________________ आध्यात्मिक चिंतन बोध 86. अध्यात्म का अर्थ है - अपने स्वरूप को जानना / 87. अध्यात्म का फल - जीवन में सुख शान्ति होना / 88. ज्यों-ज्यों भौतिक प्रगति हो रही है, मानव की मानवता विलुप्त होती जा रही है। 89. धर्म के नाम पर - परस्पर घृणा का प्रचार करने वाले तथा युद्ध भड़काने वाले धर्म के तत्व एवं उद्देश्य को नहीं समझते / 90. सन्त - किसी एक धर्म के खूटे से नहीं बंधते हैं, सत्य का सत्कार करते हैं, वह चाहे जहां भी प्राप्त हो। 91. निराशा को भगाओ, आशा को जगाओ, आज और अभी जगाओ - जीवन का यही सन्देश है। 92. जो जीवन में रूचि नहीं लेता है, उसे जीने का अधिकार नहीं है। 93. जहां आत्म श्रद्धान है तथा कर्मों का विश्वास है, वहां चिन्ता और भय नहीं रह सकते। 94. परमात्मा पर श्रद्धा और कर्मों का विश्वास करने वाले को कभी भय चिन्ता नहीं हो सकते। 95. प्रसन्न-हंसमुख और मस्त स्वभाव के बिना, आप चिड़चिड़े क्रोधी, दुःखी और रक्तचाप आदि रोगों के शिकार हो जायेंगे। 96. व्यर्थ ही जिम्मेदारी बड़प्पन का बोझ लादकर, हम खिल-खिलाकर हंसना भूल गये - गमगीन रहने लगे हैं। 97. मनुष्य का भविष्य हाथ की रेखाओं और ग्रहों द्वारा कदापि बांधा नहीं जा सकता। 98. मनुष्य की इच्छा शक्ति और पुरुषार्थ ही मनुष्य का भविष्य बनाती है। 99. शास्त्र की बात भी बुद्धि रहित होकर मानने से धर्म की हानि होती है। १००.जो जीव आत्म स्वरूप का चिन्तन नहीं करता और नाशवान विनाशीक वस्तुओं की चिन्ता करता है वह आत्म स्वरूप को उपलब्ध नहीं कर सकता, चिंता आकूलता-व्याकूलता को बढ़ाती है। चिन्तन आत्म शांति को प्रगट करता है। आत्म चिन्तन करके ही जीव सुखी रह सकता है। जिस प्रकार हम दुनियां की चिंता करते हैं उसी प्रकार अपना चिंतन करें तो सुख का अनुभव होगा। पापों को उत्साह पूर्वक करना, संसार की चिंताएं करना दु:ख का कारण है। आत्म चिंतन ही आत्म उन्नति का एकमात्र मार्ग है। चौदह ग्रंथ रचे हित जान, गुरूवर तारण तरण महान / / तुमने शुद्धातम को पाया, जन-जन को वह मार्ग बताया / पाया सम्यक् दर्शन ज्ञान, गुरूवर तारण तरण महान.... सेमरखेड़ी में दीक्षा धारी, निसई क्षेत्र समाधि प्यारी / सूखा निसई का करूँ बखान, गुरूवर तारण तरण महान.... गुरूवर तेरी महिमा न्यारी, हम सब तेरे बने पुजारी / करते हम तेरा गुणगान, गुरूवर तारण तरण महान.... ज्ञान ज्योति से किया उजाला, आतम ही सब जानने वाला / करते चेतन का यश ज्ञान, गुरूवर तारण तरण महान.... आठों कर्म महा दुःखदाई, इनसे बचना मेरे भाई / इनको तू अपना न जान, गुरूवर तारण तरण महान... ज्ञान दान स्वाध्याय हेतु उपलब्ध सत्साहित्य * श्री मालारोहण टीका - 25 रूपया * श्री पंडित पूजा टीका - 15 रूपया * श्री कमल बत्तीसी टीका - 25 रूपया * अध्यात्म अमृत (जयमाल, भजन) - १०रूपया * अध्यात्म किरण - १०रूपया (जैनागम 1008 प्रश्नोत्तर) * अध्यात्म भावना - ५रूपया हैं अध्यात्म आराधना, देवगुरू शास्त्र पूजा - ५रूपया * ज्ञान दीपिका भाग-१,२,३ (प्रत्येक)- 5 रूपया प्राप्ति स्थल ब्रह्मानंद आश्रम,संत तारण तरण मार्ग पिपरिया,जिला-होशंगाबाद (म.प्र.)४६१७७५ 2. श्रीतारण तरण अध्यात्म प्रचार योजना केन्द्र 61, मंगलवारा, भोपाल (म.प्र.)४६२००१ जय तारण तरण OP इति /