Book Title: Agam 02 Suyagado Angsutt 02 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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(४९३)
सूपगडो १/901-४८७ (४८७) गुत्ते वईए य समाहिपत्ते लेसं समाहट्ट परिव्वएना
गिह ण छाए न वि छादएजा सम्मिस्तिभावं पजहे पपासु १४८७||-15 (४८८) जे केइ लोगम्मि उ अकिरियाता अण्णेण पुट्ठा धुतभादिसंति
आरंभसत्ता गढिया य लोए धर्म न जाणंति विमोक्खहेउ ॥४८८||-16 (४८९) तेसिं पुढो छंदा माणवाणं किरियाकिरियाण व पुढोयवादं
जातस्स घालस्स पकुव्व देहं पवद्धती वेरमसंजयस्स ॥४८९/-17 (४९०) आउक्खयं घेद अबुझमाणे ममाइ से साहसकारि मंदे
अहो य राओ परितप्पमाणे अट्टे सुमूढे अजरामो व्य ॥४९०11-18 (४९१) जहाय वित्तं पसवो य सबे जे बंधवा जे य पिया य मित्ता
लालप्पई से वि उवेति मोहं अण्णे जणा तं सि हरंति वित्तं ॥४९१||-19 (४९२) सीहं जहा खुद्दभिगा वरंता दूरे चांती परिसंकमाणा
एवं तु मेहावि समिक्ख धम्मं दूरेण पावं परिवजएजा ॥४९२||-20 संबुज्झमाणे उ मरे मतीमं पावाओ अप्पाण निवट्टएज्जा
हिंसप्पसूताणि दुहाणि मत्ता निव्दाणभूते व परिवएज्जा ॥४९३।।-21 (४९४) मुसं न वूया मुणि अत्तगापी निव्वाणमेयं कसिणं समाहिं
सयं न कुझा न दि कारवेजा करंतमन्नं पि य नाणुजाणे ॥४९४||-22 (४९५) सुद्धे सिया जाए न दूसएना अमुछितो अणझोववण्णो
धितिमं विमुक्केन य पूयणट्ठी न सिलोयकापी य परिव्वएज्जा।।४९५।।-23 (४९६) निक्खम्म गेहाओ निरावकंखी कार्य विओसज्ज निदाणछिन्ने नो जीवितं नो मरणाभिकखी चोज भिक्खू पलया विमुक्के ॥४९६।-24
-त्ति बेमि • दसमं अनपणं सफ्तं.
| एगारसपं अजयणं-मणे (४९७) कयरे मग्गे अक्खाते पाहणेण मतीमता
जं मागं उज्जु पाविता ओहं तरति दुरुत्तरं (४९८) तं मागं अणुत्तरं सुद्धं सव्वदुक्खविमोक्खणं
जाणासि णं जहा भिक्खू तं णे हि महामुणी ॥४९८||-2 जइ णे केई पुच्छेना देवा अदुव माणुसा
तेसिं तु कयरं मागं आइक्खेत कहाणि णे ॥४९९1-3 (५००) जइ वो केइ पुछेशा देया अदुय माणुसा
तेसिमं पडिसाहेजा मग्गसारं सुणेह मे (५०१) अणुपुव्येण महाधोरं कासवेण पवेइयं जमादाय इओ पुवं समुदं दवहारिणो
11५०१1-5 (५०२) अतरिंसु तरंतेगे तरिस्संति अणागया
तं सोच्चा पडिवक्खामि जंतवो तं सुणेह मे
।।४९७॥-1
||५००11-4
५०२1-6
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