Book Title: Agam 02 Suyagado Angsutt 02 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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नमो नमो निम्मल देसणस पंरम गणपर श्री सुपास्वामिने नमः
२ - सूयगडो
1911-1
||२||-2
॥३||-3
||४||-4
||५||-5
| बीअं अंगसुत्तं पढमो सुयक्खंधो पढमं अज्झयणं - समए!
-: पठमो उद्देसो :(१) युज्झेज तिउद्देज्जा बंधणं परिजाणिया
किमाह बंधणं वीरे किं वा जाणं तिउइ चित्तमंतमचित्तं वा परिगिज्झ किसामवि अण्णं वा अणुजाणाइ एवं दुक्खा न मुम्बई सयं तिवातए पाणे अदुवा अण्णेहिं घायए हणतं वाणुजाणाइ व बड्ढइ अप्पनो जस्सिं कुले समुप्पण्णे जेहिं वा संवसे नरे पमाती लुप्पती याले अण्णमण्णेहिं मुच्छिए वित्तं सोयरिया चेव सव्येमेयं न ताणइ संधाति जीवितं चेव कम्मणा उ तिउइ एए गंथे विउकम्म एगे समणमाहणा अवाणंता विउस्सिता सत्ता कामेहिं माणवा संति पंचं महत्भूया इहमेगेसिमाहिया पुढवी आउ तेऊ वाऊ आगास पंचमा एए पंच महटमया तेब्मो एगो त्ति आहिया अह एसिं विणासे उ विणासो होइ देहिनो जहा य पुढवीयूमे एगे नामा हि दीसइ
एवं भो कसिणे लोए विष्णू नाना हि दीसए (१०) एवमेगे ति जति मंदा आरंभणिस्सिया
एगे किच्चा सवं पावं तिव्वं दुक्खं नियच्छइ पत्तेयं कसिणे आया जे बाला जे य पंडिया
संति पेच्चा न ते संति नत्यि सत्तोववाइया (१२) नस्थि पुण्णे व पावे वा नत्यि लोए इओ परे
• सरीरस्स विणासेणं विणासो होइ देहिनो (१३) कुव्वं च कारयं चेव सव्वं कुर्वं न विजा
एवं अकारओ अप्पा ते उ एवं पगमिया
॥६11-6
७||-7
11८11-8
||९||-9
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|१३||-13
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