Book Title: Agam 02 Suyagado Angsutt 02 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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सुपक्खंधो- १, अज्झयणं -९
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(४७१) अगिद्धे सद्दफासेसु आरंमेसु अनिस्सिए सव्वं तं समयातीतं जमेतं लवियं बहु (४७२ ) अइमाणं च मायं च तं परिण्णाय पंडिए गारवाणि य सव्वाणि निव्वाणं संधए मुणि
• नवमं अज्झयणं समत्तं
दसमं अज्झयणं- समाही
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1911-35
(४७३ ) आधं मइमं अणुवीइ धम्मं अंजुं समाहिं तमिणं सुगेह
अपडणे भिक्खु समाहिपते अणिदाणभूते सुपरिव्वएञ्जा ।।४७३ ।। - 1 (४७४) उड्टं अहे यं तिरियं दिसासु तसा य जे थावर जे य पाणा
हत्थेहि पादेहि य संजमित्ता अदिन्नमण्णेसु य नो गहेजा ॥ ४uri-2 ( ४७५) सुक्खायधम्मे वितिगिच्छतिष्णे लाढे चरे आयतुले पचासु
॥४७२॥ 36 -त्ति बेमि
आयं न कुजा इह जीवियट्ठी चयं न कुजा सुतवस्सि मिक्खू ॥४७५॥-3 ( ४७६ ) सव्विंदियाभिनिव्बुडे पयासु चरे मुणी सव्वओ विप्पमुक्के
पासाहि पाणे य पुढो विसण्णे दुक्खेण अट्टे परिपञ्चमाणे ॥ ४७६ ॥ - 4 (४७७) एतेसु वाले य पकुव्यमाणे आवकृती कम्मसु पावएसु
अतिवाततो कीरति पावकम्मं निरंजमाणे उ करेइ कम्पं ॥४७७|| 5 (४७८) आदीनविती वि करेति पावं मंता हु एगंतसमाहिमाहु बुद्धे समाहीय रए विवेगे पाणाइवाया विरते ठितप्पा (४७९) सब्वं जगं तू समयापुणेही पियमप्पियं कस्सइ नो करेजा
उट्ठाय दीणे तु पुणो विसरणे संपूयणं चेय सिलोयकामी ॥ ४७९ ॥ - 7 (४८०) आहाकडं चैव निकाममीणे निकामसारी य विसण्णमेसी इत्थीसु सत्ते य पुढो य वाले परिग्रहं चेव पकुव्वमाणे (४८१) वेराणुगिद्धे निचयं करेति इतो चुते से दुहमठदुगं
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।।४७८|| 6
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तम्हा तु मेघावि समिक्ख धम्मं चरे मुणी सव्वतो विष्पमुक्के ||४८१ ॥ - ७ (४८२ ) आयं ण कुज्जा इह जीवितट्ठी असजमाणो य परिव्वज्जा
णिसम्मभासी व विणीयगिद्धी हिंसणितं वा ण कहं करेजा ।।४८२॥ - 10 (४८३) आहाकडं वा न निकामएजा निकामयंते य न संथवेजा
पुणे उलं अणवेक्खमाणे चेद्याण सोयं अणुवेक्खमाणे ॥ ४८३॥-11 (४८४) एत्तमेवं अभिपत्यएज्जा एतं पमोक्खे न मुसं ति पास
||४८४ ॥ - 12
एसप्पमोक्खे अमुसेऽवरे वी अकोहणे सच्चरए तवस्सी (४८५ ) हत्थीसु या आरयमेहुणे उ परिग्गहं चेव अकुच्वमाणे उच्चावसु विसएर ताई न संसयं भिक्खु समाहिपत्ते (४८६) अरतिं रतिं च अभिभूय भिक्खू तणाविफासं तह सीतफासं उन्हं च दंसं चऽ हियासएञ्जा सुमि च दुमि च तितिक्खएजा ॥४८६ ॥ -14
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