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हिरण्य, सुवर्ण और विविध रत्नों की वृष्टि करो।
ॐ ही श्री रूपे प्रसीद २ । ॐ श्री दिव्यानुभावे प्रसीद २ । ॐ श्री उज्ज्वले प्रसीद २, ॐ ही श्री उज्ज्वलरूपे प्रसीद २ । ॐ श्री ज्योतिर्मयि प्रसीद २। ॐ श्री ज्योतिरूपधरे प्रसीद २ मम गृहं मम गृहस्य अंगणं नन्दनवन कुरु कुरु । ॐ अमृतकुम्भे प्रसीद २। ॐ अमृतकुम्भरूपे प्रसीद २ मम वांछितं देहि २ । ॐ ऋद्धिदे प्रसीद २, ॐ समृद्धिदे प्रसीद २, ॐ महालक्ष्मि प्रसीद २, ॐ श्री लोकमातः प्रसीद २, ॐ श्री लोक जननि प्रसीद २, ॐ श्री शोभावर्द्धिनि प्रसीद २, ॐ श्री अमृतसंजीवनि प्रसीद २, ॐ श्री शान्त लहरि