Book Title: Adhyatma Chandra Bhajanmala
Author(s): Chandrakanta Deriya
Publisher: Sonabai Jain Ganjbasauda

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Page 7
________________ ܀ ܀ ܀ १. २. ३. ४. * अनुक्रम * पृष्ठ क्रमांक विषय ८. ९. विषय मंगलाचरण वंदना जय तारण तरण हे आतम पाऊँ पद. आतम से नेह जोड़ के..... आतम जाना है किस देश .... छोडी मिथ्या से मैंने प्रीत..... ४ समकित को हमने पा लिया.... ५ १ १ २ ५. ६. अतीन्द्रिय ज्ञान के धारी...... ७. हम सिद्धों की नगरी में..... आत्म अनुभूति कैसी है..... आतम में अलख जगा ..... १०. शुद्धातम नगरी में आ...... ११. करो आतम उद्धार..... १२. सम्यक्दर्शन धार, ज्ञान.... १३. तारण पंथ कैसा होता..... १४. ज्ञान मूर्ति हो प्यारे...... १५. हृदय में है खुशी अपार...... १६. चेतन तेरे शरण में मैं आई.. १७. आत्मा है अलबेली...... १८. कर्मों का हुआ सर्वनाश.... १२ १९. आतम है मेरी अति सुन्दर... १३ २०. चेतन ले ले तू जग से.... १३ २१. निज आत्म रमण अब २२. हे आतम! मुक्ति परम...... २३. चेतन काये रूलो जग...... २४. मेरी है यही अरदास.... २५. आत्मा अपने में रम जा..... २६. आज आये द्वार गुरूवर...... २ ३ ३ ५ ६ ६ ७ ८ ९ १० ११ ११ १२ १४ १४ १५ १६ १७ १८ १९ १९ २० २७. जिया मैं तो आतम अनुभव .... १८ २८. सिद्ध दशा पाने के लिये..... २९. ममल स्वभावी हमें बनना. ३०. तुम तो ज्ञानी महा..... ३१. जगा लइयो भइया जागा..... ३२. सम्यक् दृष्टि को हर पल..... ३३. ज्ञाता दृष्टा मेरी आतम..... ३४. हुये आतम मगन मिली..... ३५. मेरे गुरूवर तरण तारण...... ३६. गुरूवर तेरे चरणों में अब..... २६ ३७. बहिरात्मा था हुआ...... २७ २५ २१ २२ २३ २४ ३८. ३९. ४०. ४१. ४२. ४३. ४४. ४५. ४६. ४७. ४८. ४९. ५०. ५१. ५२. ५३. ५४. ५५. ५६. ५७. ५८. ५९. ६०. ६७. ६८. ६९. ७०. ७१. ७२. ७३. ७४. ७५. पृष्ठ क्रमांक श्री जिनदेव हो मेरे, शरण.... २८ पर्युषण पर्व आया रे..... २९ आतम वैभव की कहानी...... धर्म को धारो सदा, शिव... ७६. ७७. ३० ३० आतम की क्या तारीफ.... ३१ आतम कब आएगी, चैतन्य.... ३१ जिनवाणी की श्रद्धा उर में.... ३२ कर्मों की मार से आतम.... ३३ ३४ मोह की दीवार न तोडी...... रोम-रोम में हर्षित होता.... ३५ ज्ञाता दृष्टा निज आत्मा...... ४१ शुद्धात्मा हूँ शुद्धातमा हूँ..... ४१ आतम के अनंत गुणों की.... ४२ ६१. धन्य-धन्य अगहन सप्तमी.... ४२ ६२. गुरू तारण तुम्हारी शरण..... ४३ ६३. जिनवर की भक्ति में मगन... ४३ ६४. आतम मेरी राग द्वेषादि में.... ४४ ६५. ६६. आत्मा हूँ आत्मा हूँ आत्मा... ३५ आत्म अनुभूति से तूने.... ३६ गुरू तारण को अध्यात्म..... ३६ बन जा रे चेतन तू बन जा .... ३७ भैया मेरे आतम से नेहा...... ३७ ३८ ये कर्मों ने मुझको बहुत ...... दस धर्मों को धार..... ३८ शुद्धातम अंगना में पलना ३९ शुद्धातम अंगीकार, रत्नत्रय .... ४० कब ऐसो अवसर पाऊँ.... ४० आए हैं आए हैं सेमरखेडी.... ४४ हे आतम तू परमातम स्वयं.... ४५ हे भवियन तुम आनंदमयं मेरी आतम की सम्पदा..... मेरे चेतन भूल न जाना...... आतम की ज्योति, शिव..... ममल आतम सुनो अब ...... ४७ आज हमारे द्वारे आए गुरू.... ४८ शील संयम मार्ग पर ही.... ४५ ४६ ४८ ४९ ४९ वीतरागी के चरणों में आना.... ५० ५१ मेरी आतम में पाँच महा..... आत्म श्रद्धा की, मैं तो.... ५१ मम आतम शरणा लहिये.... ५२ विषय पृष्ठ क्रमांक ७८. आतम की अकथ कहानी.... ५३ ७९. सुनो मेरी प्यारी बहिना...... ५३ ५४ ५४ ८०. झूले रे मेरे अन्तर में झूले.... ८१. त्रिलोकीनाथ आतम की.... ८२. मेरी आतम जगत के पर.... ५५ ८३. अपने आतम की मैं तो..... ५५ ८४. दर्शन दो शुद्धात्म देव, मेरी.... ५६ गुरूवर आए हम तेरी शरण .... ५६ राग द्वेष मैं छोडूं विचार के...... ५७ धरो हृदय में समता प्राणी ५७ ८५. ८६. ८७. ८८. कहाँ से आए हो ओ चेतन.... ५८ ८९. मेरी अजर अमर आतम..... ५८ आतम की ज्योति जगायेंगे.... ५९ आतम पे कर ले नजरिया.... ५९ ओ हो हो हो आतम से..... ६० हे चेतन कब अपने में आऊँ....६० चेतन के गुण चेतन में है...... ९०. ९१. ९२. ९३. ९४. ९५. ब्रह्मचारी बसंत जी का...... आए हैं आत्म मिलन को.... ६१ ६१ ६२ ६२ ६३ ९६. ९७. अपने में अपने को देखो.... ९८. आये चेतन शरण, मेटो..... ६३ ९९. अपरिणामी को देखो..... १००. नर जन्म पाने वाले, मोह... ६४ १०१. आतम को पाना होगा.... १०२. आतम का सुख आतम में.... १०३. भेदज्ञान को जिसने पाया.... ६६ ६५ ६५ १०४. काया की सुधि बिसार दो.... ६७ १०५. खजाना गुणों का खजाना.... ६७ १०६. जिनमती माता का हुआ.... ६८ ६९ १०७. आतम मेरी है शुद्धातम...... १०८. ॐ नमः सिद्धं का मंत्र.... ७० ७२ १०९. ज्ञानानंद जी का हुआ दर्श... ७१ ११०. आतम आतम जपोगे तो..... १११. यह शांत स्वरूप निजातम.... ७२ ११२. चेतन बात तुम करियो.... ११३. सुनो आत्म की महिमा.... ११४. मेरी आतम है अनुपम .... ११५. मैंने मंदिर में दर्शन को...... ११६. मेरी आतम निज में समाई... ११७. श्रद्धा करूँ मैं भक्ति करूँ..... ११८. जाते हैं गुरूवर अपने नगर.... ७७ ११९. ज्ञान है स्वरूप तेरा, ज्ञान... ७८ १२०. ज्ञान आतम का पाया ये...... ७९ ७७ ७३ ७४ ७५ ७५ ७६ विषय पृष्ठ क्रमांक १२१. आतम मेरी तो शुद्धातम ७९ १२२. ज्ञान इक ज्योति है, ध्यान.... ८० १२३. दर्श पायो दर्श पायो दर्श..... ८१ १२४. निज आत्मा की तू ज्योति... ८२ १२५. आतम निहार अब देर न..... દર १२६. फंसा है चेतन मोहजाल में.... ८३ १२७. हे आतम अनुपम दृगवासी... ८४ १२८. आतम को जाना है, ये ही.... ८५ १२९. लागी निज से लगन, हुये.... ८६ १३०. आतम मेरी सुख की धारी.... ८७ १३१. ज्ञान से ज्ञान को पाओ..... १३२. ज्ञानी ने ज्ञान भाव को.... १३३. हे शाश्वत सुख के वासी...... ८९ १३४. आत्मा आत्मा में रहेगी सदा.... ९० १३५. चिदानंद ज्ञान के धारी, तुम्हीं... ९१ १३६. हम आतम से आतम में..... ९२ १३७. शुद्धातम की पुजारी हो...... ९३ १३८. अनेकों जन्म से स्वामी..... ९३ १३९. ज्ञानानंद स्वभावी है मेरी..... ८८ ८८ ९४ १४०. ज्ञायक ज्ञान स्वभावी हो...... ९५ ९६ ९७ १४१. दिख रहा दिख रहा दिख.... १४२. सहजातम निर्विकारी हो... १४३. प्रीत आतम से मेरी रहेगी.... ९८ १४४. दर्शन को पाये हैं, आतम... ९९ १४५. अब तो आतम से आतम... १०० १४६. आतम बड़ी गम्भीर निज १०१ १४७. आतम हमें शिव सुख को.... १०१ १४८. आतम तेरी बात अटल.... १०२ १४९. आतम तेरी प्रीति अमर..... १०२ १५०. ज्ञान हमारा देश हम तो.... १०३ प्रभाती १५१. अब चेतन तुम क्यों बौराने...... . १०४ १५२. ध्रुव शुद्धात्मा निहार मेरे...... १०५ १५३. राग-द्वेष मिथ्या के बादल.... १०५ १५४. सिद्धोहं सिद्धोहं सिद्धोहं...... १०६ १५५. ज्ञान का प्रकाश हुआ...... १०६ १५६. आत्म निकंदन जग दुःख.... १०७ १५७. जय हो आतम देव.... १०७ १५८. चेतन से अब लगन..... १०८ १५९. निज सत्ता अपनाओ..... १०८ * शुद्धात्म भावना १०९-११४ * आध्यात्मिक चिंतन बोध११५-१३०

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