Book Title: Agam 02 Suyagado Angsutt 02 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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सूपगो १/३/३/२१५ (२१५) तुष्भे मुंजह पाएसु गिलाणाभिहडं ति य
तं च बीओदगं भोचा तमुद्देस्सादि जं कडं ॥२१५||-12 (२१६) लित्ता तिव्वामितायेण उझिया असमाहिया णाइकंडूइयं सेय अरुयस्सायरज्झई
॥२१६||-13 (२१७) तत्तेण अणुसिट्ठा ते अपडिण्णेण जाणया
न एस नियए मग्गे असमिक्खा वई किई ॥२१७]:-14 (२१८) एरिसा जा चई एसा अग्गे वेणु व्व करिसिया
गिहिणं अमिहडं सेयं भुंजिउं न उ भिक्खुण ॥२१८11-15 (२१९) धम्मपन्नवणा जा सा सारम्भाण विसोहिया न उ एयाहि दिठीहि पुव्वमासि पगप्पियं
॥२११|1-18 (२२०) सवाहि अणुजुत्तीहिं अचयंता जवित्तए
तओ वायं निराकिचा ते भनो वि पगमिया २२०||-17 (२२१) रागदौसाभिभूयप्पा मिच्छत्तेण अभिट्ठया अक्कोसे सरणं जंति टंकणा इव पव्ययं
॥२२१11-18 (२२२) बहुगुणप्पकप्पाई कुजा अत्तसमाहिए
जेणपणे न विरुझेझा तेणं तं तं समायरे ||२२२॥-19 (२२३) इमं च धम्ममायाय कासवेण पवेइयं
कुजा भिक्खू गिलाणस्स अगिलाए समाहिए ॥२२३||-20 (२२४) संखाय पेसलं धमं दिछिमं परिनिबुडे
उवसग्गे नियामित्ता आमोक्साए परिव्वएनासि -तिबेमि ॥२२४||-21
• तइए अझयणे तइओ उहेसो तपत्तो .
__ - चउत्यो उद्देसो :(२२५) आहेसु महापुरिसा पुदि तत्ततवोधणा
उदएण सिद्धिमावण्णा तत्य मंदो विसीयइ ॥२२५|-1 (२२६) अमुंजिया नमी वेदेही रामउत्ते य मुंजिया बाहुए उदगं भोया तहा तारागणे रिसी
||२२६||-2 (२२७) आसिले देविले चेय दीवायण महारिसी
पारासरे दगं मोधा बीयाणि हरियाणि य ॥२२७||-3 (२२८) एए पुवं महापुरिसा आहिया इह संमया भोच्चा बीयोदगं सिद्धा इह मेयमणुस्सुयं
|२२८11-4 (२२९) तत्य मंदा विसीयंति चाहच्छिपणा व गद्दमा
पिठओ परिसप्पंति पीढसप्पीव संभमे (२३०) इहमेगे उभासंति सातं सातेण विजई जे तत्य आरियं मग्गं परमं च समाहियं
१२३०|-6 (२३१) मा एवं अवमण्णंता अप्पेणं लुपहा बहुं एयास अमोक्खाए अयोहारि व्य जूरहा
२३१||-7
॥२२९|1-5
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