Book Title: Adbhut Navsmaranam
Author(s): Ghasilal Maharaj, Jayantilal Bhogilal Bhavsar
Publisher: Lakshmi Pustak Bhandar

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Page 272
________________ हैं । हे भगवन् ! आप अवधिज्ञानसे युक्त हैं, भब्यरूपी कमलोंको विकसित करनेमें आप भास्कर हैं, सभी मनुष्योंको आनन्द देनेवाले हैं, सर्वविशुद्ध धर्मके प्रकाशक हैं. हे प्रभो! जसे स्वगत अन्धकारको दूर करनेके लिये आकाश चन्द्रमाका आश्रयण करता है उसी प्रकार दुःखरूपी अन्धकारको दूर करनेके लिये हम आपका आश्रयण करते हैं । हे भगवन् ! आप सभी सिद्धियों के दाता है, आप समस्त सिद्धौषधिके समान है, आप तीनों लोकके प्रभु हैं, हे भगवन् ! आप स्मरणमात्रसे इस संसारमें लोगों के लिये सभी प्रकारसे शान्तिकारक हैं । हे भगवन् ! आप अज्ञानरूपी

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