Book Title: Adbhut Navsmaranam
Author(s): Ghasilal Maharaj, Jayantilal Bhogilal Bhavsar
Publisher: Lakshmi Pustak Bhandar

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Page 267
________________ इस प्रकार राजाको आश्वासन देकर देवेन्द्रने सभी लोगों मे शान्ति हो, इस कामनासे मातृगर्भ स्थित जिन भगवानकी मानपूर्वक स्तुति प्रारम्भ की ॥२५॥ कर्पूरं शीतलं लोके, तस्मादपि च चन्दनम् । ततश्चाप्यधिकश्चन्द्रस्तस्मादप्यधिको भवान् ॥२६॥ लोकोत्तमो लोकनाथो, लोकप्रद्योतकारकः । चक्षुदौ मार्गदश्चापि धर्मदः शुद्धबोधिदः ॥२७॥ अवधिज्ञानसंपन्नो भव्याब्जोबोध भास्करः । जनानन्दकरः सर्व-शुद्ध धर्मप्रकाशकः ।। २८॥ चन्द्रमाश्रयते हर्तुमाकाशः स्वगतं तमः ।

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