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अध्यात्म चन्द्र भजनमाला
अध्यात्म चन्द्र भजनमाला
भजन -५५ तर्ज-झिलमिल सितारों का.... शुद्धातम अंगना में पलना होगा, तारण तरण जैसा ललना होगा । ज्ञान स्वभावी तिमिर विनाशी आतम होगा,
शुद्धातम अंगना में पलना होगा ॥ ज्ञान के बगीचे में कई फल खिले हैं,कर्मों की जड़ें इनसे ही हिले हैं। श्रद्धा से नेहा लगाना होगा,आतम से आतम को पाना होगा ।
शुद्धातम अंगना में... वस्तु के स्वभाव को पाना ही धर्म है,ज्ञान की ज्योति से मिटे सारे भ्रम हैं चैतन्य सत्ता को पाना होगा, अनुभूति में अब समाना होगा ।
शुद्धातम अंगना में.... ममल स्वभावी आतम मेरी, दिव्य प्रकाशी आतम मेरी। दृष्टि को अंतर में ढलना होगा, त्रिकाली आतम में चलना होगा।
शुद्धातम अंगना में.... तू तो अनहद सुखों की खान है, स्वात्मोपलब्धि की महिमा महान है। शांति की मुद्रा को धरना होगा, कृत्य कृत्य अब होना होगा ।
शुद्धातम अंगना में.. तारण गुरू को शीश नवायें, जीवन ज्योति को अपनायें। श्रद्धा के सुमन चढ़ाना होगा, परमात्म पद को पाना होगा।
शुद्धातम अंगना में...
भजन-५६
तर्ज - न कजरे की धार न .... शुद्धातम अंगीकार, रत्नत्रय को धार । व्रत समितियों को पाल, ध्यान में सुन्दर मुद्रा है। आतम ज्योति जगा, मिथ्यात को तजा ।
श्रद्धा से लौ लगा, तुम्हीं तो मेरे गुरूवर हो । १. उत्तम क्षमा को धार के आई, मार्दव से गले मिलाई।
आर्जव की इस ऋजुता से, सत्य धर्म को है चमकाई॥ रत्नत्रय की सरिता से, कर जग से बेड़ा पार...आतम ज्योति... शौच धर्म की शुचिता लाऊँ, संयम तप को अपनाऊँ। त्याग धर्म की महिमा गाकर, आकिंचन मैं बन जाऊँ॥ ब्रह्मचर्य का दीप जलाकर, आतम का कर उद्धार...आतम ज्योति...
२.
४.
१.
भजन -५७ कब ऐसो अवसर पाऊँ, निज आतम को ही ध्याऊँ। आतम मेरी सुख की है ढेरी, सो विषयन मार भगाऊँ ॥
कब ऐसो... निज शुद्धातम की अनुभूति, सो परमातम पद पाऊँ ॥
कब ऐसो... एक अखंड अतुल अविनाशी, सो सच्चिदानंद कहाऊँ ॥
कब ऐसो... आतम मेरी अलख निरंजन, सो अरस अरूप ही ध्याऊँ॥
कब ऐसो... निज स्वरूप में रहूँ निरन्तर, सो यह पुरूषार्थ कराऊँ ॥
कब ऐसो...
४.
मुक्तक
क्रान्ति आई है जीवन में आतम की अलख जगायेंगे। आतम शुद्धातम परमातम का शंखनाद करायेंगे । चैतन्य स्वरूपी आतम ही धुव सत्ता की ये धारी है। तारण तरण श्री गुरूवर की युग युगों से ही बलिहारी है।
अध्यात्म एक विज्ञान है, एक कला है, एक दर्शन है, अध्यात्म मानव के जीवन में, जीने की कला के मूल रहस्य
को उद्घाटित कर देता है।