Book Title: Agam 02 Suyagado Angsutt 02 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 13
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org (१४) जे ते उ वाइनो एवं लोए तेर्सि कुओ सिया तमाओ ते तमं जंति मंदा आरंभनिस्सिया (१५) संति पंच महसूया इहमेगेसि आहिया आयछट्ठा पुणेगाहु आया लोगे य सासए (१६) दुहओ ते न विणस्संति नो य उप्पज्जए असं सव्वेवि सव्वहा भावा नियतीभावमागया Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (१७) पंच खंधे वयंतेगे बाला उ खणजोइनो अपनो अपनो वाहु हेउयं व अहेउयं (१८) पुढवी आऊ तेऊ य तहा बाऊ य एगओ चत्तारि धाउनो रूवं एवमाहंसु जाणगा (१९) अगारमावसंता वि आरण्णा वा वि पव्यया इमं दरिसणमावण्णा सव्यदुक्खा विमुच्चंति (२०) तेणाविमं तिणचा णं न ते धम्मविऊ जणा जे ते उ वाइनो एवं न ते ओहंतराऽऽहिया (२१) तेणाविमं तिणच्चा णं न ते धम्मविऊ जणा जे ते उ वाइनो एवं न ते संसारपारगा (२२) तेणाविमं तिणच णं न ते धम्मविऊ जणा जे ते उ वाइनो एवं न ते गव्मस्स पाएगा (२३) तेणाविमं तिणच्चा णं न ते धम्मविऊ जणा जे ते उ वाइनो एवं न ते जम्मस्स पारगा (२४) तेणाविमं तिणच्चा णं न ते धम्मविऊ जणा जे ते उ वाइनो एवं न ते दुक्खस्स पारगा (२५) तेणाविमं तिणचा णं न ते धम्मविऊ जणा जे ते उ वाइनो एवं न ते मारस्स पारगा (२६) नानाविहाई दुखाई अणुहवंति पुनो पुनो संसारचक्कवालम्भि काहिमधुजराकुले (२७) - उच्चावयाणि गच्छंता गममेस्संतांतसो नायते महावीरे एवमाह जिनोत्तमे त्ति बेमि • पटम अझवणे पमो उद्देसो समत्तो -: बीओ उद्देसो : (२८) आधायं पुण एमेसि उववण्णा पुढो जिया वेदयंति सुहं दुक्खं अदुवा लुप्यंति ठाणओ (२९) न तं सयं कडं दुक्खं न य अण्णाकडं चणं सुहं वा जइ वा दुक्खं सेहियं वा असेहियं For Private And Personal Use Only सूयगडो १/१/१/१४ ।।१४।।-14 119411-15 21911-16 119७11-17 119411-18 119811-19 IR011-20 FR911-21 ॥२२॥-22 ।।२३।। 23 ||२४|| -24 ॥२५॥-25 ||२६|| 26 ।।२७।।-27 २८|1-1 ॥२९॥-2

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