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________________ पंचमी एकवचन 5/1 राज (पु.) (राइ+णो) = राइणो (पंचमी एकवचन) अन्य रूप - रायत्तो, रायाओ, रायाउ, रायाहि, रायाहिन्तो, राया राअत्तो, राआओ, राआउ, राआहि, राआहिन्तो, राआ रायाणत्तो, रायाणाओ, रायाणाउ, रायाणाहि, रायाणाहिन्तो, रायाणा षष्ठी एकवचन 6/1 राज (पु.) (राइ+णो) = राइणो (षष्ठी एकवचन) राज-राय (पु.) (राय+णो) = रायणो (षष्ठी एकवचन) . अन्य रूप - रायस्स राअस्स रायाणस्स (ii) प्राकृत भाषा में पुल्लिंग संज्ञा शब्द राज के पंचमी विभक्ति एकवचन व षष्ठी विभक्ति एकवचन में राज के आज का 'अण्' करके ‘णो' प्रत्यय विकल्प से जोड़ा जाता है। जैसेराज (पु.) (रण्+णो) = रण्णो (पंचमी एकवचन) राज (पु.) (रण्+णो) = रण्णो (षष्ठी एकवचन) (iii) पैशाची भाषा में पुल्लिंग संज्ञा शब्द राज के षष्ठी विभक्ति एकवचन में विकल्प से राचित्रो होता है। अन्य रूप - रा __तृतीया एकवचन 3/1 8. (i) प्राकृत भाषा में पुल्लिंग संज्ञा शब्द राज के तृतीया विभक्ति एकवचन में राज के ज का 'ई' करके ‘णा' प्रत्यय विकल्प से जोड़ा जाता है। राज (पु.) (राइ+णा) = राइणा (तृतीया एकवचन) अन्य रूप - रायणा (34) प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004204
Book TitlePrakrit Hindi Vyakaran Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2012
Total Pages198
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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