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आचार्य हेमचन्द्र-रचित
सूत्रों पर आधारित प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण
(भाग-1)
संपादन डॉ. कमलचन्द सोगाणी
लेखिका श्रीमती शकुन्तला जैन
ITTI
REE
पाणु जीवो जोवो जैनविद्या संस्थान श्री महावीरजी
प्रकाशक
अपभ्रंश साहित्य अकादमी
जैनविद्या संस्थान दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीरजी
राजस्थान
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आचार्य हेमचन्द्र-रचित
सूत्रों पर आधारित प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण
(भाग-1)
संपादन डॉ. कमलचन्द सोगाणी
निदेशक जैनविद्या संस्थान-अपभ्रंश साहित्य अकादमी
लेखिका श्रीमती शकुन्तला जैन
सहायक निदेशक अपभ्रंश साहित्य अकादमी
माणु ज्जोदी जीबी जैनविद्या संस्थान श्री महावीरजी
प्रकाशक
अपभ्रंश साहित्य अकादमी
जैनविद्या संस्थान दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीरजी
राजस्थान
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प्रकाशक अपभ्रंश साहित्य अकादमी जैनविद्या संस्थान दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीरजी श्री महावीरजी - 322 220 (राजस्थान) दूरभाष - 07469-224323 प्राप्ति-स्थान 1. साहित्य विक्रय केन्द्र, श्री महावीरजी 2. साहित्य विक्रय केन्द्र दिगम्बर जैन नसियाँ भट्टारकजी सवाई रामसिंह रोड, जयपुर - 302 004
दूरभाष - 0141-2385247 प्रथम संस्करण : सितम्बर, 2012 सर्वाधिकार प्रकाशकाधीन मूल्य -500 रुपये
पृष्ठ संयोजन फ्रेण्ड्स कम्प्यूटर्स जौहरी बाजार, जयपुर - 302 003 दूरभाष - 0141-2562288
मुद्रक
जयपुर प्रिण्टर्स प्रा. लि. एम.आई. रोड, जयपुर - 302 001
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अनुक्रमणिका
पृष्ठ संख्या
क्र.सं. विषय
प्रकाशकीय प्रारम्भिक
1.
प्राकृत भाषा-संज्ञा शब्दों का विभक्ति-विवरण विशिष्ट शब्द शौरसेनी प्राकृत भाषा मागधी प्राकृत भाषा पैशाची प्राकृत भाषा अर्धमागधी प्राकृत भाषा सर्वनाम शब्दों का विभक्ति-विवरण परिशिष्ट-1 संज्ञा शब्दों की रूपावली परिशिष्ट-2 विशिष्ट शब्दों की रूपावली परिशिष्ट-3 सर्वनाम शब्दों की रूपावली परिशिष्ट-4 आचार्य हेमचन्द्र-रचित सूत्रों के सन्दर्भ सम्पादक की कलम से • परिशिष्ट-5 प्राकृत शब्दावली सम्मतिः अपभ्रंश-हिन्दी-व्याकरण डॉ. आनन्द मंगल वाजपेयी प्राकृत-व्याकरण संबंधी उपयोगी सूचनाएँ अपभ्रंश-व्याकरण संबंधी उपयोगी सूचनाएँ सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
168
170
179
181
182
183
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आचार्य हेमचन्द्र-रचित
सूत्रों पर आधारित प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण
(भाग-1)
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प्रकाशकीय
'प्राकृत - हिन्दी- व्याकरण (भाग - 1 ) ' अध्ययनार्थियों के हाथों में समर्पित करते हुए हमें हर्ष का अनुभव हो रहा है।
तीर्थंकर महावीर ने जनभाषा 'प्राकृत' में उपदेश देकर सामान्यजन के लिए विकास का मार्ग प्रशस्त किया। भाषा संप्रेषण का सबल माध्यम होती है। उसका जीवन से घनिष्ठ सम्बन्धं होता है । जीवन के उच्चतम मूल्यों को जनभाषा में प्रस्तुत करना प्रजातान्त्रिक दृष्टि है।
प्राकृत भाषा भारतीय आर्य परिवार की एक सुसमृद्ध लोकभाषा रही है। वैदिक काल से ही यह लोकभाषा के रूप में प्रतिष्ठित रही है। इसका प्रकाशित, अप्रकाशित विपुल साहित्य इसकी गौरवमयी गाथा कहने में समर्थ है। भारतीय लोक-जीवन के बहुआयामी पक्ष दार्शनिक एवं आध्यात्मिक परम्पराएं प्राकृत साहित्य में निहित है। तीर्थंकर महावीर के युग में और उसके बाद विभिन्न प्राकृतों का विकास हुआ, . वे हैंमहाराष्ट्री प्राकृत (प्राकृत), शौरसेनी प्राकृत, अर्धमागधी प्राकृत, मागधी प्राकृत और पैशाची प्राकृत। इनमें से तीन प्रकार की प्राकृतों का नाम साहित्य के क्षेत्र में गौरव के साथ लिया जाता हैं, वे हैं- महाराष्ट्री प्राकृत, शौरसेनी प्राकृत तथा अर्धमागधी प्राकृत। महावीर की दार्शनिक आध्यात्मिक परम्परा शौरसेनी व अर्धमागधी प्राकृत में रचित है और काव्यों की भाषा सामान्यतः महाराष्ट्री प्राकृत कही गई है। यह प्राकृत भाषा ही अपभ्रंश भाषा के रूप में विकसित होती हुई प्रादेशिक भाषाओं एवं हिन्दी का स्रोत बनी।
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उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट है कि प्राकृत भाषा को सीखना-समझना अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। इसी बात को ध्यान में रखकर अपभ्रंश-प्राकृत साहित्य के अध्ययनअध्यापन एवं प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीरजी द्वारा संचालित 'जैनविद्या संस्थान' के अन्तर्गत अपभ्रंश साहित्य अकादमी की स्थापना सन् 1988 में की गई। अकादमी का प्रयास है- अपभ्रंश-प्राकृत के अध्ययन-अध्यापन को सशक्त करके उसके सही रूप को सामने रखना जिससे प्राचीन साहित्यिक-निधि के साथ-साथ आधुनिक आर्यभाषाओं के स्वभाव और उनकी सम्भावनाएँ भी स्पष्ट हो सकें। .
वर्तमान में प्राकृत भाषा के अध्ययन के लिए पत्राचार के माध्यम से प्राकृत सर्टिफिकेट व प्राकृत डिप्लामो पाठ्यक्रम संचालित हैं, ये दोनों पाठ्यक्रम राजस्थान विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त हैं।
किसी भी भाषा को सीखने, जानने, समझने के लिए उसके रचनात्मक स्वरूप/संरचना को जानना आवश्यक है। प्राकृत के अध्ययन के लिये भी उसकी रचना-प्रक्रिया एवं व्याकरण का ज्ञान आवश्यक है। प्राकृत भाषा को सीखने-समझने को ध्यान में रखकर ही प्राकृत रचना सौरभ', 'प्राकृत अभ्यास सौरभ', 'प्राकृत गद्यपद्य सौरभ (भाग-1)', 'प्रौढ प्राकृत रचना सौरभ (भाग-1)', 'प्रौढ प्राकृत-अपभ्रंश रचना सौरभ (भाग-2)', 'प्राकृत गद्य-पद्य सौरभ (भाग-2)', 'प्राकृत-व्याकरण' 'प्राकृत अभ्यास उत्तर पुस्तक' 'प्राकृत-व्याकरण अभ्यास उत्तर पुस्तक' आदि पुस्तकों का प्रकाशन किया जा चुका है। 'प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)' इसी क्रम का प्रकाशन है।
'प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)' प्राकृत भाषा को सीखने-समझने की दिशा में प्रथम व अनूठा प्रयास है। इसका प्रस्तुतिकरण अत्यन्त सहज, सरल, सुबोध एवं नवीन शैली में किया गया है जो विद्यार्थियों के लिए अत्यन्त उपयोगी होगा। इस
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पुस्तक में प्राकृत के संज्ञा-सर्वनाम विभक्तियों को हिन्दी भाषा में सरलता से समझाने का प्रयास किया गया है। यह पुस्तक विश्वविद्यालयों के संस्कृत विभागों के प्राकृत अध्ययनार्थियों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी, ऐसी आशा है।
यहाँ यह जानना आवश्यक है कि संस्कृत-ज्ञान के अभाव में भी अध्ययनार्थी 'प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)' के माध्यम से प्राकृत भाषा का समुचित ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे।
श्रीमती शकुन्तला जैन एम.फिल. (संस्कृत) ने बड़े परिश्रम से 'प्राकृतहिन्दी व्याकरण (भाग-1)' को तैयार किया है जिससे अध्ययनार्थी प्राकृत भाषा को सीखने में अनवरत उत्साह बनाये रख सकेंगे। अतः वे हमारी बधाई की पात्र हैं।
. पुस्तक-प्रकाशन के लिए अपभ्रंश साहित्य अकादमी के विद्वानों विशेषतया श्रीमती शकुन्तला जैन के आभारी हैं जिन्होंने 'प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)' लिखकर प्राकृत के पठन-पाठन को सुगम बनाने का प्रयास किया है।
पृष्ठ संयोजन के लिए फ्रेण्ड्स कम्प्यूटर्स एवं मुद्रण के लिए जयपुर प्रिण्टर्स धन्यवादाह है।
प्य क्ष
.
जस्टिस नगेन्द्र कुमार जैन पूनमचन्द्र शाह डॉ. कमलचन्द सोगाणी
संयुक्त मंत्री
संयोजक प्रबन्धकारिणी कमेटी . जैनविद्या संस्थान समिति दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीरजी
जयपुर
....
वीर निर्वाण संवत्-2538
20.09.2012
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प्राकृत भाषा के सम्बन्ध में निम्नलिखित सामान्य जानकारी आवश्यक है
प्राकृत की वर्णमाला
स्वर - अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ओ
व्यंजन- क, ख, ग, घ, ङ
च, छ, ज, झ, ञ
ट, ठ, ड, ढ, ण।
त, थ, द, ध, न।
प, फ, ब, भ, म
य, र, ल,
स, ह।
-,
वचन
प्रारम्भिक
व।
=1
यहाँ ध्यान देने योग्य है कि असंयुक्त अवस्था में ङ और का प्रयोग प्राकृत भाषा में नहीं पाया जाता है। हेमचन्द्र कृत प्राकृत व्याकरण में ङ और ञ का संयुक्त प्रयोग उपलब्ध है। न का भी संयुक्त और असंयुक्त अवस्था में प्रयोग देखा जाता है। ङ, ञ, न के स्थान पर संयुक्त अवस्था में अनुस्वार भी विकल्प से होता है। शब्द अंत में स्वररहित व्यंजन नहीं होते हैं ।
प्राकृत भाषा में दो ही वचन होते हैं- एकवचन और बहुवचन ।
लिंग
प्राकृत भाषा में तीन लिंग होते हैं- पुल्लिंग, नपुंसकलिंग और स्त्रीलिंग |
पुरुष
प्राकृत भाषा में तीन पुरुष होते हैं - उत्तम पुरुष, मध्यम पुरुष, अन्य पुरुष।
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विभक्ति
प्राकृत भाषा में संज्ञा में आठ विभक्तियाँ होती हैं और सर्वनाम में सात विभक्तियाँ होती हैं। सर्वनाम में संबोधन विभक्ति नहीं होती है।
प्रत्यय-चिह्न
1.
विभक्ति प्रथमा द्वितीया तृतीया चतुर्थी पंचमी षष्ठी सप्तमी सम्बोधन
से, (के द्वारा) के लिए से (पृथक् अर्थ में) का, के, की . में, पर
8.
क्रिया
प्राकृत भाषा में दो प्रकार की क्रियाएँ होती हैं- सकर्मक और अकर्मक।
काल
प्राकृत भाषा में चार प्रकार के काल वर्णित हैं1. वर्तमानकाल 2. भूतकाल 3. भविष्यत्काल 4. विधि एवं आज्ञा
शब्द
प्राकृत भाषा में छह प्रकार के शब्द पाए जाते हैं1. अकारान्त
2. आकारान्त 3. इकारान्त
4. ईकारान्त 5. उकारान्त
6. ऊकारान्त
000
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प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण
में प्रयुक्त संज्ञा शब्द
(क) (ख) (ग)
पुल्लिंग शब्द - देव, हरि, गामणी, साहु, सयंभू नपुंसकलिंग शब्द - कमल, वारि, महु । स्त्रीलिंग शब्द - कहा, मइ, लच्छी, घेणु, बहू
पुल्लिंग अकारान्त पुल्लिंग-देव इकारान्त पुल्लिंग-हरि ईकारान्त पुल्लिंग-गामणी उकारान्त पुल्लिंग-साहु ऊकारान्त पुल्लिंग-सयंभू
नपुंसकलिंग अकारान्त नपुंसकलिंग-कमल इकारान्त नपुंसकलिंग-वारि उकारान्त नपुंसकलिंग-महु
. स्त्रीलिंग आकारान्त स्त्रीलिंग-कहा इकारान्त स्त्रीलिंग-मइ ईकारान्त स्त्रीलिंग-लच्छी उकारान्त स्त्रीलिंग-धेणु ऊकारान्त स्त्रीलिंग-बहू
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विशिष्ट शब्द प्राकृत भाषा में उपर्युक्त तेरह प्रकार के संज्ञा शब्दों के अतिरिक्त विशेष शब्दों का भी प्रयोग होता है जिनके रूप विशेष प्रकार से चलते हैं। संज्ञावाचक पुल्लिंग शब्द - पिउ (पिता) विशेषणात्मक पुल्लिंग शब्द - कत्तु (करनेवाला) स्त्रीलिंग शब्द - माउ (माता) पुल्लिंग शब्द - अप्प, अत्त (आत्मा) पुल्लिंग शब्द - राय/राअ (राजा)
5.
(xii)
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| प्राकृत भाषा
संज्ञा शब्दों का विभक्ति-विवरण
अकारान्त (पु.)
प्रथमा एकवचन 1/1 प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग संज्ञा शब्दों के प्रथमा विभक्ति एकवचन में 'ओ' प्रत्यय जोड़ा जाता है। जैसेदेव (पु.) (देव+ओ) = देवो (प्रथमा एकवचन)
1.
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अकारान्त (पु.)
प्रथमा बहुवचन 1/2 2. (i) प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग संज्ञा शब्दों के प्रथमा विभक्ति
बहुवचन में अन्त्य स्वर 'दीर्घ' हो जाता है। जैसेदेव (पु.) देव का अन्त्य स्वर दीर्घ होने पर = देवा (प्रथमा बहुवचन)
द्वितीया बहुवचन 2/2 (ii) प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग संज्ञा शब्दों के द्वितीया विभक्ति
बहुवचन में अन्त्य स्वर का 'दीर्घ' और 'ए' हो जाता है। जैसेदेव (पु.) देव का अन्त्य स्वर दीर्घ और ए होने पर = देवा, देवे
_ (द्वितीया बहुवचन)
3.
अकारान्त (पु.)
द्वितीया एकवचन 2/1 प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग संज्ञा शब्दों के द्वितीया विभक्ति एकवचन में अनुस्वार (-) जोड़ा जाता है। जैसेदेव (पु.) (देव+-) = देवं (द्वितीया एकवचन)
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प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
.
(1)
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अकारान्त (पु.)
तृतीया एकवचन 3/1 4. (i) प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग संज्ञा शब्दों के तृतीया विभक्ति एकवचन
में अन्त्य 'अ' का 'ए' करके उसमें 'ण' और 'णं' प्रत्यय जोड़े जाते हैं। .
जैसे
देव (पु.) (देवे+ण, णं) = देवेण, देवेणं (तृतीया एकवचन)
षष्ठी बहवचन 6/2 (ii) प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग संज्ञा शब्दों के षष्ठी विभक्ति बहुवचन .
में अन्त्य 'अ' का 'आ' करके उसमें 'ण' और 'णं' प्रत्यय जोड़े जाते हैं। जैसेदेव (पु.) (देवा+ण, ण) = देवाण, देवाणं (षष्ठी बहुवचन)
-----------------------
5.
अकारान्त (पु.)
तृतीया बहुवचन 3/2 प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग संज्ञा शब्दों के तृतीया विभक्ति बहुवचन में अन्त्य 'अ' का 'ए' करके उसमें 'हि', 'हिँ' और 'हिं' प्रत्यय जोड़े जाते हैं। जैसेदेव (पु.) (देवे+हि,हिँ,हिं) = देवेहि, देवहिँ, देवेहिं (तृतीया बहुवचन)
__ अकारान्त (पु.)
__ पंचमी एकवचन 5/1 प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग संज्ञा शब्दों के पंचमी विभक्ति एकवचन में अन्त्य 'अ' का 'आ' करके उसमें 'तो', 'दो-ओ', 'द-उ', 'हि', 'हिन्तो' और 'शून्य' प्रत्यय जोड़े जाते हैं। जैसेदेव (पु.) (देवा+त्तो, ओ, उ, हि, हिन्तो, 0) = देवात्तो-देवत्तो, देवाओ, देवाउ, देवाहि, देवाहिन्तो, देवा (पंचमी एकवचन) नोट- दीर्घ स्वर के आगे यदि संयुक्त अक्षर हो तो दीर्घ स्वर का ह्रस्व हो जाता है।
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प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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7.(i)
अकारान्त (पु.)
पंचमी बहुवचन 5/2 प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग संज्ञा शब्दों के पंचमी विभक्ति बहुवचन में अन्त्य 'अ' का 'आ' करके उसमें 'तो', 'दो-ओ', 'दु--उ', 'हि', 'हिन्तो' और 'सुन्तो' प्रत्यय जोड़े जाते हैं। जैसेदेव (पु.) (देवा+त्तो, ओ, उ, हि, हिन्तो, सुन्तो) = देवात्तो-देवत्तो, देवाओ, देवाउ, देवाहि, देवाहिन्तो, देवासुन्तो (पंचमी बहुवचन)
नोट- दीर्घ स्वर के आगे यदि संयुक्त अक्षर हो तो दीर्घ स्वर का ह्रस्व हो जाता है। (ii) प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग संज्ञा शब्दों के पंचमी विभक्ति
बहुवचन में अन्त्य 'अ' का 'ए' करके उसमें 'हि', 'हिन्तो' और 'सुन्तो' प्रत्यय भी जोड़े जाते हैं। जैसेदेव (पु.) (देवे+हि, हिन्तो, सुन्तो)= देवेहि, देवेहिन्तो, देवेसुन्तो
(पंचमी बहुवचन)
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.. 8.
अकारान्त (पु.)
षष्ठी एकवचन 6/1 प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग संज्ञा शब्दों के षष्ठी विभक्ति एकवचन में ‘स्स' प्रत्यय जोड़ा जाता है। जैसे.. देव (पु.) (देव+स्स) = देवस्स (षष्ठी एकवचन)
अकारान्त (पु.) .
सप्तमी एकवचन 7/1 प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग संज्ञा शब्दों के सप्तमी विभक्ति एकवचन में 'ए' और 'म्मि' प्रत्यय जोड़े जाते हैं। जैसेदेव (पु.) (देव+ए, म्मि) = देवे, देवम्मि (सप्तमी एकवचन)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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अकारान्त (पु.)
सप्तमी बहुवचन 7/2 10. प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग संज्ञा शब्दों के सप्तमी विभक्ति बहुवचन
में अन्त्य 'अ' का 'ए' करके उसमें 'सु' और 'सु' प्रत्यय जोड़े जाते हैं। जैसेदेव (पु.) (देवे+सु, सुं) = देवेसु, देवेसुं (सप्तमी बहुवचन)
-----------------
.
इकारान्त-ईकारान्त, उकारान्त-ऊकारान्त (पु.)
इकारान्त, उकारान्त (नपुं.) इकारान्त-ईकारान्त, उकारान्त-ऊकारान्त (स्त्री.) (क) तृतीया बहुवचन 3/2(ख) पंचमी बहुवचन 5/2(ग) सप्तमी बहुवचन 7/2 11.(क) प्राकृत भाषा में इ-ईकारान्त, उ-ऊकारान्त पुल्लिंग, इकारान्त-उकारान्त
नपुंसकलिंग व इ-ईकारान्त, उ-ऊकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञा शब्दों के तृतीया विभक्ति बहुवचन में 'हि', 'हिँ' और 'हिं' प्रत्यय जोड़ने पर ह्रस्व स्वर का दीर्घ हो जाता है और दीर्घ दीर्घ ही रहता है। जैसे
तृतीया बहुवचन 3/2 हरि (पु.)(हरि+हि, हिँ, हिं) = हरीहि, हरीहिँ, हरीहिं (तृतीया बहुवचन) गामणी(पु.)(गामणी+हि,हिँ, हिं) = गामणीहि, गामणीहिँ, गामणीहिं
(तृतीया बहुवचन)
साहु (पु.)(साहु+हि, हिँ, हिं)=साहूहि, साहूहिँ, साहूहिं (तृतीया बहुवचन) सयंभू (पु.)(सयंभू+हि, हिँ, हिं)=सयंभूहि, सयंभूहिँ, सयंभूहि (तृतीया बहुवचन)
वारि (नपुं.)(वारि+हि, हिँ, हिं)-वारीहि, वारीहिँ, वारीहिं (तृतीया बहुवचन) महु (नपुं.)(महु+हि, हिँ, हिं) = महूहि, महूहिँ, महूहिं (तृतीया बहुवचन)
(4)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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(ख)
मइ (स्त्री.)(मइ+हि, हिँ, हिं) = मईहि, मईहिं, मईहिं (तृतीया बहुवचन) लच्छी (स्त्री.) ( लच्छी + हि, हिं, हिं) = लच्छीहि, लच्छीहिं, लच्छीहिं
(तृतीया बहुवचन)
धेणु (स्त्री.) (धेणु + हि, हिँ, हिं) = धेणूहि, धेणूहिं, धेणूहिं (तृतीया बहुवचन) बहू (स्त्री.) (बहू + हि, हिँ, हिं) = बहूहि, बहूहिं, बहूहिं (तृतीया बहुवचन)
प्राकृत भाषा में इ-ईकारान्त, उ-ऊकारान्त पुल्लिंग, इकारान्त-उकारान्त नपुंसकलिंग व इ-ईकारान्त, उ- ऊकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञा शब्दों के पंचमी विभक्ति बहुवचन में 'त्तो', 'ओ', 'उ', 'हिन्तो' और 'सुन्तो' प्रत्यय जोड़ने पर हस्व स्वर का दीर्घ हो जाता है और दीर्घ दीर्घ ही रहता है । जैसे
पंचमी बहुवचन 5/2
हरि (पु.) (हरि+तो, ओ, उ, हिन्तो, सुन्तो) = हरीत्तो हरित्तो, हरीओ, हरीउ, हरीहिन्तो, हरीसुन्तो ( पंचमी बहुवचन)
=
गामणी (पु.) ( गामणी + तो, ओ, उ, हिन्तो, सुन्तो) गामणीत्तो गामणित्तो, गामणीओ, गामणीउ, गामणीहिन्तो, गामणीसुन्तो (पंचमी बहुवचन)
→
साहु (पु.) (साहु+तो, ओ, उ, हिन्तो, सुन्तो) = साहूत्तो साहुत्तो, साहूओ, साहूउ, साहूहिन्तो, साहूसुन्तो ( पंचमी बहुवचन) सयंभू (पु.) (सयंभू+त्तो, ओ, उ, हिन्तो, सुन्तो)
=
सयंभूत्तो सयंभुत्तो, सयंभूओ, सयंभूउ, सयंभूहिन्तो, सयंभूसुन्तो
(पंचमी बहुवचन)
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प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग - 1 )
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(ग)
(6)
वारि ( नपुं. ) ( वारि+तो, ओ, उ, हिन्तो, सुन्तो) = वारीत्तोवारित्तो, वारीओ वारीउ, वारीहिन्तो, वारीसुन्तो (पंचमी बहुवचन)
9
=
-
महु ( नपुं. ) (महु+तो, ओ, उ, हिन्तो, सुन्तो) महूत्तो महत्तो, महूओ, महूउ, महूहिन्तो, महूसुन्तो ( पंचमी बहुवचन)
मइ (स्त्री.) (मइ+त्तो, ओ, उ, हिन्तो, सुन्तो) = मईत्तो मइत्तो, मईओ, मईउ, मईहिन्तो, मईसुन्तो ( पंचमी बहुवचन) लच्छी (स्त्री.) ( लच्छी+त्तो, ओ, उ, हिन्तो, सुन्तो) = लच्छीत्तो लच्छित्तो, लच्छीओ, लच्छीउ, लच्छी हिन्तो, लच्छीसुन्तो ( पंचमी बहुवचन)
-
धेणु (स्त्री.) (धेणु +त्तो, ओ, उ, हिन्तो, सुन्तो) = धेणूत्तो धेणुत्तो, ओ, धेणू, हिन्तो, धेणूसुन्तो ( पंचमी बहुवचन) बहू (स्त्री.) (बहू+त्तो, ओ, उ, हिन्तो, सुन्तो) = बहूत्तो - बहुत्तो, बहूओ, बहूउ, बहूहिन्तो, बहसुन्तो ( पंचमी बहुवचन)
नोट- दीर्घ स्वर के आगे यदि संयुक्त अक्षर हो तो दीर्घ स्वर का ह्रस्व हो जाता है।
-
प्राकृत भाषा में इ-ईकारान्त, उ-ऊकारान्त पुल्लिंग, इकारान्त-उकारान्त नपुंसकलिंग व इ-ईकारान्त, उ- ऊकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञा शब्दों के सप्तमी विभक्ति बहुवचन में 'सु' और 'सुं' प्रत्यय जोड़ने पर ह्रस्व स्वर का दीर्घ हो जाता है और दीर्घ दीर्घ ही रहता है। जैसे
सप्तमी बहुवचन 7/2
हरि (पु.) (हरि+सु, सुं) = हरीसु, हरीसुं (सप्तमी बहुवचन)
गामणी (पु.) (गामणी+सु, सुं) = गामणीसु, गामणीसुं (सप्तमी बहुवचन)
साहु (पु.) (साहु+सु, सुं) = साहूसु, साहूसुं (सप्तमी बहुवचन) सयंभू (पु.) (सयंभू++सु, सुं) = सयंभूसु, सयंभूसुं (सप्तमी बहुवचन)
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प्राकृत-हिन्दी व्याकरण (भाग - 1 )
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वारि (नपुं.)(वारि+सु, सुं) = वारीसु, वारीसुं (सप्तमी बहुवचन) महु (नपुं.)(महु+सु, सुं) = महसु, महसुं (सप्तमी बहुवचन)
मइ (स्त्री.)(मइ+सु, सुं) = मईसु, मईसुं (सप्तमी बहुवचन) लच्छी(स्त्री.)(लच्छी+सु, सुं) = लच्छीसु, लच्छीसु (सप्तमी बहुवचन) धेणु (स्त्री.)(धेणु+सु, सुं) = घेणूसु, घेणूसुं (सप्तमी बहुवचन) बहू (स्त्री.) (बहू++सु, सुं) = बहूसु, बहूसुं (सप्तमी बहुवचन)
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12.
इकारान्त-ईकारान्त, उकारान्त-ऊकारान्त (पु., स्त्री.)
द्वितीया बहुवचन 2/2 प्राकृत भाषा में इ-ईकारान्त, उ-ऊकारान्त पुल्लिंग और इ-ईकारान्त, उ-ऊकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञा शब्दों के द्वितीया विभक्ति बहुवचन में ह्रस्व स्वर का दीर्घ हो जाता है और दीर्घ दीर्घ ही रहता है। जैसेहरि (पु.) हरि का अंतिम स्वर दीर्घ होने पर = हरी (द्वितीया बहुवचन) गामणी (पु.) गामणी का अंतिम स्वर दीर्घ दीर्घ ही रहता है = गामणी
__ (द्वितीया बहुवचन) साहु (पु.) साहु का अंतिम स्वर दीर्घ होने पर = साह (द्वितीया बहुवचन) सयंभू (पु.) सयंभू का अंतिम स्वर दीर्घ दीर्घ ही रहता है = सयंभू
(द्वितीया बहुवचन)
. मइ (स्त्री.) मइ का अंतिम स्वर दीर्घ होने पर = मई (द्वितीया बहुवचन) लच्छी (स्त्री.) लच्छी का अंतिम स्वर दीर्घ दीर्घ ही रहता है = लच्छी
(द्वितीया बहुवचन) धेणु (स्त्री.) घेणु का अंतिम स्वर दीर्घ होने पर = घेणू (द्वितीया बहुवचन) बहू (स्त्री.) बहू का अंतिम स्वर दीर्घ दीर्घ ही रहता है = बहू (द्वितीया बहुवचन)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1) .
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- इ-ईकारान्त, उ-ऊकारान्त (पु., स्त्री.)
प्रथमा एकवचन 1/1 13. प्राकृत भाषा में इ-ईकारान्त, उ-ऊकारान्त पुल्लिंग और इ-ईकारान्त, उ
ऊकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञा शब्दों के प्रथमा विभक्ति एकवचन में हस्व स्वर का दीर्घ हो जाता है और दीर्घ दीर्घ ही रहता है। जैसेहरि (पु.) हरि का अंतिम स्वर दीर्घ होने पर = हरी (प्रथमा एकवचन) ... गामणी (पु.) गामणी का अंतिम स्वर दीर्घ दीर्घ ही रहता है = गामणी
__(प्रथमा एकवचन) साहु (पु.) साहु का अंतिम स्वर दीर्घ होने पर = साहू (प्रथमा एकवचन) सयंभू (पु.) सयंभू का अंतिम स्वर दीर्घ दीर्घ ही रहता है = सयंभू
(प्रथमा एकवचन)
मइ (स्त्री.) मइ का अंतिम स्वर दीर्घ होने पर = मई (प्रथमा एकवचन) लच्छी (स्त्री.) लच्छी का अंतिम स्वर दीर्घ दीर्घ ही रहता है = लच्छी
(प्रथमा एकवचन) घेणु (स्त्री.) घेणु का अंतिम स्वर दीर्घ होने पर = घेणू (प्रथमा एकवचन) बहू (स्त्री.) बहू का अंतिम स्वर दीर्घ दीर्घ ही रहता है = बहू (प्रथमा एकवचन)
----------------------------------------
इकारान्त-ईकारान्त, उकारान्त-ऊकारान्त (पु.)
प्रथमा बहुवचन 1/2 14. प्राकृत भाषा में इ-ईकारान्त व उ-ऊकारान्त पुल्लिंग संज्ञा शब्दों के
प्रथमा विभक्ति बहुवचन में 'अउ' और 'अओ' प्रत्यय विकल्प से जोड़े जाते हैं। जैसेहरि (पु.) (हरि+अउ, अओ) = हरउ, हरओ (प्रथमा बहुवचन) अन्य रूप - हरी, हरिणो गामणी (पु.)(गामणी+अउ,अओ) = गामणउ, गामणओ (प्रथमा बहुवचन)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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अन्य रूप - गामणी, गामणिणो साहु (पु.) (साहु+अउ, अओ) = साहउ, साहओ (प्रथमा बहुवचन)
अन्य रूप - साहू, साहुणो, साहवो सयंभू (पु.) (सयंभू+अउ, अओ) = सयंभउ, सयंभओ (प्रथमा बहुवचन) अन्य रूप - सयंभू, संयभुणो, सयंभवो
-
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-
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-
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-
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-
-
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उकारान्त-ऊकारान्त (पु.)
__ प्रथमा बहुवचन 1/2 15. प्राकृत भाषा में उ-ऊकारान्त पुल्लिंग संज्ञा शब्दों के प्रथमा विभक्ति
बहुवचन में विकल्प से अवो' प्रत्यय जोड़ा जाता है। जैसेसाहु (पु.) (साहु+ अवो) = साहवो (प्रथमा बहुवचन) अन्य रूप - साहू, साहउ, साहओ , साहुणो सयंभू (पु.) (सयंभू+अवो) = सयंभवो (प्रथमा बहुवचन) अन्य रूप - सयंभू, सयंभउ, सयंभओ, सयंभुणो
- 16.
. इकारान्त-ईकारान्त, उकारान्त-ऊकारान्त (पु.)
(क) प्रथमा बहुवचन 1/2 (ख) द्वितीया बहुवचन 2/2 प्राकृत भाषा में इ-ईकारान्त व उ-ऊकारान्त पुल्लिंग संज्ञा शब्दों के प्रथमा विभक्ति बहुवचन व द्वितीया विभक्ति बहुवचन में विकल्प से ‘णो'
प्रत्यय भी जोड़ा जाता है। प्रत्यय जोड़ने के पूर्व शब्द का अंतिम दीर्घ स्वर . . ह्रस्व हो जाता है और ह्रस्व स्वर ह्रस्व ही रहता है। जैसे
. प्रथमा बहुवचन 1/2 (क) हरि (पु.) (हरि+णो) = हरिणो (प्रथमा बहुवचन)
अन्य रूप - हरी, हरउ, हरओ गामणी (पु.) (गामणी+गामणि+णो) = गामणिणो (प्रथमा बहुवचन)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
.
(9)
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अन्य रूप - गामणी, गामणउ, गामणओ साहु (पु.) (साहु+णो) = साहुणो (प्रथमा बहुवचन)
अन्य रूप - साह, साहउ, साहओ, साहवो सयंभू (पु.) (सयंभू सयंभुणो) = सयंभुणो (प्रथमा बहुवचन) अन्य रूप - सयंभू, सयंभउ, सयंभओ, सयंभवों
... द्वितीया बहुवचन 2/2 (ख) हरि (पु.) (हरि+णो) = हरिणो (द्वितीया बहुवचन)
अन्य रूप - हरी गामणी (पु.) (गामणी-गामणि+णो) = गामणिणो (द्वितीया बहुवचन) . अन्य रूप - गामणी
साहु (पु.) (साहु+णो) = साहुणो (द्वितीया बहुवचन)
अन्य रूप - साह सयंभू (पु.) (सयंभू-सयंभुणो) = सयंभुणो (द्वितीया बहुवचन) अन्य रूप - सयंभू
17.
इकारान्त-ईकारान्त, उकारान्त-ऊकारान्त (पु.)
इकारान्त, उकारान्त (नपुं.) . (क) पंचमी एकवचन 5/1 (ख) षष्ठी एकवचन 6/1 प्राकृत भाषा में इ-ईकारान्त, उ-ऊकारान्त पुल्लिंग व इकारान्त, उकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञा शब्दों के पंचमी विभक्ति एकवचन व षष्ठी विभक्ति एकवचन में विकल्प से ‘णो' प्रत्यय भी जोड़ा जाता है। प्रत्यय जोड़ने के पूर्व शब्द का अंतिम दीर्घ स्वर ह्रस्व हो जाता है और ह्रस्व स्वर ह्रस्व ही रहता है। जैसे
(10)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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(क)
पंचमी एकवचन 5/1 हरि (पु.) (हरि+णो) = हरिणो (पंचमी एकवचन) अन्य रूप - हरित्तो, हरीओ, हरीउ, हरीहिन्तो गामणी (पु.) (गामणी-गामणि+णो) = गामणिणो (पंचमी एकवचन) अन्य रूप - गामणित्तो, गामणीओ, गामणीउ, गामणीहिन्तो
साहु (पु.) (साहु+णो) = साहुणो (पंचमी एकवचन) अन्य रूप - साहुत्तो, साहूओ, साहूउ, साहूहिन्तो सयंभू (पु.) (सयंभू-सयंभु+णो) = सयंभुणो (पंचमी एकवचन) अन्य रूप - सयंभुत्तो, सयंभूओ, सयंभूउ, सयंभूहिन्तो
वारि (नपुं.) (वारि+णो) = वारिणो (पंचमी एकवचन) अन्य रूप - वारित्तो, वारीओ, वारीउ, वारीहिन्तो महु (नपुं.) (महु+णो) = महुणो (पंचमी एकवचन) अन्य रूप - महत्तो, महूओ, महूर, महूहिन्तो
षष्ठी एकवचन 6/1 (ख) हरि (पु.) (हरि+णो) = हरिणो (षष्ठी एकवचन)
अन्य रूप - हरिस्स 'गामणी (पु.) (गामणी-गामणि+णो) = गामणिणो (षष्ठी एकवचन) .... अन्य रूप - गामणिस्स
साहु (पु.) (साहु+णो) = साहुणो (षष्ठी एकवचन) अन्य रूप - साहुस्स सयंभू (पु.) (सयंभू-सयंभु+णो) = सयंभुणो (षष्ठी एकवचन) अन्य रूप - सयंभुस्स
. साप
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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वारि (नपुं.) (वारि+णो) = वारिणो (षष्ठी एकवचन) अन्य रूप - वारिस्स महु (नपुं.) (महु+णो) = महुणो (षष्ठी एकवचन) अन्य रूप - महुस्स
18.
इकारान्त-ईकारान्त, उकारान्त-ऊकारान्त (पु.)
इकारान्त, उकारान्त (नपुं.) ।
तृतीया एकवचन 3/1 प्राकृत भाषा में इकारान्त-ईकारान्त, उकारान्त-ऊकारान्त पुल्लिंग व इकारान्त, उकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञा शब्दों के तृतीया विभक्ति एकवचन में ‘णा' प्रत्यय जोड़ा जाता है। प्रत्यय जोड़ने के पूर्व शब्द का अंतिम दीर्घ स्वर ह्रस्व हो जाता है और ह्रस्व स्वर ह्रस्व ही रहता है। जैसेहरि (पु.) (हरि+णा) = हरिणा (तृतीया एकवचन) गामणी (पु.) (गामणी-गामणि+णा) = गामणिणा (तृतीया एकवचन)
साहु (पु.) (साहु+णा) = साहुणा (तृतीया एकवचन) सयंभू (पु.) (सयंभू-सयंभु+णा) = सयंभुणा (तृतीया एकवचन)
वारि (नपुं.) (वारि+णा) = वारिणा (तृतीया एकवचन) महु (नपुं.) (महु+णा) = महुणा (तृतीया एकवचन)
अकारान्त, इकारान्त, उकारान्त (नपुं.)
प्रथमा एकवचन 1/1 19. प्राकृत भाषा में अकारान्त, इकारान्त और उकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञा
शब्दों के प्रथमा विभक्ति एकवचन में ‘अनुस्वार' (-) जोड़ा जाता है। जैसे
(12)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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कमल (नपुं.) (कमल+) = कमलं (प्रथमा एकवचन) वारि (नपुं.) (वारि+) = वारिं (प्रथमा एकवचन) महु (नपुं.) (महु+) = महुं (प्रथमा एकवचन)
अकारान्त, इकारान्त, उकारान्त (नपुं.) (क) प्रथमा बहुवचन 1/2 (ख) द्वितीया बहुवचन 2/2 20. प्राकृत भाषा में अकारान्त, इकारान्त और उकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञा
शब्दों के प्रथमा विभक्ति बहुवचन व द्वितीया विभक्ति बहुवचन में 'ई', 'ई'
और 'णि' प्रत्यय जोड़े जाते हैं। प्रत्यय जोड़ने के पूर्व शब्द का अंतिम हस्व स्वर दीर्घ हो जाता है। जैसे
प्रथमा बहुवचन 1/2 (क) कमल (नपुं.) (कमल-कमला+इँ, इं, णि)= कमला', कमलाई, कमलाणि
(प्रथमा बहुवचन) वारि (नपुं.) (वारि-वारी+इँ, इं, णि) = वारी, वारीइं, वारीणि .
__ (प्रथमा बहुवचन) महु (नपुं.)(महु→महू+इँ, इं, णि)= महू , महूई, महूणि (प्रथमा बहुवचन)
द्वितीया बहुवचन 2/2 (ख) कमल(नपुं.)(कमल-कमला+इँ, इं, णि)= कमलाइँ, कमलाई, कमलाणि
(द्वितीया बहुवचन) .. · वारि (नपुं.)(वारि-वारी+इँ, इं, णि) = वारी', वारीई, वारीणि
(द्वितीया बहुवचन) . महु (नपुं.)(महु-महू+इँ, इं, णि)=महू., महूहूं, महूणि (द्वितीया बहुवचन)
अकारान्त (नपुं.)
द्वितीया एकवचन 2/1 21. प्राकृत भाषा में अकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञा शब्दों के द्वितीया विभक्ति
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
(13)
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________________
एकवचन में अनुस्वार (-) जोड़ा जाता है। जैसेकमल (नपुं.) (कमल+-) = कमलं (द्वितीया एकवचन)
अकारान्त (नपुं.)
तृतीया एकवचन 3/1 22.(i) प्राकृत भाषा में अकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञा शब्दों के तृतीया विभक्ति :
एकवचन में अन्त्य 'अ' का 'ए' करके उसमें 'ण' और 'णं' प्रत्यय जोड़े . जाते हैं। जैसेकमल (नपुं.) (कमले+ण, णं) = कमलेण, कमलेणं (तृतीया एकवचन)
षष्ठी बहुवचन 6/2 . प्राकृत भाषा में अकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञा शब्दों के षष्ठी विभक्ति बहुवचन में अन्त्य 'अ' का 'आ' करके उसमें 'ण' और 'णं' प्रत्यय जोड़े जाते हैं। जैसेकमल (नपुं.) (कमला+ण, णं) = कमलाण, कमलाणं (षष्ठी बहुवचन)
----------- अकारान्त (नपुं.) तृतीया बहुवचन 3/2 23. प्राकृत भाषा में अकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञा शब्दों के तृतीया विभक्ति
बहुवचन में अन्त्य 'अ' का 'ए' करके उसमें 'हि', 'हिँ' और 'हिं' प्रत्यय जोड़े जाते हैं। जैसेकमल (नपुं.) (कमले+हि,हिँ,हिं) = कमलेहि, कमलेहिँ, कमलेहिं
- (तृतीया बहुवचन)
-
-
-
-
-
-
-
-
-
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24.
अकारान्त (नपुं.) पंचमी एकवचन 5/1 प्राकृत भाषा में अकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञा शब्दों के पंचमी विभक्ति एकवचन में अन्त्य 'अ' का 'आ' करके उसमें 'तो', 'दो-ओ', 'दु+उ', 'हि', 'हिन्तो' और 'शून्य' प्रत्यय जोड़े जाते हैं। जैसेकमल (नपुं.) (कमला+त्तो, ओ, उ, हि, हिन्तो, 0) = कमलात्तो
(14)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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कमलत्तो, कमलाओ, कमलाउ, कमलाहि, कमलाहिन्तो, कमला
(पंचमी एकवचन) नोट- दीर्घ स्वर के आगे यदि संयुक्त अक्षर हो तो दीर्घ स्वर का हस्व हो जाता है।
अकारान्त (नपुं.)
पंचमी बहुवचन 5/2 25.(i) प्राकृत भाषा में अकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञा शब्दों के पंचमी विभक्ति
बहुवचन में अन्त्य 'अ' का 'आ' करके उसमें 'तो', 'दो-ओ', 'दु-उ', 'हि', 'हिन्तो' और 'सुन्तो' प्रत्यय जोड़े जाते हैं। जैसेकमल (नपुं.) (कमला+त्तो, ओ, उ, हि, हिन्तो, सुन्तो) = कमलात्तोकमलत्तो, कमलाओ, कमलाउ, कमलाहि, कमलाहिन्तो, कमलासुन्तो
(पंचमी बहुवचन) नोट- दीर्घ स्वर के आगे यदि संयुक्त अक्षर हो तो दीर्घ स्वर का ह्रस्व हो जाता है।
प्राकृत भाषा में अकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञा शब्दों के पंचमी विभक्ति बहुवचन में अन्त्य 'अ' का 'ए' करके उसमें 'हि', 'हिन्तो' और 'सुन्तो' प्रत्यय भी जोड़े जाते हैं। जैसेकमल (नपुं.) (कमले+हि, हिन्तो, सुन्तो) = कमलेहि, कमलेहिन्तो, कमलेसुन्तो
(पंचमी बहुवचन) -------........ ---------
अकारान्त (नपुं.)
षष्ठी एकवचन 6/1 26... प्राकृत भाषा में अकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञा शब्दों के षष्ठी विभक्ति
एकवचन में ‘स्स' प्रत्यय जोड़ा जाता है। जैसेकमल (नपुं.) (कमल+स्स) = कमलस्स (षष्ठी एकवचन)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
(15)
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27.
28.
29.
(क)
(16)
अकारान्त नपुं.) सप्तमी एकवचन 7/1
प्राकृत भाषा में अकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञा शब्दों के सप्तमी विभक्ति एकवचन में 'ए' और 'म्मि' प्रत्यय जोड़े जाते हैं। जैसे
कमल (नपुं.) (कमल+ए, म्मि) = कमले, कमलम्मि (सप्तमी एकवचन )
अकारान्त नपुं.) सप्तमी बहुवचन 7/2
प्राकृत भाषा में अकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञा शब्दों के सप्तमी विभक्ति बहुवचन में अन्त्य 'अ' का 'ए' करके उसमें 'सु' और 'सुं' प्रत्यय जोड़े जाते हैं। जैसे
कमल (नपुं.) (कमले+सु, सुं) = कमलेसु, कमलेसुं (सप्तमी बहुवचन)
आकारान्त, इ-ईकारान्त, उ- ऊकारान्त ( स्त्री . )
(क) प्रथमा बहुवचन 1/2 (ख) द्वितीया बहुवचन 2/2
प्राकृत भाषा में आकारान्त, इ-ईकारान्त और उ- ऊकारान्त स्त्रीलिंग • संज्ञा शब्दों के प्रथमा विभक्ति बहुवचन तथा द्वितीया विभक्ति बहुवचन में विकल्प से 'उ' और 'ओ' प्रत्यय जोड़े जाते हैं। प्रत्यय जोड़ने के पूर्व शब्द का अंतिम ह्रस्व स्वर दीर्घ हो जाता है और दीर्घ स्वर दीर्घ ही रहता है। जैसे
-
प्रथमा बहुवचन 1/2
कहा (स्त्री.) (कहा+उ, ओ) = कहाउ, कहाओ (प्रथमा बहुवचन)
अन्य रूप - कहा
मइ (स्त्री.) (मइ मई + उ, ओ)
=
मई, मईओ (प्रथमा बहुवचन)
अन्य रूप - मई
लच्छी (स्त्री.) (लच्छी+उ, ओ) = लच्छीउ, लच्छीओ (प्रथमा बहुवचन)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग - 1)
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(ख)
अन्य रूप - लच्छी, लच्छीआ धेणु (स्त्री.) (धेणु-धेणू+उ, ओ) = घेणूउ, घेणूओ (प्रथमा बहुवचन)
अन्य रूप - घेणू बहू (स्त्री.) (बहू+उ, ओ)) = बहूउ, बहूओ (प्रथमा बहुवचन) अन्य रूप - बहू
द्वितीया बहुवचन 2/2 कहा (स्त्री.)(कहा+उ, ओ)) = कहाउ, कहाओ (द्वितीया बहुवचन) अन्य रूप - कहा मइ (स्त्री.) (मइ→मई+उ, ओ) = मईउ, मईओ (द्वितीया बहुवचन) अन्य रूप - मई लच्छी (स्त्री.) (लच्छी+उ, ओ))= लच्छीउ, लच्छीओ
(द्वितीया बहुवचन) अन्य रूप - लच्छी, लच्छीआ घेणु (स्त्री.) (धेणु-धेणू+उ, ओ)) = घेणूड, घेणूओ (द्वितीया बहुवचन) अन्य रूप - घेणू बहू (स्त्री.) (बहू+उ, ओ)) = बहूउ, बहूओ (द्वितीया बहुवचन) अन्य रूप - बहू
---------------------
- ईकारान्त (स्त्री.) प्रथमा एकवचन 1/1, प्रथमा बहुवचन 1/2, द्वितीया बहुवचन 2/2 30. · प्राकृत भाषा में ईकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञा शब्दों के प्रथमा विभक्ति
एकवचन व बहुवचन तथा द्वितीया विभक्ति बहुवचन में 'आ' प्रत्यय विकल्प से जोड़ा जाता है। जैसे
- प्रथमा एकवचन 1/1 लच्छी (स्त्री.) (लच्छी+आ) = लच्छीआ (प्रथमा एकवचन) अन्य रूप - लच्छी
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
(17)
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प्रथमा बहुवचन 1/2 लच्छी (स्त्री.) (लच्छी+आ) = लच्छीआ (प्रथमा बहुवचन) अन्य रूप - लच्छी, लच्छीउ, लच्छीओ
द्वितीया बहुवचन 2/2 लच्छी (स्त्री.) (लच्छी+आ) = लच्छीआ (द्वितीया बहुवचन) अन्य रूप - लच्छी, लच्छीउ, लच्छीओ
आकारान्त, इ-ईकारान्त, उ-ऊकारान्त (स्त्री.) (क) तृतीया एकवचन 3/1 (ख) षष्ठी एकवचन 6/1. .
(ग) सप्तमी एकवचन 7/1 (घ) पंचमी एकवचन 5/1 31. प्राकृत भाषा में आकारान्त, इ-ईकारान्त और उ-ऊकारान्त स्त्रीलिंग .
संज्ञा शब्दों के तृतीया विभक्ति एकवचन, षष्ठी विभक्ति एकवचन तथा सप्तमी विभक्ति एकवचन में 'अ', 'आ', 'ई' और 'ए' प्रत्यय जोड़े जाते । हैं। प्रत्यय जोड़ने के पूर्व शब्द का अंतिम ह्रस्व स्वर दीर्घ हो जाता है
और दीर्घ स्वर दीर्घ ही रहता है। आकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञा शब्दों में 'आ' प्रत्यय नहीं जोड़ा जाता है। जैसे
तृतीया एकवचन 3/1 . (क) कहा (स्त्री.) (कहा+अ, इ, ए) = कहाअ, कहाइ, कहाए (तृतीया एकवचन)
मइ (स्त्री.) (मइ-मई+अ, आ, इ, ए) = मईअ, मईआ, मईइ,मईए
(तृतीया एकवचन) लच्छी (स्त्री.) (लच्छी+अ, आ, इ, ए) = लच्छीअ, लच्छीआ, लच्छीइ, लच्छीए (तृतीया एकवचन)
धेणु (स्त्री.) (धेणु-धेणू+अ,आ,इ,ए)=घेणूअ,धेणूआ,घेणूड़,धेणूए
(तृतीया एकवचन)
(18)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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बहू (स्त्री.) (बहू+अ,आ,इ,ए) = बहूअ, बहूआ, बहूइ, बहूए
__ (तृतीया एकवचन)
षष्ठी एकवचन 6/1 कहा (स्त्री.) (कहा+अ, इ, ए) = कहाअ, कहाइ, कहाए (षष्ठी एकवचन)
(ख)
मइ (स्त्री.) (मइ-मई+अ, आ, इ, ए) = मईअ, मईआ, मईइ, मईए
(षष्ठी एकवचन) लच्छी (स्त्री.) (लच्छी+अ, आ, इ, ए) = लच्छीअ, लच्छीआ, लच्छीइ, लच्छीए (षष्ठी एकवचन)
घेणु (स्त्री.) (धेणु-घेणू+अ,आ,इ,ए)= घेणूअ, घेणूआ, घेणूड़, घेणूए
(षष्ठी एकवचन) बहू (स्त्री.) (बहू+अ,आ,इ,ए)-बहूअ, बहूआ, बहूइ, बहूए
(षष्ठी एकवचन) सप्तमी एकवचन 7/1 कहा (स्त्री.) (कहा+अ, इ, ए) = कहाअ, कहाइ, कहाए (सप्तमी एकवचन)
(ग)
मइ (स्त्री.) (मइ-मई+अ, आ, इ, ए) = मईअ, मईआ, मईइ, मईए
(सप्तमी एकवचन) ‘लच्छी (स्त्री.) (लच्छी+अ, आ, इ, ए) = लच्छीअ, लच्छीआ,
लच्छीइ, लच्छीए (सप्तमी एकवचन)
धेणु (स्त्री.) (धेणु-धेणू+अ,आ,इ,ए)= घेणूअ, घेणूआ, घेणूड़, घेणूए
(सप्तमी एकवचन) बहू (स्त्री.) (बहू+अ,आ,इ,ए)-बहूअ,बहुआ,बहूइ,बहूए (सप्तमी एकवचन) प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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पंचमी एकवचन 5/1. .... प्राकृत भाषा में आकारान्त, इ-ईकारान्त और उ-ऊकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञा शब्दों के पंचमी विभक्ति एकवचन में विकल्प से 'अ', 'आ', 'इ' और 'ए' प्रत्यय जोड़े जाते हैं। प्रत्यय जोड़ने के पूर्व शब्द का अंतिम हस्व स्वर दीर्घ हो जाता है और दीर्घ स्वर दीर्घ ही रहता है। आकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञा शब्दों में 'आ' प्रत्यय नहीं जोड़ा जाता है। जैसेकहा (स्त्री.) (कहा+अ, इ, ए) = कहाअ, कहाइ, कहाए (पंचमी एकवचन) अन्य रूप - कहत्तो, कहाओ, कहाउ, कहाहिन्तो
मइ (स्त्री.) (मइ-मई+अ, आ, इ, ए) = मईअ, मईआ, मईइ, मईए
(पंचमी एकवचन) अन्य रूप - मइत्तो, मईओ, मईउ, मईहिन्तो लच्छी (स्त्री.) (लच्छी+अ, आ, इ, ए) = लच्छीअ, लच्छीआ, लच्छीइ, लच्छीए (पंचमी एकवचन) अन्य रूप - लच्छित्तो, लच्छीओ, लच्छीउ, लच्छीहिन्तो
धेणु (स्त्री.) (धेणु-धेणू+अ,आ,इ,ए)=धेणूअ, धेणूआ, घेणूड़, घेणूए
(पंचमी एकवचन) अन्य रूप - घेणुत्तो, घेणूओ, घेणूउ, घेणूहिन्तो बहू (स्त्री.) (बहू+अ,आ,इ,ए) = बहूअ, बहूआ, बहूइ, बहूए
__(पंचमी एकवचन) अन्य रूप - बहुत्तो, बहूओ, बहूउ, बहूहिन्तो
(20)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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________________
32.
आकारान्तं, इ-ईकारान्त, उ-ऊकारान्त (स्त्री.)
द्वितीया एकवचन 2/1 प्राकृत भाषा में आकारान्त, ईकारान्त और ऊकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञा शब्दों के द्वितीया विभक्ति एकवचन में अनुस्वार' (-) जोड़ने पर दीर्घ स्वर का ह्रस्व हो जाता है। जैसे
कहा (स्त्री.) (कहा+) = कहं (द्वितीया एकवचन)
लच्छी (स्त्री.) (लच्छी+) = लच्छिं (द्वितीया एकवचन)
बहू (स्त्री.) (बहू+-) = बहुं (द्वितीया एकवचन)
-------------------------
33. प्राकृत भाषा में ससा (बहिन), नणंदा (ननद अर्थात् पति की बहिन),
धूआ (पुत्री) और दुहिआ (पुत्री) आदि आकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञा शब्दों के रूप कहा के अनुसार चलेंगे।
अकारान्त, इकारान्त, उकारान्त (नपुं.)
___ सम्बोधन एकवचन 8/1 34. प्राकृत भाषा में अकारान्त, इकारान्त और उकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञा
शब्दों के संबोधन एकवचन में अनुस्वार नहीं होता है। जैसेकमल (नपुं.) हे कमल (संबोधन एकवचन)
वारि (नपुं.) हे वारि (संबोधन एकवचन) . ... महु (नपुं.) हे महु (संबोधन एकवचन)
------------------------------
अकारान्त, इकारान्त, उकारान्त (पु.)
. सम्बोधन एकवचन 8/1 35.(i) प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग संज्ञा शब्दों के संबोधन एकवचन में
'ओ' और 'दीर्घ' विकल्प से जोड़े जाते हैं। जैसे
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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देव (पु.) (हे देव+ओ) = हे देवो (संबोधन एकवचन) . . देव (पु.) (हे देव+दीर्घ) = हे देवा (संबोधन एकवचन) अन्य रूप - हे देव प्राकृत भाषा में इकारान्त, उकारान्त पुल्लिंग व स्त्रीलिंग संज्ञा शब्दों के संबोधन एकवचन में 'दीर्घ' विकल्प से जोड़ा जाता है। जैसे
. सम्बोधन एकवचन 8/1. हरि (पु.) (हे हरि+दीर्घ) = हे हरी (संबोधन एकवचन)
अन्य रूप - हे हरि साहु (पु.) (हे साहु+दीर्घ) = हे साहू (संबोधन एकवचन) अन्य रूप - हे साहु
मइ (स्त्री.) (हे मइ+दीर्घ) = हे मई (संबोधन एकवचन) , अन्य रूप - हे मइ घेणु (स्त्री.) (हे घेणु+दीर्घ) = हे घेणू (संबोधन एकवचन) अन्य रूप - हे घेणु
------------
--...........
36.
आकारान्त (स्त्री.)
सम्बोधन एकवचन 8/1 प्राकृत भाषा में आकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञा शब्दों के संबोधन एकवचन में 'ए' प्रत्यय विकल्प से जोड़ा जाता है। जैसेकहा (स्त्री.) (हे कहा+ए) = हे कहे (संबोधन एकवचन) अन्य रूप - हे कहा
ईकारान्त, ऊकारान्त (पु., स्त्री.)
सम्बोधन एकवचन 8/1 37. प्राकृत भाषा में ईकारान्त व ऊकारान्त पुल्लिंग, स्त्रीलिंग संज्ञा शब्दों के
संबोधन एकवचन में 'दीर्घ स्वर ह्रस्व' हो जाता है। जैसे
(22)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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38.
गामणी (पु.) हे गामणि (संबोधन एकवचन ) सयंभू (पु.) हे सयंभु (संबोधन एकवचन ) लच्छी (स्त्री.) हे लच्छि (संबोधन एकवचन ) बहू (स्त्री.) हे बहु (संबोधन एकवचन )
प्राकृत भाषा में अकारान्त संज्ञा शब्दों के अतिरिक्त आकारान्त, इकारान्तईकारान्त, उकारान्त-ऊकारान्त आदि शब्दों के जिस विभक्ति, वचन के प्रत्यय पूर्व नियमों में नहीं बताए गए हैं वहाँ उस विभक्ति व वचन में अकारान्त शब्दों के समान प्रत्यय लगते हैं। शब्द-रूप निम्न प्रकार होंगे। इ-ईकारान्त, उ- ऊकारान्त (पु.)
आकारान्त, इ-ईकारान्त, उ - ऊकारान्त (स्त्री.)
प्रथमा बहुवचन 1/2, द्वितीया बहुवचन 2/2 प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग संज्ञा शब्दों के समान प्रथमा विभक्ति बहुवचन में इ-ईकारान्त, उ- ऊकारान्त पुल्लिंग तथा आकारान्त, इईकारान्त, उ- ऊकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञा शब्दों के हस्व स्वर का दीर्घ हो जाता है और दीर्घ स्वर दीर्घ ही रहता है। जैसे
प्रथमा बहुवचन 1/2
हरि (पु.) का अंतिम स्वर दीर्घ होने पर हरी (प्रथमा बहुवचन) गामणी (पु.) गामणी का अंतिम स्वर दीर्घ दीर्घ ही रहता है = गामणी (प्रथमा बहुवचन)
साहु (पु.) साहु का अंतिम स्वर दीर्घ होने पर = साहू (प्रथमा बहुवचन) `सयंभू (पु.) सयंभू का अंतिम स्वर दीर्घ दीर्घ ही रहता है = संयंभू
(प्रथमा बहुवचन) कहा (स्त्री.) कहा का अंतिम स्वर दीर्घ होने पर = कहा (प्रथमा बहुवचन) मइ (स्त्री.) मइ का अंतिम स्वर दीर्घ होने पर = मई (प्रथमा बहुवचन) लच्छी (स्त्री.) लच्छी का अंतिम स्वर दीर्घ दीर्घ ही रहता है
=
लच्छी
(प्रथमा बहुवचन)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग - 1 )
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________________
39.
(24)
धेणु (स्त्री.) धेणु का अंतिम स्वर दीर्घ होने पर = धेणू (प्रथमा बहुवचन) बहू (स्त्री.) बहू का अंतिम स्वर दीर्घ दीर्घ ही रहता है = बहू (प्रथमा बहुवचन) द्वितीया बहुवचन 2/2
प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग संज्ञा शब्दों के समान आकारान्तस्त्रीलिंग संज्ञा शब्दों के द्वितीया विभक्ति बहुवचन में दीर्घ स्वर का दीर्घ ही रहता है। जैसे
-
कहा(स्त्री.)कहा का अंतिम स्वर दीर्घ दीर्घ ही रहता है = कहा (द्वितीया बहुवचन)
इ-ईकारान्त, उ-ऊकारान्त (पु.)
इकारान्त, उकारान्त (नपुं. )
आकारान्त, इ-ईकारान्त, उ - ऊकारान्त (स्त्री.) द्वितीया एकवचन 2/1
"
प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग संज्ञा शब्दों के समान इ-ईकारान्त, उ-ऊकारान्त पुल्लिंग, इकारान्त, उकारान्त नपुंसकलिंग तथा आकारान्त, इ-ईकारान्त, उ- ऊकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञा शब्दों के द्वितीया विभक्ति एकवचन में अनुस्वार जोड़ने पर दीर्घ स्वर का हस्व हो जाता है और ह्रस्व का ह्रस्व ही रहता है। जैसे
हरि (पु.) (हरि+) = हरिं (द्वितीया एकवचन )
गामणी (पु.) (गामणी++) = गामणिं (द्वितीया एकवचन )
साहु (पु.) (साहु+) = साहु ( द्वितीया एकवचन ) सयंभू (पु.) (सयंभू++) = सयंभुं (द्वितीया एकवचन)
वारि (नपुं.) (वारि++) = वारिं ( द्वितीया एकवचन ) महु ( नपुं.) (महु ++) = महं (द्वितीया एकवचन )
कहा (स्त्री.) (कहा ++) = कहं (द्वितीया एकवचन )
प्राकृत-हिन्दी व्याकरण (भाग - 1 )
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40.
मइ (स्त्री.) (मइ++) = मई (द्वितीया एकवचन)
लच्छी (स्त्री.) (लच्छी++) = लच्छिं (द्वितीया एकवचन) धे (स्त्री.) (धेणु ++) = घेणुं (द्वितीया एकवचन ) बहू (स्त्री.) (बहू ++) = बहुं (द्वितीया एकवचन )
इ-ईकारान्त, उ- ऊकारान्त (पु.) इकारान्त, उकारान्त (नपुं. )
आकारान्त, इ-ईकारान्त, उ- ऊकारान्त (स्त्री.) प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग संज्ञा शब्दों के समान इ-ईकारान्त, उ-ऊकारान्त पुल्लिंग, इकारान्त, उकारान्त नपुंसकलिंग तथा आकारान्त, इ-ईकारान्त, उ-ऊकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञा शब्दों के पंचमी विभक्ति एकवचन में 'त्तो, ओ, उ और हिन्तो' प्रत्यय जोड़ने पर हस्व स्वर का दीर्घ हो जाता है और दीर्घ स्वर दीर्घ ही रहता है। जैसे
पंचमी एकवचन 5/1
→
हरि (पु.) (हरि+त्तो, ओ, उ, हिन्तो) = हरीत्तो हरित्तो, हरीओ, हरीउ, हरीहिन्तो ( पंचमी एकवचन )
गामणी (पु.) (गामणी+त्तो, ओ, उ, हिन्तो) = गामणीत्तो → गामणित्तो, गांमणीओ, गामणीउ, गामणीहिन्तो ( पंचमी एकवचन ) साहु (पु.) (साहु+त्तो, ओ, उ, हिन्तो) साहूत्तो साहुत्तो, साहूओ, साहू, साहूहिन्तो ( पंचमी एकवचन)
=
सयंभू (पु.) (सयंभू+त्तो, ओ, उ, हिन्तो) सयंभूत्तो→ सयंभुत्तो, सयंभूओ, सयंभू, सयंभू हिन्तो ( पंचमी एकवचन )
2.
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग - 1 )
=
वारि (नपुं.) (वारि+त्तो, ओ, उ, हिन्तो ) = वारीत्तो वारित्तो, वारीओ, वारी वारीहिन्तो ( पंचमी एकवचन )
-
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-
-
(25)
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महु (नपुं.) (महु+त्तो, ओ, उ, हिन्तो) = महत्तो→महत्तो, महूओ, महउ, महूहिन्तो (पंचमी एकवचन)
कहा (स्त्री.) (कहा+त्तो, ओ, उ, हिन्तो) = कहात्तो-कहत्तो, कहाओ, कहाउ, कहाहिन्तो (पंचमी एकवचन) मइ (स्त्री.) (मइ+त्तो, ओ, उ, हिन्तो) = मईत्तो-मइत्तो, मईओ, मईउ, मईहिन्तो (पंचमी एकवचन) लच्छी (स्त्री.) (लच्छी+त्तो, ओ, उ, हिन्तो) = लच्छीत्तो लच्छित्तो, लच्छीओ, लच्छीउ, लच्छीहिन्तो (पंचमी एकवचन) धेणु (स्त्री.) (धेणु+त्तो, ओ, उ, हिन्तो) = घेणूत्तो-धेणुत्तो, घेणूओ, धेणूउ, घेणूहिन्तो (पंचमी एकवचन) बहू (स्त्री.) (बहू+त्तो, ओ, उ, हिन्तो) = बहूत्तो-बहुत्तो, बहूओ, बहूउ, बहूहिन्तो (पंचमी एकवचन) नोट- दीर्घ स्वर के आगे यदि संयुक्त अक्षर हो तो दीर्घ स्वर का ह्रस्व हो जाता है।
----------------- इ-ईकारान्त, उ-ऊकारान्त (पु.) इकारान्त, उकारान्त (नपुं.)
षष्ठी एकवचन 6/1 प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग संज्ञा शब्दों के समान इ-ईकारान्त, उ-ऊकारान्त पुल्लिंग तथा इकारान्त, उकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञा शब्दों के षष्ठी विभक्ति एकवचन में ‘स्स' प्रत्यय जोड़ने पर दीर्घ स्वर का ह्रस्व हो जाता है और ह्रस्व का ह्रस्व ही रहता है। जैसेहरि (पु.) (हरि+स्स) = हरिस्स (षष्ठी एकवचन) गामणी (पु.) (गामणी+स्स) = गामणिस्स (षष्ठी एकवचन) साहु (पु.) (साहु+स्स) = साहुस्स (षष्ठी एकवचन) सयंभू (पु.) (सयंभू+स्स) = सयंभुस्स (षष्ठी एकवचन)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
41.
(26)
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________________
वारि (नपुं.) (वारि+स्स) =वारिस्स (षष्ठी एकवचन) महु (नपुं.) (महु+स्स) = महुस्स (षष्ठी एकवचन)
42.
इ-ईकारान्त, उ-ऊकारान्त (पु.)
इकारान्त, उकारान्त (नपुं.) आकारान्त, इ-ईकारान्त, उ-ऊकारान्त (स्त्री.) प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग संज्ञा शब्दों के समान इ-ईकारान्त, उ-ऊकारान्त पुल्लिंग, इकारान्त, उकारान्त नपुंसकलिंग तथा आकारान्त, इ-ईकारान्त, उ-ऊकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञा शब्दों के षष्ठी विभक्ति बहुवचन में ‘ण और णं' प्रत्यय जोड़ने पर ह्रस्व स्वर का दीर्घ हो जाता है और दीर्घ स्वर दीर्घ ही रहता है। जैसे
षष्ठी बहुवचन 6/2 हरि (पु.) (हरि+ण, णं) = हरीण, हरीणं (षष्ठी बहुवचन) गामणी (पु.) (गामणी+ण, णं) = गामणीण, गामणीणं (षष्ठी बहुवचन)
साहु (पु.) (साहु+ण, ण) = साहूण, साहूणं (षष्ठी बहुवचन) सयंभू (पु.) (सयंभू+ण, णं) = सयंभूण, सयंभूणं (षष्ठी बहुवचन)
वारि (नपुं.) (वारि+ण, णं) = वारीण, वारीणं (षष्ठी बहुवचन) महु (नपु.) (महु+ण, णं) = महूण, महणं (षष्ठी बहुवचन)
कहा (स्त्री.) (कहा+ण, णं) = कहाण, कहाणं (षष्ठी बहुवचन)
मइ (स्त्री.) (मइ+ण, णं) = मईण, मईणं (षष्ठी बहुवचन) लच्छी (स्त्री.) (लच्छी+ण, णं) = लच्छीण, लच्छीणं (षष्ठी बहुवचन)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
(27)
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________________
43.
44.
(28)
धेणु (स्त्री.) (धेणु+ण, णं) = घेणूण, घेणूणं (षष्ठी बहुवचन) बहू (स्त्री.) (बहू+ण, णं) = बहूण, बहूणं (षष्ठी बहुवचन)
इ-ईकारान्त, उ- ऊकारान्त (पु.)
इकारान्त, उकारान्त नपुं.) सप्तमी एकवचन 7 / 1 प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग संज्ञा शब्दों के समान इ-ईकारान्त, उ-ऊकारान्त पुल्लिंग तथा इकारान्त, उकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञा शब्दों सप्तमी विभक्ति एकवचन में 'म्मि' प्रत्यय जोड़ने पर दीर्घ स्वर का ह्रस्व हो जाता है और हस्व का ह्रस्व ही रहता है। जैसे
हरि (पु.) (हरि+म्मि) = हरिम्मि (सप्तमी एकवचन) गामणी (पु.) (गामणी+म्मि) = गामणिम्मि (सप्तमी एकवचन)
साहु (पु.) (साहु+म्मि) = साहुम्मि (सप्तमी एकवचन ) सयंभू (पु.) (सयंभू+म्मि) = सयंभुम्मि (सप्तमी एकवचन )
वारि ( नपुं.) (वारि+म्मि) = वारिम्मि (सप्तमी एकवचन ) महु (नपुं.) (महु+म्मि) = महुम्मि (सप्तमी एकवचन)
-
आकारान्त (स्त्री.)
प्रथमा एकवचन 1 / 1, सम्बोधन बहुवचन 8/2 प्राकृत भाषा में आकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञा शब्दों के प्रथमा एकवचन व संबोधन बहुवचन में 'शून्य' प्रत्यय जोड़ा जाता है। जैसे
कहा (स्त्री.) ( कहा +0) = कहा (प्रथमा एकवचन ) कहा (स्त्री.) (कहा+0) = कहा (संबोधन बहुवचन )
प्राकृत-हिन्दी व्याकरण ( भाग - 1 )
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45.
आकारान्त (स्त्री.) सप्तमी बहुवचन 7/2 प्राकृत भाषा में आकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञा शब्दों के सप्तमी बहुवचन में 'सु'
और 'सु' प्रत्यय जोड़ा जाता है। कहा (स्त्री.) (कहा+सु, सुं) = कहासु , कहासुं (सप्तमी बहुवचन)
अकारान्त, इ-ईकारान्त, उ-ऊकारान्त (पु.)
अकारान्त, इकारान्त, उकारान्त (नपुं.) आकारान्त,इ-ईकारान्त, उ-ऊकारान्त (स्त्री.)
सम्बोधन बहुवचन 8/2 प्राकृत भाषा में अकारान्त, इ-ईकारान्त, उ-ऊकारान्त पुल्लिंग, अकारान्त, इकारान्त, उकारान्त नपुंसकलिंग, आकारान्त, इ-ईकारान्त, उ-ऊकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञा शब्दों के संबोधन बहुवचन में निम्न रूप बनते हैं। जैसेदेव (पु.) = हे देवा (संबोधन बहुवचन)
46.
हरि (पु.) = हे हरउ, हे हरओ, हे हरिणो, हे हरी (संबोधन बहुवचन) गामणी (पु.) = हे गामणउ, हे गामणओ, हे गामणिणो, हे गामणी
(संबोधन बहुवचन) साहु (पु.) = हे साहउ, हे साहओ, हे साहुणो, हे साहवो, हे साहू
- (संबोधन बहुवचन) सयंभू (पु.) = हे सयंभउ, हे सयंभओ, हे सयंभुणो, हे सयंभवो, हे सयंभू
(संबोधन बहुवचन) कमल (नपुं.) = हे कमलाई, हे कमलाइँ, हे कमलाणि (संबोधन बहुवचन) वारि (नपुं.) = हे वारीइं, हे वारी', हे वारीणि (संबोधन बहुवचन) महु (नपुं.) = हे महूहूं, हे महूइँ, हे महूणि (संबोधन बहुवचन) कहा (स्त्री.) = हे कहा, हे कहाउ, हे कहाओ (संबोधन बहुवचन) मई (स्त्री.) = हे मई, हे मईउ, मईओ (संबोधन बहुवचन) लच्छी (स्त्री.) = हे लच्छी, हे लच्छीउ, हे लच्छीओ, हे लच्छीआ
(संबोधन बहुवचन)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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घेणु (स्त्री.) = हे घेणू, हे घेणूउ, हे घेणूओ (संबोधन बहुवचन) बहू (स्त्री.) = हे बहू, हे बहूउ, हे बहूओ (संबोधन बहुवचन)
अकारान्त (पु., नपुं)
चतुर्थी एकवचन 4/1 47. प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग व अकारान्त नपुंसकलिंग में
चतुर्थी विभक्तिबोधक प्रत्ययों का अभाव होने से षष्ठी. विभक्ति एकवचन में प्रयुक्त स्स' तथा षष्ठी विभक्ति बहुवचन में अन्त्य अं का आ करके उसमें प्रयुक्त ण और णं' प्रत्यय जोड़े जाते हैं। जैसेदेव (पु.) (देव+स्स) = देवस्स (चतुर्थी एकवचन) कमल (नपुं.) (कमल+स्स) = कमलस्स (चतुर्थी एकवचन)
चतुर्थी बहुवचन 4/2 देव (पु.) (देवा+ण, णं) = देवाण, देवाणं (चतुर्थी बहुवचन) कमल (नपुं.) (कमला+ण, णं) = कमलाण, कमलाणं (चतुर्थी बहुवचन)
पचन)
----------------------
48.
अकारान्त (पु., नपुं)
चतुर्थी एकवचन 4/1 प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग तथा अकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञा शब्दों के चतुर्थी विभक्ति एकवचन में विकल्प से 'आय' प्रत्यय भी जोड़ा जाता है। जैसेदेव (पु.) (देव+आय) = देवाय (चतुर्थी एकवचन) अन्य रूप - देवस्स कमल (नपुं.) (कमल+आय) = कमलाय (चतुर्थी एकवचन) अन्य रूप - कमलस्स
000
(30)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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विशिष्ट शब्द प्राकृत भाषा में उपर्युक्त तेरह प्रकार के संज्ञा शब्दों के अतिरिक्त विशेष शब्दों का भी प्रयोग होता है जिनके रूप विशेष प्रकार से चलते हैं। संज्ञावाचक पुल्लिंग शब्द - पिउ (पिता) भाउ (भाई) और जामाउ (दामाद) के रूप पिउ के समान चलेंगे। विशेषणात्मक पुल्लिंग शब्द - कत्तु (करनेवाला) भत्तु (भरण-पोषण करनेवाला), दाउ (दाता/देनेवाला) के रूप कत्तु के समान चलेंगे। स्त्रीलिंग शब्द - माउ (माता) पुल्लिंग शब्द - अप्प, अत्त (आत्मा) पुल्लिंग शब्द - राय (राजा)
3. 4. 5.
----
----
1. (i) प्राकृत भाषा में पिता के लिए 'पिउ' शब्द का प्रयोग हो तो प्रथमा
एकवचन व द्वितीया एकवचन में रूप निम्न प्रकार होंगे। जैसेप्रथमा एकवचन - पिआ द्वितीया एकवचन -पिअरं शेष रूप उकारान्त पुल्लिंग संज्ञा शब्द साहु के अनुसार बनेंगे।
इसी प्रकार भाउ (भाई) और जामाउ (दामाद) के रूप बनेंगे। (ii) प्राकृत भाषा में पिता के लिए 'पिअर' शब्द का प्रयोग हो तो रूप .. अकारान्त पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव के अनुसार बनेंगे।
2. (i) प्राकृत भाषा में विशेषणात्मक संज्ञा शब्द 'कत्तु' (करनेवाला) का
प्रयोग हो तो प्रथमा एकवचन व द्वितीया एकवचन में रूप निम्न प्रकार होंगे। जैसेप्रथमा एकवचन - कत्ता
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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द्वितीया एकवचन - कत्तारं शेष रूप उकारान्त पुल्लिंग संज्ञा शब्द साहु के अनुसार बनेंगे। इसी प्रकार भत्तु (भरण-पोषण करनेवाला) और दाउ (दाता/देनेवाला) के रूप कत्तु के समान बनेंगे।
(ii) प्राकृत भाषा में विशेषणात्मक संज्ञा शब्द कत्तार (करनेवाला) का
प्रयोग होता है तो रूप अकारान्त पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव के अनुसार बनेंगे।
3. (i) प्राकृत भाषा में जब माता के लिए माउ शब्द का प्रयोग हो तो प्रथमा
एकवचन व द्वितीया एकवचन में रूप निम्न प्रकार होंगे। जैसेप्रथमा एकवचन - माआ द्वितीया एकवचन - माअरं
शेष रूप उकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञा शब्द घेणु के अनुसार बनेंगे। (ii) प्राकृत भाषा में जब माता के लिए माया/माअरा शब्द का प्रयोग हो
तो रूप स्त्रीलिंग संज्ञा शब्द कहा के अनुसार बनेंगे। (iii) प्राकृत भाषा में जब माता के लिए माइ शब्द का प्रयोग हो तो रूप
स्त्रीलिंग संज्ञा शब्द मइ के अनुसार बनेंगे।
4.
प्राकृत भाषा में राजा के लिए राज, राय/राअ, रायाण का प्रयोग होता है। इनमें से राय/राअ और रायाण के रूप अकारान्त पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव की तरह बनेंगे।
-----------
प्राकृत भाषा में आत्मा के लिए अप्प/अत्त, अप्पाण और अत्ताण का प्रयोग होता है। अप्प/अत्त, अप्पाण और अत्ताण के रूप अकारान्त पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव की तरह बनेंगे।
(32)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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अकारान्त से भिन्न राज (राजा) के रूप निम्न प्रकार से भी बनेंगे।
राज (राजा)
प्रथमा एकवचन 1/1 6. प्राकृत भाषा में पुल्लिंग संज्ञा शब्द राज के प्रथमा विभक्ति एकवचन में
'आ' विकल्प से जोड़ा जाता है। जैसेराज (पु.) (राज+आ) = राजा-राया (प्रथमा एकवचन) अन्य रूप - राओ
रायो
.. रायाणो
प्रथमा बहुवचन 1/2, द्वितीया बहुवचन 2/2,
पंचमी एकवचन 5/1, षष्ठी एकवचन 6/1 7. (i) प्राकृत भाषा में पुल्लिंग संज्ञा शब्द राज के प्रथमा विभक्ति बहुवचन,
द्वितीया विभक्ति बहुवचन, पंचमी विभक्ति एकवचन व षष्ठी विभक्ति एकवचन में राज के ज का 'ई' करके ‘णो' प्रत्यय विकल्प से जोड़ा जाता है। जैसे
प्रथमा बहुवचन 1/2 राज (पु.) (राइ+णो) = राइणो (प्रथमा बहुवचन) अन्य रूप - राया
राआ
रायाणा
द्वितीया बहुवचन 2/2 राज (पु.) (राइ+णो) = राइणो (द्वितीया बहुवचन) अन्य रूप - राया, राये
राआ, राए
रायाणा, रायाणे प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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पंचमी एकवचन 5/1 राज (पु.) (राइ+णो) = राइणो (पंचमी एकवचन) अन्य रूप - रायत्तो, रायाओ, रायाउ, रायाहि, रायाहिन्तो, राया राअत्तो, राआओ, राआउ, राआहि, राआहिन्तो, राआ रायाणत्तो, रायाणाओ, रायाणाउ, रायाणाहि, रायाणाहिन्तो, रायाणा
षष्ठी एकवचन 6/1 राज (पु.) (राइ+णो) = राइणो (षष्ठी एकवचन) राज-राय (पु.) (राय+णो) = रायणो (षष्ठी एकवचन) . अन्य रूप - रायस्स
राअस्स
रायाणस्स (ii) प्राकृत भाषा में पुल्लिंग संज्ञा शब्द राज के पंचमी विभक्ति एकवचन व
षष्ठी विभक्ति एकवचन में राज के आज का 'अण्' करके ‘णो' प्रत्यय विकल्प से जोड़ा जाता है। जैसेराज (पु.) (रण्+णो) = रण्णो (पंचमी एकवचन)
राज (पु.) (रण्+णो) = रण्णो (षष्ठी एकवचन) (iii) पैशाची भाषा में पुल्लिंग संज्ञा शब्द राज के षष्ठी विभक्ति एकवचन में
विकल्प से राचित्रो होता है। अन्य रूप - रा
__तृतीया एकवचन 3/1 8. (i) प्राकृत भाषा में पुल्लिंग संज्ञा शब्द राज के तृतीया विभक्ति एकवचन में
राज के ज का 'ई' करके ‘णा' प्रत्यय विकल्प से जोड़ा जाता है। राज (पु.) (राइ+णा) = राइणा (तृतीया एकवचन) अन्य रूप - रायणा
(34)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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________________
(ii) प्राकृत भाषा में पुल्लिंग संज्ञा शब्द राज के तृतीया विभक्ति एकवचन में राज
के आज का 'अण्' करके ‘णा' प्रत्यय विकल्प से जोड़ा जाता है। जैसे
राज (पु.) (रण्+णा) = रण्णा (तृतीया एकवचन) अन्य रूप - रायेण, रायेणं
राएण, राएणं
रायाणेण, रायाणेणं (iii) पैशाची भाषा में पुल्लिंग संज्ञा शब्द राज के तृतीया विभक्ति एकवचन में
विकल्प से राचित्रा होता है। अन्य रूप - रक्षा
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
--
9.
- सप्तमी एकवचन 7/1 प्राकृत भाषा में पुल्लिंग संज्ञा शब्द राज के सप्तमी विभक्ति एकवचन में राज़ के ज का विकल्प से 'इ' करके 'म्मि' प्रत्यय जोड़ा जाता है। जैसेराज (पु.) (राइ+म्मि) = राइम्मि (सप्तमी एकवचन) अन्य रूप - राये, रायम्मि
राए, राअम्मि रायाणे, रायाणम्मि
----------------------------
द्वितीया एकवचन 2/1 10. ... प्राकृत भाषा में पुल्लिंग संज्ञा शब्द राज के द्वितीया विभक्ति एकवचन में . राज के ज का विकल्प से 'इणं' करके राइणं रूप बन जाता है। अन्य रूप - रायं
राअं रायाणं
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
(35)
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________________
11.
(36)
षष्ठी बहुवचन 6/2
प्राकृत भाषा में पुल्लिंग संज्ञा शब्द राज के षष्ठी विभक्ति बहुवचन में राज के
ज का विकल्प से 'इणं' करके राइणं रूप बन जाता है।
रायाण, रायाणं,
राआण, आणं
रायाणाण, रायाणा
अन्य रूप
-
तृतीया बहुवचन 3 / 2
प्राकृत भाषा में पुल्लिंग संज्ञा शब्द राज के तृतीया विभक्ति बहुवचन राज के ज का विकल्प से 'ई' करके हि, हिं, हिं प्रत्यय जोड़ दिए जाते हैं। जैसे
राज (पु.) (राई+हि, हिँ, हिं) = राईहि, राईहिं, राइहिं (तृतीया बहुवचन), अन्य रूप - रायेहि, रायेहिं, रायेहिं
एहि, राएहिं, राएहिं
रायाणेहि, रायाणेहिं, रायाणेहिं
पंचमी बहुवचन 5/2
प्राकृत भाषा में पुल्लिंग संज्ञा शब्द राज के पंचमी विभक्ति बहुवचन में राज के ज का विकल्प से 'ई' करके त्तो, ओ, उ, हिन्तो, सुन्तो प्रत्यय जोड़ दिए जाते हैं। जैसे
-
--
राज (पु.) (राई+त्तो, ओ, उ, हिन्तो, सुन्तो) राईतो राइतो, राईओ, राईउ, राईहिन्तो, राईसुन्तो ( पंचमी बहुवचन)
अन्य रूप - (i) रायत्तो, रायाओ, रायाउ, रायाहि, रायाहिन्तो, रायासुन्तो, रायेहि, रायेहिन्तो, रायेसुन्ता
(ii) राअत्तो, राआओ, राआउ, राआहि, राआहिन्तो, राआसुन्तो, राएहि, राएहिन्तो, राएसुन्तो
(iii) रायाणत्तो, रायाणाओ, रायाणाउ, रायाणाहि, रायाणाहिन्तो,
प्राकृत-हिन्दी- व्याकरण (भाग - 1 )
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रायाणासुन्तो, रायाणेहि, रायाणेहिन्तो, रायाणेसुन्तो
षष्ठी बहुवचन 6/2 प्राकृत भाषा में पुल्लिंग संज्ञा शब्द राज के षष्ठी विभक्ति बहुवचन में राज के ज का विकल्प से 'ई' करके ण और णं प्रत्यय जोड़ दिये जाते हैं। जैसे
राज (पु.) (राई+ण, णं) = राईण, राईणं (षष्ठी बहुवचन)
सप्तमी बहुवचन 7/2 प्राकृत भाषा में पुल्लिंग संज्ञा शब्द राज के सप्तमी विभक्ति में राज के ज का विकल्प से 'ई' करके सु और सुं प्रत्यय जोड़ दिये जाते हैं। जैसे
राज (पु.) (राई+सु, सुं) = राईसु, राईसुं (सप्तमी बहुवचन) रायेसु, रायेसुं राएसु, राएसुं रायाणेसु, रायाणेसुं
अकारान्त से भिन्न अप्प/अत्त (आत्मा) के रूप निम्न प्रकार बनेंगे।
अप्प/अत्त (आत्मा)
प्रथमा एकवचन 1/1 ____12. प्राकृत भाषा में पुल्लिंग संज्ञा शब्द अप्प/अत्त के प्रथमा विभक्ति .... एकवचन में 'आ' विकल्प से जोड़ा जाता है। जैसे
अप्प (पु.) (अप्प+आ) = अप्पा (प्रथमा एकवचन) अत्त (पु.) (अत्त+आ) = अत्ता (प्रथमा एकवचन) अन्य रूप - अप्पो, अप्पाणो
अत्तो, अत्ताणो
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
(37)
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________________
70/I
प्रथमा बहुवचन 1/2, द्वितीया बहुवचन 2/2, . .
पंचमी एकवचन 5/1, षष्ठी एकवचन 6/1 13. (i) प्राकृत भाषा में पुल्लिंग संज्ञा शब्द अप्प/अत्त के प्रथमा विभक्ति
बहुवचन, द्वितीया विभक्ति बहुवचन व पंचमी विभक्ति एकवचन में अप्प/ अत्त के अन्त्य अ का 'आ' करके ‘णो' प्रत्यय विकल्प से जोड़ा जाता है। जैसे
प्रथमा बहुवचन 1/2 अप्प (पु.) (अप्पा+णो) = अप्पाणो (प्रथमा बहुवचन) अत्त (पु.) (अत्ता+णो) = अत्ताणो (प्रथमा बहुवचन) अन्य रूप - अप्पा, अत्ता, अप्पाणा, अत्ताणा
द्वितीया बहुवचन 2/2 अप्प (पु.) (अप्पा+णो) = अप्पाणो (द्वितीया बहुवचन) अत्त (पु.) (अत्ता+णो) = अत्ताणो (द्वितीया बहुवचन) , अन्य रूप -अप्पा, अप्पे, अत्ता, अत्ते, अप्पाणा, अप्पाणे, अत्ताणा, अत्ताणे
पंचमी एकवचन 5/1 अप्प (पु.) (अप्पा+णो) = अप्पाणो (पंचमी एकवचन) अन्य रूप(i) अप्पत्तो, अप्पाओ, अप्पाउ, अप्पाहि, अप्पाहिन्तो, अप्पा (ii) अत्तत्तो, अत्ताओ, अत्ताउ, अत्ताहि, अत्ताहिन्तो, अत्ता (iii) अप्पाणत्तो, अप्पाणाओ, अप्पाणाउ, अप्पाणाहि, अप्पाणाहिन्तो, अप्पाणा (iv) अत्ताणत्तो, अत्ताणाओ, अत्ताणाउ, अत्ताणाहि, अत्ताणाहिन्तो, अत्ताणा
(38)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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(ii) प्राकृत भाषा में पुल्लिंग संज्ञा शब्द अप्प/अत्त के षष्ठी विभक्ति एकवचन में ‘णो' प्रत्यय विकल्प से जोड़ा जाता है। जैसे
षष्ठी एकवचन 6/1 अप्प (पु.) (अप्प+णो) = अप्पणो (षष्ठी एकवचन) अत्त (पु.) (अत्त+णो) = अत्तणो (षष्ठी एकवचन) अन्य रूप - अप्पस्स, अत्तस्स, अप्पाणस्स, अत्ताणस्स
तृतीया एकवचन 3/1 14. प्राकृत भाषा में पुल्लिंग संज्ञा शब्द अप्प/अत्त के तृतीया विभक्ति
एकवचन में 'णिआ' और 'णइआ' प्रत्यय विकल्प से होते हैं। जैसेअप्प (पु.) (अप्प+णिआ, णइआ) = अप्पणिआ, अप्पणइआ
(तृतीया एकवचन) अत्त (पु.) (अत्त+णिआ, णइआ) = अत्तणिआ, अत्तणइआ
(तृतीया एकवचन) अन्य रूप - अप्पणा, अप्पेण, अप्पेणं, अप्पाणेण, अप्पाणेणं
अत्तणा, अत्तेण, अत्तेणं, अत्ताणेण, अत्ताणेणं
तृतीया एकवचन 3/1 15. प्राकृत भाषा में पुल्लिंग संज्ञा शब्द अप्प/अत्त के तृतीया विभक्ति
एकवचन में ‘णा' प्रत्यय भी विकल्प से जोड़ा जाता है। जैसे.. अप्प (पु.) (अप्प+णा)= अप्पणा
अत्त (पु.) (अत्त+णा)= अत्तणा (तृतीया एकवचन) अन्य रूप - अप्पेण, अप्पेणं, अत्तेण, अत्तेणं, अप्पाणेण, अप्पाणेणं, अत्ताणेण, अत्ताणेणं, अप्पणिआ, अप्पणइआ, अत्तणिआ, अत्तणइआ
..........
प्राकृत-हिन्दी व्याकरण (भाग-1)
(39)
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________________
शौरसेनी प्राकृत भाषा
1.
अकारान्त (पु., नपुं.)
पंचमी एकवचन 5/1 शौरसेनी प्राकृत में अकारान्त पुल्लिंग व नपुंसकलिंग संज्ञा शब्दों के पंचमी विभक्ति एकवचन में 'आदो' और 'आदु' प्रत्यय जोड़े जाते हैं। जैसेदेव (पु.) (देव+आदो, आदु) = देवादो, देवादु (पंचमी एकवचन) कमल (नपुं.) (कमल+आदो, आदु) = कमलादो, कमलादु
(पंचमी एकवचन)
इकारान्त-ईकारान्त, उकारान्त-ऊकारान्त (पु.) .
इकारान्त, उकारान्त (नपुं.) आकारान्त, इकारान्त-ईकारान्त, उकारान्त-ऊकारान्त (स्त्री.)
पंचमी एकवचन 5/1 शौरसेनी भाषा में इ-ईकारान्त, उ-ऊकारान्त पुल्लिंग व इकारान्त, उकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञा शब्द तथा आकारान्त, इ-ईकारान्त, उऊकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञा शब्दों के पंचमी विभक्ति एकवचन में 'दो', और 'दु' प्रत्यय जोड़े जाते हैं तथा ह्रस्व स्वर का दीर्घ हो जाता है और दीर्घ स्वर का दीर्घ ही रहता है। जैसे
हरि (पु.) (हरि-हरी+दो, दु) = हरीदो, हरीदु (पंचमी एकवचन) गामणी(पु.)(गामणी+दो, दु) गामणीदो, गामणीदु (पंचमी एकवचन) साहु (पु.) (साहु-साहू+दो, दु) = साहूदो, साहूदु (पंचमी एकवचन) सयंभू (पु.) (सयंभू+दो, दु) = सयंभूदो, सयंभूदु (पंचमी एकवचन)
(40)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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________________
वारि (नपुं.) (वारि-वारी+दो, दु) = वारीदो, वारीदु (पंचमी एकवचन) महु (नपुं.) (महु-महू+दो, दु) = महूदो, महूदु (पंचमी एकवचन) कहा (स्त्री.) (कहा+दो, दु) = कहादो, कहादु (पंचमी एकवचन) मइ (स्त्री.) (मइ-मई+दो, दु) = मईदो, मईदु (पंचमी एकवचन) लच्छी (स्त्री.) (लच्छी+दो, दु) = लच्छीदो, लच्छीदु (पंचमी एकवचन) धेणु (स्त्री.) (धेणु-धेणू+दो, दु) = घेणूदो, घेणूदु (पंचमी एकवचन) बहू (स्त्री.) (बहू+दो, दु) = बहूदो, बहूदु (पंचमी एकवचन)
----------
3.
अकारान्त (पु., नपुं.)
पंचमी बहुवचन 5/2 शौरसेनी भाषा में अकारान्त पुल्लिंग व नपुंसकलिंग संज्ञा शब्दों के पंचमी विभक्ति बहुवचन में अन्त्य 'अ' का 'आ' करके उसमें 'दो' और 'दु' प्रत्यय जोड़े जाते हैं। जैसेदेव (पु.) (देवा+दो, दु) = देवादो, देवादु (पंचमी बहुवचन) कमल (नपुं.) (कमला+दो, दु) = कमलादो, कमलादु (पंचमी बहुवचन)
...........---------------------
इकारान्त-ईकारान्त, उकारान्त-ऊकारान्त (पु.)
इकारान्त, उकारान्त (नपुं.) __ आकारान्त, इकारान्त-ईकारान्त, उकारान्त-ऊकारान्त (स्त्री.)
__ पंचमी बहुवचन 5/2 4. ... शौरसेनी भाषा में इ-ईकारान्त, उ-ऊकारान्त पुल्लिंग, इकारान्त-उकारान्त
नपुंसकलिंग व आकारान्त, इ-ईकारान्त, उ-ऊकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञा शब्दों के पंचमी विभक्ति बहुवचन में 'दो', और 'दु' प्रत्यय जोड़े जाते
हैं तथा ह्रस्व स्वर का दीर्घ हो जाता है और दीर्घ स्वर का दीर्घ __ ही रहता है। जैसे
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
(41)
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6.
(42)
हरि (पु.) (हरि हरी+दो, दु) = हरीदो, हरीदु (पंचमी बहुवचन)
-
गामणी (पु.) (गामणी + दो, दु) = गामणीदो, गामणीदु (पंचमी बहुवचन) साहु (पु.) (साहु + साहू+दो, दु) = साहूदो, साहूदु (पंचमी बहुवचन) सयंभू (पु.) (सयंभू+दो, दु) = सयंभूदो, सयंभूदु (पंचमी बहुवचन)
-
वारि (नपुं.) (वारि वारी+दो, दु) = वारीदो, वारीदु (पंचमी बहुवचन) महु ( नपुं.) (महु महू+दो, दु) = महूदो, महूदु (पंचमी बहुवचन)
-
कहा (स्त्री.) (कहा+दो, दु) = कहादो, कहादु (पंचमी बहुवचन) मइ (स्त्री.) (मइमई+दो, दु) = मईदो, मईदु (पंचमी बहुवचन) लच्छी (स्त्री.) (लच्छी+दो, दु) = लच्छीदो, लच्छीदु (पंचमी बहुवचन) धेणु (स्त्री.) (धेणु धेणू+दो, दु) = घेणूदो, धेणूद (पंचमी बहुवचन)
➡
बहू (स्त्री.) (बहू+दो, दु) = बहूदो, बहूदु (पंचमी बहुवचन)
अकारान्त (पु., नपुं) सप्तमी एकवचन 7/1
-
शौरसेनी भाषा में अकारान्त पुल्लिंग तथा नपुंसकलिंग संज्ञा शब्दों के सप्तमी विभक्ति एकवचन में 'म्हि' प्रत्यय जोड़ा जाता है। जैसेदेव (पु.) (देव+म्हि) = देवम्हि (सप्तमी एकवचन) कमल (नपुं.) (कमल+म्हि ) = कमलम्हि (सप्तमी एकवचन )
इकारान्त - ईकारान्त, उकारान्त - ऊकारान्त (पु.) इकारान्त, उकारान्त (नपुं. ) सप्तमी एकवचन 7/1
शौरसेनी भाषा में इ-ईकारान्त, उ-ऊकारान्त पुल्लिंग व इकारान्तउकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञा शब्दों के सप्तमी विभक्ति एकवचन में 'म्हि '
- हिन्दी- व्याकरण (भाग - 1)
प्राकृत
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प्रत्यय जोड़ा जाता है। ह्रस्व स्वर का ह्रस्व ही रहता है तथा दीर्घ स्वर का ह्रस्व हो जाता है। जैसेहरि (पु.) (हरि+म्हि) = हरिम्हि (सप्तमी एकवचन) गामणी (पु.) (गामणी-गामणि+म्हि) = गामणिम्हि (सप्तमी एकवचन) साहु (पु.) (साहु+म्हि) = साहुम्हि (सप्तमी एकवचन) सयंभू (पु.) (सयंभू-सयंभु+म्हि) = सयंभुम्हि (सप्तमी एकवचन)
वारि (नपुं.) (वारि+म्हि) = वारिम्हि (सप्तमी एकवचन) महु (नपुं.) (महु+म्हि) = महुम्हि (सप्तमी एकवचन)
7.
विशिष्ट शब्द राय आदि के पंचमी विभक्ति एकवचन में भी 'आदो' और 'आदु' प्रत्यय तथा पंचमी विभक्ति बहुवचन में अन्त्य 'अ' का 'आ' करके उसमें 'दो' और 'दु' प्रत्यय जोड़े जाते हैं तथा सप्तमी विभक्ति एकवचन में 'म्हि' प्रत्यय जोड़ा जाता है। जैसेराय (पु.) (राय+आदो, आदु) = रायादो, रायादु (पंचमी एकवचन) राय (पु.) (राया+दो, दु) = रायादो, रायादु (पंचमी बहुवचन) राय (पु.) (राय+म्हि) = रायम्हि (सप्तमी एकवचन)
8.
__अकारान्त (पु.)
संबोधन एकवचन 8/1 शौरसेनी भाषा में विशिष्ट संज्ञा शब्द राज के संबोधन एकवचन में विकल्प से 'अनुस्वार' जोड़ा जाता है। जैसे- . राय (पु.) (राय+) = रायं (संबोधन एकवचन)
नोट- शेष विभक्ति प्रत्यय प्राकृत भाषा के अनुसार होंगे।
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
.
.
(43)
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मागधी प्राकृत भाषा
1.
अकारान्त (पु.)
प्रथमा एकवचन 1/1 मागधी प्राकृत में अकारान्त पुल्लिंग संज्ञा शब्दों के प्रथमा विभक्ति एकवचन में 'ए' प्रत्यय जोड़ा जाता है। जैसेदेव (पु.) (देव+ए) = देवे (प्रथमा एकवचन)
अकारान्त (पु., नपुं.)
षष्ठी एकवचन 6/1 मागधी भाषा में अकारान्त पुल्लिंग व नपुंसकलिंग संज्ञा शब्दों के षष्ठी विभक्ति एकवचन में विकल्प से 'श्श' और 'आह' प्रत्यय जोड़े जाते हैं।
2.
जैसे
देव (पु.) (देव+श्श) = देवश्श (षष्ठी एकवचन) देव (पु.) (देव+आह) = देवाह (षष्ठी एकवचन) अन्य रूप - देवस्स कमल (नपुं.) (कमल+श्श) = कमलश्श (षष्ठी एकवचन) कमल (नपुं.) (कमल+आह) = कमलाह (षष्ठी एकवचन) अन्य रूप - कमलस्स
3.
अकारान्त (पु., नपुं) षष्ठी बहवचन 6/2 मागधी भाषा में अकारान्त पुल्लिंग व नपुंसकलिंग संज्ञा शब्दों के षष्ठी विभक्ति बहुवचन में विकल्प से 'आह' प्रत्यय जोड़ा जाता है । जैसेदेव (पु.) (देव+आह) = देवाहँ (षष्ठी बहुवचन) कमल (नपुं.) (कमल+आहँ) = कमलाहँ (षष्ठी बहुवचन)
(44)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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________________
4.
5.
अकारान्त (पु., नपुं.) सप्तमी एकवचन 7/1
मागधी भाषा में अकारान्त पुल्लिंग व नपुंसकलिंग संज्ञा शब्दों के सप्तमी विभक्ति एकवचन में 'आहिं' और 'ए' प्रत्यय जोड़े जाते हैं। जैसेदेव (पु.) (देव+आहिं, ए) = देवाहिं, देवे (सप्तमी एकवचन ) कमल (नपुं.) (कमल+आहिं, ए) = कमलाहिं, कमले (सप्तमी एकवचन)
अकारान्त (पु.) सम्बोधन बहुवचन 8/2
में
मागधी भाषा में अकारान्त पुल्लिंग संज्ञा शब्दों के संबोधन बहुवचन 'आहो' प्रत्यय जोड़ा जाता है। जैसे
देव (पु.) (देव+आहो) = देवाहो (संबोधन बहुवचन)
पैशाची प्राकृत भाषा
अकारान्त (पु., नपुं.) पंचमी एकवचन 5 / 1 पैशाची प्राकृत में अकारान्त पुल्लिंग व नपुंसकलिंग संज्ञा शब्दों के पंचमी विभक्ति एकवचन में 'आतो' और 'आतु' प्रत्यय जोड़े जाते हैं। जैसे
देव (पु.) (देव+आतो, आतु) = देवातो, देवातु (पंचमी एकवचन ) कमल (नपुं.) (कमल+आतो, आतु) = कमलातो, कमलातु
(पंचमी एकवचन)
नोट- शेष विभक्ति प्रत्यय प्राकृत भाषा तथा शौरसेनी भाषा के अनुसार होंगे।
प्राकृत-हिन्दी व्याकरण (भाग - 1 )
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________________
अर्धमागधी प्राकृत भाषा
1.
अकारान्त (पु.)
प्रथमा एकवचन 1/1 अर्धमागधी प्राकृत में अकारान्त पुल्लिंग संज्ञा शब्दों के प्रथमा विभक्ति एकवचन में 'ए' प्रत्यय जोड़ा जाता है। जैसेदेव (पु.) (देव+ए) = देवे (प्रथमा एकवचन)
अर्धA
2.
अकारान्त (पु.)
प्रथमा बहुवचन 1/2 अर्धमागधी भाषा में अकारान्त पुल्लिंग संज्ञा शब्दों के प्रथमा विभक्ति । बहुवचन में 'आओ' प्रत्यय जोड़ा जाता है। जैसेदेव (पु.) (देव+आओ) = देवाओ (प्रथमा बहुवचन)
3.
अकारान्त (पु., नपुं.)
पंचमी बहुवचन 5/2 अर्धमागधी भाषा में अकारान्त पुल्लिंग व नपुंसकलिंग संज्ञा शब्दों के पंचमी विभक्ति बहुवचन में अन्त्य 'अ' का 'ए' करके उसमें 'हिन्तो',
और 'हिं' प्रत्यय जोड़े जाते हैं । जैसेदेव (पु.) (देवे+हिन्तो, हिं) = देवेहिन्तो, देवेहिं (पंचमी बहुवचन) कमल (नपुं.)(कमले+हिन्तो,हिं) कमलेहिन्तो,कमलेहिं (पंचमी बहुवचन)
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
-
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-
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-
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-
-
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-
(46)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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4.
अकारान्त (पु., नपुं.)
सप्तमी एकवचन 7/1 अर्धमागधी भाषा में अकारान्त पुल्लिंग व नपुंसकलिंग संज्ञा शब्दों के सप्तमी विभक्ति एकवचन में 'अंसि', 'म्मि', 'अंमि' और 'ए' प्रत्यय जोड़े जाते हैं। जैसे
देव (पु.) (देव+अंसि, म्मि, अंमि, ए) = देवंसि, देवम्मि, देवंमि, देवे
(सप्तमी एकवचन) कमल (नपुं.) (कमल+अंसि, म्मि, अंमि, ए) = कमलंसि, कमलम्मि, कमलंमि, कमले
(सप्तमी एकवचन)
---
---------
नोट- शेष विभक्ति प्रत्यय प्राकृत भाषा के अनुसार होंगे।
000
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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________________
1.
- सर्वनाम' शब्दों का विभक्ति-विवरण
अकारान्त सर्वनाम (पु.)
प्रथमा बहुवचन 1/2 प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग सव्वादि सर्वनामों के प्रथमा विभक्ति बहुवचन में 'ए' प्रत्यय जोड़ा जाता है। जैसेसव्व (सब) (पु.) (सव्व+ए) = सव्वे (प्रथमा बहुवचन) त (वह) (पु.) (त+ए) = ते (प्रथमा बहुवचन) ज (जो) (पु.)(ज+ए) = जे (प्रथमा बहुवचन) क (कौन) (पु.) (क+ए) = के (प्रथमा बहुवचन) एत (यह) (पु.) (एत+ए) = एते (प्रथमा बहुवचन) इम (यह) (पु.) (इम+ए) = इमे (प्रथमा बहुवचन) अन्न (दूसरा) (पु.) (अन्न+ए) = अन्ने (प्रथमा बहुवचन)
नोट
जो प्रत्यय अकारान्त (पु., नपुं.) व आकारान्त (स्त्री.) संज्ञा शब्दों में प्रयुक्त हुए हैं वे ही प्रत्यय अकारान्त (पु., नपुं.) व आकारान्त (स्त्री.) सर्वनामों में प्रयुक्त होंगे। यद्यपि इसमें कुछ अपवाद हैं जो सर्वनामों की रूपावली से समझे जा सकते हैं। सर्वनाम शब्द इस प्रकार हैं- सव्व (सब), त (वह), ज (जो), क (कौन,क्या), एत (यह), इम (यह), अन्न (दूसरा), एक्क (एकही)। यहाँ सव्वादि सर्वनामों के कुछ विभक्तियों के रूप बताये जा रहे हैं। शेष विभक्तियों के रूप पुल्लिंग में 'देव' के समान, नपुंसकलिंग में 'कमल' के समान, स्त्रीलिंग में 'कहा' व 'लच्छी' के समान चलेंगे तथा सव्वादि सर्वनामों के अन्य रूप जो संज्ञा शब्दों के नियमानुसार बनाये गये हैं वहाँ 'संज्ञा शब्दों के नियमानुसार' ऐसा लिखा गया है। जो रूप संज्ञाओं से स्वतन्त्र हैं वे यहाँ ‘अन्य रूप' में दिए गये हैं। 'एक्क' सर्वनाम के रूप परिशिष्ट 3 में देखें।
3.
(48)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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________________
अकारान्त सर्वनाम (पु.)
सप्तमी एकवचन 7/1 प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग सव्वादि सर्वनामों के सप्तमी विभक्ति एकवचन में 'स्सिं', 'म्मि' और 'त्थ' प्रत्यय जोड़े जाते हैं किन्तु अकारान्त पुल्लिंग एत सर्वनाम में 'त्थ' जोड़ने पर त का लोप हो जाता है और इम सर्वनाम के सप्तमी विभक्ति एकवचन में 'त्थ' प्रत्यय नहीं जोड़ा जाता है। जैसेसव्व (सब) (पु.) (सव्व+स्सि, म्मि, त्थ) = सव्वस्सिं, सव्वम्मि,
सव्वत्थ (सप्तमी एकवचन) त (वह) (पु.) (त+स्सिं, म्मि, त्थ) = तस्सिं, तम्मि, तत्थ
___ (सप्तमी एकवचन) ज (जो) (पु.) (ज+स्सिं, म्मि, त्थ) = जस्सिं, जम्मि, जत्थ
(सप्तमी एकवचन) क (कौन) (पु.) (क+स्सिं, म्मि, त्थ) = कस्सिं , कम्मि, कत्थ
(सप्तमी एकवचन) अन्न (अन्य) (पु.) (अन्न+स्सिं,म्मि,त्थ) = अन्नस्सिं, अन्नम्मि, अन्नत्थ
(सप्तमी एकवचन) एत (यह) (पु.) (एत+स्सिं, म्मि, त्थ) = एतस्सिं, एतम्मि, एतत्थ- एत्थ
(सप्तमी एकवचन) इम (यह) (पु.)(इम+स्सिं,म्मि)= इमस्सिं, इमम्मि (सप्तमी एकवचन)
अकारान्त सर्वनाम (पु.) .
सप्तमी एकवचन 7/1 प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग सव्वादि सर्वनामों के सप्तमी विभक्ति एकवचन में विकल्प से 'हिं' प्रत्यय भी जोड़ा जाता है इम और एत सर्वनाम को छोड़कर। जैसेसव्व (सब) (पु.) (सव्व+हिं) = सव्वहिं (सप्तमी एकवचन)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
(49)
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________________
अन्य रूप- सव्वस्सिं, सव्वम्मि, सव्वत्थ त (वह) (पु.) (त+हिं) = तहिं (सप्तमी एकवचन) अन्य रूप- तस्सिं, तम्मि, तत्थ ज (जो) (पु.) (ज+हिं) = जहिं (सप्तमी एकवचन) अन्य रूप- जस्सिं, जम्मि, जत्थ क (कौन) (पु.) (क+हिं) = कहिं (सप्तमी एकवचन) अन्य रूप- कस्सिं, कम्मि, कत्थ अन्न (अन्य) (पु.) (अन्न+हिं) = अन्नहिं (सप्तमी एकवचन) अन्य रूप- अन्नस्सिं, अन्नम्मि, अन्नत्थ नोट- हेमचन्द्र की वृत्ति के अनुसार आकारान्त स्त्रीलिंग ता, जा और का सर्वनामों के सप्तमी विभक्ति एकवचन में भी विकल्प से 'हि' प्रत्यय जोड़ा जाता है। ता (वह)(स्त्री.) (ता+हिं) = ताहिं (सप्तमी एकवचन) अन्य रूप- ताअ, ताइ, ताए (स्त्रीलिंग संज्ञा शब्द कहा के अनुसार) जा (जो) (स्त्री.)(जा+हिं) = जाहिं (सप्तमी एकवचन) अन्य रूप- जाअ, जाइ, जाए (स्त्रीलिंग संज्ञा शब्द कहा के अनुसार) का (कौन) (स्त्री.) (का+हिं) = काहिं (सप्तमी एकवचन) अन्य रूप- काअ, काइ, काए (स्त्रीलिंग संज्ञा शब्द कहा के अनुसार)
अकारान्त सर्वनाम (पु.)
षष्ठी बहुवचन 6/2 प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग सव्वादि सर्वनामों के षष्ठी विभक्ति बहुवचन में विकल्प से 'एसिं' प्रत्यय जोड़ा जाता है। जैसेसव्व (सब) (पु.) (सव्व एसिं) = सव्वेसिं (षष्ठी बहुवचन) अन्य रूप - सव्वाण, सव्वाणं (पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव के अनुसार) अन्न (अन्य) (पु.) (अन्न+एसिं) = अन्नेसिं (षष्ठी बहुवचन)
(50)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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5.
अन्य रूप - अन्नाण, अन्नाणं (पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव के अनुसार) इम (यह) (पु.) (इम+एसिं) = इमेसिं (षष्ठी बहुवचन)
अन्य रूप - इमाण, इमाणं (पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव के अनुसार) एत (यह) (पु.) (एत+एसिं) = एतेसिं (षष्ठी बहुवचन) अन्य रूप - एताण, एताणं (पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव के अनुसार) त (वह) (पु.) (त+एसिं) = तेसिं (षष्ठी बहुवचन) अन्य रूप - ताण, ताणं (पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव के अनुसार) ज (जो) (पु.) (ज+एसिं) = जेसिं (षष्ठी बहुवचन) अन्य रूप - जाण, जाणं (पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव के अनुसार) क (कौन) (पु.) (क+एसिं) = केसिं (षष्ठी बहुवचन)
अन्य रूप - काण, काणं (पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव के अनुसार)
नोट- हेमचन्द्र की वृत्ति के अनुसार आकारान्त स्त्रीलिंग सव्वादि सर्वनामों के षष्ठी विभक्ति बहुवचन में भी विकल्प से 'एसिं' प्रत्यय जोड़ा जाता है। . जैसे
-
सव्वा (सब) (पु.) (सव्वा + एसिं) = सव्वेसिं ( षष्ठी बहुवचन)
अन्य रूप - सव्वाण, सव्वाणं (स्त्रीलिंग संज्ञा शब्द कहा के अनुसार) नोट - इसी प्रकार अन्य रूपों में भी बना लेने चाहिए।
अकारान्त सर्वनाम (पु.)
षष्ठी बहुवचन 6/2
प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग क और त सर्वनामों के षष्ठी विभक्ति बहुवचन में विकल्प से 'आस' प्रत्यय जोड़ा जाता है। जैसे
क (कौन) (पु.) (क+आस = कास (षष्ठी बहुवचन) अन्यं रूप - केसिं
त (वह) (पु.) (त+आस = तास (षष्ठी बहुवचन) अन्य रूप - तेसिं
प्राकृत-हिन्दी व्याकरण (भाग - 1 )
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(51)
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________________
6.
अकारान्त सर्वनाम (पु.)
षष्ठी एकवचन 6/1 प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग क, ज और त सर्वनामों के षष्ठी विभक्ति एकवचन में विकल्प से 'आस' प्रत्यय जोड़ा जाता है । जैसेक (कौन) (पु.) (क+आस) = कास (षष्ठी एकवचन) . अन्य रूप - कस्स (पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव के अनुसार) ज (जो) (पु.) (ज+आस) = जास (षष्ठी एकवचन)
अन्य रूप - जस्स (पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव के अनुसार) त (वह) (पु.) (त+आस) = तास (षष्ठी एकवचन)
अन्य रूप - तस्स (पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव के अनुसार) नोट- हेमचन्द्र की वृत्ति के अनुसार आकारान्त स्त्रीलिंग का और ता सर्वनाम के षष्ठी विभक्ति एकवचन में भी विकल्प से 'आस' प्रत्यय जोड़ा जाता है।
आकारान्त सर्वनाम (स्त्री.)
षष्ठी एकवचन 6/1 का (कौन) (स्त्री.) (का+आस) = कास (षष्ठी एकवचन) अन्य रूप - काअ, काइ, काए (स्त्रीलिंग संज्ञा शब्द कहा के अनुसार) ता (वह)(स्त्री.) (ता+आस) = तास (षष्ठी एकवचन) अन्य रूप - ताअ, ताइ, ताए (स्त्रीलिंग संज्ञा शब्द कहा के अनुसार)
7.
अकारान्त सर्वनाम (पु.)
सप्तमी एकवचन 7/1 प्राकृत भाषा में कालवाचक शब्द क, त और ज सर्वनामों के सप्तमी विभक्ति एकवचन में विकल्प से 'आहे', आला' और इआ' प्रत्यय जोड़े जाते हैं। जैसे
(52)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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क (कब) (पु.) (क+आहे, आला, इआ) = काहे, काला, कइआ
(सप्तमी एकवचन) अन्य रूप - कस्सिं, कम्मि, कत्थ, कहिं त (तब) (पु.) (त+आहे, आला, इआ) = ताहे, ताला, तइआ
_ (सप्तमी एकवचन) अन्य रूप - तस्सिं, तम्मि, तत्थ, तहिं ज- (जब) (पु.) (ज+आहे, आला, इआ) = जाहे, जाला, जइआ
(सप्तमी एकवचन) अन्य रूप - जस्सिं, जम्मि, जत्थ, जहिं
-
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-
-
-
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-
-
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-
अकारान्त सर्वनाम (पु.)
पंचमी एकवचन 5/1 प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग क, त और ज सर्वनामों के पंचमी विभक्ति एकवचन में विकल्प से 'म्हा' प्रत्यय जोड़ा जाता है। जैसे
8.
क (कौन) (पु.) (क+म्हा) = कम्हा (पंचमी एकवचन) अन्य रूप - कत्तो, काओ, काउ, काहि, काहिन्तो, का
(पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव के अनुसार) त (वह)(पु.) (त+म्हा) = तम्हा (पंचमी एकवचन) . अन्य रूप - तत्तो, ताओ, ताउ, ताहि, ताहिन्तो, ता
(पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव के अनुसार) ज (जो) (पु.) (ज+म्हा) = जम्हा (पंचमी एकवचन) अन्य रूप - जत्तो, जाओ, जाउ, जाहि, जाहिन्तो, जा
(पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव के अनुसार)
-
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-
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-
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
.
(53)
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9.
अकारान्त सर्वनाम (पु.)
पंचमी एकवचन 5/1 प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग त सर्वनाम के पंचमी विभक्ति एकवचन में विकल्प से 'ओ' प्रत्यय भी जोड़ा जाता है। जैसेत (वह) (पु.) (त+ओ) = तो (पंचमी एकवचन) । अन्य रूप - तम्हा
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-
-
-
-
10.
अकारान्त सर्वनाम (पु.)
पंचमी एकवचन 5/1 प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग क सर्वनाम के पंचमी विभक्ति एकवचन में विकल्प से 'इणो' और 'ईस' प्रत्यय भी जोड़े जाते हैं। जैसेक (कौन) (पु.) (क+इणो, ईस) = किणो, कीस (पंचमी एकवचन) अन्य रूप - कम्हा
11.
अकारान्त सर्वनाम (पु.)
तृतीया एकवचन 3/1 प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग इम, एत, क, ज और त सर्वनामों के तृतीया विभक्ति एकवचन में विकल्प से 'इणा' प्रत्यय भी जोड़ा जाता है। जैसेइम (यह) (पु.) (इम+इणा) = इमिणा (तृतीया एकवचन)
अन्य रूप - इमेण, इमेणं (पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव के अनुसार) एत (यह) (पु.) (एत+इणा) = एतिणा (तृतीया एकवचन)
अन्य रूप - एतेण, एतेणं (पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव के अनुसार) क (कौन) (पु.) (क+इणा) = किणा (तृतीया एकवचन) अन्य रूप - केण, केणं (पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव के अनुसार) ज (जो) (पु.) (ज+इणा) = जिणा (तृतीया एकवचन)
(54)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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अन्य रूप - जेण, जेणं (पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव के अनुसार) त (वह) (पु.) (त+इणा) = तिणा (तृतीया एकवचन) अन्य रूप - तेण, तेणं (पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव के अनुसार)
12.
अकारान्त सर्वनाम (पु.)
प्रथमा एकवचन 1/1 प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग एत और त सर्वनामों के प्रथमा विभक्ति एकवचन में त का स करके विकल्प से 'ओ' प्रत्यय जोड़ा जाता है और 'स' भी बना रहता है। जैसेत→स (वह) (पु.) (स+ओ) = सो (प्रथमा एकवचन)
अन्य रूप - स एत-एस (वह) (पु.) (एस+ओ) = एसो (प्रथमा एकवचन) अन्य रूप - एस
अकारान्त सर्वनाम (पु.)
प्रथमा एकवचन 1/1 13. (i) प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग इम सर्वनाम के प्रथमा विभक्ति एकवचन
में 'ओ' प्रत्यय जोड़ा जाता है। जैसे
इमं (यह) (इम+ओ) = इमो (प्रथमा एकवचन) • अन्य रूप - सभी विभक्तियों में देव के अनुसार
आकारान्त सर्वनाम (स्त्री.)
प्रथमा एकवचन 1/1 (ii) प्राकृत भाषा में आकारान्त स्त्रीलिंग इमा सर्वनाम के प्रथमा विभक्ति
एकवचन में इमा होता है।
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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इमा (यह) (इमा+0) = इमा (प्रथमा एकवचन) अन्य रूप - सभी विभक्तियों में कहा के अनुसार
अकारान्त सर्वनाम (पु.), आकारान्त सर्वनाम (स्त्री.)
. प्रथमा एकवचन 1/1 14. प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग इम व आकारान्त स्त्रीलिंग इमा सर्वनाम
के प्रथमा विभक्ति एकवचन में विकल्प से अयं (पुल्लिंग) व इमिआ (स्त्रीलिंग) होता है। अन्य रूप- इमो (पु.) (प्रथमा एकवचन)
(पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव के अनुसार) . इमा (स्त्री.) (प्रथमा एकवचन)
(स्त्रीलिंग संज्ञा शब्द कहा के अनुसार) -------------------
अकारान्त सर्वनाम (पु.)
सप्तमी एकवचन 7/1 15. (i) प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग इम सर्वनाम के सप्तमी विभक्ति एकवचन
में इम का विकल्प से अ हो जाता है और 'स्सिं प्रत्यय जोड़ा जाता है। जैसेइम-अ (यह) (पु.) (अ+स्सिं) = अस्सिं (सप्तमी एकवचन) अन्य रूप - इमस्सिं, इमम्मि
षष्ठी एकवचन 6/1 (ii) प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग इम सर्वनाम के षष्ठी विभक्ति एकवचन
में इम का विकल्प से अ हो जाता है और ‘स्स' प्रत्यय जोड़ा जाता है । जैसेइम-अ (यह) (पु.) (अ+स्स) = अस्स (षष्ठी एकवचन) अन्य रूप - इमस्स (पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव के अनुसार)
---------------------------
(56)
.
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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अकारान्त सर्वनाम (पु.)
सप्तमी एकवचन 7/1 16. प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग इम सर्वनाम के सप्तमी विभक्ति एकवचन
में इम के म का विकल्प से ह हो जाता है। इम (यह) (पु.) इह (सप्तमी एकवचन) अन्य रूप - इमस्सिं, इमम्मि
-------------------------------
अकारान्त सर्वनाम (पु.) द्वितीया एकवचन 2/1, द्वितीया बहुवचन 2/2,
तृतीया एकवचन 3/1, तृतीया बहुवचन 3/2 प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग इम सर्वनाम के द्वितीया विभक्ति एकवचन, द्वितीया विभक्ति बहुवचन, तृतीया विभक्ति एकवचन व तृतीया विभक्ति बहुवचन में विकल्प से इम का ण हो जाता है।
17.
द्वितीया एकवचन 2/1 (i) प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग इम सर्वनाम के द्वितीया विभक्ति
एकवचन में विकल्प से इम का ण हो जाता है और उसके पश्चात् 'अनुस्वार' (-) जोड़ा जाता है। जैसे
इमण (यह) (पु.) (ण+) = णं (द्वितीया एकवचन) .... 'अन्य रूप- इमं, इणं (पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव के अनुसार)
द्वितीया बहुवचन 2/2 . (ii): प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग इम सर्वनाम के द्वितीया विभक्ति
बहुवचन में विकल्प से इम का ण हो जाता है और उसके पश्चात् 'शून्य' (0) प्रत्यय जोड़ा जाता है और अन्त्य अ का आ और ए हो जाता है। जैसे
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
.
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इम-•ण (यह) (पु.) (ण+0) = णा, णे (द्वितीया बहुवचन) अन्य रूप- इमे, इमा (पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव के अनुसार)
तृतीया एकवचन 3/1 (ii) प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग इम सर्वनाम के तृतीया विभक्ति एकवचन
में विकल्प से इम का ण हो जाता है और उसके पश्चात् ‘इणा' प्रत्यय जोड़ा जाता है। जैसेइम→ण (यह) (पु.) (ण+इणा) = णिणा (तृतीया एकवचन) अन्य रूप - इमेण, इमेणं, पेण, णेणं, इमिणा
(पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव के अनुसार) - तृतीया बहुवचन 3/2 (iv) प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग इम सर्वनाम के तृतीया विभक्ति बहुवचन
में विकल्प से इम का ण हो जाता है और उसके पश्चात् 'हि', 'हिं', 'हिं' प्रत्यय जोड़े जाते हैं और अन्त्य अ का ए हो जाता है। जैसेइम→ण(यह) (पु.) (ण+हि, हिँ, हिं)=णेहि, णेहिँ, णेहिं (तृतीया बहुवचन) अन्य रूप - इमेहि, इमेहिं, इमेहिं (पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव के अनुसार)
..
अकारान्त सर्वनाम (पु.)
द्वितीया एकवचन 2/1. 18. प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग इम सर्वनाम के द्वितीया विभक्ति
एकवचन में इणं होता है। अन्य रूप - इमं
(पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव के अनुसार)
•---------------
अकारान्त सर्वनाम (नपुं.)
प्रथमा एकवचन 1/1, द्वितीया एकवचन 2/1 19. प्राकृत भाषा में अकारान्त नपुंसकलिंग इम सर्वनाम के प्रथमा विभक्ति
(58)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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एकवचन व द्वितीया विभक्ति एकवचन में क्रम से इदं, इणमो, इणं होते
-
-
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-
-
अकारान्त सर्वनाम (नपुं.) प्रथमा एकवचन 1/1, द्वितीया एकवचन 2/1 प्राकृत भाषा में अकारान्त नपुंसकलिंग क सर्वनाम के प्रथमा विभक्ति एकवचन व द्वितीया विभक्ति एकवचन में किं होता है।
20.
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-
अकारान्त सर्वनाम (पु., नपुं.), आकारान्त सर्वनाम (स्त्री.)
षष्ठी एकवचन 6/1, षष्ठी बहुवचन 6/2 21. प्राकृत भाषा में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग इम, एत, त तथा स्त्रीलिंग इमा,
एता, ता सर्वनामों के षष्ठी विभक्ति एकवचन में विकल्प से से तथा षष्ठी विभक्ति बहुवचन में विकल्प से सिं होता है। अन्य रूप - (पुल्लिंग में देव के समान, नपुंसकलिंग में कमल के समान तथा स्त्रीलिंग में कहा के समान चलेंगे जिन्हें रूपावली में देखें)
.......... अकारान्त सर्वनाम (पु., नपुं.)
पंचमी एकवचन 5/1 22. प्राकृत भाषा में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग सर्वनाम एत के पंचमी विभक्ति .... एकवचन में विकल्प से तो और ताहे प्रत्यय जोड़े जाते हैं और एत के
त का लोप हो जाता है। एत (यह) (पु., नपुं.) (एत+त्तो, ताहे) = एत्तो, एत्ताहे (पंचमी एकवचन)
अन्य रूप - एताओ, एताउ, एताहि, एताहिन्तो, एता . (पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव के अनुसार, तथा नपुंसकलिंग कमल के अनुसार)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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.. अकारान्त सर्वनाम (पु., नपुं.)
सप्तमी एकवचन 7/1 23. प्राकृत भाषा में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग सर्वनाम एत के सप्तमी विभक्ति एकवचन
में त्थ प्रत्यय जोड़ा जाता है और एत के त का लोप हो जाता है। एत (यह) (पु., नपुं.) (एत+त्थ) = एत्थ (सप्तमी एकवचन)
--------- अकारान्त सर्वनाम (पु., नपुं.)
सप्तमी एकवचन 7/1 24. प्राकृत भाषा में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग सर्वनाम एत के सप्तमी विभक्ति
एकवचन में ए का विकल्प से अ और ई होता है तथा त का लोप हो जाता है और म्मि प्रत्यय जोड़ा जाता है। एत (यह) (पु., नपुं.)(अअ+म्मि)=अअम्मि→अयम्मि (सप्तमी एकवचन)
(ईअ+म्मि) = ईअम्मि→ईयम्मि (सप्तमी एकवचन) अन्य रूप - एतम्मि, एतस्सिं, एत्थ
25.
अकारान्त सर्वनाम (पु., नपुं.)
प्रथमा एकवचन 1/1 प्राकृत भाषा में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग सर्वनाम एत के प्रथमा विभक्ति एकवचन में विकल्प से एस, इणं, इणमो होते हैं। एत (यह) (पु., नपुं.) = एस, इणं, इणमो (प्रथमा एकवचन) अन्य रूप - एसो (पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव के अनुसार)
एतं (नपुंसकलिंग संज्ञा शब्द कमल के अनुसार)
-
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-
-
-
-
अकारान्त सर्वनाम (पु.) आकारान्त सर्वनाम (स्त्री.)
प्रथमा एकवचन 1/1
(60)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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26.
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29.
प्राकृत भाषा में पुल्लिंग, स्त्रीलिंग सर्वनाम एत, एता और त, ता के प्रथमा विभक्ति एकवचन में त का स करके अकारान्त पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव के अनुसार एसो, सो तथा आकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञा शब्द कहा अनुसार एसा, सा होता है।
एत (यह) (पु.) = एसो (प्रथमा एकवचन ) सो (प्रथमा एकवचन)
त ( वह) (पु.)
=
एता (यह ) (स्त्री.) = एसा (प्रथमा एकवचन )
ता (वह ) (स्त्री.) = सा (प्रथमा एकवचन )
प्राकृत भाषा में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग तथा स्त्रीलिंग सर्वनाम अमु का प्रथमा विभक्ति एकवचन में अह होता है ।
अमु (वह) (पु., नपुं., स्त्री. ) = अह (प्रथमा एकवचन)
अन्य रूप- अमू (पुं.), अमुं (नपुं.), अमू (स्त्री.)
प्राकृत भाषा में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग तथा स्त्रीलिंग सर्वनाम अमु पुल्लिंग में साहु के अनुसार, नपुंसकलिंग में महु के अनुसार तथा स्त्रीलिंग में णु के अनुसार रूप बनेंगे।
प्राकृत भाषा में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग सर्वनाम अमु का विकल्प से अय और इय होता है और सप्तमी विभक्ति एकवचन मे म्मि प्रत्यय जोड़ा जाता है। जैसे
-
अमु अय, इय ( वह) (पु.)
-
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग - 1 )
=
(अय, इय+म्मि) = अयम्मि, इयम्मि (सप्तमी एकवचन )
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पुरुषवाचक सर्वनाम तुम्ह (तुम) (तीनों लिंगों में)
प्रथमा एकवचन 1/1 30. प्राकृत भाषा में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग तथा स्त्रीलिंग तुम्ह सर्वनाम के प्रथमा
विभक्ति एकवचन में तं, तुं, तुवं, तुह, तुमं' होते हैं। तुम्ह (तुम) (तीनों लिंग) - तं, तुं, तुवं, तुह, तुमं (प्रथमा एकवचन)
------
31.
प्रथमा बहवचन 1/2 प्राकृत भाषा में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग तथा स्त्रीलिंग तुम्ह सर्वनाम के प्रथमा विभक्ति बहुवचन में 'भे, तुब्भे, तुज्झ, तुम्ह, तुम्ह, उव्हे' होते
तुम्ह (तुम)(तीनों लिंग)-भे, तुब्भे, तुज्झ, तुम्ह, तुम्हे, उव्हे.
(प्रथमा बहुवचन) तथा तुम्हे और तुझे भी होते हैं। (हेमचन्द्र की वृत्ति के अनुसार)
32.
द्वितीया एकवचन 2/1 प्राकृत भाषा में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग तथा स्त्रीलिंग तुम्ह सर्वनाम के द्वितीया विभक्ति एकवचन में 'तं, तुं, तुवं, तुमं, तुह, तुमे, तुए' होते
तुम्ह (तुम) (तीनों लिंग)- तं, तुं, तुवं, तुम, तुह, तुमे, तुए
(द्वितीया एकवचन)
----------------
द्वितीया बहवचन 2/2 33. प्राकृत भाषा में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग तथा स्त्रीलिंग तुम्ह सर्वनाम के
द्वितीया विभक्ति बहुवचन में 'वो, तुज्झ, तुब्भे, तुय्हे, उय्हे, भे' होते
- (62)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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तुम्ह (तुम) (तीनों लिंग)- वो, तुज्झ, तुब्भे, तुम्हे, उय्हे, भे, तुम्हे, तुज्झे (द्वितीया बहुवचन) तथा तुम्हे और तुझे भी होते हैं। (हेमचन्द्र की वृत्ति के अनुसार)
तृतीया एकवचन 3/1 34. प्राकृत भाषा में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग तथा स्त्रीलिंग तुम्ह सर्वनाम के
तृतीया विभक्ति एकवचन में 'भे, दि, दे, ते, तइ, तए, तुमं, तुमइ, तुमए, तुमे, तुमाई' होते हैं। तुम्ह (तुम) (तीनों लिंग) - भे, दि, दे, ते, तइ, तए, तुमं, तुमइ, तुमए, तुमे, तुमाइ (तृतीया एकवचन)
- तृतीया बहवचन 3/2 35. प्राकृत भाषा में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग तथा स्त्रीलिंग तुम्ह सर्वनाम के
तृतीया विभक्ति बहुवचन में 'भे, तुब्भेहिं, उज्झेहि, उम्हेहिं, तुम्हेहिं, उव्हेहि' होते हैं। तुम्ह (तुम) (तीनों लिंग)- भे, तुब्भेहिं, उज्झेहि, उम्हेहिं, तुम्हेहिं,
उव्हेहिं (तृतीया बहुवचन) तथा तुम्हेहिं और तुझेहिं भी होते हैं। (हेमचन्द्र की वृत्ति के अनुसार)
-----------------
पंचमी एकवचन 5/1 36... प्राकृत भाषा में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग तथा स्त्रीलिंग तुम्ह सर्वनाम के
पंचमी विभक्ति एकवचन में 'तइ, तुव, तुम, तुह, तुब्भ तथा तुम्ह
और तुज्झ' के अन्त्य स्वर का दीर्घ करके पंचमी बोधक तो, ओ, उ, हि, हिन्तो और शून्य प्रत्यय जोड़े जाते हैं। तुम्ह (तुम) (तीनों लिंग)तइत्तो, तईओ, तईउ, तईहिन्तो
तुवत्तो, तुवाओ, तुवाउ, तुवाहि, तुवाहिन्तो, तुवा प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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तुमत्तो, तुमाओ, तुमाउ, तुमाहि, तुमाहिन्तो, तुमा तुहत्तो, तुहाओ, तुहाउ, तुहाहि, तुहाहिन्तो, तुहा तुभत्तो, तुब्भाओ, तुब्भाउ, तुब्भाहि, तुब्भाहिन्तो, तुम्मा
(पंचमी एकवचन) तथा तुम्हत्तो, तुम्हाओ, तुम्हाउ, तुम्हाहि, तुम्हाहिन्तो, तुम्हा तुज्झत्तो, तुज्झाओ, तुज्झाउ, तुज्झाहि, तुज्झाहिन्तो, तुज्झा भी होते हैं। (हेमचन्द्र की वृत्ति के अनुसार) नोट- दीर्घ स्वर के आगे यदि संयुक्त अक्षर हो तो दीर्घ स्वर का ह्रस्व हो जाता है। .
-----------------
पंचमी एकवचन 5/1 - 37. प्राकृत भाषा में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग तथा स्त्रीलिंग तुम्ह सर्वनाम के. :
पंचमी विभक्ति एकवचन में (विकल्प से) 'तुम्ह, तुब्भ, तहिन्तो' होते
-
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तुम्ह (तुम) (तीनों लिंग)- तुम्ह, तुब्भ, तहिन्तो
(पंचमी एकवचन) तथा तुम्ह और तुज्झ भी होते हैं। (हेमचन्द्र की वृत्ति के अनुसार) अतिरिक्त रूप- नियम 36 के अनुसार .
------------------------------------
पंचमी बहवचन 5/2 38. प्राकृत भाषा में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग तथा स्त्रीलिंग तुम्ह सर्वनाम के
पंचमी विभक्ति बहुवचन में 'तुब्भ, तुम्ह, उय्ह, उम्ह' करके अन्त्य स्वर का दीर्घ किया जाता है और पंचमी बोधक त्तो, ओ, उ, हि, हिन्तो
और सुन्तो प्रत्यय जोड़े जाते हैं। तुम्ह (तुम) (तीनों लिंग)तुब्भत्तो, तुब्भाओ, तुब्भाउ, तुब्भाहि, तुब्भाहिन्तो, तुब्भासुन्तो तुय्हत्तो, तुम्हाओ, तुम्हाउ, तुम्हाहि, तुम्हाहिन्तो,तुम्हासुन्तो उय्हत्तो, उयहाओ, उय्हाउ, उय्हाहि, उम्हाहिन्तो, उपहासुन्तो
(64)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
For Personal & Private Use Only
Page #78
--------------------------------------------------------------------------
________________
39.
40.
उम्हत्तो, उम्हाओ, उम्हाउ, उम्हाहि, उम्हाहिन्तो, उम्हासुन्तो
(पंचमी बहुवचन)
तथा
तुम्हत्तो, तुम्हाओ, तुम्हाउ, तुम्हाहि, तुम्हाहिन्तो, तुम्हासुन्तो तुज्झत्तो, तुज्झाओ, तुज्झाउ, तुज्झाहि, तुज्झाहिन्तो, तुज्झासुन्तो भी होते हैं। (हेमचन्द्र की वृत्ति के अनुसार)
नोट- दीर्घ स्वर के आगे यदि संयुक्त अक्षर हो तो दीर्घ स्वर का ह्रस्व हो जाता है।
षष्ठी एकवचन 6/1
प्राकृत भाषा में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग तथा स्त्रीलिंग तुम्ह सर्वनाम के षष्ठी विभक्ति एकवचन में 'तइ, तु, ते, तुम्हं, तुह, तुहं, तुव, तुम, तुमे, तुमो, तुमाइ, दि, दे, इ, ए, तुब्भ, उब्भ, उय्ह होते हैं। तुम्ह (तुम) (तीनों लिंग) -
तइ, तु, ते, तुम्हं, तुह, तुहं, तुव, तुम, तुमे, तुमो, तुमाइ, दि, दे, इ, ए, तुब्भ, उब्भ, उय्ह (षष्ठी एकवचन)
तथा
तुम्ह, तुज्झ, उम्ह, उज्झ भी होते हैं। (हेमचन्द्र की वृत्ति के अनुसार )
षष्ठी बहुवचन 6/2
प्राकृत भाषा में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग तथा स्त्रीलिंग तुम्ह सर्वनाम के षष्ठी विभक्ति बहुवचन में 'तु, वो, भे, तुब्भ, तुब्भं, तुब्भाण, तुवाण, तुमाण, तुहाण, उम्हाण' होते हैं।
तुम्ह (तुम) (तीनों लिंग) -
तु, वो, भे, तुब्भ, तुब्भं, तुब्भाण, तुवाण, तुमाण, तुहाण, उम्हाण (षष्ठी बहुवचन)
तथा
प्राकृत-हिन्दी व्याकरण ( भाग - 1 )
For Personal & Private Use Only
(65)
Page #79
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________________
.. तुम्ह, तुम्हं, तुज्झ, तुझं, तुम्हाण, तुम्हाणं, तुज्झाण, तुज्झाणं, तुब्भाणं, तुवाणं, तुमाणं, तुहाणं, उम्हाणं भी होते हैं।
(हेमचन्द्र की वृत्ति के अनुसार)
-
सप्तमी एकवचन 7/1 41. प्राकृत भाषा में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग तथा स्त्रीलिंग तुम्ह सर्वनाम के
सप्तमी विभक्ति एकवचन में 'तुमे, तुमए, तुमाइ, तड़, तए' होते हैं। .. __ तुम्ह (तुम) (तीनों लिंग) - तुमे, तुमए, तुमाइ, तइ, तए ।
सप्तमी एकवचन 7/1 42. - प्राकृत भाषा में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग तथा स्त्रीलिंग तुम्ह सर्वनाम के
सप्तमी विभक्ति एकवचन में 'तु, तुव, तुम, तुह, तुब्म' करके म्मि, स्सिं और त्थ प्रत्यय जोड़े जाते हैं। तुम्ह (तुम) (तीनों लिंग) - तुम्मि, तुस्सिं, तुत्थ
तुवम्मि, तुवस्सिं, तुवत्थ तुमम्मि, तुमस्सिं, तुमत्थ तुहम्मि, तुहस्सिं, तुहत्थ तुब्भम्मि, तुब्भस्सिं, तुब्भत्थ
(सप्तमी एकवचन) तथा तुम्ह और तुज्झ करके म्मि, स्सिं और त्थ प्रत्यय जोड़े जाते हैं।
तुम्हम्मि, तुम्हस्सिं, तुम्हत्थ तुज्झम्मि, तुज्झस्सिं, तुज्झत्थ
(हेमचन्द्र की वृत्ति के अनुसार)
(66)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
For Personal & Private Use Only
Page #80
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________________
43.
सप्तमी बहुवचन 7/2
प्राकृत भाषा में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग तथा स्त्रीलिंग तुम्ह सर्वनाम के सप्तमी विभक्ति बहुवचन में 'तु, तुव, तुम, तुह, तुब्भ' करके सु और सुं प्रत्यय जोड़े जाते हैं तथा अन्त्य अ का ए हो जाता है।
तुम्ह (तुम) (तीनों लिंग) - तुसु, तुवेसु, तुमेसु, तुहेसु, तुब्भेसु, तुवेसुं, तुमेसुं, तुहेसुं, तुब्भेसुं (सप्तमी बहुवचन)
तथा
तुम्हेसु, तुज्झेसु, तुवसु, तुमसु, तुहसु, तुब्भसु, तुम्हसु, तुज्झसु, तुब्भासु, तुम्हासु, तुज्झाासु भी होते हैं। (हेमचन्द्र की वृत्ति के अनुसार ) तुवसुं, तुमसुं, तुहसुं, तुब्भसुं, तुम्हसुं, तुज्झसुं, तुम्हेसुं, तुज्झेसुं भी होते हैं। (1/27)
प्राकृत-हिन्दी व्याकरण (भाग - 1
-1)
For Personal & Private Use Only
(67)
Page #81
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________________
44.
पुरुषवाचक सर्वनाम अम्ह (मैं) (तीनों लिंगों में)
प्रथमा एकवचन 1/1 प्राकृत भाषा में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग तथा स्त्रीलिंग अम्ह सर्वनाम के . प्रथमा विभक्ति एकवचन में 'म्मि, अम्मि, अम्हि, हं, अहं, अहयं' . . होते हैं। अम्ह (मैं) (तीनों लिंग) - म्मि, अम्मि, अम्हि, हं, अहं, अहयं
(प्रथमा एकवचन) ..
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----
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45.
प्रथमा बह्वचन 1/2 प्राकृत भाषा में पुल्लिग, नपुंसकलिंग तथा स्त्रीलिंग अम्ह सर्वनाम के प्रथमा विभक्ति बहुवचन में 'अम्ह, अम्हे, अम्हो, मो, वयं, भे' होते
अम्ह (मैं)(तीनों लिंग)-अम्ह, अम्हे, अम्हो, मो, वयं, भे
(प्रथमा बहुवचन)
-
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-
-
-
46.
द्वितीया एकवचन 2/1 . प्राकृत भाषा में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग तथा स्त्रीलिंग अम्ह सर्वनाम के द्वितीया विभक्ति एकवचन में ‘णे, णं, मि, अम्मि, अम्ह, मम्ह, मं, ममं, मिमं, अहं' होते हैं। अम्ह (मैं.) (तीनों लिंग)- णे, णं, मि, अम्मि, अम्ह, मम्ह, मं, ममं,
मिमं, अहं (द्वितीया एकवचन)
द्वितीया बहुवचन 2/2 47. प्राकृत भाषा में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग तथा स्त्रीलिंग अम्ह सर्वनाम के
द्वितीया विभक्ति बहुवचन में 'अम्हे, अम्हो, अम्ह, णे' होते हैं। अम्ह (मैं) (तीनों लिंग)- अम्हे, अम्हो, अम्ह, णे (द्वितीया बहुवचन)
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(68)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
For Personal & Private Use Only
Page #82
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तृतीया एकवचन 3/1 48. प्राकृत भाषा में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग तथा स्त्रीलिंग अम्ह सर्वनाम के तृतीया
विभक्ति एकवचन में 'मि, मे, ममं, ममए, ममाइ, मइ, मए, मयाइ, णे' होते हैं। अम्ह (मैं) (तीनों लिंग) - मि, मे, ममं, ममए, ममाइ, मइ, मए,
मयाइ, णे (तृतीया एकवचन)
तृतीया बहुवचन 3/2 49. प्राकृत भाषा में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग तथा स्त्रीलिंग अम्ह सर्वनाम के
तृतीया विभक्ति बहुवचन में 'अम्हेहि, अम्हाहि, अम्ह, अम्हे, णे' होते
अम्ह (मैं) (तीनों लिंग)- अम्हेहि, अम्हाहि, अम्ह, अम्हे, णे
(तृतीया बहुवचन)
पंचमी एकवचन 5/1 50. प्राकृत भाषा में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग तथा स्त्रीलिंग अम्ह सर्वनाम के
पंचमी विभक्ति एकवचन में 'मइ, मम, मह, मज्झ' के अन्त्य स्वर का दीर्घ करके पंचमी बोधक तो, ओ, उ, हि, हिन्तो और शून्य प्रत्यय जोड़े जाते हैं। अम्ह (मैं) (तीनों लिंग)मइत्तो, मईओ, मईउ, मईहिन्तो ममत्तो, ममाओ, ममाउ, ममाहि, ममाहिन्तो, ममा महत्तो, महाओ, महाउ, महाहि, महाहिन्तो, महा मज्झत्तो, मज्झाओ, मज्झाउ, मज्झाहि, मज्झाहिन्तो, मज्झा
(पंचमी एकवचन) नोट- दीर्घ स्वर के आगे यदि संयुक्त अक्षर हो तो दीर्घ स्वर का ह्रस्व हो जाता है।
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प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
(69)
For Personal & Private Use Only
Page #83
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51.
पंचमी बहवचन 5/2 प्राकृत भाषा में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग तथा स्त्रीलिंग अम्ह सर्वनाम के पंचमी विभक्ति बहुवचन में 'मम और अम्ह' करके पंचमी बोधक तो, ओ, उ, हि, हिन्तो और सुन्तो प्रत्यय जोड़े जाते हैं। अम्ह (मैं) (तीनों लिंग)- ममत्तो, ममाओ, ममाउ, ममाहि, ममाहिन्तो, ममासुन्तो अम्हत्तो, अम्हाओ, अम्हाउ, अम्हाहि, अम्हाहिन्तो, अम्हासुन्तो -
(पंचमी बहुवचन) तथा ममेहि, ममेहिन्तो, ममेसुन्तो, अम्हेहि, अम्हेहिन्तो, अम्हेसुन्तो भी होते हैं। (हेमचन्द्र की वृत्ति के अनुसार) नोट- दीर्घ स्वर के आगे यदि संयुक्त अक्षर हो तो दीर्घ स्वर का ह्रस्व हो जाता है।
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षष्ठी एकवचन 6/1 52. प्राकृत भाषा में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग तथा स्त्रीलिंग अम्ह सर्वनाम के षष्ठी
विभक्ति एकवचन में 'मे, मइ, मम, मह, महं, मज्झ, मज्झं, अम्ह, अम्हं होते हैं। अम्ह (मैं) (तीनों लिंग) - मे, मइ, मम, मह, महं, मज्झ, मज्झं, अम्ह, अहं (षष्ठी एकवचन)
षष्ठी बहुवचन 6/2 53. प्राकृत भाषा में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग तथा स्त्रीलिंग अम्ह सर्वनाम के षष्ठी
विभक्ति बहुवचन में ‘णे, णो, मज्झ, अम्ह, अम्हं, अम्हे, अम्हो, अम्हाण, ममाण, महाण, मज्झाण' होते हैं। अम्ह (मैं) (तीनों लिंग) - णे, णो, मज्झ, अम्ह, अम्हं, अम्हे, अम्हो, अम्हाण, ममाण, महाण, मज्झाण (षष्ठी बहुवचन)
तथा
अम्हाणं, ममाणं, महाणं, और मज्झाणं भी होते हैं।
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(70)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
For Personal & Private Use Only
Page #84
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सप्तमी एकवचन 7/1 54. प्राकृत भाषा में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग तथा स्त्रीलिंग अम्ह सर्वनाम के सप्तमी
विभक्ति एकवचन में 'मि, मइ, ममाइ, मए, में होते हैं। अम्ह (मैं) (तीनों लिंग) - मि, मइ, ममाइ, मए, मे (सप्तमी एकवचन)
55.
सप्तमी एकवचन 7/1 प्राकृत भाषा में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग तथा स्त्रीलिंग अम्ह सर्वनाम के सप्तमी विभक्ति एकवचन में 'अम्ह, मम, मह, मज्झ' करके म्मि प्रत्यय भी जोड़ा जाता है। अम्ह (मैं) (तीनों लिंग) - अम्हम्मि, ममम्मि, महम्मि, मज्झम्मि
(सप्तमी एकवचन) तथा अम्हे, ममे, महे, मझे, अम्हस्सिं, अम्हत्थ, ममस्सि, ममत्थ, महस्सि, महत्थ, मज्झस्सि, मज्झत्थ भी होते हैं।
(पिशल, प्राकृत भाषाओं का व्याकरण, पृष्ठ-610)
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सप्तमी बहुवचन 7/2 56.. प्राकृत भाषा में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग तथा स्त्रीलिंग अम्ह सर्वनाम के
सप्तमी विभक्ति बहुवचन में 'अम्ह, मम, मह, मज्झ' करके सप्तमी बोधक सु और सुं प्रत्यय जोड़े जाते हैं तथा अन्त्य अ का ए हो जाता है। अम्ह (मैं) (तीनों लिंग) - अम्हेसु, ममेसु, महेसु, मज्झेसु, अम्हेसुं, ममेसुं, महेसुं, मज्झेसुं (सप्तमी बहुवचन) तथा अम्हसु, ममसु, महसु, मज्झसु, अम्हासु भी होते हैं।
(हेमचन्द्र की वृत्ति के अनुसार) अम्हसुं, ममसुं, महसुं, मज्झसुं, अम्हासुं भी होते हैं। (1/27)
000
(71)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
For Personal & Private Use Only
Page #85
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________________
परिशिष्ट-1
संज्ञा-शब्दरूप
यहाँ निम्नलिखित संज्ञा शब्दों की रूपावली दी जा रही है।
पुल्लिंग शब्द- देव, हरि, गामणी, साहु, सयंभू
नपुंसकलिंग शब्द- कमल, वारि, महु
स्त्रीलिंग शब्द- कहा, मइ, लच्छी, धेणु, बहू
नोटः अगले पृष्ठों में संज्ञा शब्दों की रूपावली दी जा रही है। प्राकृत भाषा, शौरसेनी भाषा, मागधी भाषा तथा पैशाची भाषा के संज्ञा तथा सर्वनाम शब्दों की रूपावली आचार्य हेमचन्द्र रचित प्राकृत व्याकरण से तथा अर्धमागधी भाषा के संज्ञा शब्दों की रूपावली रिचार्ड पिशल द्वारा रचित प्राकृत भाषाओं के व्याकरण से ली गई है। शौरसेनी, मागधी तथा पैशाची भाषाओं के कुछ विभक्तियों के रूप जो आचार्य हेमचन्द्र ने नहीं दिये थे वे रिचार्ड पिशल द्वारा रचित प्राकृत भाषाओं के व्याकरण से भी लिये गये हैं।
प्राकृत भाषाओं का व्याकरण-रिचार्ड पिशल पृष्ठ संख्या 1. अकारान्त पुल्लिंग व नपुंसकलिंग संज्ञा शब्द 515,516 2. आकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञा शब्द
538
(72)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
For Personal & Private Use Only
Page #86
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________________
3. इ-ईकारान्त व उ-ऊकारान्त पुल्लिंग व नपुंसकलिंग संज्ञा शब्द
544-546
4. इ-ईकारान्त व उ-ऊकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञा शब्द
557-563
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
(73)
For Personal & Private Use Only
Page #87
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभक्ति प्राकृत
भाषा
देवो
द्वितीया देवं
तृतीया देवेण
| देवेणं
प्रथमा
चतुर्थी देवाय, देवाअ
देवस्स
पंचमी देवत्तो
देवाओ
देवाउ
देवाहि
देवाहिन्तो
देवा
षष्ठी देवस्स
सप्तमी देवे
(74)
देवम्मि
सम्बोधन हे देव
हे देवा
हे देवो
अकारान्त पुल्लिंग -देव (देव)
एकवचन
शौरसेनी
भाषा
देवो
देवं
देवेण
देवाय
देवादो
देवादु
देवस्स
देवे, देवम्मि देवम्हि
हे देव
हे देवा
हे देवो
मागधी
भाषा
देवे
देवं
देवेण
देवाअ
देवादो
देवादु
देवे देवाहिं
पैशाची
भाषा
हे देव हे देवे
| देवो
| देवं
| देवेण
देवाय
देवश्श देवस्स
देवाह
देवातो
देवातु
| देवे
हे देव
हे देवा
हे देवो
अर्धमागधी
भाषा
For Personal & Private Use Only
| देवे, देवो
देव, देवे
| देवेण
"देवेणं
देवाए
| देवाय
देवाओ
| देवाउ
| देवा
| देवस्स
| देवे, देवम्मि
देवंमि
देवंसि
| हे देव
हे देवा
हे देवो
प्राकृत-हिन्दी व्याकरण ( भाग - 1 )
Page #88
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________________
अकारान्त पुल्लिंग-देव (देव)
बहुवचन
विभक्ति प्राकृत
|भाषा
शौरसेनी भाषा
मागधी भाषा
पैशाची भाषा
| अर्धमागधी | भाषा
प्रथमा
देवा
देवा, देवाओ
द्वितीया देवा, देवे
देवे
देवा, देवे
___
तृतीया |देवेहि, देवेहि,
देवेहिं
देवेहि, देवेहि, | देवेहिँ
देवेहि
चतुर्थी
| देवाण
देवाणं
देवाण देवाणं
| देवाण देवाणं
देवाणं
देवाण देवाणं
देवत्तो देवादो
| देवत्तो देवादो
देवेहिं देवेहिन्तो
देवादु
देवत्तो देवादो देवादु देवाहि देवाहिन्तो
देवादु देवाहि
पंचमी देवत्तो
देवाओ देवाउ देवाहि देवाहिन्तो देवासुन्तो देवेहि देवेहिन्तो देवेसुन्तो
देवाहि
देवाहिन्तो देवासुन्तो
| देवासुन्तो
देवाहिन्तो देवासुन्तो देवेहि देवेहिन्तो देवेसुन्तो
देवेहि
देवेहि देवेहिन्तो देवेसुन्तो
देवेहिन्तो |देवेसुन्तो
षष्ठी । देवाण
देवाण देवाणं
| देवाण
देवाणं देवाह
देवाण देवाणं
देवाणं
देवेसु
न
देवेसुं
सम्बोधन हे देवा
हे देवा
हे देवा हे देवा हे देवाहो|
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
(75)
For Personal & Private Use Only
Page #89
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________________
इकारान्त पुल्लिंग-हरि (हरि)
एकवचन
विभक्ति प्राकृत
शौरसेनी भाषा
मागधी
पैशाची भाषा
अर्धमागधी
भाषा
भाषा
प्रथमा हरी
हरी
हली
द्वितीया हरि
हरि
हलिं हरि
हरि
तृतीया हरिणा
हरिणा
हलिणा
हरिणा
हरिणा
हरिणो
हलिणो
हरिणो
चतुर्थी हरिणो व षष्ठी हरिस्स
, हरिणो
| हरिस्स
हरिणो
पंचमी हरिणो
हरित्तो हरीओ
हरित्तो हरीओ हरीउ हरीहिन्तो
हरीउ
हरीहिन्तो
सप्तमी हरिम्मि
हरिम्मिलिम्मि हरिम्मि , हरिम्मि
हरिमि हरिसि
R
to
to
हे हरि
ह
सम्बोधन | हे हरि
हे हरी
हे हरिहे हे हरी
हर
हलि हे हली
the
M
ne
.
(76)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
For Personal & Private Use Only
Page #90
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________________
इकारान्त पुल्लिंग-हरि (हरि)
बहुवचन
विभक्ति प्राकृत
भाषा
शौरसेनी भाषा
मागधी भाषा
पैशाची
अर्धमागधी भाषा
भाषा
प्रथमा
हरिणो
हरिणो हरओ
हलिणो हलओ
हरओ
हरओ
हरओ
हारणा
हारणो
ही
हरीओ हरिणो
द्वितीया
हलिणो
हली
हरी
हरओ
तृतीया
हलीहिं
हरीहि
हराहि
चतुर्थी हरीण व षष्ठी हरीणं
हरीणंहलीणं हरीणं
हरित्तो
हरीदो
पंचमी हरित्तो
हरीओ हरीउ हरीहिन्तो हरीसुन्तो
हरीदु हरीहिन्तो हरीसुन्तो
हलित्तो हरित्तो हलीदो हरीदो हलीदु हरीदु हलीहिन्तो हरीहिन्तो हलीसुन्तो हरीसुन्तो
हरित्तो हरीओ हरीउ हरीहिन्तो हरीसुन्तो
सप्तमी
हरीसु . . हरीसु
हरीसु
हरीसु
हलीसु हलीसुं
हरीसु हरीसुं
|
हरीसुं
हरीसुं
हे हरउ
सम्बोधन हे हरउ
हे हरओ हे हरिणो हे हरी
हे हरओ हे हरिणो
हे हलउ हे हरउ हे हलओ हे हरओ हे हलिणो हे हली हे हरी
हे हरिणो
हे हरओ हे हरिणो हे हरी
हे हरी
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
(77)
For Personal & Private Use Only
Page #91
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________________
ईकारान्त पुल्लिंग-गामणी (गाँव का मुखिया)
एकवचन
.
विभक्ति प्राकृत
भाषा
शौरसेनी भाषा
मागधी भाषा
पैशाची भाषा
अर्धमागधी
भाषा
प्रथमा गामणी
गामणी
गामणी
गामणी
गामणी
द्वितीया गामणिं
गामणिं
गामणि
गामणिं
गामणिं
तृतीया गामणिणागामणिणा
गामणिणा गामणिणा
गामणिणा
गामणिणो
गामणिणो गामणिणो
चतुर्थी गामणिणो व षष्ठी गामणिस्स
गामणिणो |गामणिस्स
पंच
गामणित्तो गामणीओ गामणीउ गामणीहिन्तो
गामणीदो गामणीदो गामणीदो गामणिणो गामणीदु गामणीदु गामणींदु |गामणित्तो
गामणीओ गामणीउ गामणीहिन्तो
सप्तमी गामणिम्मि
गामणिम्मि गामणिम्मि गामणिम्मि गामणिम्हि हे गामणि हे गामणि हे गामणि
गामणिम्मि गामणिमि गामणिसि
सम्बोधन हे गामणि
हे गामणि
(78)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
For Personal & Private Use Only
Page #92
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ईकारान्त पुल्लिंग-गामणी (गाँव का मुखिया)
बहुवचन
विभक्ति
प्राकृत भाषा
मागधी भाषा
पैशाची भाषा
अर्धमागधी भाषा
भाषा
प्रथमा
गामणिणो गामणओ
गामणिणो गामणिणो गामणओ गामणओ
|गामणउ गामणओ गामणिणो गामणी
द्वितीया |गामणिणो
गामणी
गामणिणो गामणी
गामणिणो गामणिणो गामणी गामणी
गामणउ गामणओ गामणिणो गामणी गामणीओ गामणिणो गामणी गामणओ गामणीहि गामणीहिं गामणीहिँ
तृतीया गामणीहि
गामणीहिं
गामणीहिं
गामणीहिं
गामणीहिं गामणीहिँ
गामणीणं
गामणीणं
गामणीणं
चतुर्थी गामणीण व षष्ठी गामणीणं
| गामणीण गामणीणं
पंचमी गामणित्तो
गामणीओ गामणीउ गामणीहिन्तो गामणीसुन्तो
गामणित्तो गामणित्तो गामणित्तो । | गामणित्तो गामणीदो गामणीदो गामणीदो गामणीओ |गामणीदु गामणीदु गामणीदु गामणीउ गामणीहिन्तो गामणीहिन्तो | गामणीहिन्तो गामणीहिन्तो गामणीसुन्तो गामणीसुन्तो | गामणीसुन्तो | गामणीसुन्तो
सप्तमी गामणीसु | गामणीसुं
गामणीसुगामणीसु गामणीसु गामणीसुं गामणीसुंगामणीसुं
गामणीसु गामणीसुं
सम्बोधन हे गामणउ
हे गामणओ हे गामणिणो हे गामणी
| हे गामणउ हे गामणओ हे गामणिणो हे गामणी
हे गामणउ हे गामणउ हे गामणओ |हे गामणओ हे गामणिणो | हे गामणिणो हे गामणी हे गामणी
हे गामणउ हे गामणओ हे गामणिणो | हे गामणी
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
(79)
For Personal & Private Use Only
Page #93
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभक्ति प्राकृत
भाषा
प्रथमा साहू
द्वितीया साहु
तृतीया साहुणा
चतुर्थी साहुणो व षष्ठी साहुस्स
पंचमी साहुणो
साहुत्तो
साहूओ
| साहूउ
साहूहिन्तो
सप्तमी साहुम्मि
सम्बोधन हे साहु
हे साहू
(80)
उकारान्त पुल्लिंग - साहु ( साधू )
एकवचन
शौरसेनी
भाषा
साहू
साहु
साहुणा
साहुणो
साहूदो
साहूदु
साहुम्मि साहुम्हि
हे साहु
हे साहू
मागधी
भाषा
साहू
साहुं
साहु साहुश्श
| साहुणा साहुणा
साहुम्मि
पैशाची
भाषा
हे साहु
साहू
हे साहू
साहुं
साहूदो साहूदो
साहूदु
साहूदु
साहुणो
साहुम्मि
हे साहु
हे साहू
.
For Personal & Private Use Only
अर्धमागधी
भाषा
साहू
साहुं
| साहुणा
साहुण
साहुस्स
साहुणो
साहुत्तो
साहूओ
साहूउ
साहूहिन्तो
साहुम्मि
साहुमि
साहुसि
हे साहु
हे साहू
प्राकृत-हिन्दी व्याकरण (भाग - 1 )
Page #94
--------------------------------------------------------------------------
________________
उकारान्त पुल्लिंग-साहु (साधू)
बहुवचन
विभक्ति प्राकृत
भाषा
शौरसेनी भाषा
मागधी . पैशाची भाषा भाषा
अर्धमागधी भाषा
प्रथमा
साहउ, साहओ, साहुणो साहुणो साहओ
साहुणो साहओ
साहुणो
साहओ
साहउ, साहओ, साहुणो | साहवो
साहवो
साहू
साहू
द्वितीया |साहुणो
साहू
साहुणो साहू
साहुणो साहू
साहुणो साहू
साहूओ | साहुणो | साहू
साहवो
तृतीया साहूहि
साहूहिं
साहूहिं
।
साहूहिं
साहूहि .
| साहूहि साहूहिं साहूहिँ
.
साहहिँ
चतुर्थी साहूण व षष्ठी साहूणं
साहूणं
साहूणं
साहूणं
| साहूण साहूणं
साहुत्तो
साहुत्तो
साहुत्तो
साहूदो
पंचमी साहुत्तो
साहूओ साहूउ साहूहिन्तो साहसुन्तो .
साहुत्तो साहूओ साहूउ साहूहिन्तो
साहूदो साहूदो साहूदु साहूदु साहूहिन्तो
| साहूहिन्तो साहसुन्तो साहसुन्तो
साहूदु साहूहिन्तो साहसुन्तो
साहूसुन्तो
सप्तमी
साहूसु साहसु
साहूसु साहूसुं
साहूसु साहूसुं
|साहूसु . साहूसु
साहूहिं साहूसु साहूसु
हे साहवो
सम्बोधन हे साहउ
हे साहओ हे साहुणो हे साहवो हे साहू
हे साहउ हे साहओ हे साहुणो हे साहवो हे साहू
हे साहउ हे साहउ हे साहओ हे साहओ हे साहुणो हे साहुणो हे साहवो हे साहवो हे साहू हे साहू
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
(81)
For Personal & Private Use Only
Page #95
--------------------------------------------------------------------------
________________
ऊकारान्त पुल्लिंग-सयंभू (सर्वज्ञ) ।
एकवचन
विभक्ति
प्राकृत .. भाषा
शौरसेनी भाषा
मागधी पैशाची भाषा भाषा
अर्धमागधी | भाषा
प्रथमा
सयंभू.
सयंभू
सयंभू
सयंभू
सयंभू
द्वितीया |सयंभुसभुसभु
सयंभु
सयं,
तृतीया |सयंभुणा
सयंभुणा
सयंभुणा
सयंभुणा
सयंभुणा
सयंभुणो
सयंभुणो
चतुर्थी सयंभुणो व षष्ठी सयंभुस्स
सयंभुणो सयंभुश्श
| सयंभुस्स
सयंभूदो
सयंभूदो सयंभूदो सयंभूदु सयंभूदु
पंचमी सयंभुणो
सयंभुत्तो सयंभूओ सयंभूउ सयंभूहिन्तो
सयंभुणो सयंभुत्तो सयंभूओ सयंभूउ |सयंभूहिन्तो
सप्तमी | सयंभुम्मि
सयंभुम्मि सयंभुम्मि
सयंभुम्मि सयंभुम्हि
सयंभुम्मि सयंभुमि सयंभुसि
सम्बोधन हे सयंभु
हे सयंभु
हे सयंभु
हे सयंभु
हे सयंभु
(82)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
For Personal & Private Use Only
Page #96
--------------------------------------------------------------------------
________________
ऊकारान्त पुल्लिंग-सयंभू (सर्वज्ञ)
बहुवचन
विभक्ति प्राकृत
भाषा
पैशाची
अर्धमागधी
शौरसेनी भाषा
मागधी भाषा
भाषा
भाषा
प्रथमा
सयंभउ, सयंभओ सयंभुणो सयंभुणो, सयंभवो सयंभओ सयंभू
सयंभउ,सयंभओ
सयंभुणो सयंभओ
सयंभुणो सयंभओ
सयंभुणो.
सयंभवो, सयंभू
सयंभुणो
द्वितीया सयंभुणो
सयंभू
सयंभुणो सयंभू
सयंभुणो सयंभू
सयंभुणो सयंभू
सयंभू
सयंभूहिं
| सयंभूहिं
तृतीया सयंभूहि
सयंभूहिं
सयंभूहिँ चतुर्थी सयंभूण व षष्ठी सयंभूणं
सयंभवो सयंभूहि सयंभूहिं |सयंभूहिँ | सयंभूण | सयंभूणं
सयंभूणं
सयंभूणं
सयंभूणं
पंचमी
सयंभुत्तो सयंभूओ सयंभूउ सयंभूहिन्तो सयंभूसुन्तो
सयंभूदो सयंभूदु
सयंभुत्तो |
| सयंभुत्तो सयंभूदो |सयंभूदो सयंभूद सयंभूद सयंभूहिन्तो |सयंभूहिन्तो सयंभूसुन्तो |सयंभूसुन्तो.
|सयंभुत्तो | सयंभूओ | सयंभूउ | सयंभूहिन्तो
सयंभूसुन्तो सयंभूहिं
सयंभूसुन्तो
सप्तमी
सयंभूसु सयंभूसुं
सयंभूसुस यंभूसु सयंभूसुं स यंभूसुं
सयंभूसु सयंभूसुं
सयंभूसु | सयंभूसुं
हे सयंभवो
सम्बोधन हे सयंभउ
हे सयंभओ हे सयंभुणो हे सयंभवो हे सयंभू
हे सयंभउ हे सयंभओ हे सयंभुणो हे सयंभवो हे सयंभू
हे सयंभउ हे सयंभउ हे सयंभओ हे सयंभओ हे सयंभुणो हे सयंभुणो हे सयंभवो हे सयंभवो हे सयंभू हे सयंभू
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
(83)
For Personal & Private Use Only
Page #97
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________________
अकारान्त नपुंसकलिंग-कमल (कमल का फूल) .
.
एकवचन
विभक्ति प्राकृत
शौरसेनी
मागधी
पशानी
अर्धमागधी
भाषा
भाषा
भाषा
भाषा
भाषा
प्रथमा
कमलं
.
कमलं
कमलं
काल
कमलं
द्वितीया कमलं
कमलं
कमलं
कमलं
कमलं. . .
|
तृतीया
कमलेण कमलेणं
कमलेण
कमलेण
कमलेण
कमलेण
कमलेणं
कमलाय
कमलाअ
कमलाय
चतुर्थी कमलाय
कमलस्स पंचमी कमलत्तो
कमलाओ कमलाउ कमलाहि कमलाहिन्तो कमला
कमलादो कमलादो कमलातो कमलादु कमलादु कमलातु
कमलाए कमलाय कमलाओ कमलाउ कमला
कमलस्स
कमलस्स
सप्तमी
कमले कमलम्मि
कमलस्स कमलश्श कमलस्स
कमलाह कमले कमले कमले कमलम्हि कमलाहिं
कमले,कमलम्मि कमलंमि कमलंसि
सम्बोधन हे कमल
हे कमल
हे कमल
हे कमल
हे कमल
(84)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
For Personal & Private Use Only
Page #98
--------------------------------------------------------------------------
________________
अकारान्त नपुंसकलिंग-कमल (कमल का फूल)
बहुवचन
शौरसेनी
मागधी
विभक्ति प्राकृत
भाषा
अर्धमागधी
पैशाची भाषा
भाषा
भाषा
भाषा
प्रथमा
कमलाइँ
कमलाइँ
कमलाई
कमलाई कमलाई
कमलाणि
कमलाई
कमलाई
कमलाई
द्वितीया कमलाई
कमलाई
कमलाणि तृतीया कमलेहि
| कमलाई,कमला' | कमलाणि, कमला कमलाई,कमलाइँ कमलाणि, कमला कमलेहि
कमलेहिं
कमलेहिं
कमलेहि
कमलेहिं
| कमलेहि
चतुर्थी
कमलाण
कमलेहिँ कमलाण कमलाणं कमलेहिं कमलेहिन्तो
कमलाण कमलाणं कमलत्तो कमलादो
पंचमी
कमलत्तो
कमलादु
कमलेहिँ कमलाण कमलाणं कमलत्तो कमलाओ कमलाउ कमलाहि कमलाहिन्तो कमलासुन्तो कमलेहि कमलेहिन्तो कमलेसुन्तो कमलाण कमलाणं कमलेसु कमलेसुं
कमलाहि कमलाहिन्तो कमलासुन्तो कमलेहि कमलेहिन्तो कमलेसुन्तो कमलाण कमलाणं कमलेसु कमलेसुं
कमलाण कमलाणं कमलाणं कमलत्तो कमलादो कमलादो कमलादु | कमलादु कमलाहि कमलाहि कमलाहिन्तो | कमलाहिन्तो कमलासुन्तो | कमलासुन्तो कमलेहि · कमलेहि कमलेहिन्तो | कमलेहिन्तो कमलेसुन्तो | कमलेसुन्तो कमलाण | कमलाण कमलाहँ कमलाणं कमलेसु कमलेसु कमलेसुं कमलेसुं
षष्ठी
सप्तमी
कमलाण कमलाणं कमलेसु | कमलेसुं
हे कमलाइँ
हे कमलाइँ |हे कमलाइँ
सम्बोधन हे कमलाई,
हे कमलाई हे कमलाणि
| हे कमलाई, हे कमलाई हे कमलाणि हे कमला
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
(85)
For Personal & Private Use Only
Page #99
--------------------------------------------------------------------------
________________
इकारान्त नपुंसकलिंग-वारि (जल)
एकवचन
विभक्ति प्राकृत
भाषा
शौरसेनी भाषा
मागधी
पैशाची भाषा
अर्धमागधी
भाषा
भाषा
प्रथमा वारंवार
वारिं
वालिं वालि
द्वितीया वारिं
वारि
वालि
-
वारि
तृतीया |वारिणा
वारिणा
वालिणा वारिणा
वारिणा
वारिणो
वारिणो
वारिणो
चतुर्थी वारिणो व षष्ठी वारिस्स
वारिणो वारिस्स
वालिश्श
वारिणो
वारीदो वालीदो |वारीदो वारीदु वालीदु वारीदु
वारित्तो
पंचमी वारिणो
वारित्तो वारीओ वारीउ वारीहिन्तो
वारीओ
वारीउ
वारीहिन्तो
सप्तमी वारिम्मि
वारिम्मिवालिम्मि वारिम्मि वारिम्हि
वारिम्मि वारिंमि वारिंसि
सम्बोधन हे वारि
हे वारि
वालि
हे वारि
हे वारि
(86)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
For Personal & Private Use Only
Page #100
--------------------------------------------------------------------------
________________
इकारान्त नपुंसकलिंग-वारि (जल)
बहुवचन
विभक्ति प्राकृत
शौरसेनी भाषा
मागधी भाषा
पैशाची भाषा
| अर्धमागधी भाषा
भाषा
प्रथमा
वारी
वारीइं वारी. वारीणि
वारी
वाली वाली. वालीणि
वारी वारी वारीणि
वारीइं वारीइँ वारीणि वारी
वारीणि
द्वितीया वारी
वारी वारीणि
वारी
वारीइँ ___ . वारीणि
वालीई वाली. वालीणि
वारी वारी. वारीणि
वारीइं वारी
वारीणि वारी वारीहि
तृतीया वारीहि
वारीहिं
वालीहिं
वारीहिं
वारीहिं
.
वारीहिं
वारीहिँ
वारीहिँ
वारीणं
वालीणं
वारीणं
चतुर्थी वारीण व षष्ठी वारीणं
वारीण वारीणं
पंचमी वारित्तो
वारीओ वारीउ वारीहिन्तो वारीसुन्तो
वारित्तो वारीदो वारीदु वारीहिन्तो वारीसुन्तो
वालित्तो वारित्तो वालीदो वारीदो वालीदु वारीदु वालीहिन्तो वारीहिन्तो वालीसुन्तो वारीसुन्तो
वारित्तो वारीओ वारीउ वारीहिन्तो वारीसुन्तो
सप्तमी वारीसवारीस | · · वारीसुंवारीसुं
वालीसु वारीसु वालीसुं । वारीसुं
वारीसु वारीसुं
सम्बोधन हे वारीइंहे वारीइं
हे वारी. हे वारी' हे वारीणि हे वारीणि
हे वालीइं हे वारीइं . हे वाली. हे वारी हे वालीणि हे वारीणि
| हे वारी हे वारी. हे वारीणि हे वारी
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
(87)
For Personal & Private Use Only
Page #101
--------------------------------------------------------------------------
________________
उकारान्त नपुंसकलिंग-महु (मधु) ।
एकवचन
विभक्ति प्राकृत
शौरसेनी भाषा
मागधी पैशाची भाषा भाषा
अर्धमागधी भाषा
भाषा
|
प्रथमा
महुं .
Wi.
द्वितीया
i.
___eci..
तृतीया | महुणा
महुणा
महुणा
महुणा
महुणो
चतुर्थी महुणो व षष्ठी महुस्स
| महुणो महुश्श
महुणो
पंचमी महुणो
महुत्तो महूओ महूउ महहिन्तो
महूओ महउ महूहिन्तो
सप्तमी महुम्मि
महुम्मिमहुम्मि महुम्मि
महुम्हि
सम्बोधन हे महु
(88)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
For Personal & Private Use Only
Page #102
--------------------------------------------------------------------------
________________
उकारान्त नपुंसकलिंग-महु (मधु)
बहुवचन
पैशाची
विभक्ति प्राकृत
|भाषा
शौरसेनी भाषा
अर्धमागधी
मागधी भाषा
भाषा
भाषा
प्रथमा
a al
talilail.
Atalalitalia.
द्वितीया
alia
तृतीया
a
चतुर्थी | व षष्ठी
महणं
महणं
पंचमी महुणो
महुणो
महुणो महत्तो महूदो
महत्तो
महत्तो महूदो
महूओ
महओ
महूदु.
महूदु.
महूहिन्तो महसुन्तो
महूहिन्तो
महहिन्तो महसुन्तो
महहिन्तो महसुन्तो
महूहिन्तो महसुन्तो
महसुन्तो
महूहिँ
महसु
सप्तमी · महसु
महसु
महसु महसु
महसु
महसु महसुं
हे महूई
सम्बोधन हे महूई
हे महूई हे महूणि
हे महूई हे महूई हे महूणि
हे महूई
to the ho
pe
E
हे महूणि
the
the
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
(89)
For Personal & Private Use Only
Page #103
--------------------------------------------------------------------------
________________
आकारान्त स्त्रीलिंग-कहा (कथा)
एकवचन
विभक्ति प्राकृत
पासनी
मागधी
पैशाची भाषा
अर्धमागधी
भाषा
भाषा
भाषा
भाषा
प्रथमा
कहा
कहा
कहा
कहा
कहा
द्वितीया | कहं
श्री.
कहाए
कहाए
कहाए ।
कहाए
तृतीया कहाअ
कहाइ कहाए
चतुर्थी कहाअ, कहाइ व षष्ठी कहाए
कहाए
कहाए
कहाए,
कहाए
कहादो
कहादो कहा कहाए
कहा
कहाए ।
कहाअ, कहाइ कहाए कहत्तो कहाओ कहाउ कहाहिन्तो
कहाअ कहाइ कहत्तो कहाओ कहाउ कहाहिन्तो
सप्तमी
कहाए
कहाए
कहाए
कहाए
कहाअ, कहाइ कहाए
हे कहा
हे कहा
सम्बोधन हे कहा
हे कहे
हे कहा
हे कहा हे कहे
(90)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
For Personal & Private Use Only
Page #104
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________________
आकारान्त स्त्रीलिंग-कहा (कथा)
बहुवचन
विभक्ति प्राकृत
भाषा
शौरसेनी
मा
| पैशाची भाषा
अर्धमागधी भाषा
भाषा
भाषा
प्रथमा
कहा
कहा
कहा
कहाओ
कहा कहाओ
कहाओ
कहाओ
कहाओ
कहाउ
कहाउ
द्वितीया | कहा
कहा कहाओ
कहा कहाओ
कहा कहाओ
कहाओ
कहाओ
कहाउ
कहाउ
तृतीया | कहाहि
कहाहिं
कहाहिं
कहाहिं
कहाहि
कहाहिं कहाहिँ
कहाहिँ
चतुर्थी कहाण व षष्ठी कहाणं
कहाणं
कहाणं
कहाणं
कहाण कहाणं
पंचमी कहत्तो
कहाओ
कहत्तो कहादो कहादु कहाहिन्तो कहासुन्तो
कहाउ
कहत्तो कहादो कहादु कहाहिन्तो कहासुन्तो
कहत्तो कहादो कहादु कहाहिन्तो कहासुन्तो
कहत्तो कहाओ कहाउ कहाहिन्तो
कहाहिन्तो
कहासुन्तो
कहासुन्तो
कहासु
सप्तमी कहासु
कहासुं
कहासु कहासुं
कहासु कहासु
कहासु कहासु
कहासु
सम्बोधन हे कहा
हे कहाओ हे कहाउ
हे कहा हे कहाओ
हे कहा | हे कहा हे कहाओ हे कहाओ
हे कहा हे कहाओ हे कहाउ
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
(91)
For Personal & Private Use Only
Page #105
--------------------------------------------------------------------------
________________
इकारान्त स्त्रीलिंग-मइ (मति)
एकवचन
विभक्ति प्राकृत
शौरसेनी
मागधी भाषा
पैशाची
|अर्धमागधी भाषा
भाषा
भाषा
प्रथमा
मई
मई
मई
मई
द्वितीया |मई
मईमई
मई
मई..
तृतीया |मईअ, मईआ
मईइ, मईए
मईअ, मईआ मईअ,मईआ मईअ, मईआ |मईअ, मईआ मईइ, मईएमईइ, मईए मईइ, मईएमईइ, मईए
चतुर्थी मईअ, मईआ व षष्ठी मईइ, मईए
मईअ, मईआ मईअ,मईआ | मईअ,मईआ, | मईअ, मईआ मईइ, मईएमईइ, मईए मईइ, मईए मईइ, मईए
पंचमी
मईदो
मईदो मईदु
मईदो
म ईदु
मईदु
| मईअ, मईआ
मईइ, मईए | मइतो
मईअ, मईआ मईइ, मईए मइत्तो मईओ मईउ मईहिन्तो
मईओ
मई मईहिन्तो
सप्तमी
मईअ, मईआ मईइ, मईए
मईअ, मईआ मईअ,मईआ | मईअ,मईआ म ईइ, मईएमईइ, मईए मईइ, मईए
मईअ, मईआ मईइ, मईए
सम्बोधन हे मइ
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the
हे मइ
हे मई
| हे मइहे हे मई
म
1010
मइ हे मई
the
ne
(92)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
For Personal & Private Use Only
Page #106
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________________
विभक्ति प्राकृत
भाषा
प्रथमा
मई
मईओ
मईउ
द्वितीया मई
मईओ
मईउ
तृतीया मईहि
मईहिं
मईहिँ
चतुर्थी मईण व षष्ठी मईणं
पंचमी मइत्तो
मईओ
मईउ
मईहिन्तो
मईसुन्तो
सप्तमी मईसु
मईसुं
✔
सम्बोधन हे मई हे मईओ
हे. मईउ
इकारान्त स्त्रीलिंग - मइ (मति )
बहुवचन
शौरसेनी
भाषा
मई
मईओ
मई
मईओ
मईहिं
मईणं
मइत्तो
मईदो
मईदु
मईहिन्तो
मईसुन्तो
मईसु
मईसुं
हे मई
हे मईओ
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग - 1)
मागधी
भाषा
मई
मईओ
मई
मईओ
मईहिं
मईणं
मइत्तो
मईदो
मईदु
मईहिन्तो
मईसुन्तो
मईसु
मईसुं
हे मई
हे मईओ
पैशाची
भाषा
| मई
मईओ
मई
मईओ
0
मईणं
मइत्तो
मईदो
मईदु
मईहिन्तो
मईसुन्तो
मईसु
मईसुं
हे मई
हे मईओ
For Personal & Private Use Only
अर्धमागधी
भाषा
मई
मईओ
मईउ
मई
मईओ
मईउ
महि
मईहिं
मईहिँ
मईण
मईणं
मइत्तो
मईओ
मईउ
मईहिन्तो
मईसुन्तो
मईसु
मईसुं
हे मई
| हे मईओ
हे मईउ
(93)
Page #107
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभक्ति प्राकृत भाषा
प्रथमा
लच्छी
लच्छीआ
द्वितीया लच्छिं
तृतीया लच्छीअ
लच्छीआ
लच्छीइं
लच्छीए
चतुर्थी लच्छीअ
व षष्ठी लच्छीआ
लच्छीइ
लच्छीए
पंचमी लच्छीअ
लच्छीआ
लच्छीइ
लच्छीए
लच्छित्तो
लच्छीओ
लच्छीउ
लच्छीहिन्तो
सप्तमी लच्छीअ
लच्छीआ
लच्छीइ
लच्छीए
सम्बोधन हे लच्छि
(94)
ईकारान्त स्त्रीलिंग - लच्छी (लक्ष्मी)
एकवचन
शौरसेनी
भाषा
लच्छी
लच्छीआ
लच्छिं
मागधी
भाषा
लच्छीअ
लच्छीआ
लच्छीइ
| लच्छीए
हे लच्छि
पैशाची
भाषा
लच्छी
लच्छी
लच्छीआ लच्छीआ
लच्छिं
लच्छिं
लच्छीअ
लच्छीआ
लच्छीअ
लच्छीआ
लच्छीइ
| लच्छीइ
लच्छीए
लच्छीए
लच्छीअ
लच्छीअ
लच्छीआ लच्छीआ
लच्छीअ
लच्छीआ
लच्छीइ
लच्छीए
लच्छीअ
लच्छीआ
लच्छीइ
लच्छीइ
लच्छी
लच्छीए
लच्छीए | लच्छीए
लच्छीदो लच्छीदो लच्छीदो
लच्छीदु लच्छीदु लच्छीदु
लच्छीए
लच्छीए लच्छीए
लच्छीअ लच्छीअ
लच्छीआ
लच्छीआ
लच्छीइ
| लच्छीइ
लच्छीए
लच्छीए
हे लच्छि
हे लच्छि
प्राकृत-हिन्दी
For Personal & Private Use Only
अर्धमागधी
भाषा
लच्छी
लच्छीआ
लच्छिं
लच्छीअ
लच्छीआ
लच्छीइ
लच्छीए
लच्छीअ
लच्छीआ
लच्छीइ
लच्छीए
लच्छीअ
लच्छीआ
लच्छीइ
लच्छीए
लच्छित्तो
लच्छीओ
लच्छीउ
लच्छीहिन्तो
लच्छीअ
लच्छीआ
लच्छीइ
लच्छीए
हे लच्छि
- व्याकरण (भाग-:
)
Page #108
--------------------------------------------------------------------------
________________
ईकारान्त स्त्रीलिंग-लच्छी (लक्ष्मी)
बहुवचन
विभक्ति प्राकृत
भाषा
शौरसेनी
मागधी भाषा
पैशाची भाषा
अर्धमागधी भाषा
भाषा
प्रथमा लच्छीओ लच्छीओ
लच्छीआ लच्छीआ
लच्छी, लच्छीउ लच्छी द्वितीया लच्छीओ लच्छीओ
लच्छीआ लच्छीआ
लच्छी, लच्छीउ लच्छी तृतीया लच्छीहि. लच्छीहिं
लच्छीहिं लच्छीहिँ
लच्छीओ लच्छीओ लच्छीआ लच्छीआ लच्छी लच्छी लच्छीओ लच्छीओ लच्छीआ लच्छीआ लच्छी लच्छी लच्छीहिं लच्छीहिं
लच्छीओ लच्छीआ लच्छी, लच्छीउ लच्छीओ लच्छीआ लच्छी, लच्छीउ लच्छीहि लच्छीहिं लच्छीहिँ
लच्छीणं
लच्छीणं लच्छीणं
चतुर्थी लच्छीण व षष्ठी लच्छीणं
लच्छीण लच्छीणं
पंचमी लच्छित्तो
लच्छीओ
लच्छीउ लच्छीहिन्तो
लच्छित्तो लच्छित्तो लच्छित्तो | लच्छित्तो लच्छीदो लच्छीदो लच्छीदो लच्छीओ लच्छीदु लच्छीदु लच्छीदु लच्छीउ लच्छीहिन्तो लच्छीहिन्तो लच्छीहिन्तो लच्छीहिन्तो लच्छीसुन्तो लच्छीसुन्तो |लच्छीसुन्तो लच्छीसुन्तो
लच्छीसुन्तो
सप्तमी लच्छीसु
लच्छीसुं
लच्छीसु लच्छीसुं
लच्छीसु लच्छीसु लच्छीसुं लच्छीसुं
लच्छीसु . लच्छीसुं
सम्बोधन हे लच्छी हे लच्छी
हे लच्छीओ हे लच्छीओ हे लच्छीआहे लच्छीआ हे लच्छीउ
हे लच्छी हे लच्छी हे लच्छीओ हे लच्छीओ हे लच्छीआ हे लच्छीआ
हे लच्छी हे लच्छीओ हे लच्छीआ हे लच्छीउ
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
(95)
For Personal & Private Use Only
Page #109
--------------------------------------------------------------------------
________________
उकारान्त स्त्रीलिंग-घेणु (गाय)
एकवचन
विभक्ति प्राकृत
शौरसेनी
मागधी पैशाची भाषाभाषा भाषा
अर्धमागधी भाषा
भाषा
भाषा
प्रथमा
धेणू -
धेणू
धेण
धेणू
|
द्वितीया धेj
धेj
jjj
तृतीया |धेणूअ
धेणूआ घेणूइ, घेणूए
धेणूअ धेणूआ धेणूइ, घेणूए
णू अ घेणूअ धेणूअ धेणूआ धेणूआ धेणूइ, धेणूए| धेणूइ, घेणूए | धेणूइ, घेणूए'
घेणूआ
चतुर्थी घेणूअ व षष्ठी घेणूआ | धेणूइ, घेणूए
|घेणूआ
पंचमी
धेणूअ घेणूआ धेणूइ, घेणूए धेणुत्तो धेणूओ धेणूउ धे]हिन्तो
|घेणूअ |घेणूअ घेणूअ , धेणूअ | धेणूआ | धेणूआ धेणूआ घेणूइ, घेणूए धेणूइ, घेणूए घेणूइ, घेणूए घेणूइ, घेणूए घेणूदो घेणूदो घेणूदो धेणूअ घेणूआ धेणूदु धेणूदु धेणूद
घेणूइ, धेणूए धेणूए घेणूए घेणूए घेणुत्तो
| धेणूओ
धेणूउ
| धे]हिन्तो
सप्तम
घेणूअ
| धेणूअ
धेणूअ धेणूआ
धेणूइ, घेणूए सम्बोधन हे घेणु
धेणूआ धेणूइ, धेणूए हे घेणु
धेणूअ घेणूअ धेणूआ धेणूआ घेणूइ, घेणूए घेणूइ, घेणूए
हे घेणु हे धेणू
हे घेणु
| धेणूआ घेणूइ, घेणूए हे धेणु हे घेणू
है धेण
हे घेणू
हे घेणू
(96)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
For Personal & Private Use Only
Page #110
--------------------------------------------------------------------------
________________
उकारान्त स्त्रीलिंग-घेणु (गाय)
बहुवचन
विभक्ति प्राकृत
मागधी
शौरसेनी भाषा
पैशाची भाषा
अर्धमागधी भाषा
भाषा
भाषा
प्रथमा
|घेणूओ
1
| धेणूओ
अण
धेणूओ धेणू
धेणूओ धेणू
धेणूओ | धेणू
|घेणूउ
धेणू धेणूङ
घेणूओ |धेणू
घेणूओ धेणू
घेणूओ
तृतीया
धेहि धेहि
घेणूहिँ
चतुर्थी धेणूण व षष्ठी घेणं
घेणं
घेणं घेणं
घेणूण
|धेणुत्तो
घेणूदो
पंचमी
|घेणुत्तो घेणूओ धेणूउ
धेहिन्तो ... धेणूसुन्तो
धेणुत्तो धेणुत्तो धेणूदो घेणूदु धेणूदु घेणूहिन्तो धेहिन्तो घेणूसुन्तो घेणूसुन्तो
| धेणुत्तो | धेणूओ | धेणूउ | धे]हिन्तो
धेहिन्तो
घेणूसुन्तो
| धेणूसुन्तो
धेणूसु
सप्तमी धेणूसु
धेणूमुं
धेणूसु घेणूसुं
| धेणूसु
IT
धेणूसु | धेणूसुं
|घेणूमुं
घेणूसुं
सम्बोधन हे घेणूओ
हे घेणू हे घेणूउ
हे घेणूओ हे घेणूओ हे घेणू हे घेणू
हे घेणू
हे घेणूओ हे घेणू हे घेणूउ
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
(97)
For Personal & Private Use Only
Page #111
--------------------------------------------------------------------------
________________
. ऊकारान्त स्त्रीलिंग-बहू (बहू)
एकवचन
विभक्ति प्राकृत
भाषा
शौरसेनी
मागधी
पैशाची
| अर्धमागधी भाषा
भाषा
भाषा
भाषा
प्रथमा |बहू
बहू
बहूबहू
द्वितीया बहुं
बहुं
बहूअ
बहअ
तृतीया |बहू
बहुआ बहूइ, बहूए
बहूआ बहूइ, बहूए
बहूअ . बहुआ बहूइ, बहूए | बहूइ, बहूए
बहुआ
|बहूआ
|बहूइ, बहूए
चतुर्थी बहू व षष्ठी बहूआ
बहूइ, बहूए
बहूअ बहूआ बहूइ, बहूए
|बहूअ बहूअ बहूआ बहूआ बहूइ, बहूए बहूइ, बहूए
|बहू बहूआ बहूइ, बहूए
पंचमी
बह
बहू बहूआ बहूइ, बहूए
बहूदो बहूदु
बहूदो बहूदु
बहूदो बहूदु
ब
बहूए
बहूइ, बहूए
बहुत्तो
बहुत्तो बहूओ
बहूओ
बहूउ
बहूउ बहूहिन्तो
बहूहिन्तो
सप्तमी
|बहू बहूआ बहूइ, बहूए
बहू बहूआ बहूइ, बहूए
बहूअ बहूअ बहूआ बहूइ, बहूए बहूइ, बहुए
|बहूअ |बहूआ |बहूइ, बहूए
सम्बोधन हे बहु
हे बहु
हे बहु
हे बहु
हे बहु
(98)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
For Personal & Private Use Only
Page #112
--------------------------------------------------------------------------
________________
ऊकारान्त स्त्रीलिंग-बहू (बहू)
.
बहुवचन
विभक्ति प्राकृत
EE
मागधी
पैशाची
शौरसेनी भाषा
अर्धमागधी भाषा
भाषा
भाषा
भाषा
प्रथमा
बहूओ
apalidays
द्वितीया
बहूओ
बहू
बहूहिं
चतुर्थी
बहूणं
बहूणं
बहूणं
व
पंचमी
rates.
बहुत्तो
बहुत्तो
बहुत्तो बहूदो
बहूदो
बहूदो बहूदु बहुहिन्तो
बहूदु बहूहिन्तो
बहुदु
बहूहिन्तो
बहूहिन्तो
बहसुन्तो
बहूहिन्तो | बहूसुन्तो
बहूसुन्तो
बहूसुन्तो
बहूसुन्तो
सप्तमी
बाँसु
हे बहू
सम्बोधन हे बहू
बहूओ | | हे बहूउ
हे बहू हे बहूओ
हे बहू हे बहूओ
हे बहू | हे बहूओ
te to the
बहर
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
(99)
For Personal & Private Use Only
Page #113
--------------------------------------------------------------------------
________________
परिशिष्ट-2
विशिष्ट शब्दरूप
यहाँ निम्नलिखित विशिष्ट शब्दों की रूपावली दी जा रही है।
विशिष्ट शब्द पुल्लिंग- पिउ (पिता) उकारान्त से भिन्न रूप .
___ उकारान्त की तरह रूप पिअर (पिता) अकारान्त की तरह रूप
विशिष्ट शब्द स्त्रीलिंग- माउ (माता) उकारान्त से भिन्न रूप .
उकारान्त की तरह रूप माइ (माता) इकारान्त की तरह रूप माआ (माता) आकारान्त की तरह रूप माअरा (माता) आकारान्त की तरह रूप
विशेषण
कत्तु (करनेवाला) उकारान्त से भिन्न रूप
उकारान्त की तरह रूप कत्तार (करनेवाला)अकारान्त की तरह रूप
विशिष्ट शब्द पुल्लिंग-अप्प/अत्त (आत्मा) अकारान्त से भिन्न रूप
अप्प/अत्त (आत्मा) अकारान्त की तरह रूप अप्पाण (आत्मा) अकारान्त की तरह रूप अत्ताण (आत्मा) अकारान्त की तरह रूप
(100)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
For Personal & Private Use Only
Page #114
--------------------------------------------------------------------------
________________
विशिष्ट शब्द पुल्लिंग- राय/राअ (राजा) अकारान्त की तरह रूप
राय/राअ (राजा) अकारान्त से भिन्न रूप रायाण (राजा) अकारान्त की तरह रूप
नोटः अगले पृष्ठों में विशिष्ट शब्दों की रूपावली दी जा रही है। प्राकृत भाषा, शौरसेनी भाषा, मागधी भाषा तथा पैशाची भाषा के विशिष्ट शब्दों की रूपावली आचार्य हेमचन्द्र रचित प्राकृत व्याकरण से तथा अर्धमागधी भाषा के विशिष्ट शब्दों की रूपावली रिचार्ड पिशल द्वारा रचित प्राकृत भाषाओं के व्याकरण से ली गई है। शौरसेनी, मागधी तथा पैशाची भाषाओं के कुछ विभक्तियों के रूप जो आचार्य हेमचन्द्र ने नहीं दिये थे वे रिचार्ड पिशल द्वारा रचित प्राकृत भाषाओं के व्याकरण से भी लिये गये हैं।
प्राकृत भाषाओं का व्याकरण-रिचार्ड पिशल पृष्ठ संख्या 1. विशिष्ट शब्द - पिउ, माउ, माइ, माअरा, कत्तु 563-570 2. विशिष्ट शब्द- आत्मा, राज
580-586
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
(101)
For Personal & Private Use Only
Page #115
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभक्ति प्राकृत
भाषा
प्रथमा
आप
द्वितीया पिअरं, पियरं
प्रथमा
189
विभक्ति प्राकृत
भाषा
द्वितीया
तृतीया पिउणा
चतुर्थी पिउस्स
व षष्ठी पिउणो
पंचमी पिउणो
पिउत्तो
पिऊओ
पिऊउ
(102)
पिऊहिन्तो
सप्तमी पिउम्मि
सम्बोधन हे पिउ हे पिऊ
पिउ (पिता) ( उकारान्त से भिन्न रूप )
एकवचन
शौरसेनी
भाषा
| पिदा
शौरसेनी
भाषा
पिदरं
पिदलं
पिदरं
पिउ (पिता) (उकारान्त की तरह रूप )
एकवचन
पिदुणा
पिदुणो
पिऊदो
पिऊदु
पिउम्मि पिउम्हि
मागधी पैशाची
भाषा
भाषा
पिदा
हे पिउ
हे पिऊ
| पिदा
मागधी पैशाची
भाषा
भाषा
पिदुणा पिदुणा
पिउश्श पिदुणो
पिदुणो
पिऊदो पिऊदो
पिऊदु
पिऊदु
पिउम्मि
हे पिउ
हे पिऊ
| पिउम्मि
हे पिउ
हे पिऊ
अर्धमागधी
भाषा
पिया
For Personal & Private Use Only
पियरं
अर्धमागधी
भाषा
| पिउणा
पिउस्स
| पिउणो
| पिउणो
पिउत्तो
| पिऊओ
पिऊउ
| पिऊहिन्तो
पिउम्मि
| पिउंमि
पिउंसि
हे पिउ
हे पिऊ
प्राकृत-हिन्दी- व्याकरण ( भाग -:
-1)
Page #116
--------------------------------------------------------------------------
________________
पिउ (पिता) (उकारान्त से भिन्न रूप)
बहुवचन
शौरसेनी भाषा
मागधी पैशाची भाषा
अर्धमागधी भाषा
भाषा
विभक्ति | प्राकृत
भाषा प्रथमा द्वितीया
पिउ (पिता) (उकारान्त की तरह रूप)
बहवचन शौरसेनी मागधी पैशाची भाषा भाषा भाषा
विभक्ति | प्राकृत
भाषा
अर्धमागधी भाषा
प्रथमा | पिअउ, पिअओ |पिउणो पिउणो पिउणो
पिअवो, पिउणो |पिअओ पिअओ पिअओ
पिऊ द्वितीया | पिउणो, पिऊ पिउणो, पिऊ पिउणो, पिऊ पिउणो, पिऊ
पिअउ, पिअओ | पिअवो, पिउणो पिऊ | पिउणो, पिऊ पिअवो पिऊहि, पिऊहिं पिऊहिँ पिऊण
पिऊहिं
पिऊहिं
पिऊणं
पिऊणं
पिऊणं
पंचमी
पिऊदो
तृतीया | पिऊहि, पिऊहिं |पिऊहिं
पिऊहिँ चतुर्थी
पिऊण पिऊणं व षष्ठी
पिऊणं | पिउत्तो पिऊओपिऊदु पिऊउ पिऊहिन्तो
पिऊसुन्तो सप्तमी | पिऊसुपिऊसु ___.. पिऊसु पिऊसु
पिऊदो पिऊदो पिऊदु पिऊदु
पिउत्तो पिऊओ पिऊउ पिऊहिन्तो पिऊसुन्तो पिऊसु • पिऊसुं
पिऊसु पिऊसु |पिऊसुंपिऊसुं
हे पिअवो
पिउणो हे पिउणो हे पिअओ हे पिअओ
सम्बोधन हे पिअउ हे पिउणो
हे पिअओ हे पिअओ हे पिअवो हे पिउणो, हे पिऊ
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
(103)
For Personal & Private Use Only
Page #117
--------------------------------------------------------------------------
________________
अकारान्त पुल्लिंग-पिअर (पिता)
एकवचन
विभक्ति प्राकृत
भाषा
शौरसेनी भाषा
मागधी भाषा
पैशाची |भाषा
अर्धमागधी भाषा
प्रथमा पिअरो .
पिअरो
पिअरो
पिअरे, पिअरो
पिअलो पिअले पिदलं
द्वितीया पिअरं, पियरं . पिदरं
पिदरं
पियरं.
पिअरेण
पिदलेण
पिअरेण
तृतीया |पिअरेण
पिअरेणं
| पिअरेण .. पिअरेणं .
पिअराय
पिअलाअ | पिअराय
| पिअराए पिअराय पिअराओं
चतुर्थी |पिअराय
पिअरस्स । पंचमी पिअरत्तो
पिअराओ पिअराउ पिअराहि पिअराहिन्तो पिअरा
पिअरादो पिअलादो पिअरातो पिअरादु पिअलादु | पिअरातु
पिअराउ
पिअरा
षष्ठी पिअरस्स
पिअरस्स
पिअरस्स
पिअलश्श पिअरस्स |पिअलाह
सप्तमी | पिअरे
पिअरम्मि
पिअरेपिअले पिअरे पिअरम्मि पिअरम्हि हे पिअर हे पिअल हे पिअर हे पिअरा हे पिअला हे पिअरा हे पिअरो हे पिअलो हे पिअरो
| पिअरे,पिअरम्मि पिअरंमि पिअरंसि हे पिअर हे पिअरा हे पिअरो
सम्बोधन हे पिअर
हे पिअरा हे पिअरो
(104)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
For Personal & Private Use Only
Page #118
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभक्ति प्राकृत
भाषा
प्रथमा पिअरा
द्वितीया पिअरा, पिअरे
तृतीया पिअरेहि
पिअरेहिं
पिअरेहिं
चतुर्थी पिअराण
पिअराणं
पंचमी पिअरत्तो
पिअराओ
पिअराउ
पिअराहि
पिअराहिन्तो
पिअरासुन्तो
पिअरेहि
पिअरे हिन्तो
पिअरेसुन्तो
षष्ठी पिअराण
प
सप्तमी पिअरेसु
पिअरेसुं
सम्बोधन हे पिअरा
अकारान्त पुल्लिंग - पिअर (पिता)
बहुवचन
शौरसेनी
भाषा
पिअराण
पिअराणं
पिअरत्तो
पिअरादो
पिदरो
पिअलो
| पिअरा
पिदरो, पिदरे पिदलो, पिदले पिदरो, पिदरे
पिअरेहिं
पिअलेहिं | पिअरेहिं
पिअरादु
पिअराहि
पिअराहिन्तो
पिअरासुन्तो
पिअराण
पिअराणं
पिअरेसु
पिअरेसुं
हे पिअरा
प्राकृत-हिन्दी व्याकरण (भाग - 1 )
मागधी
भाषा
पैशाची
भाषा
पिअलाण पिअराण
पिअलाणं पिअराणं
पिअलत्तो
पिअरत्तो
पिअलादो पिअरादो
पिअलादु पिअरादु
पिअलाहि पिअराहि
पिअलाहिन्तो पिअराहिन्तो
पिअलासुन्तो पिअरासुन्तो
पिअलाण पिअराण
पिअलाणं पिअराणं
पिअलेसु पिअरेसु पिअलेसुं पिअरेसुं
हे पिअला हे पिअरा
For Personal & Private Use Only
अर्धमागधी
भाषा
पियरो
पियरो
पिअरेहि
पिअरेहिं
पिअरेहिँ
पिअराण
पिअराणं
पिअरेहिं
पिअरेहिन्तो
पिअराण
पिअराणं
| पिअरेसु
पिअरेसुं
हे पियरा
(105)
Page #119
--------------------------------------------------------------------------
________________
माउ (माता) (उकारान्त से भिन्न रूप)....
एकवचन
मागधी
विभक्ति प्राकृत
भाषा प्रथमा |माआ, माया
शौरसेनी भाषा मादा
पैशाची भाषा
भाषा
| अर्धमागधी भाषा माया
मादा
मादा
मायरं
द्वितीया | माअरं, मायरं. मादरं मादरं मादरं माउ (माता) (उकारान्त की तरह रूप)
एकवचन विभक्ति प्राकृत
शोरसेनी मागधी पैशाची भाषा भाषा
भाषा
भाषा
भाषा
प्रथमा
द्वितीया |
तृतीया माऊअ, माऊआ |माऊअ,माऊआ माऊअ,माऊआ माऊअ,माऊआ माऊअ,माऊआ
माऊइ, माऊए माऊइ, माऊए माऊइ, माऊए माऊइ, माऊए माऊइ, माऊए
चतुर्थी |माऊअ, माऊआ माऊअ,माऊआ माऊअ,माऊआ माऊअ,माऊआ माऊअ,माऊआ | व षष्ठी माऊइ, माऊए माऊइ, माऊए माऊइ, माऊए माऊइ, माऊए | माऊइ, माऊए
माऊदो माऊदो माऊदु माऊदु
माऊअ,माऊआ माऊइ, माऊए माउत्तो
पंचमी माऊअ, माऊआ माऊदो
|माऊइ, माऊए माऊदु माउत्तो माऊओ माऊउ माऊहिन्तो
माऊओ
माऊउ माऊहिन्तो
सप्तमा
माऊअ, माऊआ |माऊअ,माऊआ | माऊअ,माऊआ माऊअ,माऊआ माऊइ, माऊए माऊइ, माऊए माऊइ,माऊए माऊइ, माऊए |माऊइ, माऊए
सम्बोधन हे माउ
हे माउ हे माऊ
हे माउ हे माऊ
हे माउ हे माऊ
हे माउ हे माऊ
हे माऊ
(106)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
For Personal & Private Use Only
Page #120
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभक्ति प्राकृत
भाषा
प्रथमा
द्वितीया
विभक्ति प्राकृत
भाषा
प्रथमा
|माऊ
तृतीया माऊहि
माऊहिं
माऊहिं
चतुर्थी माऊण व षष्ठी माऊणं
माऊउ, माऊओ माऊओ
माऊ
माऊ
द्वितीया माऊउ, माऊओ माऊओ
पंचमी माउत्तो
माऊओ
माऊउ
माऊहिन्तो
माऊसुन्तो
संप्तमी माऊसु माऊसुं
माउ (माता) (उकारान्त से भिन्न रूप )
बहुवचन
शौरसेनी
भाषा
प्राकृत-हिन्दी
शौरसेनी
भाषा
माउ (माता) (उकारान्त की तरह रूप )
बहुवचन
मागधी
भाषा
माऊ
माऊहिं
माऊणं
माउत्तो
माऊदो
सम्बोधन हे माऊ, हे माऊउ हे माऊ
हे माऊओ
हे माऊओ
माऊसु
माऊसुं
- व्याकरण (भाग- - 1 )
मागधी
भाषा
माऊओ
माऊ
माऊओ
माऊ
माऊहिं
माऊणं
पैशाची
भाषा
|माऊसु माऊसुं
| पैशाची
भाषा
माऊदु माऊदु माऊदु माऊहिन्तो माऊहिन्तो माऊहिन्तो
माऊसुन्तो माऊसुन्तो
माऊसुन्तो
हे माऊ
हे माऊओ
माऊओ
माऊ
माऊओ
माऊ
माऊहिं
माउत्तो माउत्तो माऊदो माऊदो
माऊणं
| माऊसु माऊसुं
हे माऊ
हे माऊओ
For Personal & Private Use Only
अर्धमागधी
भाषा
अर्धमागधी
भाषा
माऊउ, माऊओ
माऊ
माऊउ, माऊओ
माऊ
माऊहि
माऊहिं
माऊहिँ
माऊण
माऊणं
माउत्तो
माऊओ
माऊउ
माऊहिन्तो
माऊसुन्तो
माऊसु माऊसुं
हे माऊ, हे माऊउ हे माऊओ
(107)
Page #121
--------------------------------------------------------------------------
________________
-
माइ (माता) (इकारान्त की तरह रूप)
एकवचन
IL
विभक्ति प्राकृत
शौरसेनी
मागधी
पैशाची
| अर्धमागधी भाषा
भाषा
भाषा
भाषा
भाषा
प्रथमा माई
माईमाईमाई
द्वितीया माई
माइं
माइं.
माइं
।
तृतीया माईअ
माईअ
माईआ
माईआ
माईआ
माईअ माईआ माईइ
माई
माई
माईए
माईए
माईए
चतुर्थी माईअ व षष्ठी माईआ
माईअ
#### #### ff
माईआ
माईआ
माईआ
माईइ
माईइ
माईए
माईए
माईए
पंचमी
माईदो
माईदो माईदो माईदुमाईदु
माईओ माईआ माईइ
माईए
|माइत्तो
माईओ
माईउ
माईहिन्तो सप्तमी माईअ
माईआ
माईइ, माईए सम्बोधन हे माइ
हे माई
माईअमाईअमाईअ माईआ माईआमाईआ माईइ, माईए माईइ, माईए माईइ, माईए हे माइ हे माइ | हे माइ हे माई हे माई | हे माई
माइत्तो माईओ माईड माईहिन्तो माईआ माईआ माईइ, माईए हे माइ हे माई
(108)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
For Personal & Private Use Only
Page #122
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभक्ति प्राकृत
भाषा
प्रथमा माई माईओ
माईउ
द्वितीया माई
माईओ
माईउ
तृतीया माईहि
माईहिं
माईहिं
चतुर्थी माईण व षष्ठी माईणं.
पंचमी माइत्तो माईओ
माईउ
माईहिन्तो
माईसुन्तो
सप्तमी माईसु
माईसुं
माइ (माता) (इकारान्त की तरह रूप )
बहुवचन
सम्बोधन हे माई, हे माईउ हे माईओ
शौरसेनी
भाषा
माई
माईओ
माई
माईओ
माईहिं
माईणं
माइत्तो
माईदो
माईदु
माईहिन्तो
माईसुन्तो
माईसु
माईसुं
हे माई
हे माईओ
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
मागधी पैशाची
भाषा
भाषा
माई
माईओ
माई
माईओ
माईहिं
माईणं
माईसु
माईसुं
माई
माईओ
हे माई
हे माईओ
माई
माईओ
माईहिं
माइत्तो
माइत्तो
माईदो
माईदो
माईदु
माईदु
माईहिन्तो
माईहिन्तो
माईसुन्तो माईसुन्तो
माईणं
माईसु
माईसुं
हे माई
हे माईओ
For Personal & Private Use Only
अर्धमागधी
भाषा
माई
माईओ
माईउ
माई
| माईओ
माईउ
माईहि
माईहिं
माईहिँ
| माईण
माईणं
माइत्तो
माईओ
माईउ
माईहिन्तो
माईसुन्तो
माईसु
माईसुं
हे माई, हे माईउ
हे माईओ
(109)
Page #123
--------------------------------------------------------------------------
________________
आकारान्त स्त्रीलिंग-माआ (माता)
एकवचन
शौरसेनी भाषा
मागधी पैशाची
अर्धमागधी भाषा
भाषा
माआ
माआ
माआ
द्वितीया माअंमाअंमाअंमाअंमा
माआएमाआए माआए
माआए
तृतीया माआअ
माआइ
माआए
चतुर्थी माआअ, मायाइ माआएमाए माआए. , माआए व षष्ठी माआए
|पंचमी माआअ, माआइ |माआदो माआदो |माआदो
माआए माआदु माआदु माआदु माअत्तो माआए माआओ माआउ माआहिन्तो
माआअ माआइ माअत्तो माआओ माआउ माआहिन्तो
माआए
माआए माआए
माआए
सप्तमी
|माआअ,मायाइ माआए
माआए
|माआए माआअ, माआइ
सम्बोधन हे माआ
| हे माआ
हे माआ हे माए
हे माआ हे माआ हे माए हे माए
हे माए
हे माए
(110)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
For Personal & Private Use Only
Page #124
--------------------------------------------------------------------------
________________
आकारान्त स्त्रीलिंग-माआ (माता)
बहुवचन
पैशाची
विभक्ति प्राकृत
भाषा
शौरसेनी भाषा
मागधी भाषा
अर्धमागधी भाषा
भाषा
प्रथमा
माआ माआओ माआउ
माआ माआओ
माआ माआ माआओ माआओ
|माआ माआओ |माआउ
द्वितीया माआ
माआओ माआउ
माआ माआ। |माआ माआओ माआओ माआओ
|माआ माआओ माआउ
माहिं माआहिं
तृतीया माआहिमाआर्हि
माआहिं . माआहिँ
माआहि माआहिं
| माआहिँ
माआण
माआण
माआण
चतुर्थी माआण व षष्ठी माआणं
|माआण माआणं
। पंचमी माअत्तो
माआओ माआउ माआहिन्तो माआसुन्तो
माअत्तो माआदो माआदु माआहिन्तो माआसुन्तो
माअत्तो माअत्तो माआदो माआदो माआदु माआदु माआहिन्तो |माआहिन्तो मासुन्तो माआसुन्तो
माअत्तो माआओ माआउ | माआहिन्तो माआसुन्तो
सप्तमी माआसु | माआसु
|माआसु माआसुं
माआसु माआसु . माआसु माआसुं माआसुं
माआसुं
सम्बोधन हे माआ
हे माआओ हे माआउ
हे माआहे माआ हे माआ हे माआ हे माआओ हे माआओ | हे माआओ | हे माआओ
हे माआउ
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
(111)
For Personal & Private Use Only
Page #125
--------------------------------------------------------------------------
________________
आकारान्त स्त्रीलिंग-माअरा (माता)
एकवचन
विभक्ति प्राकृत
शौरसेनी
मागधी पैशाची भाषा
भाषा
अर्धमागधी भाषा
भाषा
भाषा
प्रथमा
माअरा
माअरा
माअला
माअरा
द्वितीया माअरं, मायरं
मादरं
मादलं
मादरं
मायरं
माअराए
तृतीया माअराअ . माअराएमाअलाए माअराए
माअराइ माअराए
माअराए
माअलाए |माअराए
माअराए
चतुर्थी माअराअ व षष्ठी माअराइ
माअराए
माअराअ, माअराइमाअरादो माअलादो माअरादो |माअराअ माअराए माअरादु माअलादु माअरादु माअराइ माअरत्तो माअराए माअलाए माअराए माअरत्तो माअराओ
माअराओ माअराउ
माअराउ माअराहिन्तो
माअराहिन्तो
सप्तमी
|माअराअ, माअराइमाअराए माअराए
माअलाए माअराए
माअराए
सम्बोधन हे माअरा
हे माअराए
हे माअरा हे माअराए
हे माअला हे माअरा हे माअलाए | हे माअराए
हे माअरा | हे माअराए
(112)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
For Personal & Private Use Only
Page #126
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभक्ति प्राकृत
भाषा
प्रथमा माअरा
माअराओ
माअराउ
द्वितीया माअरा माअराओ
माअराउ
तृतीया माअराहि
माअराहिं
माअराहिँ
चतुर्थी माअराण व षष्ठी माअराणं
पंचमी माअरत्तो
माअराओ
माअराउ
माअराहिन्तो
माअरासुन्तो
सप्तमी माअरासु माअरासुं
सम्बोधन हे माअरा
हे माअराओ
हे माअराउ
आकारान्त स्त्रीलिंग - माअरा (माता)
बहुवचन
शौरसेनी
भाषा
माअरा माअराओ
माअरा माअराओ
माअराहिं
माअराणं
माअरासु माअरासुं
हे माअरा हे माअराओ
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग - 1 )
मागधी पैशाची
भाषा
भाषा
माअला | माअरा
माअलाओ माअराओ
माअला माअरा माअलाओ माअराओ
माअरत्तो माअरादो
| माअरादु | माअलादु | माअरादु
माअराहिन्तो
माअलाहिन्तो माअराहिन्तो
माअरासुन्तो
माअलासुन्तो माअरासुन्तो
माअलाहिं माअराहिं
माअलाणं माअराणं
माअलत्तो माअरत्तो माअलादो माअरादो
माअलासु माअरासु माअलासुं माअरासुं
हे माअला हे माअरा
हे माअलाओ हे माअराओ
For Personal & Private Use Only
अर्धमागधी
भाषा
माअरा
माअराओ
माअराउ
माअरा माअराओ
माअराउ
माअराहि
माअराहिं
माअराहिं
माअराण
माअराणं
माअरत्तो माअराओ
माअराउ
माअराहिन्तो
माअरासुन्तो
माअरासु माअरासुं
हे माअरा
हे माअराओ
हे माअराउ
(113)
Page #127
--------------------------------------------------------------------------
________________
. कत्तु (करनेवाला) (उकारान्त से भिन्न रूप)
एकवचन
शौरसेनी
मागधी पैशाची
अर्धमागधी ।
विभक्ति | प्राकृत
भाषा प्रथमा | कत्ता
भाषा
भाषा
भाषा
भाषा
कत्ता
कत्ता
कत्ता
.
कत्ता
द्वितीया | कत्तारं कत्ता कत्तालं कत्तारं कत्तारं . ] कत्तु (करनेवाला) (उकारान्त की तरह रूप)
एकवचन विभक्ति | प्राकृत |शौरसेनी मागधी पैशाची अर्धमागधी । भाषा
भाषा भाषा भाषा भाषा
भाषा
:
प्रथमा
द्वितीया |
तृतीया | कतुणा
कत्तुणा
कत्तुणा
कत्तुणा
कत्तुणा
कत्तुणो
| कत्तुणो
कत्तुणो . कत्तुणो कत्तुश्श कत्तूदो कत्तूदों
चतुर्थी | कत्तुणो व षष्ठी | कत्तुस्स पंचमी | कत्तुणो
| कत्तुत्तो कतूओ कत्तूउ
कत्तूहिन्तो सप्तमी | कत्तुम्मि
कत्तूदु ।
कत्तूद
कत्तुणो कत्तुत्तो कतूओ कत्तूउ | कत्तूहिन्तो कत्तुम्मि कत्तुंमि कत्तुंसि
कतुम्मि
कत्तुम्मिकतुम्मि कत्तुम्हि
हे कत्तु
सम्बोधन हे कत्तु
हे कत्तू
हे कत्तु
हे कत्तु हे कत्तू
Aml
हे कत्तू
(114)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
For Personal & Private Use Only
Page #128
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभक्ति प्राकृत
भाषा
प्रथमा
द्वितीया
विभक्ति प्राकृत
भाषा
प्रथमा
कत्तउ, कत्तओ कत्तवो, कत्तुणो
कत्तू
द्वितीया कत्तुणो, कत्तू
संप्तमी
कत्तु (करनेवाला) (उकारान्त से भिन्न रूप)
बहुवचन
चतुर्थी कत्तूण व षष्ठी कत्तूणं पंचमी
कत्तुत्तो
कत्तूओ
कत्तु ( करनेवाला) (उकारान्त की तरह रूप )
बहवचन
कत्तूउ
कत्तूहिन्तो
कत्तूसुन्तो
कत्तूसु
कत्तूसु
तृतीया कत्तूहि, कत्तूहिं कत्तू हिं
कहिँ
सम्बोधन हे कत्तउ
ओ
शौरसेनी
भाषा
हे कत्तवो
हे कत्तुणो
हे कत्तू
शौरसेनी
भाषा
कत्तुणो
कत्तओ
कत्तूर्ण
कत्तूदो
कत्तूदु
| कत्तूसु
कत्तूसु
मागधी
भाषा
हे कणो हे कत्तओ
प्राकृत-हिन्दी व्याकरण (भाग - 1
-1)
मागधी पैशाची
भाषा
भाषा
कतुणो
कत्तओ
पैशाची
भाषा
कत्तू
कत्तुणो, कत्तू कत्तुणो, कत्तू कतुणो, कत्तू कत्तुणो, कत्तू
कत्तवो
कत्तूर्हि
कत्तूहिं
कत्तूर्ण
कत्तूर्ण
कत्तूदो कत्तूदो
कत्तूदु
| कत्तूदु
कत्तूसु
कत्तूसुं
हे कत्तुणो हे कत्तओ
कत्तुणो
| कत्तओ
कत्तूसु
कत्तूसं
हे कत्तुणो हे त्ओं
अर्धमागधी
भाषा
For Personal & Private Use Only
अर्धमागधी
भाषा
कत्तउ, कत्तओ | कत्तवो, कत्तुणो
कत्तूहि, कत्तूहिं
कत्तूहिं
कत्तूण
कत्तूर्ण
कत्तुत्तो
| कत्तूओ
कत्तूउ
कत्तूहिन्तो
कत्तूसुन्तो
कत्तूस
कत्तूसं
हे कत्तवो
(115)
Page #129
--------------------------------------------------------------------------
________________
कत्तार (करनेवाला)
एकवचन
विभक्ति प्राकृत
शौरसेनी
मागधी पैशाची भाषा भाषा
अर्धमागधी भाषा
भाषा
भाषा
प्रथमा
कत्तारो
कत्तारो
कत्तालो
कत्तारो
कत्तारो
द्वितीया कत्तारं
कत्तारं
कत्तालं
कत्ता
कत्तारं
कत्तारेण
कत्तालेण
तृतीया | कत्तारेण
कतारेणं
कत्तारेण
..
कत्तारेण कत्तारेणं
कत्तारस्स
कत्तालश्श कत्तारस्स
कत्तारस्स
चतुर्थी कत्तारस्स व षष्ठी
कत्तारादो कत्तालादो कत्तारातो | कत्ताराओ कत्तारादु कत्तालादु कत्तारातु
कत्ताराउ
कत्तारा
पंचमी कत्तारत्तो
कत्ताराओ कत्ताराउ कत्ताराहि कत्ताराहिन्तो कत्तारा
सप्तमी कत्तारे
कत्तारम्मि
कत्तारे कत्ताले कतारे कत्तारम्मि कत्तालम्मि |कत्तारम्मि कत्तारम्हि कत्तालाहिं|
कतारे कत्तारम्मि कत्तारंमि कत्तारंसि
सम्बोधन हे कत्तार
हे कत्तारा हे कत्तारो
हे कत्तार हे कत्तारा हे कत्तारो
हे कत्ताल हे कत्तार हे कत्ताले हे कत्तारा
हे कत्तारो
हे कत्तार हे कत्तारा हे कत्तारो
(116)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
For Personal & Private Use Only
Page #130
--------------------------------------------------------------------------
________________
कत्तार (करनेवाला)
बहुवचन
विभक्ति प्राकृत
शौरसेनी भाषा
मागधी पैशाची भाषा
भाषा
| अर्धमागधी भाषा
भाषा
प्रथमा
कत्तारा
कत्तारा
कत्ताला
कत्तारा
कित्तारा
द्वितीया कत्तारा, कत्तारे
कत्तारे
कत्ताले
कतारे
| कत्तारा, कत्तारे
तृतीया | कत्तारेहि, कत्तारेहि, कत्तारेहिं
कत्तारेहिँ
कत्तालेहिं
कत्तारेहिं
| कत्तारेहि,कत्तारेहि कत्तारेहिँ
चतुर्थी कत्ताराण व षष्ठी कत्ताराणं
कत्ताराण कत्ताराणं
|कत्तालाण कत्तालाणं
| कत्ताराण कत्ताराणं
कत्ताराण कत्ताराणं
कत्तारत्तो कत्ताराओ कत्ताराउ कताराहि कत्ताराहिन्तो कत्तारासुन्तो कतारेहि कत्तारेहिन्तो कत्तारेसुन्तो
कतारत्तो . कत्तारादो कत्तारादु कत्ताराहि कत्ताराहिन्तो कत्तारासुन्तो कत्तारेहि कत्तारेहिन्तो कत्तारेसुन्तो
कत्तालत्तो कत्तारत्तो
कत्तारेहिं कत्तालादो कत्तारादो कत्तारेहिन्तो कत्तालादु कत्तारादु कत्तालाहि कत्ताराहि कत्तालाहिन्तो कत्ताराहिन्तो कत्तालासुन्तो कत्तारासुन्तो कत्तालेहि कत्तारेहि कत्तालेहिन्तो | कत्तारेहिन्तो कत्तालेसुन्तो | कत्तारेसुन्तो
सप्तमी
कत्तारेसु कत्तारेसुं
कत्तारेसु
कत्तालेसु कत्तारेसुंकत्तालेसुं
कत्तारेसु
कत्तारेसु कतारेसुं
| कत्तारेसुं
सम्बोधन हे कत्तारा
हे कत्तारा
हे कत्तारा
हे कत्ताला |हे कत्तारा हे कत्तालाहो|
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
(117)
For Personal & Private Use Only
Page #131
--------------------------------------------------------------------------
________________
अप्प/अत्त (आत्मा) (अकारान्त पुल्लिंग से भिन्न रूप)
एकवचन शौरसेनी मागधी पैशाची भाषा भाषा भाषा
विभक्ति प्राकृत
भाषा
अर्धमागधी भाषा
प्रथमा
.
अत्ता
अप्पा अत्ता
अप्पा आता
अप्पा आया
अप्पा आदा अत्ता चेदा
द्वितीया |
तृतीया
अप्पणा
अत्तणा
अप्पणा अत्तणा अप्पणइया अत्तणइया अप्पणिआ अत्तणिआ
अप्पणा अत्तणा अप्पणइया अत्तणइया अप्पणिआ अत्तणिआ
अप्पणा अप्पणा अत्तणा अत्तणा अप्पणइया | अप्पणइया अत्तणइया अत्तणइया अप्पणिआ |अप्पणिआ अत्तणिआ अत्तणिआ
| अप्पणइया अत्तणइया अप्पणिआ अत्तणिआ
| अप्पणो
चतुर्थी अप्पणो व षष्ठी अत्तणो
अप्पणो अत्तणो
अप्पणो अत्तणो
अप्पणो | अत्तणो
अत्तणो .
पंचमी अप्पाणो
अप्पाणो
अप्पाणो
अप्पाणो
अप्पाणो
सप्तमी
-
सम्बोधन -
(118)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
For Personal & Private Use Only
Page #132
--------------------------------------------------------------------------
________________
अप्प/अत्त (आत्मा) (अकारान्त पुल्लिंग से भिन्न रूप)
बहवचन
मागधी
पैशाची
अर्धमागधी
विभक्ति प्राकृत
भाषा
शौरसेनी भाषा
भाषा
भाषा
भाषा
प्रथमा
अप्पाणो अत्ताणो
अप्पाणो अत्ताणो
अप्पाणो अत्ताणो
अप्पाणो अत्ताणो
अप्पाणो अत्ताणो
द्वितीया | अप्पाणो
अत्ताणो
अप्पाणो अत्ताणो
अप्पाणो अप्पाणो अत्ताणो
अप्पाणो . अप्पाणो अत्ताणो अत्ताणो
तृतीया
चतुर्थी व षष्ठी
पंचमी |-
.
सप्तमी -
सम्बोधन हे अत्ताणो
हे अत्ताणो
हे अत्ताणो हे अत्ताणो
हे अत्ताणो
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
(119)
For Personal & Private Use Only
Page #133
--------------------------------------------------------------------------
________________
अप्प/अत्त (आत्मा) (अकारान्त पुल्लिंग की तरह रूप)
एकवचन शौरसेनी मागधी पैशाची भाषा भाषा
विभत्ति
प्राकृत भाषा
अर्धमागधी भाषा
भाषा
प्रथमा |अप्पो, अत्तो
अप्पो, अत्तो
अप्पो, अत्तो | अप्पो, अत्तो |अप्पो, अत्तो
द्वितीया | अप्पं, अत्तं .
अप्पं, अत्तं अप्पं, अत्तं | अप्पं, अत्तं | अप्पं, अत्तं । आदं
अप्पेण, अप्पेणं अप्पेण,अप्पेण अप्पेण, अप्पेणं | अप्पेण, अप्पेणं ... । अत्तेण, अत्तेणं अत्तेण,अत्तेणं अत्तेण, अत्तेणं अत्तेण, अत्तेणं
तृतीया |अप्पेण, अप्पेणं
अत्तेण, अत्तेणं
अप्पस्स
चतुर्थी अप्पस्स व षष्ठी अत्तस्स
अप्पस्स अत्तस्स
अप्पश्श अत्तश्श
अप्पस्स अत्तस्स
.
अत्तस्स
अप्पादो अप्पाद अत्तादो |अत्ताद्
अप्पादो | अप्पातो अप्पादु अप्पातु अत्तादो अत्तातो
अत्तातु
अत्तादु
पंचमी अप्पत्तो
अप्पाओ अप्पाउ अप्पाहि अप्पाहिन्तो अप्पा अत्तत्तो अत्ताओ अत्ताउ अत्ताहि अत्ताहिन्तो अत्ता
अप्पत्तो अप्पाओ अप्पाउ | अप्पाहि अप्पाहिन्तो अप्पा | अत्तत्तो अत्ताओ अत्ताउ | अत्ताहि |अत्ताहिन्तो
अत्ता
सप्तमी अप्पे, अप्पम्मि |अप्पे, अप्पम्मि | अप्पे,अप्पम्मि अप्पे, अप्पम्मि | अप्पे, अप्पम्मि अत्ते, अत्तम्मि | |अत्ते, अत्तम्मि |अत्ते,अत्तम्मि अत्ते, अत्तम्मि |अत्ते, अत्तम्मि
आदम्हि सम्बोधन हे अप्प, हे अत्त हे अप्प, हे अत्त हे अप्प,हे अत्त | हे अप्प,हे अत्त | हे अप्प, हे अत्त | हे अप्पा, हे अत्ता हे अप्पा, हे अत्ता हे अप्पा,हे अत्ता | हे अप्पा,हे अत्ता |हे अप्पा,हे अत्ता
हे अप्पो, हे अत्तो हे अप्पं, हे अत्तं हे अप्पं हे अत्तं हे अप्पं.हे अत्तं हे अप्पो, हे अत्तो
(120)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
For Personal & Private Use Only
Page #134
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभक्ति प्राकृत
भाषा
प्रथमा अप्पा, अत्ता
द्वितीया अप्पा, अत्ता अप्पे, अत्ते
तृतीया अप्पेहि, अत्तेहि
अप्पेहिं, अत्तेहिं अप्पेहिं, अत्तेहिँ
चतुर्थी अप्पाण, अप्पाणं व षष्ठी अत्ताण, अत्ताणं
अप्पाउ, अप्पाहि अप्पाहिन्तो
अप्पासुतो
अप्पेहि
अप्पे हिन्तो
अप्पेसुन्तो
अत्तत्तो, अत्ताओ
पंचमी अप्पत्तो, अप्पाओ अप्पत्तो, अप्पादो अप्पादु, अप्पाहि अप्पाहिन्तो
अप्पासुन्तो
| अप्पेहि
अत्ताउ, अत्ताहि अत्ताहिन्तो
| अत्तासुन्तो
अत्तेहि
| अत्तेहिन्तो
अत्तेसुन्तो
सप्तमी अप्पेसु, अप्पेसुं
अत्तेसु, अत्तेसुं
सम्बोधन हे अप्पा
हे अत्ता
अप्प / अत्त ( आत्मा ) (अकारान्त पुल्लिंग की तरह रूप )
बहुवचन
शौरसेनी
भाषा
अप्पा, अत्ता
अप्पे, अत्ते
अप्पेहि, अत्तेहि अप्पेहिं, अत्तेहिं अप्पेहिँ, अत्तेहिँ अप्पाण, अप्पाणं अत्ताण, अत्ताणं
अप्पेहिन्तो
अप्पेसुन्तो अत्तत्तो, अत्तादो
अत्तादु, अत्ताहि
अत्ताहिन्तो
अत्तासुन्तो
| अत्तेहि
अत्तेहिन्तो
अत्तेसुन्तो अप्पेसु, अप्पेसुं
अत्तेसु, अत्तेसुं
हे अप्पा
हे अत्ता
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग - 1 )
मागधी
भाषा
अप्पा,
अत्ता अप्पा, अत्ता
अप्पे, अत्ते अप्पे, अत्ते
अप्पेहि, अत्तेहि
अप्पेहि, अत्तेहि
अप्पेहिं, अत्तेहिं अप्पेहिं, अत्तेहिं
अप्पेहिँ, अत्तेहिँ
अप्पेहिँ, अत्तेहिं
अप्पाण, अप्पानं अत्ताण, अत्ताणं
पैशाची
भाषा
अप्पत्तो, अप्पादो अप्पत्तो, अप्पातो अप्पा, अप्पाहि अप्पातु, अप्पाहि अप्पाहिन्तो अप्पाहिन्तो
अप्पासुन्तो अप्पासुन्तो अप्पेहि अप्पेहि अप्पेहिन्तो अप्पेहिन्तो
अप्पाण, अप्पाणं अत्ताण, अत्ताणं
अप्पेसुन्तो | अप्पेसुन्तो अत्तत्तो, अत्तादो अंत्तत्तो, अत्तादो
अत्तेहिन्तो
अत्तेसुन्तो
अप्पेसु, अप्पे अत्तेसु, अत्तेसुं
अत्तादु, अत्ताहि अत्ताहिन्तो
अत्तासुन्तो अत्तासुन्तो
अत्तेहि | अत्तेहि
हे अप्पा
हे अत्ता
अत्तादु, अत्ताहि अत्ताहिन्तो
अत्तेहिन्तो
अत्तेसुन्तो
अप्पेसु, अप्पेसुं अत्तेसु, अत्तेसुं
हे अप्पा
हे अत्ता
For Personal & Private Use Only
HTT
भाषा
अप्पा,
अत्ता
अप्पा, अत्ता
अप्पे, अत्ते अप्पेहि, अत्तेहि अप्पेहिं, अत्तेहिं
अप्पेहिँ, अत्तेहिँ
अप्पाण, अप्पाणं अत्ताण, अत्ताणं
अप्पत्तो, अप्पाओ अप्पाउ, अप्पाहि
अप्पाहिन्तो
अप्पासुन्तो
अप्पेहि
अप्पेहिन्तो
अप्पे सुन्तो
अत्तत्तो, अत्ताओ
अत्ताउ, अत्ताहि
अत्ताहिन्तो
अत्तासुन्तो
| अत्तेहि
अत्तेहिन्तो
| अत्तेसुन्तो
अप्पेसु, अप्पेसुं
अत्तेसु, अत्तेसुं
हे अप्पा
| हे अत्ता
(121)
Page #135
--------------------------------------------------------------------------
________________
अप्पाण (आत्मा) (अकारान्त पुल्लिंग की तरह रूप)
एकवचन शोरसेनी मागधी पैशाची भाषा
विभक्ति प्राकृत
भाषा
| अर्धमागधी भाषा
भाषा
प्रथमा
अप्पाणो .
|अप्पाणो
अप्पाणो अप्पाणो
अप्पाणो
द्वितीया अप्पाणं
. अप्पाणं
अप्पाण
अप्पाणं
आयाणं
।
तृतीया अप्पाणेण
अप्पाणेणं
अप्पाणेण अप्पाणेणं
अप्पाणेण अप्पाणेणं
अप्पाणेण अप्पाणेणं
अप्पाणेण अप्पाणेणं
अप्पाणस्स
अप्पाणश्श अप्पाणस्स
अप्पाणस्स
अप्पाणस्स व षष्ठी
पंचमी अप्पाणत्तो
अप्पाणाओ अप्पाणाउ अप्पाणाहि अप्पाणाहिन्तो अप्पाणा
अप्पाणादो | अप्पाणादो अप्पाणातो, अप्पाणत्तो |अप्पाणादु अप्पाणादु अप्पाणातु अप्पाणाओ
अप्पाणाउ अप्पाणाहि अप्पाणाहिन्तो अप्पाणा
सप्तमी अप्पाणे
अप्पाणम्मि
अप्पाणे अप्पाणम्मि अप्पाणम्हि
अप्पाणे अप्पाणे अप्पाणम्मि |अप्पाणम्मि
अप्पाणे | अप्पाणम्मि अप्पाणंमि अप्पाणंसि हे अप्पाण हे अप्पाणा हे अप्पाणो
सम्बोधन हे अप्पाण
हे अप्पाणा हे अप्पाणो
हे अप्पाण हे अप्पाणा हे अप्पाणो
हे अप्पाण हे अप्पाणा हे अप्पाणो
हे अप्पाण हे अप्पाणा हे अप्पाणो
(122)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
For Personal & Private Use Only
Page #136
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभक्ति प्राकृत
भाषा
प्रथमा अप्पाणा
द्वितीया अप्पाणा | अप्पाणे
तृतीया अप्पाणेहि
अप्पाणेहिं
अप्पाणेहिं
चतुर्थी अप्पाणाण. व षष्ठी अप्पाणाणं
पंचमी अप्पाणत्तो
अप्पाणाओ
सप्तमी अप्पा
अप्पाणेसुं
सम्बोधन हे अप्पाणा
अप्पाण ( आत्मा ) (अकारान्त पुल्लिंग की तरह रूप )
बहुवचन मागधी
भाषा
शौरसेनी
भाषा
अप्पाणा
अप्पाणा
अप्पाणे
अप्पाणाण
अप्पाणाणं
अप्पाणा
अप्पाणा
अप्पाणे
| पैशाची
भाषा
अप्पाणा
अप्पाणेहि
अप्पाणेहि अप्पाणेहि
| अप्पाणेहिं अप्पाणेहिं अप्पाणेहिं
अप्पाणेहिं
अप्पाणेहिँ अप्पाणेहिँ
प्राकृत-हिन्दी- व्याकरण (भाग - 1 )
अप्पाणा
अप्पाणे
अप्पाणाण अप्पाणाण
अप्पाणाणं अप्पाणाणं
अप्पाणाउ
अप्पाणाहि
अप्पाणाहिन्तो
अप्पाणाहिन्तो अप्पाणाहिन्तो अप्पाणाहिन्तो अप्पाणाहिन्तो
अप्पाणासुन्तो
अप्पाणासुन्तो
अप्पाणासुन्तो अप्पाणासुन्तो
अप्पाणासुन्तो
अप्पाणेहि
अप्पाणेहि
अप्पाणेहि अप्पाणेहि
अप्पाणेहि
अप्पाणेहिन्तो
अप्पाणेहिन्तो अप्पाणेहिन्तो अप्पाणेहिन्तो
अप्पाणेसुन्तो अप्पाणेसुन्तो अप्पाणेसुन्तो अप्पाणेसुन्तो
अप्पाणेसु अप्पाणेसु अप्पाणेसु अप्पाणेसुं अप्पाणेसुं अप्पासुं
हे अप्पाणा हे अप्पाणा हे अप्पाणा
अर्धमागधी
भाषा
अप्पाणा
| अप्पाणत्तो अप्पाणत्तो अप्पाणत्तो अप्पाणत्तो अप्पाणादो अप्पाणादो अप्पाणादो अप्पाणाओ अप्पाणादु अप्पाणादु अप्पाणादु अप्पाणाउ अप्पाणाहि अप्पाणाहि अप्पाणाहि अप्पाणाहि
For Personal & Private Use Only
अप्पाणा
अप्पाणे
अप्पाणेहि
अप्पाणेहिं
अप्पाणेहिं
अप्पाणाण
अप्पाणाणं
अप्पाणेहिन्तो
अप्पाणेसुन्तो
अप्पासु
अप्पासुं
हे अप्पाणा
(123)
Page #137
--------------------------------------------------------------------------
________________
अत्ताण (आत्मा) (अकारान्त पुल्लिंग की तरह रूप)
एकवचन शौरसेनी मागधी पैशाची भाषा
भाषा
विभक्ति | प्राकृत
भाषा
अर्धमागधी
भाषा
भाषा
प्रथमा
अत्ताणो
|अत्ताणो
| अत्ताणो
द्वितीया अत्ताणं
अत्ताणं
अत्ताणं
अत्ताणं
तृतीया |अत्ताणेण
अत्ताणेणं
अत्ताणेणं
अत्ताणेण अत्ताणेणं
अत्ताणेण अत्ताणेणं
अत्ताणेण अत्ताणेणं
अत्ताणस्स
अत्ताणश्शअत्ताणस्स
|अत्ताणस्स
चतुर्थी |अत्ताणस्स व षष्ठी
पंचमी अत्ताणत्तो
अत्ताणाओ अत्ताणाउ अत्ताणाहि अत्ताणाहिन्तो अत्ताणा
अत्ताणादो अत्ताणादो अत्ताणातो अत्ताणत्तो अत्ताणादु अत्ताणादु अत्ताणातु अत्ताणाओ
अत्ताणाउ अत्ताणाहि अत्ताणाहिन्तो अत्ताणा
सप्तमी
अत्ताणे अत्ताणम्मि
अत्ताणे अत्ताणम्मि अत्ताणम्हि
अत्ताणे अत्ताणे । अत्ताणम्मि |अत्ताणम्मि
अत्ताणे अत्ताणम्मि अत्ताणंमि अत्ताणंसि
हे अत्ताण
सम्बोधन हे अत्ताण
हे अत्ताणा हे अत्ताणो
हे अत्ताण हे अत्ताणा हे अत्ताणो
हे अत्ताण हे अत्ताणा हे अत्ताणो
हे अत्ताण हे अत्ताणा हे अत्ताणो
हे अत्ताणा हे अत्ताणो
(124)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
For Personal & Private Use Only
Page #138
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभक्ति प्राकृत भाषा
प्रथमा
अत्ताणा
द्वितीया अत्ताणा
अत्ता
तृतीया अत्ताहि
| अत्ताणेहिं अत्ताणेहिँ
चतुर्थी अत्ताणाण व षष्ठी अत्ताणाणं
पंचमी अत्ताणत्तो
अत्ताणाओ
अत्ताणाउ
| अत्ताणाहि
अत्ताणाहिन्तो
अत्ताणासुन्तो | अत्ताहि
अत्ताणेहिन्तो
अत्तासुन्तो
सप्तमी अत्ताणेसु
अत्ताणेसुं
सम्बोधन हे अत्ताणा
अत्ताण ( आत्मा ) (अकारान्त पुल्लिंग की तरह रूप)
बहवचन
शौरसेनी
भाषा
अत्ताणा
अत्ताणा
| अत्ताणे
अत्ताणेहि
| अत्ताणेहिं
| अत्ताणेहिँ
अत्ताणाण
अत्ताणाणं
अत्ताणत्तो
| अत्ताणादो
अत्ताणेसु
अत्ताणेसुं
हे अत्ताणा
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
मागधी
भाषा
अत्ताणा
अत्ताणा
| अत्ताणे
अत्ताणेहि
| अत्ताणेहिं
अत्ताणेहिँ
अत्ताणाण
अत्ताणाणं
| पैशाची
भाषा
अत्ताणा
अत्ताणा
अत्ता
| अत्ताणेहि
अत्ताणेहिं
अत्ताणेहिं
अत्ताणादु अत्ताणाहि अत्ताणाहिन्तो अत्ताणाहिन्तो अत्ताणाहिन्तो अत्ताणासुन्तो अत्ताणासुन्तो अत्ताणासुन्तो
अत्ताणेहि अत्ताणेहिन्तो
| अत्ताणेहि अत्ताणेहि अत्ताणेहिन्तो अत्ताणेहिन्तो
अत्ताणेसुन्तो
अत्ताणेसुन्तो अत्ताणेसुन्तो
अत्ताणाण
अत्ताणाणं
अत्ताणत्तो अत्ताणत्तो अत्ताणादो अत्ताणादो
अत्ताणेसु अत्ताणेसु
अत्ताणेसुं
अत्ताणेसुं
हे अत्ताणा हे अत्ताणा
अर्धमागधी
भाषा
For Personal & Private Use Only
अत्ताणा
अत्ताणा
अत्ताणे
अत्ताणेहि
अत्ताणेहिं
अत्ताणेहिं
अत्ताणाउ
अत्ताणादु अत्ताणादु अत्ताणाहि अत्ताणाहि अत्ताणाहि
अत्ताणाहिन्तो
अत्ताणासुन्तो
अत्ताणेहि
अत्ताणाण
अत्ताणाणं
अत्ताणत्तो
अत्ताणाओ
अत्ताणेहिन्तो
अत्तान्तो
अत्तासु
अत्तासुं
हे अत्ताणा
(125)
Page #139
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभक्ति प्राकृत
भाषा
राओ
द्वितीया राय, अं
तृतीया रायेण, रायेणं राएण, राएणं
प्रथमा
चतुर्थी रायस्स
व षष्ठी राअस्स
पंचमी
रायत्तो
रायाओ
रायाउ
रायाहि
रायाहिन्तो
राया
राअत्तो
राआओ
(126)
राआउ
राआहि
राआहिन्तो
राआ
सप्तमी राये, रायम्मि राए, राअम्मि
सम्बोधन हे राय, हे राअ
हे राया, हे राआ | हे रायो. हे राओ
राय / राअ (राजा) (अकारान्त पुल्लिंग की तरह रूप)
शौरसेनी
भाषा
रायो
रायं, राअं
रायेण
राएण
रायस्स
राअस्स
रायादो
रायादु
राआदो
राआदु
एकवचन
| मागधी | पैशाची
भाषा
भाषा
लाओ
रायो
लायं, लाअं रायं, राअं
लायेण
रायेण
लाएण
राएण
लायश्श
रायस्स
लाअश्श राअस्स
लायादो रायातो
लायादु रायातु लाआदो राआतो
लाआदु आतु
राये, रायम्मि राए, राअम्मि रायम्हि, राअम्हि
लाये, लायम्मि राये, रायम्मि लाए, लाअम्मिराए, अम्मि
अर्धम
भाषा
रायो
रायं, राअं
रायेण, रायेणं
राएण, राएणं
हे राय, हे राअ हे लाय, हे लाअ हे राय, हे राअ हे राया, हे राआ हे लाया, हे लाआ हे राया, हे राआ हेरायं हे राअं हे लायं हे लाअं हे रायं हे राअं
For Personal & Private Use Only
रायस्स
राअस्स
रायत्तों
रायाओ
रायाउ
रायाहि
रायाहिन्तो
राया
राअत्तो
राआओ
राआउ
राआहि
राआहिन्तो
राआ
रायंसि, राअंसि
रायंमि, राअंमि
हे राय, हे राअ
हे राया, हे राआ
हेरायं हे अं
प्राकृत-हिन्दी- व्याकरण ( भाग -1 )
राये, रायम्मि
राए, राअम्मि
Page #140
--------------------------------------------------------------------------
________________
राय/राअ (राजा) (अकारान्त पुल्लिंग की तरह रूप)
बहवचन शौरसेनी मागधी पैशाची भाषा भाषा भाषा
|प्राकृत
अर्धमागधी | भाषा
भाषा
राया, राआ
|राया, राआ
लाया, लाआराया, राआ
|राया, राआ
|रायासुन्तो
द्वितीया | राया, राआ राया, राआ लाया, लाआराया, राआ |राया, राआ राये, राए राये, राए लाये,लाए राये, राए
राये, राए रायेहि, राएहि रायेहि, राएहि लायेहि,लाएहि | रायेहि, राएहि रायेहि, राएहिं रायेहि, राएहिं रायेहि, राएहिं लायेहि,लाएहि | रायेहि, राएहिं रायेहि, राएहिं
रायेहिँ, राएहिँ रायेहिँ, राएहिँ लायेहिँ, लाएहिँ रायेहिँ, राएहिँ | रायेहि, राएहिँ चतुर्थी रायाण, रायाणं रायाण,रायाणं लायाण,लायाणं रायाण,रायाणं रायाण,रायाणं व षष्ठी राआण, राआणं राआण, राआणं लाआण,लाआणं राआण, राआणं राआण, राआणं पंचमी रायत्तो, रायाओ रायत्तो,रायादो |लायत्तो,लायादो रायत्तो,रायादो | रायत्तो,रायाओ
रायाउ, रायाहि रायादु,रायाहि लायादु, लायाहि रायादु,रायाहि | रायाउ,रायाहि रायाहिन्तो रायाहिन्तो लायाहिन्तो | रायाहिन्तो | रायाहिन्तो रायासुन्तो
लायासुन्तो | रायासुन्तो | रायासुन्तो रायेहि रायेहि लायेहि रायेहि | रायेहि रायेहिन्तो रायेहिन्तो लायेहिन्तो |रायेहिन्तो रायेहिन्तो रायेसुन्तो रायेसुन्तो लायेसुन्तो रायसुन्तो रायेसुन्तो राअत्तो, राआओ |राअत्तो,राआदो लाअत्तो,लाआदो | राअत्तो,राआतो | राअत्तो, राआओ राआउ, राआहि राआदु,राआहि लाआदु, लाआहि राआदु,राआहि | राआउ, राआहि राआहिन्तो राआहिन्तो लाआहिन्तो | राआहिन्तो |राआहिन्तो राआसुन्तो । राआसुन्तो
लाआसुन्तो | राआसुन्तो राआसुन्तो .राएहि राएहि लाएहि राएहि | राएहि राएहिन्तो
लाएहिन्तो राएहिन्तो | राएहिन्तो राएसुन्तो राएसुन्तो लाएसुन्तो राएसुन्तो | राएसुन्तो सप्तमी |रायेसु, रायेसुं रायेसु, रायेसुं लायेसु,लायेसुं रायेसु, रायेसुं रायेसु, रायेसुं
राएसु, राएसुं राएसु, राएसुं लाएसु,लाएK राएसु, राएसुं राएसु, राएसुं
राएहिन्तो
सम्बोधन हे राया
हे राया हे राआ
हे लाया हे लाआ
हे राया हे राआ
हे राया हे राआ
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
(127)
For Personal & Private Use Only
Page #141
--------------------------------------------------------------------------
________________
राय/राअ (राजा) (अकारान्त पुल्लिंग से भिन्न रूप)
एकवचन शौरसेनी मागधी भाषा भाषा भाषा
पैशाची
विभक्ति प्राकृत
भाषा
अर्धमागधी भाषा
प्रथमा
राया .
राआ
लाआ
राजा
| राया
द्वितीया | राइणं
लाइणं
राइणं
रायाणं .
रायं | राइणा
तृतीया |राइणा
रण्णा
राइणा
रण्णा
लाइणा राइणा लण्णा,लञा रञा, राचिञा |रण्णा लायणा रायणा
रायणा
रायणा
रायणा
EEEEEEEEEE
| रखो
चतुर्थी रणो व षष्ठी राइणो
| रण्णो
राइणो
लण्णो लाइणो लायणों
राचित्रो रायणो
| राइणो रायणो
रायणो
पंचमी
रण्णा
रण्णो
लण्णो लाइणो
रजो |राचित्रो
राणा
राणो
सप्तमी राइम्मि
राइम्मि
लाइम्मि
राइम्मि
राइम्मि
सम्बोधन
(128)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
For Personal & Private Use Only
Page #142
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभक्ति प्राकृत
भाषा
प्रथमा
राइणो
द्वितीया राइणो
तृतीया राईहि
राईहिं
राईहिं
चतुर्थी राइणं
व षष्ठी राईण
राईणं
पंचमी राइतो
राईओ
राईउ
राईहिन्तो
राईसुन्तो
सप्तमी राईसु
राईसुं
सम्बोधन राइणो
राय / राअ (राजा) (अकारान्त पुल्लिंग से भिन्न रूप)
शौरसेनी
भाषा
राइणो
राइणो
राईहि
राईहिं
राईहिं
राइणं
राईण
राईणं
राइतो
राईओ
राईउ
राईहिन्तो
राईसुन्तो
राईसु
राईसुं
राइणो
प्राकृत-हिन्दी व्याकरण (भाग - 1 )
बहुवचन मागधी
भाषा
लाइणो
लाइणो
लाईहि
लाईहिं
लाईहिं
लाइणं
लाईण
लाईणं
| पैशाची
भाषा
लाईसु
लाईसुं
लाइणो
राइणो
राइणो
राईह
राईह
राईहिँ
राइणं
राईण
राईणं
लाइतो
लाईओ
लाईउ लाईहिन्तो
राईहिन्तो
लाईसुन्तो राईसुन्तो
राइतो
राईओ
राईउ
राईसु
राईसुं
राइणो
For Personal & Private Use Only
अर्धमागधी
भाषा
| राइणो
राइणो
राईहि
राईहिं
राईहिं
राइणं
राईण
राईणं
राइतो
राईओ
राईउ
राईहिन्तो
राईसुन्तो
राईसु
राईसुं
राइणो
(129)
Page #143
--------------------------------------------------------------------------
________________
विभक्ति प्राकृत
भाषा
रायाणो
द्वितीया रायाणं
प्रथमा
तृतीया रायाणेण
रायाणेणं
चतुर्थी रायाणस्स व षष्ठी
पंचमी रायाणत्तो
रायाणाओ
रायाणाउ
रायाणाहि
रायाणाहिन्तो
सप्तमी रायाणे रायाणम्मि
सम्बोधन हे रायाण
हे रायाणा
हे रा
(130)
रायाण (राजा) (अकारान्त पुल्लिंग की तरह रूप )
एकवचन
शौरसेनी
भाषा
राआणो
राआणं
रायाणेण
रायाणेणं
रायाणस्स
रायाणादो
रायाणादु
रायाणे रायाणम्मि रायाणम्हि
हे रायाण हे रायाणा
मागधी
भाषा
लाआणो
लाआणं
पैशाची
भाषा
राआणो
राआणं
लायाणेण
रायाणेण
रायाणेणं रायाणेणं
लायाणस्स रायाणस्स
लायाणादो रायाणातो
लायाणादु रायाणातु
लायाणे रायाणे लायाणम्मि रायाणम्मि
हे लायाण हे रायाण
हे लायाणा हे रायाणा
हे लायाणो हे रायाणो
अर्धमागधी
भाषा
For Personal & Private Use Only
रायाणो
रायाणं
रायाणेण
रायाणेणं
रायाणस्स
रायाणत्तो
रायाणाओ
रायाणाउ
रायाणाहि
| रायाणाहिन्तो
हे रायाण
हे रायाणा
हेरायाण
प्राकृत-हिन्दी व्याकरण ( भाग - 1 )
रायाणे
रायाणम्मि
रायाणंसि
रायाणंमि
Page #144
--------------------------------------------------------------------------
________________
रायाण (राजा) (अकारान्त पुल्लिंग की तरह रूप)
बहवचन
मागधी पैशाची भाषा भाषा भाषा
विभक्ति प्राकृत
भाषा
|शौरसेनी
अर्धमागधी
भाषा
प्रथमा
रायाणा
राआणा
लाआणा
राआणा
| रायाणा
रायाणा रायाणे
राआणा राआणे
लाआणा लाआणे
राआणा राआणे
रायाणा | रायाणे
| रायाणेहि
तृतीया | रायाणेहि
रायाणेहिं . रायाणेहिं
रायाणेहि रायाणेहिं |रायाणेहिँ
लायाणेहि लायाणेहिं लायाणेहिँ
रायाणेहि रायाणेहिं रायाणेहिँ
| रायाणेहिं
| रायाणेहिँ
चतुर्थी | रायाणाण व षष्ठी रायाणाणं
रायाणाण रायाणाणं
लायाणाण लायाणाणं
रायाणाण रायाणाणं
रायाणाण रायाणाणं
रायाणाहि
लायाणा
पंचमी रायाणत्तो
|रायाणाओ |रायाणाउ रायाणाहि रायाणाहिन्तो रायाणासुन्तो रायाणेहि
रायाणेहिन्तो .. |रायाणेसुन्तो
रायाणत्तो . लायाणत्तो रायाणत्तो रायाणादो लायाणादो रायाणादो रायाणादु लायाणादुरायाणादु
लायाणाहि रायाणाहि रायाणाहिन्तो लायाणाहिन्तो रायाणाहिन्तो रायाणासुन्तो लायाणासुन्तो रायाणासुन्तो रायाणेहि लायाणेहि रायाणेहि रायाणेहिन्तो
लायाणेहिन्तो रायाणेहिन्तो रायाणेसुन्तो लायाणेसुन्तो | रायाणेसुन्तो
| रायाणत्तो | रायाणाओ
रायाणाउ | रायाणाहि | रायाणाहिन्तो | रायाणासुन्तो | रायाणेहि | रायाणेहिन्तो | रायाणेसुन्तो
सप्तमी रायाणेसु
रायाणेसुं
रायाणेसु
लायाणेसु लायाणेसु
रायाणेसु रायाणेसुं
| रायाणेसु । रायाणेसुं
सम्बोधन हे रायाणा
हेराआणा
हे लाआणा |हे राचाणा
हे रायाणा
000 (131)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
For Personal & Private Use Only
Page #145
--------------------------------------------------------------------------
________________
परिशिष्ट-3 सर्वनाम-रूप
यहाँ निम्नलिखित सर्वनामों की रूपावली दी जा रही है।
पुल्लिंग सर्वनाम- सव्व, त, ज, क, एत, इम, अन्न, अमु, एक्क
नपुंसकलिंग सर्वनाम- सव्व, त, ज, क, एत, इम, अन्न, अमु, एक्क
स्त्रीलिंग सर्वनाम-सव्वा, ता, जा, का, एता, इमा, अन्ना,अमु, एक्का
पुरुषवाचक सर्वनाम तीनों लिंगों में- तुम्ह, अम्ह
नोटः शौरसेनी भाषा में प्रयुक्त होनेवाले सर्वनाम-रूपों को गहरे काले अक्षरों में, मागधी भाषा में प्रयुक्त होनेवाले सर्वनाम-रूपों को रेखांकित अक्षरों में, पैशाची भाषा में प्रयुक्त होनेवाले सर्वनाम-रूपों को तिरछे अक्षरों में तथा अर्धमागधी भाषा में प्रयुक्त होनेवाले सर्वनाम-रूपों को गहरे काले तथा तिरछे अक्षरों में दिखाया गया है। *एअ पुल्लिंग तथा ती, जी की, एआ, एई, इमी स्त्रीलिंग सर्वनामों के लिए प्रौढ प्राकृत रचना सौरभ (भाग-1), अपभ्रंश साहित्य अकादमी, जयपुर देखी जा सकती है। प्राकृत भाषाओं का व्याकरण-रिचार्ड पिशल पृष्ठ संख्या 1. सर्वनाम- अम्ह, तुम्ह
608-622 2. शेष सर्वनाम
622-643
(132)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
For Personal & Private Use Only
Page #146
--------------------------------------------------------------------------
________________
पुल्लिंग-सव्व (सब)
एकवचन
बहुवचन
प्रथमा
सवे
सव्वो, सव्वे (सब, सबने)
(सब, सबने)
द्वितीया
सव्वं (सबको)
सव्वा, सव्वे (सबको)
तृतीया
सव्वेण, सव्वेणं (सबसे, सबके द्वारा)
सव्वेहि, सव्वेहि, सव्वेहिँ (सबसे, सबके द्वारा)
चतुर्थी
सव्वाय, सव्वस्स (सबके लिए)
सव्वाण, सव्वाणं, सव्वेसि (सबके लिए)
पंचमी
सव्वत्तो, सव्वाओ, सव्वाउ सव्वाहि, सव्वाहिन्तो, सव्वा सव्वादो, सव्वादु सव्वातो, सव्वातु (सबसे)
सव्वत्तो, सव्वाओ, सव्वाउ, सव्वाहि, सव्वाहिन्तो, सव्वासुन्तो, सव्वेहि, सव्वेहिन्तो, सव्वेसुन्तो सव्वादो, सव्वादु (सबसे)
षष्ठी
सव्वस्स सव्वश्श, सव्वाह (सबका, सबकी, सबके)
सव्वेसिं, सव्वाण, सव्वाणं सव्वाहँ (सबका, सबकी, सबके)
सप्तमी
सव्वस्सिं, सव्वम्मि, सव्वत्थ सव्वहिं सव्वम्हि, सव्वंसि, सव्वंमि (सबमें, सब पर)
सव्वेसु, सव्वेसुं (सबमें, सब पर)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
(133)
For Personal & Private Use Only
Page #147
--------------------------------------------------------------------------
________________
नपुंसकलिंग-सव्व (सब)
एकवचन
बहुवचन
प्रथमा
सव्वं (सबने)
सव्वाइं, सव्वाइँ, सव्वाणि (सब, सबने)
द्वितीया
सव्वं ' (सबको)
सव्वाइं, सव्वाइँ, सव्वाणि (सबको)
तृतीया
सव्वेण, सव्वेणं (सबसे, सबके द्वारा)
सव्वेहि, सव्वेहिं, सव्वेहिँ (सबसे, सबके द्वारा)
चतुर्थी
सव्वाय, सव्वस्स (सबके लिए)
सव्वाण, सव्वाणं, सव्वेसिं (सबके लिए)
पंचमी
सव्वत्तो, सव्वाओ, सव्वाउ सव्वाहि, सव्वाहिन्तो, सव्वा सव्वादो, सव्वादु सव्वातो, सव्वातु (सबसे)
सव्वत्तो, सव्वाओ, सव्वाउ, सव्वाहि, सव्वाहिन्तो, सव्वासुन्तो, सव्वेहि, सव्वेहिन्तो, सव्वेसुन्तो सव्वादो, सव्वादु (सबसे).
षष्ठी
सव्वस्स सव्वश्श, सव्वाह (सबका, सबकी, सबके)
सव्वेसिं, सव्वाण, सव्वाणं सव्वाह (सबका, सबकी, सबके)
सप्तमी
सव्वेसु, सव्वेसुं (सबमें, सब पर)
सव्वस्सिं, सव्वम्मि, सव्वत्थ सव्वहिं सव्वम्हि, सव्वंसि, सव्वंमि (सबमें, सब पर)
(134)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
For Personal & Private Use Only
Page #148
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________________
आकारान्त स्त्रीलिंग-सव्वा (सब)
एकवचन
बहुवचन
प्रथमा
सव्वा
सव्वा, सव्वाउ, सव्वाओ (सब, सबने)
(सब, सबने)
द्वितीया
सव्वं . (सबको)
सव्वा, सव्वाउ, सव्वाओ (सबको)
तृतीया
सव्वाअ, सव्वाइ, सव्वाए (सबसे, सबके द्वारा)
सव्वाहि, सव्वाहिं, सव्वाहिँ (सबसे, सबके द्वारा)
चतुर्थी
व षष्ठी
सव्वाअ, सव्वाइ, सव्वाए (सबके लिए) (सबका, सबकी, सबके)
सव्वाण, सव्वाणं, सव्वेसि (सबके लिए) (सबका, सबकी, सबके)
पंचमी
सव्वाअ, सव्वाइ, सव्वाए सव्वत्तो, सव्वाओ, सव्वाउ, सव्वाहिन्तो सव्वादो, सव्वादु सव्वातो, सव्वातु (सबसे)
सव्वत्तो, सव्वाओ, सव्वाउ, सव्वाहिन्तो, सव्वासुन्तो सव्वादो, सव्वादु (सबसे)
सप्तमी
सव्वाअ, सव्वाइ, सव्वाए (सबमें, सब पर)
सव्वासु, सव्वासुं (सबमें, सब पर)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
(135)
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Page #149
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________________
पुल्लिंग-त (वह)
एकवचन
बहुवचन
प्रथमा
सो, स से, शे,
ते, शे, से (वे, उन्होंने)
(वह, उसने)
द्वितीया
ते, ता, से
(उन्हें, उनको)
तं . (उसे, उसको) तेण, तेणं, तिणा, से (उससे, उसके द्वारा)
तेहि, तेहि, तेहिं (उनसे, उनके द्वारा)
चतुर्थी व षष्ठी
तस्स, से, शे, सि तास तश्श, ताह (उसके लिए) (उसका, उसकी, उसके)
ताण, ताणं, तेसिं, तेसि, सिं, से तास ताह , (उनके लिए) (उनका, उनकी, उनके)
पंचमी
तत्तो, ताओ, ताउ, ताहिन्तो ताहि, ता, तम्हा, तो तादो, तादु (उस से)
तत्तो, ताओ, ताउ, तेब्भो ताहि, ताहिन्तो, तासुन्तो, तेहि, तेहिन्तो, तेसुन्तो, तादी, तादु (उन से)
सप्तमी
तेसु, तेसुं (उनमें, उन पर)
तस्सिं, तम्मि, तत्थ तहिं, ताहे, ताला, तइआ, तम्हि तंमि, तंसि, तश्शिं (उसमें, उस पर)
(136)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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Page #150
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________________
नपुंसकलिंग-त (वह)
बहुवचन
एकवचन
प्रथमा
ताई, ताइँ, ताणि (वे, उन्होंने)
(वह, उसने)
द्वितीया
तं (उसे, उसको)
ताई, ताइँ, ताणि (उन्हें, उनको)
तृतीया
तेण, तेणं, तिणा, से. (उससे, उसके द्वारा)
तेहि, तेहिं, तेहिँ (उनसे, उनके द्वारा)
चतुर्थी
व षष्ठी
तस्स, । से, शे, सि तास तश्श, ताह (उसके लिए) (उसका, उसकी, उसके)
ताण, ताणं, तेसिं, तेसि, सिं, से तास ताहँ (उनके लिए) (उनका, उनकी, उनके)
पंचमी.
तत्तो, ताओ, ताउ, ताहिन्तो ताहि, ता, तम्हा, तो तादो, तादु (उस से)
तत्तो, ताओ, ताउ, तेब्भो ताहि, ताहिन्तो, तासुन्तो, तेहि, तेहिन्तो, तेसुन्तो, तादो, तादु (उन से)
सप्तमी :
तस्सिं, तम्मि, तत्थ
तेसु, तेसुं (उनमें, उन पर)
तहि,
ताहे, ताला, तइआ, तम्हेि तंमि, तंसि, तश्शिं (उसमें, उस पर)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
(137)
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Page #151
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________________
स्त्रीलिंग-ता (वह)
एकवचन
बहुवचन
प्रथमा
. (वह, उसने)
ता, ताउ, ताओ (वे, उन्होंने)
द्वितीया
तं (उसे, उसको)
ता, ताउ, ताओ (उन्हें, उनको)
तृतीया
ताअ, ताइ, ताए (उससे, उसके द्वारा)
ताहि, ताहिं, ताहिँ (उनसे, उनके द्वारा)
चतुर्थी व षष्ठी
ताअ, ताइ, ताए तास, से (उसके लिए) (उसका, उसकी, उसके)
ताण, ताणं तेसिं, सिं, तासिं, तासि (उनके लिए) (उनका, उनकी, उनके)
पंचमी
तत्तो, ताओ, ताउ, ताहिन्तो ताअ, ताइ, ताए तादो, तादु (उस से)
तत्तो, ताओ, ताउ, ताहिन्तो तासुन्तो तादो, तादु (उन से)
सप्तमी
ताअ, ताइ, ताए ताहिं (उसमें, उस पर)
तासु, तासुं (उनमें, उन पर)
(138)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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Page #152
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________________
पुल्लिंग-ज (जो)
एकवचन
बहुवचन
प्रथमा
जो, जे (जो, जिसने)
(जो, जिन्होंने)
त
जे, जा (जिन्हें, जिनको)
.. (जिसे, जिसको)
जेण, जेणं, जिणा (जिससे, जिसके द्वारा)
जेहि, जेहिं, जेहिँ (जिनसे, जिनके द्वारा)
व षष्ठी
जस्स, जास, यश्श, याह (जिसके लिए) (जिसका, जिसकी,जिसके)
जाण, जाणं, जेसिं, जेसि (जिनके लिए) (जिनका, जिनकी, जिनके)
पंचमी
जत्तो, जाओ, जाउ, जाहिन्तो, जा जम्हा जादो, जादु (जिस से)
जत्तो, जाओ, जाउ, जाहि, जाहिन्तो,जासुन्तो जेहि, जेहिन्तो, जेसुन्तो, जादो, जादु (जिन से)
सप्तमी
जस्सिं, जम्मि, जत्थ
जेसु, जेसुं (जिनमें, जिन पर)
जाहे, जाला, जइया
जम्हि ,
जमि, जसि (जिसमें, जिस पर)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
(139)
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Page #153
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________________
नपुंसकलिंग - ज (जो)
एकवचन
बहुवचन
प्रथमा
जाई, जाइँ, जाणि (जो, जिन्होंने)
. (जो, जिसने)
द्वितीया
जं. (जिसे, जिसको)
जाई, जाइँ, जाणि (जिन्हें, जिनको) .
तती
.
जेण, जेणं, जिणा (जिससे, जिसके द्वारा)
जेहि, जेहिं, जेहिं . (जिनसे, जिनके द्वारा)
चतुर्थी व षष्ठी
जस्स; जास, यश्श. याह (जिसके लिए) (जिसका, जिसकी,जिसके)
जाण, जाणं, जेसिं, जेसि (जिनके लिए) (जिनका, जिनकी, जिनके)
पंचमी
जत्तो, जाओ, जाउ, जाहिन्तो, जा जम्हा जादो, जादु (जिस से)
जत्तो, जाओ, जाउ, जाहि, जाहिन्तो,जासुन्तो जेहि, जेहिन्तो, जेसुन्तो, जादो, जादु (जिन से)
सप्तमी
जेसु, जेसुं (जिनमें, जिन पर)
जस्सिं, जम्मि, जत्थ जहिं जाहे, जाला, जइया जम्हि , जमि, जसि (जिसमें, जिस पर)
(140)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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Page #154
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________________
स्त्रीलिंग - जा (जो)
एकवचन
बहुवचन
प्रथमा
जा
जा, जाउ, जाओ (जो, जिन्होंने)
(जो, जिसने)
द्वितीया
जा, जाउ, जाओ (जिन्हें, जिनको)
' (जिसे, जिसको)
तृतीया
जाअ, जाइ, जाए (जिससे, जिसके द्वारा)
जाहि, जाहिं, जाहिँ (जिनसे, जिनके द्वारा)
चतुर्थी व षष्ठी
जाअ, जाइ, जाए (जिसके लिए) (जिसका, जिसकी,जिसके)
जाण, जाणं, जेसिं, जासिं (जिनके लिए) (जिनका, जिनकी, जिनके)
पंचमी
जाअ, जाइ, जाए जत्तो, जाओ, जाउ, जाहिन्तो जादो, जादु (जिस से)
जत्तो, जाओ, जाउ, जाहिन्तो, जासुन्तो जादो, जादु (जिन से)
सप्तमी
जाअ, जाइ, जाए जाहिं (जिसमें, जिस पर)
जासु जासुं (जिनमें, जिन पर)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
(141)
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Page #155
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________________
पुल्लिंग - क (कौन)
एकवचन
बहुवचन
प्रथमा
के .
(कौन, किसने)
(कौन, किन्होंने)
द्वितीया
के, का
...
(किसे, किसको)
(किन्हें, किनको)
तृतीया
केण, केणं, किणा (किससे, किसके द्वारा)
केहि, केहि, केहि (किनसे, किनके द्वारा)
चतुर्थी व षष्ठी
कस्स, कास, काह (किसके लिए) (किसका, किसकी,किसके)
काण, काणं कास, केसिं (किनके लिए) (किनका, किनकी, किनके)
पंचमी
कत्तो, काओ, काउ, काहिन्तो, का कम्हा, कओहिन्तो किणो, कीस कादो, कादु (किस से)
कत्तो, काओ, काउ, काहि, काहिन्तो, . कासुन्तो केहि, केहिन्तो, केसुन्तो कादो, कादु (किन से)
सप्तमी
केसुं (किनमें, किन पर)
कस्सिं, कम्मि, कत्थ कहि काहे, काला, कइआ कम्हि कमि, कंसि, कश्शिं (किसमें, किस पर)
(142)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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Page #156
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________________
नपुंसकलिंग - क (कौन)
एकवचन
बहुवचन
प्रथमा
(कौन, किसने)
काई, काइँ, काणि (कौन, किन्होंने)
द्वितीया . किं
(किसे, किसको)
काई, काइँ, काणि (किन्हें, किनको)
तृतीया
केण, केणं, किणा (किससे, किसके द्वारा)
केहि, केहिं, केहि (किनसे, किनके द्वारा)
चतुर्थी कस्स, व षष्ठी कास, काह
(किसके लिए) • (किसका, किसकी,किसके)
काण, काणं कास, केसिं (किनके लिए) (किनका, किनकी, किनके)
'पंचमी
कत्तो, काओ, काउ, काहिन्तो, का। कम्हा, कओहिन्तो किणो, कीस कादो, कादु . (किस से)
कत्तो, काओ, काउ, काहि, काहिन्तो, कासुन्तो केहि, केहिन्तो, केसुन्तो कादो, कादु (किन से)
सप्तमी
कति
केसुं
.
(किनमें, किन पर)
कस्सिं, कम्मि, कत्थ कहिं काहे, काला, कइआ कम्हि कंमि, कंसि, कश्शिं (किसमें, किस पर)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
(143)
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Page #157
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स्त्रीलग
स्त्रीलिंग - का (कौन)
एकवचन
बहुवचन
प्रथमा
(कौन, किसने)
काउ, काओ, का (कौन, किन्होंने)
द्वितीया
(किसे, किसको)
काउ, काओ, का (किन्हें, किनको)
तृतीया
काअ, काइ, काए (किससे, किसके द्वारा)
काहि, काहिं, काहिँ (किनसे, किनके द्वारा)
चतुर्थी व षष्ठी
काअ, काइ, काए, कास, काह (किसके लिए) (किसका, किसकी,किसके)
काण, काणं, केसि (किनके लिए) (किनका,किनकी, किनके)
पंचमी
काअ, काइ, काए कत्तो, काओ, काउ, काहिन्तो कादो, कादु (किस से)
कत्तो, काओ, काउ, काहिन्तो कासुन्तो कादो, कादु (किन से)
सप्तमी
काअ, काइ, काए काहिं (किसमें, किस पर)
कासु कासु
(किनमें, किन पर)
(144)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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Page #158
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________________
पुल्लिंग - एत (यह)
एकवचन
बहुवचन
प्रथमा
एसो
एस, इणं, इणमो (यह, इसने)
(ये, इन्होंने)
द्वितीया . एतं
एवं (इसे, इसको)
एते, एता एदे, एदा (इन्हें, इनको)
ततीया
एतेण, एतेणं, एतिणा एदेण, एदेणं, एदिणा (इससे, इसके द्वारा)
एतेहि, एतेहिं, एतेहिँ एदेहि, एदेहि, एदेहिँ (इनसे, इनके द्वारा)
चतुर्थी व षष्ठी
एतस्स , से
एदस्स (इसके लिए) (इसका, इसकी, इसके)
एताण, एताणं एतेसिं, सिं एदाण, एदाणं, एदेसिं (इनके लिए) (इनका, इनकी, इनके)
पंचमी
एताओ, एताउ, एताहि एताहिन्तो, एता एत्तो, एत्ताहे एदादो, एदादु (इस से)
एत्ततो, एताओ, एताउ, एताहि एताहिन्तो, एतासुन्तो एतेहि, एतेहिन्तो, एतेसुन्तो एदादो, एदादु (इन से) .
सप्तमी
एतस्सिं, एतम्मि अयम्मि, ईयम्मि एत्थ एतम्हि एतमि, एतसि (इसमें, इस पर)
एतेसु, एतेसुं एदेसु, एदेसुं (इनमें, इन पर)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
(145)
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Page #159
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________________
नपुंसकलिंग - एत (यह)
एकवचन
बहुवचन
प्रथमा
एस, इणं, इणमो
एताई, एताइँ, एताणि एदाई, एदाइँ, एदाणि (ये, इन्होंने)
(यह, इसने)
द्वितीया - एतं
एताई, एताइँ, एताणि . . . एदाई, एदाइँ, एदाणि . (इन्हें, इनको)
(इसे, इसको)
तृतीया
एतेण, एतेणं, एतिणा एदेण, एदेणं, एदिणा (इससे, इसके द्वारा)
एतेहि, एतेहिं, एतेहिं एदेहि, एदेहिं, एदेहि (इनसे, इनके द्वारा)
एतस्स
चतुर्थी व षष्ठी
एदस्स (इसके लिए) (इसका, इसकी, इसके)
एताण, एताणं एतेसिं, सिं एदाण, एदाणं, एदेसिं (इनके लिए) (इनका, इनकी, इनके)
पंचमी
एताओ, एताउ, एताहि एताहिन्तो, एता एत्तो, एत्ताहे एदादो, एदादु (इस से)
एत्ततो, एताओ, एताउ, एताहि एताहिन्तो, एतासुन्तो एतेहि, एतेहिन्तो, एतेसुन्तो एदादो, एदादु
(इन से)
सप्तमी
एतेसु, एतेसुं एदेसु, एदेसुं (इनमें, इन पर)
एतस्सिं, एतम्मि अयम्मि, ईयम्मि एत्थ एतम्हि एतंमि, एतसि (इसमें, इस पर)
(146)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
For Personal & Private Use Only
Page #160
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________________
स्त्रीलिंग - एता (यह)
एकवचन
बहुवचन
प्रथमा
एसा (यह, इसने)
एताउ, एताओ, एता (ये, इन्होंने)
द्वितीया
एतं (इसे, इसको)
एताउ, एताओ, एता (इन्हें, इनको)
तृतीया
एताअ, एताइ, एताए (इससे, इसके द्वारा)
एताहि, एताहिं, एताहिँ (इनसे, इनके द्वारा)
चतुर्थी व षष्ठी
एताअ, एताइ, एताए, से (इसके लिए) (इसका, इसकी, इसके)
एताण, एताणं, सिं (इनके लिए) (इनका, इनकी, इनके)
पंचमी
, एतत्तो, एतत्ताहे
एताअ, एताइ, एताए एताओ, एताउ, एताहिन्तो एतादो, एतादु (इस से)
एतत्तो, एताओ, एताउ एताहिन्तो, एतासुन्तो एतादो, एतादु (इन से)
सप्तमी
एताअ, एताइ, एताए
(इसमें, इस पर)
एतासु, एतासुं (इनमें, इन पर)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
(147)
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Page #161
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________________
पुल्लिंग - इम (यह)
एकवचन
बहुवचन
प्रथमा
इमे
.
(ये, इन्होंने)
अयं, अअं इमे (यह, इसने)
इम, इणं,
णं
इमे, इमा, णे, णा (इन्हें, इनको)
(इसे, इसको)
इमेण, इमेणं, इमिणा णेण, णेणं, णिणा (इससे, इसके द्वारा)
इमेहि, इमेहिं, इमेहिँ णेहि, णेहिं, णेहिँ (इनसे, इनके द्वारा)
चतुर्थी
इमस्स, अस्स से, इमश्श (इसके लिए) (इसका, इसकी, इसके)
इमाण, इमाणं, इमेसि, सिं (इनके लिए) (इनका, इनकी, इनके)
पंचमी
इमत्तो, इमाओ, इमाउ इमाहि, इमाहिन्तो, इमा इमादो, इमादु (इस से)
इमत्तो, इमाओ, इमाउ इमाहि, इमाहिन्तो, इमासुन्तो इमेहि, इमेहिन्तो, इमेसुन्तो इमादो, इमादु (इन से) .
सप्तमी
इमस्सिं, इमम्मि अस्सिं, इमश्शि
इमेसु, इमेसुं (इनमें, इन पर)
इह
इमम्हि इममि, इमंसि (इसमें, इस पर)
(148)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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Page #162
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________________
नपुंसकलिंग - इम (यह) एकवचन
बहुवचन इदं, इणमो, इणं
इमाई, इमाइँ, इमाणि (यह, इसने)
(ये, इन्होंने)
प्रथमा
द्वितीया
इदं, इणमो, इणं ण (इसे, इसको)
इमाई, इमाई, इमाणि (इन्हें, इनको)
तृतीया
इमेण, इमेणं, इमिणा णेण, णेणं, णिणा (इससे, इसके द्वारा)
इमेहि, इमेहिं, इमेहिँ णेहि, णेहिं, णेहिँ . (इनसे, इनके द्वारा)
चतुर्थी व षष्ठी
इमस्स, अस्स से, इमश्श (इसके लिए) (इसका, इसकी, इसके)
इमाण, इमाणं, इमेसि, सिं (इनके लिए) (इनका, इनकी, इनके)
पंचमी
इमत्तो, इमाओ, इमाउ इमाहि, इमाहिन्तो, इमा इमादो, इमादु (इस से)
इमत्तो, इमाओ, इमाउ इमाहि, इमाहिन्तो, इमासुन्तो इमेहि, इमेहिन्तो, इमेसुन्तो इमादो, इमादु (इन से)
सप्तमी
इमेसु, इमेसुं (इनमें, इन पर)
इमस्सिं, इमम्मि अस्सिं, इमश्शि इह इमम्हि इमंमि, इमंसि (इसमें, इस पर)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
(149)
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स्त्रीलिंग - इमा (यह)
एकवचन
बहुवचन
प्रथमा
इमाउ, इमाओ,
इमा
इमिआ (यह, इसने)
(ये, इन्होंने)
द्वितीया
इमं (इसे, इसको)
इमाउ, इमाओ, इमा (इन्हें, इनको)
तृतीया
इमाअ, इमाइ, इमाए (इससे, इसके द्वारा)
इमाहि, इमाहिं, इमाहिँ (इनसे, इनके द्वारा)
चतुर्थी व षष्ठी
इमाअ, इमाइ, इमाए, से (इसके लिए) (इसका, इसकी, इसके)
इमाण, इमाणं, सिं, इमेसिं (इनके लिए) (इनका, इनकी, इनके)
पंचमी
इमाअ, इमाइ, इमाए इमत्तो, इमाओ, इमाउ, इमाहिन्तो इमादो, इमादु (इस से)
इमत्तो, इमाओ, इमाउ, इमाहिन्तो, इमासुन्तो इमादो, इमादु (इन से)
सप्तमी
इमाअ, इमाइ, इमाए (इसमें, इस पर)
इमासु, इमासुं (इनमें, इन पर)
(150)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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Page #164
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पुल्लिंग - अमु (वह)
एकवचन
बहुवचन
प्रथमा
अमउ, अमओ, अमुणो, अमवो,
अह, असौ अमू (वह, उसने)
अमू
(वे, उन्होंने)
द्वितीया
अमुं (उसे, उसको)
अमुणो, अमू (उन्हें, उनको)
तृतीया
अमुणा (उससे, उसके द्वारा)
अमूहि, अमूहि, अमूहिँ (उनसे, उनके द्वारा)
चतुर्थी व षष्ठी
अमुस्स, अमुणो (उसके लिए) (उसका, उसकी, उसके)
अमूण, अमूणं (उनके लिए) (उनका, उनकी, उनके)
पंचमी
अमुणो, अमुत्तो, अमूओ, अमूउ, अमूहिन्तो अमूदो, अमूदु (उस से)
अमुत्तो, अमूओ, अमूउ अमूहिन्तो, अमूसुन्तो अमूदो, अमूदु (उन से)
सप्तमी
अयम्मि, इअम्मि, अमुम्मि अमुम्हि असुमि, अमुंसि (उसमें, उस पर)
अमूसु, अमूसुं (उनमें, उन पर)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
(151)
For Personal & Private Use Only
Page #165
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नपुंसकलिंग - अमु (वह)
एकवचन
बहुवचन
प्रथमा
अह, अमुं (वह, उसने)
अमूई, अमूई, अमूणि (वे, उन्होंने)
द्वितीया
अमुं (उसे, उसको)
अमूई, अमूई, अमूणि (उन्हें, उनको)
तृतीया
अमुणा (उससे, उसके द्वारा)
अमूहि, अमूहि, अमूहिँ (उनसे, उनके द्वारा)
चतुर्थी व षष्ठी
अमुस्स, अमुणो (उसके लिए) (उसका, उसकी, उसके)
अमूण, अमूणं (उनके लिए) (उनका, उनकी, उनके)
पंचमी
अमुणो, अमुत्तो, अमूओ, अमूड, अमूहिन्तो अमूदो, अमूदु (उस से)
अमुत्तो, अमूओ, अमूड अमूहिन्तो, अमूसुन्तो ।
अमूदो, अमूदु · (उन से)
सप्तमी
अमूसु,
अयम्मि, इअम्मि, अमुम्मि अमुम्हि अमुंमि,अमुंसि (उसमें, उस पर)
अमूसुं (उनमें, उन पर)
(152)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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Page #166
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स्त्रीलिंग - अमु (वह)
एकवचन
बहुवचन
प्रथमा
अह,
अमू (वह, उसने)
अमूड, अमूओ, अमू (वे, उन्होंने)
द्वितीया
अमुं (उसे, उसको)
अमूउ, अमूओ, अमू (उन्हें, उनको)
तृतीया
अमूअ, अमूआ, अमूडू, अमुए (उससे, उसके द्वारा)
अमूहि, अमूहि, अमूहिँ (उनसे, उनके द्वारा)
चतुर्थी व षष्ठी
अमूअ, अमूआ, अमूडू, अमुए (उसके लिए) (उसका, उसकी, उसके)
अमूण, अमूणं (उनके लिए) (उनका, उनकी, उनके)
पंचमी
अमूअ, अमूआ, अमूह, अमुए अमुत्तो, अमूओ, अमूड, अमूहिन्तो अमूदो, अमूद (उस से)
अमुत्तो, अमूओ, अमूड, अमूहिन्तो, अमूसुन्तो अमूदो, अमूदु (उन से) .
· सप्तमी
अमूअ, अमूआ, अमूइ, अमुए (उसमें, उस पर)
अमूसु, अमूसुं (उनमें, उन पर)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
(153)
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Page #167
--------------------------------------------------------------------------
________________
पुल्लिंग - अन्न (अन्य)
एकवचन
बहुवचन
प्रथमा
अन्नो,
अन्ने (अन्यों ने)
..
अन्ने
(अन्य ने)
द्वितीया
अन्नं (अन्य को)
अन्ना, अन्ने (अन्यों को)
अन्नेण, अन्नेणं (अन्य से, अन्य के द्वारा)
अन्नेहि, अन्नेहिं, अन्नेहिँ (अन्यों से, अन्यों के द्वारा)
चतुर्थी
अन्नाय, अन्नस्स (अन्य के लिए)
अन्नाण, अन्नाणं, अन्नेसिं (अन्यों के लिए)
पंचमी
अन्नत्तो, अन्नाओ, अन्नाउ अन्नाहि, अन्नाहिन्तो, अन्ना अन्नादो, अन्नादु (अन्य से)
अन्नत्तो, अन्नाओ, अनाउ, अन्नाहि, अन्नाहिन्तो, अन्नासुन्तो, अन्नेहि, अन्नेहिन्तो, अन्नेसुन्तो अन्नादो, अन्नादु (अन्यों से)
षष्ठी
अन्नस्स अन्नश्श, अन्नाह (अन्य का, अन्य की, अन्य के)
अन्नाण, अन्नाणं, अन्नेसिं अन्नाह (अन्यों का, अन्यों की, अन्यों के)
सप्तमी
अन्नेसु, अन्नेसुं (अन्यों में, अन्यों पर)
अन्नस्सिं, अन्नम्मि, अन्नत्थ अन्नहिं अन्नम्हि अन्नंमि, अन्नसि (अन्य में, अन्य पर)
(154)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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Page #168
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________________
नपुंसकलिंग-अन्न (अन्य)
एकवचन
बहुवचन
प्रथमा
अन्नाई, अन्नाइँ, अन्नाणि (अन्यों ने)
(अन्य ने)
द्वितीया
अन्नं (अन्य को)
अन्नाई, अन्नाइँ, अन्नाणि (अन्यों को)
तृतीया
अन्नेण, अन्नेणं (अन्य से, अन्य के द्वारा)
अन्नेहि, अन्नेहिं, अन्नेहि (अन्यों से, अन्यों के द्वारा)
चतुर्थी
अन्नाय, अन्नस्स (अन्य के लिए)
अन्नाण, अन्नाणं, अन्नेसिं (अन्यों के लिए)
पंचमी
अन्नत्तो, अन्नाओ, अन्नाउ अन्नाहि, अन्नाहिन्तो, अन्ना अन्नादो, अन्नादु (अन्य से)
अन्नत्तो, अन्नाओ, अन्नाउ, अन्नाहि, अन्नाहिन्तो, अन्नासुन्तो, अन्नेहि, अन्नेहिन्तो, अन्नेसुन्तो अन्नादो, अन्नाद् (अन्यों से)
षष्ठी
अन्नस्स अन्नश्श, अन्नाह (अन्य का, अन्य की, अन्य के)
अन्नाण, अन्नाणं, अन्नेसिं अन्ना (अन्यों का, अन्यों की, अन्यों के)
सप्तमी
।
अन्नेसु, अन्नेसुं (अन्यों में, अन्यों पर)
अन्नस्सिं, अन्नम्मि, अन्नत्थ अन्नहिं अन्नम्हि अन्नंमि, अन्नसि (अन्य में, अन्य पर)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
(155)
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Page #169
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________________
आकारान्त स्त्रीलिंग - अन्ना (अन्य)
एकवचन
बहुवचन
अन्ना (अन्य ने)
अन्ना, अन्नाउ, अन्नाओ (अन्यों ने)
(अन्य को)
अन्ना, अन्नाउ, अन्नाओ (अन्यों को)
तृतीया
अन्नाअ, अन्नाइ, अन्नाए (अन्य से, अन्य के द्वारा)
अन्नाहि, अन्नाहिं, अन्नाहिं (अन्यों से,अन्यों के द्वारा)
अन्नाअ, अन्नाइ, अन्नाए (अन्य के लिए) (अन्यका, अन्यकी, अन्यके)
अन्नाण, अन्नाणं, अन्नेसिं (अन्यों के लिए) (अन्यों का, अन्यों की, अन्यों के)
पंचमी
अन्नाअ, अन्नाइ, अन्नाए अन्नत्तो, अन्नाओ, अन्नाउ, अन्नाहिन्तो अन्नादो, अन्नादो (अन्य से)
अन्नत्तो, अन्नाओ, अन्नाउ, अन्नाहिन्तो, अन्नासुन्तो अन्नादो, अन्नादो (अन्यों से)
सप्तमी
अन्नाअ, अन्नाइ, अन्नाए (अन्य में, अन्य पर) .
अन्नासु, अन्नासु (अन्यों में, अन्यों पर)
(156)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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--------------------------------------------------------------------------
________________
पुल्लिंग-एक्क (एक ही)
एकवचन
प्रथमा
एक्को
द्वितीया
एक्कं
तृतीया
एक्केण, एक्केणं
चतुर्थी
एक्काय, एक्कस्स
पंचमी
एक्कत्तो, एक्काओ, एक्काउ, एक्काहि, एक्काहिन्तो, एक्का, एक्कादो, एक्कादु
षष्ठी
एक्कस्स
सप्तमी
एक्कस्सिं, एक्कम्मि, एक्कत्थ, एक्कहि, एक्कम्हि, एक्कमि, एक्कंसि
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1).
(157)
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Page #171
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________________
नपुंसकलिंग-एक्क (एक ही)
.
एकवचन
प्रथमा
एक्कं
द्वितीया
एक्कं
तृतीया
एक्केण, एक्केणं
एक्काय, एक्कस्स
पंचमी
एक्कत्तो, एक्काओ, एक्काउ, एक्काहि, एक्काहिन्तो, एक्का, एक्कादो, एक्कादु
षष्ठी
एक्कस्स
सप्तमी
एक्कस्सिं, एक्कम्मि, एक्कत्थ, एक्कर्हि, एक्कम्हि, एक्कंमि, एक्कंसि
(158)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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Page #172
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________________
आकारान्त स्त्रीलिंग-एक्का (एक ही)
एकवचन
प्रथमा
एक्का
द्वितीया
एक्कं
तृतीया
एक्काअ, एक्काइ, एक्काए
एक्काअ, एक्काइ, एक्काए
व षष्ठी
पंचमी
एक्काअ, एक्काइ, एक्काए एक्कतो, एक्काओ, एक्काउ, एक्काहिन्तो, एक्कादो, एक्कादु
. सप्तमी
एक्काअ, एक्काइ, एक्काए
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1) .
(159)
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Page #173
--------------------------------------------------------------------------
________________
प्रथमा
द्वितीया
तृतीया
चतुर्थी
व षष्ठी
।
तीनों लिंगों में-तुम्ह (तुम)
एकवचन तं, तुं, तुमं, तुवं, तुह, तुमे
(तू, तूने) __ तं, तुं, तुम, तुवं, तुह, तुमे, तुए, ते, दे
(तुझे, तुझको) तुमं, तइ, तए, तुए तुमइ, तुमाइ, तुमे, तुमए, भे, दि, दे, ते (तुझसे, तेरे द्वारा) तइ, तुव, तुम, तुह, तुहं, तुम्हं, तुमे, तुमो, तुमाइ, तुब्भ, तव उन्भ, उव्ह, दि, दे, इ, ए, तु, ते तुम्ह, तुज्झ, उम्ह, उज्झ (तेरे लिए, तेरा, तेरी, तेरे) (i) तइत्तो, तईओ, तईउ, तईहिन्तो, (ii) तुवत्तो, तुवाओ, तुवाउ, तुवाहि, तुवाहिन्तो, तुवा (iii) तुमत्तो, तुमाओ, तुमाउ, तुमाहि, तुमाहिन्तो, तुमा (iv) तुहत्तो, तुहाओ, तुहाउ, तुहाहि, तुहाहिन्तो, तुहा (v) तुब्भत्तो, तुब्भाओ, तुब्भाउ, तुब्भाहि, तुब्भाहिन्तो, तुब्भा
तुम्ह, तुब्भ, तहिन्तो (vi) तुम्हत्तो, तुम्हाओ, तुम्हाउ, तुम्हाहि, तुम्हाहिन्तो, तुम्हा (vii) तुज्झत्तो, तुज्झाओ, तुज्झाउ, तुज्झाहि, तुज्झाहिन्तो, तुज्झा
तईदो, तईदु, तुवादो, तुवादु, तुमादो, तुमादु, तुहादो, तुहादु तुम्भादो, तुब्भादु, तुम्हादो, तुम्हादु, तुज्झादो, तुज्झादु (तुझ से)
पंचमी
सप्तमी
तइ, तए, तुमाइ, तुमए, तुमे, तुम्मि तुवम्मि, तुमम्मि, तुहम्मि, तुब्भम्मि, तुवस्सिं, तुमस्सिं, तुहस्सिं, तुब्भस्सिं, तुवत्थ, तुमत्थ, तुहत्थ, तुब्भत्थ तुवहिं, तुमहिं, तुहहिं, तुब्भहिं तुवे, तुमे, तुहे, तुब्भे तुम्हे, तुज्झे, तुहम्मि, तुज्झम्मि, तुम्हस्सिं, तुज्झस्सिं, तुम्हत्थ, तुज्झत्थ, तुम्हहिं,तुज्झहिं तुमंसि, तुई, तुइ (तुझमें, तुझ पर)
(160)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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Page #174
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________________
प्रथमा
द्वितीया
तृतीया
चतुर्थी व षष्ठी
पंचमी
तीनों लिंगों में-तुम्ह (तुम)
बहवचन तुज्झ, तुम्ह, तुम्भे, तुम्हे, उय्हे, भे, तुम्हे, तुझे (तुम, तुमने) तुज्झ, तुब्भे, तुम्हे, उय्हे, भे, वो, तुम्हे, तुझे (तुम्हें, तुमको) तुज्ञहिं, उज्झेहि, तुम्हेहिं, उय्हेहिं, उम्हेहिं, तुम्हेहिं, तुम्भेहिं, भे, तुमेहि, तुम्मे (तुझसे, तुम्हारे द्वारा) तुम्भ, तुब्भाण, तुवाण, तुमाण, तुहाण, उम्हाण, तु, वो, भे, तुम्हाण, तुज्झाण, तुम्भं, तुम्भे, भे, तुम्हाणं तुब्भाणं, तुवाणं, तुमाणं, तुहाणं, उम्हाणं, तुज्झाणं (तुम्हारे लिए, तुम्हारा, तुम्हारी, तुम्हारे) (i) तुब्भत्तो, तुभाओ, तुब्भाउ, तुब्भाहि, तुब्भाहिन्तो, तुब्भासुन्तो, तुब्भेहि, तुब्भेहिन्तो, तुब्भेसुन्तो (ii) तुम्हत्तो, तुम्हाओ, तुम्हाउ, तुम्हाहि, तुम्हाहिन्तो, तुम्हासुन्तो, तुम्हेहि, तुम्हेहिन्तो, तुम्हेसुन्तो । (iii) उव्हत्तो, उव्हाओ, उय्हाउ, उय्हाहि, उय्हाहिन्तो, उव्हासुन्तो, उव्हेहि, उय्हेहिन्तो, उय्हेसुन्तो (iv) उम्हत्तो, उम्हाओ, उम्हाउ, उम्हाहि, उम्हाहिन्तो, उम्हासुन्तो, उम्हेहि, उम्हेहिन्तो, उम्हेसुन्तो (v) तुम्हत्तो, तुम्हाओ, तुम्हाउ, तुम्हाहि, तुम्हाहिन्तो, तुम्हासुन्तो, तुम्हेहि, तुम्हेहिन्तो, तुम्हेसुन्तो (vi) तुज्झत्तो, तुज्झाओ, तुज्झाउ, तुज्झाहि, तुज्झाहिन्तो, तुज्झासुन्तो, तुज्झेहि, तुज्झेहिन्तो, तुज्झेसुन्तो तुब्भादो, तुब्भादु, तुम्हादो, तुम्हादु, उयहादो, उय्हादु, उम्हादो, उम्हादु, तुम्हादो, तुम्हादु, तुज्झादो, तुज्झादु (तुम से) तुसु तुवेसु, तुमेसु, तुहेसु, तुब्भेसु तुम्हेसु, तुज्झेसु तुवसु, तुमसु, तुहसु, तुब्भसु, तुम्हसु, तुज्झसु, तुब्भासु, तुम्हासु, तुज्झासु' तुवसुं, तुमसुं, तुहसुं, तुब्भसुं, तुम्हसुं, तुज्झसुं, तुवेसुं, तुमेसुं, तुहेसुं, तुब्भेसुं, तुम्हेसुं, तुज्झेसुं (तुम में, तुम पर)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
(161)
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Page #175
--------------------------------------------------------------------------
________________
प्रथमा
तीनों लिंगों में-अम्ह (मैं)
एकवचन अहं, हं, अहयं, म्मि, अम्मि, अम्हि हगे, हगे, हके, अहके (मैं, मैंने)
द्वितीया
अहं, मं, मि, म्मि, अम्मि, अम्ह, मम्ह, णं, णे मे, मम, महं (मुझे, मुझको)
तृतीया
मइ, मए, ममाइ, मयाइ, मे, ममए, मि, मिमं, णे (मुझसे, मेरे द्वारा)
चतुर्थी व षष्ठी
मइ, मम, मह, मे, महं, मज्झ, मज्झं, अम्ह, अम्हं, ममं (मेरे लिए, मेरा, मेरी, मेरे)
.
पंचमी
(i) मइत्तो, मईओ, मईउ, मईहिन्तो (ii) ममत्तो, ममाओ, ममाउ, ममाहि, ममा, ममाहिन्तो, (iii) महत्तो, महाओ, महाउ, महाहि, महाहिन्तो, महा (iv) मज्झत्तो, मज्झाओ, मज्झाउ, मज्झाहि, मज्झाहिन्तो, मज्झा (v) मईदो, मईदु, ममादो, ममादु, महादो, महादु, मज्झादो, मज्झादु (मुझ से)
सप्तमी
मइ, मए, ममाइ, मि, मे अम्हम्मि, ममम्मि, महम्मि, मज्झम्मि अम्हे, ममे, महे, मझे अम्हस्सिं, ममस्सिं, महस्सिं, मज्झस्सिं अम्हत्थ, ममत्थ, महत्थ, मज्झत्थ अम्हहिं, ममहि, महर्हि, मज्झहिं (मुझमें, मुझ पर)
(162)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
For Personal & Private Use Only
Page #176
--------------------------------------------------------------------------
________________
प्रथमा
तीनों लिंगों में-अम्ह (मैं)
बहुवचन अम्ह, अम्हे, अम्हो, मो, वयं, भे हगे वयं, अम्फ, अम्हे (हम, हमने)
द्वितीया
अम्ह, अम्हे, अम्हो, णे, णो (हमें, हमको)
तृतीया
अम्ह, अम्हे, अम्हेहि, अम्हाहि, णे (हमसे, हमारे द्वारा)
चतुर्थी व षष्ठी
अम्ह, अम्हं, अम्हे, अम्हो, णे, णो, मज्झ, मज्झाण, मज्झाणं, अम्हाण, अम्हाणं, ममाण, ममाणं, महाण, महाणं (हमारे लिए, हमारा, हमारी, हमारे)
पंचमी
ममत्तो, ममाओ, ममाउ, ममाहि, ममाहिन्तो, ममासुन्तो, ममेहि, ममेहिन्तो, ममेसुन्तो अम्हत्तो, अम्हाओ, अम्हाउ, अम्हाहि, अम्हाहिन्तो, अम्हासुन्तो, अम्हेहि अम्हेहिन्तो, अम्हेसुन्तो ममादो, ममादु, अम्हादो, अम्हादु (हम से)
. अम्हेसु, ममेसु, महेसु, मज्झेसु
अम्हसु, ममसु, महसु, मज्झसु, अम्हासु अम्हेसुं, ममेसुं, महेसुं, मज्झेसुं, अम्हसुं, ममसुं, महेसुं, मज्झसुं, अम्हासुं (हम में, हम पर)
000
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
(163)
For Personal & Private Use Only
Page #177
--------------------------------------------------------------------------
________________
परिशिष्ट-4
हेमचन्द्र-रचित सूत्रों के सन्दर्भ संज्ञा शब्दों के विभक्ति प्रत्ययों के नियम 20. 3/26 नियम सूत्र
__21. 3/5 संख्या संख्या
22. 3/6, 3/14, 1/27, 3/12 3/2
___23. 3/7, 3/15 3/4, 3/12, 3/14 24. 3/8, 3/12, 1/84 3/5
____ 25. 3/9, 3/12, 1/84, 3/13, .. 3/6, 3/14, 3/12, 1/27 3/15 3/7, 3/15
___26. 3/10 3/10
.. ___ 3/8, 3/12, 1/84, 1/177 27. 3/11
3/9, 3/12, 3/13, 1/84, 28. 3/15, 1/27 3/15, 1/177
29. 3/27 3/10
30. 3/28 3/11
31. 3/29, 3/30 3/15, 1/27
3/124, 3/5, 3/36 3/124, 3/7, 3/9, 3/16, 3/35 3/127, 1/27
34. 3/37 3/18
35. 3/38 3/19
3/41 3/20
37. 3/42 15. 3/21
3/124, 3/4, 3/12, 3/18 3/22
3/124, 3/5, 3/36 3/23
3/124, 3/8, 3/12, 3/126, 18. 3/24
3/127 19. 3/25
3/124, 3/10
39.
(164)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
For Personal & Private Use Only
Page #178
--------------------------------------------------------------------------
________________
42.
44.
45.
43. 3/124, 3/11, 3/129
4/448
4/448, 1/27
4/448
नियम सूत्र
3/131, 3/10, 3/6, 3/12, संख्या संख्या
1/27
4/276
3/8
46.
47.
48.
3/132
विशिष्टशब्दों के विभक्ति प्रत्ययों के नियम
नियम सूत्र
संख्या संख्या
1.
2.
3.
4.
5.
6.
7.
8.
9.
10..
3/124, 3/6, 3/12, 1/27
11.
12.
13.
3/48, 3/47, 3/5
3/48, 3/45, 3/5
4/448, 3/124, 3/5, 3/36
3/49
3/56
3/49
3/50, 3/52, 3/55, 4/304
3/51, 3/52, 3/55, 4/304
3/52
3/53
3/54, 3/7, 3/10, 3/53,
3/9, 3/16, 3 / 127, 3 / 124,
1/27
3/56, 3/49
3/50, 3/12
प्राकृत-हिन्दी व्याकरण ( भाग - 1 )
14.
15.
1.
2.
3.
3/9
3/9
शौरसेनी साहित्य
शौरसेनी साहित्य
3/9, शौरसेनी साहित्य
8.
4/264
मागधी भाषा के विभक्ति प्रत्ययों के नियम
4.
5.
6.
7.
3/57
3/56, 3/51
शौरसेनी भाषा के विभक्ति प्रत्ययों के
नियम
नियम सूत्र
संख्या संख्या
1.
4/287
4/299
4/300
प्राकृत भाषाओं का व्याकरण,
पिशल,
पृष्ठ-515
पैशाची भाषा के विभक्ति प्रत्ययों के नियम
नियम सूत्र
संख्या संख्या
4/321
2.
3.
4-5.
1.
For Personal & Private Use Only
(165)
Page #179
--------------------------------------------------------------------------
________________
नियम सूत्र
Freen Freen
1-4.
1.
सर्वनाम शब्दों के विभक्ति प्रत्ययों के नियम
नियम सूत्र
teen treen
3/58
2. 3/59, 3/83, 3/76
3/60
3/61
3.
4.
5.
6.
7.
अर्धमागधी भाषा के विभक्ति प्रत्ययों के
नियम
8.
9.
10.
11.
12.
13.
14.
15.
16.
प्राकृत भाषाओं का व्याकरण,
पिशल, पृष्ठ-515-516
(166)
3/62
3/63
3/65
3/66
3/67
3/68
3/69
3/2, 3/86
3/2, 4/448
3/73
3/74
3/75
17.
18.
19.
20.
21.
22.
23.
24.
25.
26.
27.
28.
29.
30.
31.
32.
33.
34.
35.
36.
37.
38.
39.
3/77, 3/5, 3/14, 3/4,
3/12, 3/6, 3/69
3/78
3/79
3/80
3/81
3/82
3/83
3/84
3/85
3/86
3/87
3/88
3/89
3/90
3/91, 3/104, हेमचन्द्र वृत्ति
3/92
3/93, 3/104, हेमचन्द्र वृत्ति
3/94
3/95, 3/104, हेमचन्द्र वृत्ति
3/96, 3/8, 3/12, 3/104,
हेमचन्द्र वृत्ति
3/97, 3/104, हेमचन्द्र वृत्ति
3/98, 3/9, 3/12, 3/13,
3 / 15, 3/104, हेमचन्द्र वृत्ति
3/99, 3/104, हेमचन्द्र वृत्ति
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग - 1)
For Personal & Private Use Only
Page #180
--------------------------------------------------------------------------
________________
40.
41.
42.
43.
44.
45.
46.
47.
48.
49.
50.
51.
52.
53.
54.
55.
56.
3/100, 1/27, 3/104, 3/6,
3/12 हेमचन्द्र वृत्ि
3/101
3/102, 3/104, 3/59,
3/60, हेमचन्द्र वृत्ति
3/103, 3/104, 3/15,
4/448, 1/27, हेमचन्द्र वृत्ति
3/105
3/106
3/107
3/108
3/109
3/110
3/111, 3/8, 3/12, हेमचन्द्र
वृत्ति
3/112, 3/9, 3/12, 3/13,
3/15, हेमचन्द्र वृत्ति
3/113
3/114, 1/27
3/115
3/116, 3/11, 3/59, 3/60
3/117, 3/15, 1/27, 4/448
प्राकृत-हिन्दी व्याकरण ( भाग -:
1)
For Personal & Private Use Only
(167)
Page #181
--------------------------------------------------------------------------
________________
प्रथम स्तरीय प्राकृत से विकसित प्राकृत शब्दावली
संपादक की कलम से
यहाँ यह समझा जाना चाहिए कि “प्रथम स्तर की प्राकृत भाषाएँ स्वर और • व्यंजन के उच्चारण में तथा विभक्तियों के प्रयोग में वैदिक भाषा के अनुरूप थी। इससे
ये भाषाएँ विभक्ति बहुल कही जाती है।” वैदिक भाषा पाणिनि के द्वारा नियन्त्रित होकर स्थिर हो गई और संस्कृत कहलाई।
वैदिक युग में जो प्राकृत भाषाएँ बोलचाल में प्रचलित थी, उनमें अनेक परिवर्तन हुए, “जिनमें ऋ आदि स्वरों का, शब्दों के अन्तिम व्यंजनों का, संयुक्त व्यंजनों का तथा विभक्ति और वचन समूह का लोप या रूपान्तर मुख्य है। इन परिवर्तनों से यह भाषाएँ प्रचुर परिमाण में रूपान्तरित हुई। इस तरह से द्वितीय स्तर की प्राकृत भाषाओं की उत्पत्ति हुई।"
भगवान महावीर और भगवान बुद्ध के समय में ये प्राकृत भाषाएँ अपने द्वितीय स्तर के आकार में प्रचलित थी और जनता के प्रयोग में आ रही थी। अतः उन्होंने अपने सिद्धान्तों का उपदेश इन्हीं प्राकृत भाषाओं में किया। यहाँ यह जानना उपयोगी है कि द्वितीय स्तर की प्राकृत भाषाओं की उत्पत्ति प्रथम स्तरीय प्राकृत से हुई। काल दृष्टि से हम जितना पीछे जाते हैं उतना ही वैदिक संस्कृत-प्राकृत का अन्तर कम होता जाता है क्योंकि इनकी उत्पत्ति का स्रोत प्रथम स्तरीय प्राकृत है। इसलिए वैदिक संस्कृत-प्राकृत में समानता दृष्टिगोचर होती है।
इस तरह द्वितीय स्तर की प्राकृत भाषाओं की उत्पत्ति प्राकृत के द्वितीय आकार की शब्दावली का एक अच्छा संकलन हेमचन्द्र ने प्राकृत व्याकरण के प्रथम व द्वितीय पाद में दिया है। आचार्य हेमचन्द्र ने लौकिक संस्कृत के आधार से इसे समझाने का प्रयास किया है। यह प्राकृत के दृष्टिकोण से हमारे लिये उपयोगी नहीं
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प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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है। हमारा उद्देश्य तो प्राकृत के द्वितीय आकार को समझना है, जिससे महावीर के उपदेशों को समझा जा सके। इसलिए हम हेमचन्द्र के प्राकृत शब्दों का अर्थ प्राकृत की परिवर्तनशील प्रकृति के अनुरूप राष्ट्र भाषा हिन्दी में ढूँढेंगे। अतः हम आचार्य हेमचन्द्र की प्राकृत शब्दावली को हिन्दी के आधार से समझने का प्रयास करेंगे।
विशेष अध्ययन के लिएभारत की प्राचीन आर्यभाषाएँ - डॉ. राजमल बोरा प्रकाशक- हिन्दी माध्यम कार्यान्वय निदेशालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, 1999 पाइय-सद्द-महण्णवो - पं. हरगोविन्ददास त्रिविक्रमचन्द्र सेठ प्रकाशक-प्राकृत ग्रन्थ परिषद्, वाराणसी
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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परिशिष्ट-5 संज्ञा शब्द पुल्लिंग
अगणि = आग अग्गि = आग अच्छि = आँख अप्प, = आत्मा अप्पाण, अत्त अरह, = जिनदेव अरहन्त,
अरिह,
अरिहन्त अरि : दुश्मन अरूह = जिनदेव अवजस = अपकीर्ति अवरह = दोपहर अवसद्द = खराब वचन असोअ = अशोक वृक्ष अहरूट = नीचे का होठ आइरिअ = आचार्य आयरिअ आयास = आकाश (पु., नपुं.) आस = अश्व, घोड़ा इंदहणू = इन्द्रधनुष (पु., नपुं.) इसी = ऋषि, मुनि, साधु । ईसर = ईश्वर उऊ = ऋतु (तीनों.) उउम्बर = गूलर का पेड़ उच्छव = उत्सव
उच्छाह = उत्साह उवज्झाअ, उपाध्याय उट्ट = ऊँट उववास, = उपवास .
ओवआस, ऊआस उवसग्ग = उपसर्ग . उवहास = उपहास एरावण = इन्द्र का हाथी, ऐरावत कई = कवि कइलास = कैलास पर्वत कउरव = कौरव काल = समय किलेस = खेद, दुःख किविण = कंजूस कुज्जय = कूबड़ा कुञ्जर = हाथी कुल = परिवार (पुं., नपुं.) केलास = मेरूपर्वत खअ = क्षय, विनाश खग्ग = तलवार खण = क्षण खत्तिय = क्षत्रिय खम्भ = खम्भा गअ = गज, हाथी गउअ - गवय गद्दह = गधा
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प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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गन्ध = गन्ध गह = ग्रह गिम्ह = ग्रीष्म ऋतु गुड = गुड़ घड = घड़ा घर - घर घरसामि = घर का स्वामी चइत्त = चैत्र-मास चन्द = चन्द्रमा चमर, = चँवर चामर चलण = चरण चुण्ण = चूर्ण (पुं.,नपुं.) जइ = यति जण = मनुष्य जम = यमराज जस = यश जहिट्ठिल, = युधिष्ठिर जहुट्ठिल . जामाउ = दामाद झाण = ध्यान (पु. नपुं.) तक्कर = चोर तम = अंधकार तित्तिर = तीतर तित्थ = तीर्थ तित्थगर = तीर्थंकर तित्थयर = तीर्थंकर थम्भ = खम्भा दइच्च = दानव
दम्भ = माया दसमुह = रावण दसरह = दशरथ दाणव = दानव दावग्गी = जंगल की अग्नि दिअर, = देवर देवर दिवस, = दिवस दिवह दूसासण = दुशासन देव - देव धणू = धनुष (पु., नपुं.) नक्ख, = नाखून नह नमोक्कार = नमोकार नयण = नेत्र (पु., नपुं.) नर = मनुष्य नरिंद = राजा
= नाथ निव = राजा नेह = स्नेह पइ = पति पउरजण = नगर-निवासी पच्चअ = प्रत्यय पच्चूस = प्रातःकाल पज्जुण्ण = प्रद्युम्न पंडव = पाण्डव पण्ह = प्रश्न पन्थ = पथिक पयर, = भेद, प्रकार पयार
नाह
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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पयावइ = प्रजापति परामरिंस = विचार पवहो, = प्रवाह पवाहो पासाय = महल पासाण = पत्थर पुरिस = पुरुष पुव्वण्ह, = दिन का पूर्व भाग,पूर्वाह्न पुव्वाह पोत्थअ = पुस्तक बंध = बंधन बांधव = बांधव बम्ह = ब्रह्मा बम्हण, = ब्राह्मण बाम्हण बहप्फई, = वृहस्पति
मिलिच्छ = म्लेच्छ मुणिन्द = मुनि. मुहुत्त = मुहूर्त मेह = मेघ, बादल रवि = सूर्य रहुवइ = रघुपति राम = राम रिसि = ऋषि, मुनि, साधु रूक्ख = वृक्ष (पुं., नपुं.) लोअ = लोक लोअण = नेत्र . . वच्छ, = वृक्ष वणप्फई = वनस्पति वहि = अग्नि वसह = वृषभ वास = वर्ष (पुं., नपुं.) विज्ज = पण्डित विणअ = नम्रता, विनय विणोअ = खेल विप्प = ब्राह्मण वीसम्भ = विश्वास, श्रद्धा वीसाम = विश्राम लेना वीसास = विश्वास वुत्तंत = समाचार, हकीकत वेज्ज = वैद्य संजम = संयम संजोग = संयोग संफास = स्पर्श संवच्छर = वर्ष सक्कार = सम्मान
बुहप्पई
बाहु = भुजा भमर = भौरा भद्द = कल्याण भाउ = भाई मंसू, = दाढ़ी-मूंछ (पु., नपुं.) मस्सु मच्चु, = मृत्यु
मिच्चु
मज्झण्ह = मध्याह्न मज्झन्न = मध्याह्न मज्झिम = मध्यम मणूस = मनुष्य मयण = कामदेव
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प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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सनेह = स्नेह समुद्द = समुद्र सव्वज्ज = सर्वज्ञ सव्वण्ण = सर्वज्ञ सहाव = स्वभाव सावग = श्रावक साहु = साधु सिआल = सियार सिंगार = शृंगार सिमिण, = स्वपन, सपना सिविण, सुमिण सिआल = शृगाल सिलोअ = श्लोक सीस = शिष्य सीह = सिंह सुपुरिस = सज्जन सेल = पर्वत हणुमत = हनुमान · हत्थ = हाथ हरिस = हर्ष, आनन्द, प्रमोद
संज्ञा शब्द नपुंसकलिंग अइसरिय = ऐश्वर्य, वैभव अच्छरिअ, आश्चर्य अच्छेर, अच्छअर, अत्थ = धन, पदार्थ अम्ब = आम अरण्ण, = जंगल रण्ण अविणय = अविणय ओसह = दवा कज्ज = कार्य कट्ठ = काठ, लकड़ी कमल = कमल कव्व = काव्य कुऊहल, = कुतूहल कोउहल्ल, कोऊहल खीर = दूध गउरव = गौरव, अभिमान गयण = आकाश गहीरिअ = गंभीर गेन्दुअ = गेंद घय = घी चक्क = गाड़ी का पहिया चन्दण = चन्दन का पेड़ चिण्ह = चिन्ह छीअ = छींक (नपुं., स्त्री.) छेत्त = आकाश
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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.
..
जल . = जल जाण = ज्ञान जोव्वण = यौवन णाण = ज्ञान तण = तिणका, घास तम्ब = ताँबा तम्बोल = पान तलाय = तालाब, सरोवर तित्थ · =तीर्थ तेल्ल = तेल तेलोक्क = तीन लोक थोत्त = स्तोत्र दसण - सम्यक् दशर्न दाडिम = अनार दुआर, = दरवाजा दार, देर, बार दुद्ध - दूध, खीर देव्व = भाग्य धीर = धीरज नयर = नगर नह, नभ = आकाश नीलुप्पल = नीलकमल नेत्त - नेत्र पउरिस = पुरुषार्थ पायाल = पाताल पाव = पाप पिउहर = पिता का घर पुप्फ = फूल पुव्व = पहले
पोग्गल = पुदगल फल = फल । बह्मचरिअ ब्रह्मचारी बम्हचेर = ब्रह्मचर्य भोअण-मेत्त= भोजन मात्र मउड = मुकुट मउण = मौन मज्ज = मद्य मसाण = मरघट माइहर = माता का घर .. मोल्ल = कीमत रयण = रत्न रायउल = राजा का वंश रायहर = राजा का महल रसायल = पाताल लोक रिण = ऋण लंघन = भोजन नहीं करना लंछण = चिन्ह लक्खण = लक्षण लवण, '= नमक लोण वक्खाण = व्याख्यान वच्छ = सीना, छाती वण = जंगल वायरण = व्याकरण विण्णाण = विशिष्ट ज्ञान सच्च = सत्य सामच्छ = सामर्थ्य सिंग = सींग
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प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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FREE
सिर = सिर, मस्तक सिढिल = शिथिल सील = सदाचार सुन्देर = सौन्दर्य सुह = सुख सेन - सेना हियय = हृदय
संज्ञा शब्द स्त्रीलिंग अज्जा = साध्वी अज्जा = आज्ञा अहि = हड्डी आणा = आज्ञा इड्डी = वैभव, ऐश्वर्य इत्थी, = स्त्री
थी
कच्छा = कक्षा करेणू = हथिनी कमला = लक्ष्मी कित्ती = कीर्ति किवा = दया खमा = क्षमा गइ = गति गड्डा = गड्ढा गाई, = गाय गावी गरिहा = निन्दा गुहा = गुफा गोट्ठी = गोष्ठी घण्टा = घण्टा घिणा = घृणा चिन्ता = विचार, शोक. छाया = छाया जिब्भा = जीभ जीहा - जीभ झुणी = ध्वनि णई = नदी णारी - नारी
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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थुई
दिट्ठि
दिसा
दुहिआ = पुत्री देवत्थुई = देव-स्तुति धत्ती = धाय- माता
= धाय
पण्णा
पसिद्धी पडवआ पिउच्छा
पिउसिया
पुहई,
बहिणी
धारी
= धाय
धिई धैर्य,
=
धूआ
पुत्री
नट्टइ
= नर्तकी
पडिमा
स्तुति
दृष्टि
: दिशा
मुच्छा
रति
=
राइ
रिद्धि
रेहा
=
(176)
=
=
: प्रतिमा
=
|| ||
=
=
=
=
=
=
=
भइणी = बहिन
भारिआ = स्त्री
मच्छिआ
महिला
=
=
माइ = माता
माउसिया = माता की बहिन
=
बेहोशी
बुद्धि प्रसिद्धि
प्रतिपदा, एकम
पिता की बहिन
पिता की बहिन
पृथ्वी
बहिन
=
धीरज
= रात
= रात
=
मक्खी
स्त्री, नारी
: वैभव
रेखा
लच्छी = लक्ष्म
वट्टा, वत्ता = बात
वणिआ
वरिसा
वे अणा
सद्धा
समिद्धी
सहा
सिट्ठी
सि
=
=
=
= श्रद्धा
=
वनिता
वर्षा
पीड़ा
समृद्धि
= सभा
=
सृष्टि
=
शोभा
सिरोविअणा = सिर की पीड़ा सेज्जा बिछौना
=
सेवा = सेवा हलद्दा, = हल्दी हलद्धी,
हलिद्दी,
हलिद्धा
प्राकृत-हिन्दी व्याकरण ( भाग - 1 )
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विशेषण
चउद्दह = चौदह अणिट्ठ = अनिष्ट
चउव्वार = चार बार अथिर = चंचल, अनित्य छुत्त = छुआ हुआ अन्नन्न = परस्पर
ठविअ = स्थापित किया हुआ अप्पज्ज = अपने आपको जानने वाला णिच्चल = स्थिर अप्पण्णु = आत्म-तत्त्व को जाननेवाला पिल्लज्ज = लज्जा रहित अरिह = योग्य
तइअ = तीसरा आगअ = आया हुआ
तविअ = तपा हुआ आढत्त = शुरु किया हुआ
तारिस . = वैसा आगमण्णू = आगम को जाननेवाला
तिक्ख = तीखा इअर = अन्य
तिप्प = तृप्त ल = अभिलषित, प्रिय
तेत्तिअ = उतना ईसालु = ईर्ष्यालु, द्वेषी
थुल्ल = मोटा उक्किट्ठ = उत्कृष्ट, उत्तम
थोअ, = थोड़ा उक्खित्त = फेंका हुआ उज्जल = निर्मल, स्वच्छ दच्छ = निपुण, चतुर उव्विग्ग = घबराया हुआ
व = दाँत से काँटा हुआ एअ = एक (सं.वि.)
दड्ड = जला हुआ एआरिस = ऐसा
दीह = लम्बा एक्क. = एक (सं.वि.)
दुइअ = दूसरा कण्ह = काला रंग
दुक्कर = जो कठिनाई से किया जाय कय = किया हुआ ।
दहिअ = पीड़ित, दुःखयुक्त किलिट्ठ = कठिन
धारिअ = धारण किया हुआ केरिस = कैसा
धिट्ट = धीठ गमिर · जानेवाला
निच्चल = स्थिर गहिर = गहरा, गंभीर
निठुर = निष्ठुर पुरुष चोगुण, = चार गुना
निद्धन = निर्धन . चउग्गुण
निल्लज्ज = लज्जा रहित चउत्थ, = चौथा
निहिअ = स्थापित, रखा हुआ चउत्थी
नीसास = निश्वास लेने वाला पडिकूल = प्रतिकूल
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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परम = श्रेष्ठ पत्त = प्राप्त परोप्पर = आपस में पम्मुक्क = प्रमुक्त फास = स्पर्श, छूना मणोहर = सुन्दर, रमणीय मुक्क = छोड़ा हुआ मुक्ख = मूर्ख मुत्त - छूटा हुआ रत्त = लाल वर्ण वाला लज्जिर = लज्जाशील लित्त = लीपा हुआ विम्हअ = आश्चर्य विहल = व्याकुल वेविर = काँपनेवाला संठाविअ = अच्छी तरह से स्थापित सक्क = समर्थ सत्त = समर्थ समत्त = पूर्ण सयल = समस्त सिणिद्ध = चिकना सुअ = सुना हुआ सुकुमाल = अति कोमल सुक्क = शुक्ल सुक्ख = सूखा हुआ सुण्ह - सूक्ष्म सुत्त = सोया हुआ हयास = जिसकी आशा नष्ट हो गई
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प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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सम्मति
अपभ्रंश-हिन्दी-व्याकरण श्रीमती शकुन्तला जैन ने आपके निर्देशन में अपभ्रंश-हिन्दी-व्याकरण की रचना करके हिन्दी भाषियों के लिए अपभ्रंश भाषा सीखने का सुगम मार्ग प्रशस्त किया है। एतदर्थ वे साधुवाद की पात्र हैं। पूर्ववर्ती व्याकरण संस्कृत के माध्यम से सूत्रशैली में होने के कारण सामान्य लोगों के लिए दुरुह रहे हैं। इस कारण अपभ्रंश का पठन-पाठन भी बहुशः बाधित रहा है और उसके अभाव में हिन्दी जगत अपभ्रंश भाषाओं के वाङ्मय में संचित रिक्थ से वंचित ही रहा है। आपने हिन्दी माध्यम से सरल भाषा में अपभ्रंश व्याकरण की रचना प्रस्तुत करके नवीन पद्धति का सूत्रपात किया है।
. आचार्य हेमचन्द्र के सूत्रों को ध्यान में रखकर जो यह व्याकरण तैयार किया गया है, उसके द्वारा हिन्दी के विद्यार्थी संस्कृत जाने बिना ही अपभ्रंश सीख सकेंगे, इसमें कुछ भी संदेह नहीं है। पहले संस्कृत सूत्र और उनमें दिए गए पारिभाषिक शब्द समझने तथा उनकी संगति लगाने का श्रम करना पड़ता था। हिन्दी का विद्यार्थी सीधे-सीधे तृतीया विभक्ति तो समझता है किंतु 'टाभ्याम्-भ्यस्' की शब्दावली से उद्वेजित होकर पहले संस्कृत विभक्तियों की पारिभाषिकता में उलझता है, फिर उसके समानांतर अपभ्रंश की विभक्तियाँ मस्तिष्क में उतारता है। इसमें उसे व्यर्थ का श्रम करना पड़ता है। इसलिए वह अपभ्रंश को क्लिष्ट मानकर उसके अध्ययन से विरत हो जाता है।
निर्देशन व संपादन- डॉ. कमलचन्द सोगाणी लेखिका- श्रीमती शकुन्तला जैन
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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प्रस्तुत पुस्तक में अपभ्रंश भाषा की संरचना का एक ढाँचा वर्णित है। संज्ञा, सर्वनाम के रूपों, क्रियारूपों, कृदन्तों आदि की रचना सरल ढंग से समझाई गई है। प्रतीत होता है कि पुस्तक अपभ्रंश के प्रारंभिक छात्रों को ध्यान में रखकर तैयार की गई है।
हिन्दी जगत को आपने ऐसी कृति से समृद्ध किया है, इसके लिए हिन्दी भाषी जनसमुदाय, हिन्दी-अध्यापक और विद्यार्थी आपके चिरकृतज्ञ रहेंगे।
डॉ. आनन्द. मंगल वाजपेयी वरिष्ट फेलो (इंडोलोजी)
संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार :
(180)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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प्राकृत - व्याकरण के अन्य पहलुओं के लिए देखें: प्राकृत-व्याकरण - डॉ. कमलचन्द सोगाणी
1.
2.
1.
2.
प्राकृत-व्याकरण संबंधी उपयोगी सूचनाएँ
(अपभ्रंश साहित्य अकादमी, 2005 )
प्रौढ प्राकृत रचना सौरभ ( भाग - 1 )
( अपभ्रंश साहित्य अकादमी, 1999)
प्राकृत - व्याकरण में वर्णित विषय 1. सन्धि
2. सन्धि प्रयोग के उदाहरण
3. समास
4. समास प्रयोग के उदाहरण
5. कारक
6. तद्धित
7. स्त्री-प्रत्यय
8. अव्यय एवं वाक्य प्रयोग
प्रौढ प्राकृत रचना सौरभ ( भाग - 1 ) में वर्णित विषय 1. संख्यावाचक शब्द
2. संख्यावाचक शब्दों के प्रयोग
3. क्रमवाचक संख्या शब्द
प्राकृत-हिन्दी व्याकरण ( भाग - 1 )
पृष्ठ 145
पृष्ठ 160
पृष्ठ 163
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(181)
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अपभ्रंश-व्याकरण संबंधी उपयोगी सूचनाएँ .
अपभ्रंश-व्याकरण के अन्य पहलुओं के लिए देखें: 1. अपभ्रंश-व्याकरण - डॉ. कमलचन्द सोगाणी .
(अपभ्रंश साहित्य अकादमी, 2007) प्रौढ अपभ्रंश रचना सौरभ (भाग-1) (अपभ्रंश साहित्य अकादमी, 1997)
अपभ्रंश-व्याकरण में वर्णित विषय 1. सन्धि 2. सन्धि प्रयोग के उदाहरण 3. समास 4. समास प्रयोग के उदाहरण 5. कारक
2.
प्रौढ अपभ्रंश रचना सौरभ (भाग-1) में वर्णित विषय 1. अव्यय
पृष्ठ 1 2. संख्यावाचक शब्द एवं प्रयोग पृष्ठ 37 3. विशेषण (सार्वनामिक) 4. विशेषण गुणवाचक पृष्ठ 82 5. वर्तमान कृदन्त
पृष्ठ 91 6. भूतकालिक कृदन्त
पृष्ठ 96
(182)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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संदर्भ ग्रन्थ
_1..
हेमचन्द्र प्राकृत व्याकरण, भाग 1-2
: व्याख्याता श्री प्यारचन्द जी महाराज
2.
प्राकृत भाषाओं का व्याकरण
(श्री जैन दिवाकर-दिव्य ज्योति
कार्यालय, मेवाड़ी बाजार, ब्यावर) : लेखक -डॉ. आर. पिशल हिन्दी अनुवादक - डॉ. हेमचन्द्र जोशी (बिहार राष्ट्रभाषा परिषद्, पटना) : पं. हरगोविन्ददास त्रिविक्रमचन्द्र सेठ
(प्राकृत ग्रन्थ परिषद्, वाराणसी : डॉ. कमलचन्द सोगाणी
पाइय-सद्द-महण्णवो
4.
प्रौढ प्राकृत रचना सौरभ, भाग-1
5. . प्राकृत-व्याकरण
संधि-समास-कारक-तद्धित
(अपभ्रंश साहित्य अकादमी, जयपुर) : डॉ. कमलचन्द सोगाणी (अपभ्रंश साहित्य अकादमी, जयपुर)
स्त्री प्रत्यय-अव्यय
6.
वररुचि-प्राकृतप्रकाश (भाग-1)
: डॉ. कमलचन्द सोगाणी
श्रीमती सीमा ढींगरा . (अपभ्रंश साहित्य अकादमी, जयपुर) : डॉ. कमलचन्द सोगाणी
श्रीमती सीमा ढींगरा (अपभ्रंश साहित्य अकादमी, जयपुर)
7.
वररुचि-प्राकृतप्रकाश (भाग-2)
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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