________________
२३६
વિજયસ્મરણ સમાપ્ત
ॐ ह्रीँ श्रीँ हे सर्वशक्ति सम्पन्न धरणेन्द्र और पद्मावती देवी ! सर्वत्र विजय करो, सभी प्रकारकी कीर्ति, यश और बल मुझे दो, सभी प्रकारका सौभाग्य दो, सभी प्रकारके मङ्गलको सिद्ध करो, मेरे सभी मनोरथोंको पूर्ण करो, ॐ ह्रीँ श्रीँ नमः सिद्धं ॥ ८ ॥ ॥ इति विजयस्मरण संपूर्ण ॥ ८ ॥ ॥ ९ शान्तिस्मरण ॥
शान्तिस्मरण मात्रेण शान्तिः सर्वत्र जायते । तदहं संप्रवक्ष्यामि, सर्व कल्याणकारकम् ॥ ९ ॥ હું મુ શાન્તિસ્મરણ (१) शान्तिस्भरणनो स्वाध्याय ४२ -