Book Title: Agam 02 Suyagado Angsutt 02 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
१४
सूपगडो १/३/१/१८१ (१८१) एए भो कसिणा फासा फरुसा दुरहियासया
हत्थी वा सरसंवीता कीवावसगा गया गिहं ति बेमि ॥१८१॥-17 . तइए अन्यणे पटमो उद्देसो समतो.
-: बीओ उद्देसो :(१८२) अहिमे सुहमा संगा भिक्खूणं जे दुरुत्तरा जत्य एगे विसीयंति न चयंति जवित्तए
॥१८२||-1 (१८३) अप्पेगे नायओ दिस्स रोयंति परिवारिया
पोस णे तात पुट्ठो सि कस्स तात जहासि णे ||१८३11-2 (१८४) पिया ते थेरओ तात ससा ते खुड्डिया इमा
भायरो ते सवा तात सोयरा किं जहासि णे १1१८४||-3 (१८५) भायरं पियरं पोस एव लोगो भविस्सइ एवं खु लोइयं तात जे पालेति उ मायरं
||१८५||-4 (१८६) उत्तरा महुरुल्लावा पुत्ता ते तात खुड्डया
भारिया ते नवा तात मा सा अण्णं जणं गमे ||१८६||-5 (१८७) एहि तात धरं जामो मा तं कम्म सहा वयं बीयं पि ताव पासामो जाम् ताव सयं गिहं
॥१८७1-6 (१८८) गंतुं तात पुणाऽगच्छे न तेणाऽसमणो सिया अकामगं परक्क मंतं को तं वारेउमरहइ
192211-7 (१८९) जं किंचि अणगं तात तं पि सव्वं समीकतं हिरण्णं ववहाराइ तं पि दाहामु ते वयं
॥१८२||-8 (१९०) इच्चेव णं सुसेहंति कालुणीयउवट्ठिया विबद्धो नाइसंगेहि तओऽगारं पहावद
।।१९०11-9 (१९१) जहा रुक्खं वणे जायं मालुया पडिवंधइ एवं णं पडिबंधति नायओ असमाहिए
॥१९ 11-10 (१९२) विवद्धो णाइसंगेहिं हतअथी वा वि णवग्गहे
पिट्ठओ परिसपंति सूति गो च अदूरगा ।।१९२||-11 (१९३) एए संगा मणुस्साणं पायाला व अतारिमा
कीवा जत्य य किस्संति पाइसंगेहि मुच्छिया 1॥१९३||-12 (१९४) तं च भिक्खू परिण्णाय सव्ये संगा महासवा
जीवियं णावकंखेशा सोचा धम्ममणुत्तरं (७९५) अहिमे संति आवटा कासवेण पवेइया
बुद्धा जतअघायसप्पंति सीयंति अबुहा अहि ।।१९५11-14 (१९६) रायाणो रायऽमच्चा य माहणा अदुव वत्तिया णिमंतयंति मोगेहिं भिक्खुयं साहुजीविणं
॥१९६ा-15 (१९७) हत्यस्स-रह-जाणेहिं विहारगमणेहि य
भुंज मोगे इमे सग्घे महरिसी पूजयामु तं ॥१९७||-16
१९४||-13
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122