Book Title: Agam 02 Suyagado Angsutt 02 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
१८
www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
सूयगडो १/४/१/२४८
( २४८ ) सुहुमेणं तं परक्कम्म छण्णपण इत्यीओ मंदा उदायं पिताओ जाणंति जह लिस्संति भिक्खुणो एगे (२४९) पासे भिसं निसोयंति अभिक्खणं पोसवत्यं परिहिंति काय आहे वि संति बाहु मुटु कक्खमणुव्वजे (२५०) सयणासणेहिं जोग्गेहिं इत्यीओ एगया निमंतति एयाणि चैव से जागे पासाणि विरूवरूवाणि ( २५१) नो तासु चक्खु संधेजा नो वि य साहसं समजुजाणे नो सद्भियं पि विहरेजा एवमप्पा सुरक्खिओ होइ ( २५२ ) आमंतिय ओसवियं वा भिक्खु आयसा निमंतेति एयाणि चैव से जाणे सद्दाणि विरूवरूदाणि (२५३) मणबंधणेहि णेगेहिं कलुजविणीयभुवगसित्ताणं अदु मंजुलाई मासंति आणवयंति भिष्णकहाहिं ( २५४ ) सीहं जहा व कुणिमेणं निव्मयमेगचरं पासेणं एवित्थियाओ बंधंति संवुडमेगतियमणगारं (२५५) अह तत्थ पुणो नमयंति रहकारी व नेमिं अणुपुवीए बद्धे मिए व पासे फंदते वि न मुच्चई ताहे ( २५६ ) अह सेऽणुतप्पई पच्छा भोचा पायसं व विसमिस्सं एवं विद्यागमायाए संवासो न कप्पई दविए (२५७ ) तम्हा उ वज्रए इत्थी विसलित्तं व कंटगं नचा ओए कुलाणि वसवत्ती आवाए न से वि निग्गंथे (२५८) जे एवं उछं तऽणुगिद्धा अण्णयरा हु ते कुसीलाणं सुतवस्सिए वि से भिक्खू नो विहरे सहणमित्यीसुं (२५९) अवि घूचराहिं सुहाहिं धाईहिं अदुवा दासीहिं
( २६० )
( २६१ )
( २६२ )
महतीहिं वा कुमारीहि संथवं से न कुजा अणगारे अदु नाइणं व सुहिणं वा अप्पियं दट्टु एगया होइ गिद्धा सत्ता कामेहिं रक्खणपोसणे मस्सोऽि समणं पिट्ठूदासीणं तत्थ वि ताव एगे कुप्पंति अदु भोयगेहिं नत्थेहिं इत्यीदोससंकिणो होति कुव्वंति संधवं ताहिं पटभट्ठा समाहिजोगेहिं तुम्हा समणा न सर्मेति आयहियाए सण्णिसेज्जाओ (२६३) बहवे गिहाई अवहट्टु मिस्सीभावं पत्थुया एगे घुवमग्गमेव पवयंति वायावोरियं कुसीलाणं (२६४) सुद्धं रवइ परिसाए अह रहस्समि दुक्कडं कुणइ जाणंति य णं तथा वेदो माइल्ले महासढेऽयं ति ( २६५) सयं दुक्क न चचइ आइट्ठो वि पकत्थइ वाले वेवाणुची मा कासी चोईतो गिलाइ से मुजो
For Private And Personal Use Only
॥२४८॥1-2
॥२४९॥-3
॥२५०॥-4
।।२५१।।-5
॥२५२॥-6
।।२५३॥-7
॥२५४॥-8
॥२५५॥ -9
||२५६॥-10
११२५७॥-11
॥२५८॥-12
॥२५९॥-13
||२६०11-14
।।२६१ ॥ 15
॥२६२॥-16
||२६३||-17
||२६४॥-18
।।२६५।।-19

Page Navigation
1 ... 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122