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वहां कैसी शोभा होती है वह कहते हैं
देवलोक में जितनी शोभा है उससे भी अनन्त गुणित अधिक शोभा भगवान् के सभवसरण में होती है ॥ १४ ॥
न्यूनान्न्यूनं कोटिसंख्या - स्तं सुराः समुपासते ।
द्वादशानां परिषदि
देशनां दिशति प्रभुः ॥ १५ ॥
(14) ने लति भने प्रअरना हेवा. પ્રભુના સમેાસરણમાં આવે છે. અને ખાર પ્રકારની પરિષદેાને પ્રભુ દેશના ( પ્રવચન ) माये छे.