Book Title: Agam 02 Suyagado Angsutt 02 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 39
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३० सूधपाडो 9/11- ॥४५३1-17 ॥४५४1-18 ||५५11-19 |४५६||-20 ॥४५७11-21 ४५८11-22 ।४५९।।-23 ||४६०11-24 ।।४६१11-25 (४५३) अठ्ठापदं न सिक्खेजा धादीयं च नो घए हत्यकामं विवायं च तं विनं परिजाणिया (४५४) उवाणहाओ छत्तं च नालियं बालवीयणं परकिरियं अण्णपण्णं च तं विजं परिजाणिया (४५५) उच्चारं पासवणं हरितेसु न करे पुणी वियडेण वावि साहट्ट नायमेन कयाइ वि (४५६) परमत्ते अण्णपाणं न मुंजेन कयाइ वि परवत्यं अचेलो वि तं विनं परिजाणिया (४५७) आसंदी पलियंके य निसिङ्गं च गिहतरे संपुच्छणं सरणं या तं विज्ञं परिजाणिया (४५८) जसं कित्ती सिलोगं च जा य वंदणपूयणा सब्बलोगंसि जे कामा तं विजं परिजाणिया (४५१) जेणेहं निव्दहे मिक्ख अण्णपाणं तहाविहं अणुप्पदाणमण्णेसिं तं विनं परिजाणिया (४६०) एवं उदाहु निग्गंथे महावीरे महामुणी अणंतनाणदंसी से धर्म देसितवं सुतं (४६१) मासपाणो न मासेज्जा नो य वम्फेज मम्पयं माइट्ठाणं विवज्जेजा अणुवीइ वियागरे (४६२) संतिमा तहिया भासा जं वइत्ताणुतप्पई जं छणं तं ण वत्तव्यं एसा आणा नियंठिया (४६३) होलावायं सहीवाय गोयवायं च नो वए तुमं तुमं ति अमणुण्णं सब्बसो तं न वत्तए (४६४) अकुसीले सदा भिक्खू नो य संसग्गियं पए सुहरूवा तत्युवसग्गा पडिबुन्झेज ते विदू (४६५) नन्नत्य अंतराएणं परगेहे न निसीयए गाम-कुमारियं किहुं नाइवेलं हसे मुणी (४६६) अणुस्सुओ उरालेसु जयमाणे परिज्वए चरियाए अप्पपत्तो पुट्ठो तत्यऽहियासए (४६७) हममाणो न कुप्पेजा बुच्चामाणो न संजले सुमणो अहियासेजा न य कोलाहलं करे (४६८) लद्धे कामे न पत्थेला विवेगे एव माहिए आयरियाई सिक्खेज्जा बुद्धाणं अंतिए सया (४६९) सुस्सूसमाणो उचासेजा सुप्पण्णं सुतवस्सियं वीरा जे अत्तपण्णेसी धितिमंता जिइंदिया (४७०) गिहे दीवपपासंता पुरिसादाणिया नरा ते वीरा बंधणुमुक्का नावखंति जीवियं ॥४६२||-26 11४६३11-27 ||४६४।।-28 ||४६५11-29 ।।४६६||-30 ॥४६७|-31 IITECII-33 ४६९||-33 ॥७011-34 For Private And Personal Use Only

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