Book Title: Agam 02 Suyagado Angsutt 02 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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सूयगडो २/२//६४९
तं जहा - रइएस तिरिक्खजोणिएसु माणुसेसु देवेसु जे यावण्णे तहप्पगारा पाणा विष्णू वेयणं चेयंति तेसिं पि य नं इमाई तेरस किरियाठाणाई भवतीति मक्खायं तं जहा अट्ठादंडे अणट्ठादंडे हिसादंडे अकस्मादंडे दिट्ठिविपरियासियादंडे मोसवत्तिए अदिन्नादाणवत्तिए अज्झथिए माणवत्त मित्तदोसवत्तिए मायावत्तिए लोभवत्तिए इरियावहिए 1991 - 16
(६४९) पढमे दंडसमादाणे अट्ठादंडवत्तिए त्ति आहिज्जहं से जहाणामए केइ पुरिसे आयहेउं वा नाइहेउं वा अगारहेउं वा परिवारहेडं वा मित्तहेउं वा नागहेउं वा भूयहेउं वा अक्खहेउं वा तं दंड तस्थावरेहिं प्राणेहिं सयमेव निसिरति अण्णेण वि निसिरावेति अन्नं पि निसिरंत समणुजाणति एवं खलु तस्स तम्पत्तियं सावज्रं ति आहिजइ पढमे दंडसमादाणे अट्ठदंडवत्तिए त्ति आहिए 1921 - 17
(६५०) अहावरे दोघे दंडसमादाणे अणठादंडवत्तिए त्ति आहिज्जर से जहाणामए केइ पुरिसे जे इमे तसा पाणा भवंति ते नो अचाए नो अजिणाए नो मंसाए नो सोणियाए नो हिय्याए नो पित्ताए नो बसाए नो पिच्छाए नो पुच्छाए नो बालाए नो सिंगाए नो विसाणाए नो दंताए नो दाढाए नो नहाए नो पहारुणिए नो अट्ठीए नो अट्ठिमिंजाए नो हिंसिसु मे ति नो हिंसंति मे त्ति नो हिंसिस्संति मे त्ति नो पुत्तपोसाणाए नो पसुपोसणाए नो अगारपरिचूहणयाए नो समणमाहण वत्तणाहेउं नो तस्स सरीरगस्स किंचि विपरियाइत्ता भवति से हंता छत्ता भेत्ता पत्ता विलुंपइत्ता ओदवइत्ता उज्झिउं बाले चेरस्स आभागी भवति -अणट्ठादंडे से जहाणामए केइ पुरिसे जे इमे धादरा पाणा भवंति तं जहा इक्कडा इ वा कडिमा इ वा जंतुगा इवा परगा इवा मोरका इ वा तणा इ वा कुसा इ या कुच्छगा इ वा पव्वगा इवा पलाला इयाते नो पुत्तपोसणाए नी पसुपोसणाए नो अगारपरिवूहणयाए नो समणमाहणत्तणाहेउं नो तस्स सरीरगस्स किंचि विपरियाइत्ता भवति से हंता छेत्ता मेत्ता लुंपइत्ता विलुंपइत्ता ओदवइत्ता उज्झउं बाले वेरस्स आभागी भवइ- अणट्ठादंडे से जहानामए केइ पुरिसे कच्छंसि वा दहंसि वा उदगंसि वा दवियंसि वा नूमंसि वा गहणंसि वा गहणविदुग्गंसि वा वर्णसि वा वजवि - दुग्गंसि वा पुव्वयंसि वा पव्वयविदुग्गंसि वा तपाई ऊसविय ऊसविय सयमेव अगणिकायं निसिरति अण्णेज वि अगणिकार्य निसिरावेति अन्नं पि अगणिकायं निसिरंतं समणुजाणतिअणट्ठादंडे एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावज ति आहिज्जर दोघे दंडसमादाणे अणट्ठादंडवत्तिए ति आइए ११९ | - 18
(६५१) अहावरे त दंडसमादाणे हिंसादंडवत्तिए ति आहिज्ज से जहानामए केइ पुरिसे ममं वा ममियं वा अन्नं वा अनियं वा हिंसिसु वा हिंसंति या हिंसिस्संति वा तं दंड तसथावरेहिं पाणेहिं सयमेव निसिरइ अण्णेण वि निसिरावे अण्णं पि निसिरंतं समणुजाणइहिंसादंडे एवं खलु तस्स तष्पत्तियं सावज्जं ति आहज्जइ तच्चे दंडसमादाणे हिंसादंडवत्तिए ति आहिए ॥२०1-19
(६५२) अहावरे चउत्ये दंडसमादाणे अकस्मादंडवत्तिए ति आहिज्र से जहानामए केइ पुरिसे कच्छंसि वा [ दहंसि वा उदगंसि वा दवियंसि वा वलयंसि वा नूमंसि वा गहणंसि वा गहणविदुग्गंसि वा वर्णसि वा वणविदुग्गंसि वा पव्वयंसि] वा पव्वयविदुग्गंसि वा पियवत्तिए मियसंकप्पे मियपणिहाणे मियवहाए गंता एते मिय ति काउं अण्णयरस्स मियस्स
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