Book Title: Adbhut Navsmaranam
Author(s): Ghasilal Maharaj, Jayantilal Bhogilal Bhavsar
Publisher: Lakshmi Pustak Bhandar

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Page 271
________________ નના અંધકારને તેડનાર આપ સૂર્ય સમાન છે. શરદપૂર્ણિમાના ચંદ્રની માફક આપ મનને પ્રફુલિત કરનાર છે. હે કરુણાના સાગર ! આપ મહેર કરે અને સર્વ वाने शाता Gral." देवेन्द्रने जो स्तुतिकी वह इस प्रकार है लोकमें कपूर शीतल है, उससे भी शीतल चन्दन है, चन्दनकी अपेक्षा अधिक शीतल चन्द्र हैं, और चन्द्रसे मी शीतल आप हैं । हे भगवन् ! आप लोकोत्तम (लोकमें सर्वश्रेष्ठ) हैं, लोकनाथ है, लोकको प्रकाशित करनेवाले हैं, ज्ञानचक्षु देनेवाले हैं मार्ग देनेवाले हैं, धर्म देनेवाले हैं, और शुद्ध बोधि देनेवाले

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