परपरिवायाओ अरइरईओ मायामोसाओ मिच्छादसणसल्लाओ अप्पडिरिया जावजीवाए सव्वाओ ण्हाणुमद्दण-वण्णग-विलेदण-सद्द-फरिस-रस-स्व-गंध-मल्लालंका- राओ अप्पिविरया जायजीदाए सव्वाओ सगड-रह-जाण-जुग्ण-मल्लालंकाराओ अप्पडिवि-रया जावज्जीवाए सव्वाओ सगङरह-जाण-जुग्ग-गिल्लि-थिल्लि-सिय-संदमाणिया सयणा-सण - जाण- वाहण -भोग - भोयणपवित्थरविहीओ अप्पडिविरया जावजीयाए सव्वाओ कय-किया-मासद्धमास-रूवग-संववहाराओ अप्पडिविरया जायजीवाए सचाओ हिरण्ण-सुवण्ण-घण-धग्ण-मणि-मोतिय- संखसिल-प्पवालाओ अप्पडिविरया जावजीवाए सब्बाओ कूडतुल-कूड माणाओ अप्पण्डिविरया जावजीवाए सव्वाओ आरंभसमारंभाओ अप्पडिविरया जायजीवाए सव्वाओ करणकारावणाओ अप्पडिविरया जावजीवाए सव्याओ पयण-पयावणाओ अप्पडिविरया जावज्जीवाए सव्वाओ कुण-पिट्टण-तज्जण-ताडण-वह-बंधपरिकिलेसाओ अप्पडिविरया जावजीवाए जे यावण्णे तहप्पगारा सावजा अबोहिया कम्मता परपाणपरियावणकरा कजति ततो वि अप्पडिविरिया जायजीवाए से जहाणमए केई पुरिसे कलम-मसूर-तिल-मुग्ग-मास-णिप्फाव-कुलत्य-आलिसंदग-परिमंथगमादिएहिं अयते कूरे मिच्छादंडं पउंजति एवमेव तहप्पगारे पुरिसजाए तित्तिरवट्टा-लावग-कवोय-कविंजल-पिय - महिस - वराए - गाह • गोह-कुम्प-सिरीसिवामादिएहिं अयते कूरे मिच्छादंडं पउंजति जा वि य से दाहिरिया परिसा मवइ तं जहा-दासे इ वा पेसे इ वा मयए इ वा भाइले इ वा कप्मकरए इ वा भोगपुरिसे इ वा तेसि पि य णं अण्णयरंसि अहालहुगंसि अवराहसि सयमेव गरुयं दंडं निव्वत्तेइ तं जहा-इमं दंडेह इमं मुंडेह इमं तज्जेह इमं तालेह इमं अंदुयबंधणं करेह इमं नियलबंधणं करेह इमं हडिबंधणं करेह इमं चाएगवंधणं करेह इमं नियल-जुयल संकोडिय-मोडियं करेह इमं हथिच्छिण्णयं करेह इमं ओट्ठच्छिण्णयं करेह इमं सीसच्छिण्णयं करेह इमं मुहच्छिष्णयं करेह इमं व्यवहितं करेह इमं अंगवहितं करेह इमं फोडियपयं करेह इमं नयणुप्पाडियं करेह इमं दसुण्पप्पडियं करेह इंम वसणुप्पाडियं करेह इमं जिब्भुप्पाडियं करेह इमं ओलंबियं करेह इमं घसियं करेह इमं घोलियं करेह इमं सूलाइयं करेह इमं सूलाभिषणयं करेह इमं खारपत्तियं करेह इमं वज्झपत्तियं करेह इमं सीहपुच्छियगं करेह इमं वसहपुछियगं करेह इमं कडगिदड्ढयं करेह इमं कागणिमसखावियगं करेह इमं मत्तपाणनिरुद्धगं करेह इमं जावजीवं वहबंधणं करेह इमं अन्नतरेणं असुभेणं-कु-मारेणं मारेह जावि य से अमितरिया परिसा भवइ तं जहा-माया इ वा पिया इ वा भाया इ वा भगिणी इ वा मज्जा इ वा पुत्ता इ वा धूया इ वा सुण्हा इ वा तेसिं पि य णं अन्न For Private And Personal Use Only

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