Book Title: Agam 02 Suyagado Angsutt 02 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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सूयगडो १/१४/-/५८७
(५८७) विउट्ठितेणं समयाणुसिट्ठे डहरेण वुड्ढे ऽनुसासिते तु अब्मुट्ठिताए घडदासिए या अगारिणं वा समयाणुसिट्ठे ॥५८७|1-8 (५८८) न तेसु कुज्झे न य पव्वहेजा न यावि किंची फरुसं वदेजा तहा करिस्सं ति पडिस्सुणेज्जा सेयं खु मेयं न पमाद कुज्जा (५८९ ) वर्णसि मूढस्स जहा अमूढा माणुसासंति हितं पयाणं
तेजा वि मज्झं इणमेव सेयं जं मे बुधा सम्पऽणुसासयंति (५९०) अह तेण मूढेण अंमूढगस्स कायव्य पूया सविसेसजुत्ता एतोवमं तत्थ अदाहु वीरे अणुगम्म अत्थं उवणेइ सम्पं (५९१) नेता जहा अंधकारंसि राओ मग्गं न जाणाति अपस्समाणे से सुरियस्सा अब्मुग्गमेणं भागं वियाणाति प्रगासितंसि (५९२ ) एवं तु सेहे वि अपुट्ठधम्मे धम्मं न जाणाति अबुज्झमाणे से कोचिए जिणययणेण पच्छा सूरोदए पासइ चक्खुणेव (५९३) उड्ढं अहे यं तिरियं दिसासु तसा य जे थावर जे य पाणा सयाजए तेसु परिव्वज्जा मणप्पओसं अविकंपमाणे (५९४) कालेण पुच्छे समियं पयासु आइक्खामाणो दवियस्स वित्तं तं सोयकारी य पुढो पवेसे संखाइमं केवलियं समाहिं (५९५) अस्सिं सुदिधा तिविहेण तायी एएसु या संति निरोधमाहु ते एवमक्खति तिलोगदंसी न भुजमेतं ति पमायसंग (५९६ ) निसम्म से भिक्खु समीहमठ्ठे पडिभावणं होति विसारदे य आदाणमट्ठी वोदाण-मोणं उवेच्च सुद्धेण उवेइ मोक्खं (५९७) संखाए धम्मं च वियागरंति बुद्धा हु ते अंतकरा भवंति ते पारगा दोह विमोयणाए संसोधियं पण्हमुदाहरति (५९८) नो छादण नो वि य लूसएजा माणं न सेवेज पगासणं च
न यावि पण्णे परिहास कुज्जा न याऽऽसिसाबाद वियागरेजा ॥५९८॥ - 18 (५९९) भूयाभिसंकाए दुर्गुछमाणे न निव्वहे मंतपण गोयं
न किंचिमिच्छे मणुए पयासुं असाहुधम्माणि न संवएज्जा (६००) हासं पिनो संघए पावधम्मे ओए तहिय फरुसं वियाणे
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।।५९२॥-13
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नो तुच्छए नो य विकत्यएसा अनाइले या अकसाइ भिक्खू ||६००/-21 ( ६०१ ) संकेज या ऽसंकितभाव भिक्खू विभजवायं च वियागरेजा भासादुगं धम्मसमुट्ठितेहिं वियागरेज्जा समयाऽसुपण्णे (६०२ ) अणुगच्छमाणे वितहं ऽभिजाणे तहा तहा साहु अकक्क सेणं न कत्थई मास विहिंसएज्जा निरुद्धगं वादि न दीहएजा (६०३ ) समालवेज्जा पडिपुण्णभासी निसामिया समिया अट्ठदंसी
||६०२।। 23
आणाए सिद्धं वयणं भिजुंजे अभिसंघए पावविवेग भिक्खा || ६०३॥ -24
।।६०१।।-22

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