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अगर खेत खांडका हो, उस में मधु (शहद) की वर्षा हो, और खादके स्थान में
उसमें क्षीरसार ( मक्खन ) का गया हो, फिर उस खेत को जोते
खेतमें पुंडक नामके गन्ने - सांठेके बोया जाय, और उसको उत्तम
पिण्ड डाला
। फिर उस
नीरोग बीज द्राक्षारस से
सींचे, फिर यदि उसमें फल लगे और वह फल जैसा मीठा हो उससे भी अनन्तगुण अधिक भगवान्की वाणी मीठी होती है । और भगवान् के उच्छ्वास - निःश्वास पद्म-कमल और उत्पल कमल के समान सुगन्धित होते हैं
॥ १७-१८ - १९ ॥