Book Title: Agam 02 Suyagado Angsutt 02 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 48
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir INE०८11-2 सुपक्खंघो-१, अम्मरण-१४ १६०४) अहावुइयाई सुसिक्खएना जएज या नाइवेल यएजा से दिट्ठिमं दिछि न लूसएआ से जाणइ भासिउं तं समाहिं ॥६०४||-25 (६०५) अलूसए नो पच्छण्णभासी नो सुत्तमत्थं च करेज्ज अन्नं सत्यारपत्ती अणुवीचि वायं सुयं च सम्म पडिवादएजा ॥६०५||-26 (६०६) से सुद्धसुत्ते उवहाणवं च धम्म च जे विंदति तत्थ तत्थ आएजवक्के कुसले वियत्ते से अरिहइ भासिउं तं समाहिं ॥६०६||-27 -त्ति बेमि • चउदसमं अन्नपणं समतं . पन्नरसमं अज्झयणं-जपईए (६०७) जमतीतं पडुप्पण्णं आगमिस्सं च नातओ सव्वं मण्णति तं ताई दसणावरणंतए ॥६०७।-1 (६०८) अंतए चितिगिच्छाए से जाणइ अणेलिसं अणेलिसस्स अक्खाया न से होइ तहिं तहिं (६०९) तहिं तहिं सुयखावं से य सच्चे सुआहिए सदा सचेण संपन्ने मेतिं भूतेसु कप्पए ॥६०९।।-3 (६१०) भूतेसु न विरुज्झेजा एस धम्मो बुसीमओ सीमं जगं परिण्णाय अस्सिं जीवियभावणा ॥६१०11-4 (६११) भावणाजोगसुद्धप्पा जले नावा च आहिया नावा व तीरसंपन्ना सव्वदुक्खा तिउति (११२) तिउट्टती उ मेहावी जाणं लोगंसि पावर्ग तुटृति पावकम्माणि नवं कम्ममकुवओ ॥६१२|1-6 (६१३) अकुब्बओ नवं नयि कामं नाम विजाणतो नचाण से महावीरे जे न जाई न मिजती ॥६१३||-7 (६१४) न मिज्जती महावीरे जस्स नस्थि पुरेकर्ड वाऊ व जालपञ्चेइ पिया लोगंसि इथिओ ॥६१४||-8 (६१५) इथिओ जे न सेवंति आदिमोक्खा हु ते जणा ते जणा बंधणुम्मुका नावकंखंति जीवितं ||६१५||-9 (६१६) जीवितं पिट्ठओ किच्चा अंतं पावंति कम्पुणं कम्पुणा संमुहीभूता जे मागमणुसासत्ति ॥६१६||-10 (६१७) अणुसासणं पुढो पाणी वसुमं पूयणा सते अणासते जते दंते दढे आरत मेहुणे ||६१७॥-11 (६१८) नीवारे व न लीएजा छिण्णसोते अणाउले अनाइले सदा दंते संधि पत्ते अणेलिसं ||१८|-12 (६१९) अणेलिसस्स खेयण्णे न विरुज्झेज्न केणइ मणसा वयसा चेव कायसा चेव चक्खुमं ॥६१९11-13 ॥६११11-5 For Private And Personal Use Only

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