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________________ अकारान्त से भिन्न राज (राजा) के रूप निम्न प्रकार से भी बनेंगे। राज (राजा) प्रथमा एकवचन 1/1 6. प्राकृत भाषा में पुल्लिंग संज्ञा शब्द राज के प्रथमा विभक्ति एकवचन में 'आ' विकल्प से जोड़ा जाता है। जैसेराज (पु.) (राज+आ) = राजा-राया (प्रथमा एकवचन) अन्य रूप - राओ रायो .. रायाणो प्रथमा बहुवचन 1/2, द्वितीया बहुवचन 2/2, पंचमी एकवचन 5/1, षष्ठी एकवचन 6/1 7. (i) प्राकृत भाषा में पुल्लिंग संज्ञा शब्द राज के प्रथमा विभक्ति बहुवचन, द्वितीया विभक्ति बहुवचन, पंचमी विभक्ति एकवचन व षष्ठी विभक्ति एकवचन में राज के ज का 'ई' करके ‘णो' प्रत्यय विकल्प से जोड़ा जाता है। जैसे प्रथमा बहुवचन 1/2 राज (पु.) (राइ+णो) = राइणो (प्रथमा बहुवचन) अन्य रूप - राया राआ रायाणा द्वितीया बहुवचन 2/2 राज (पु.) (राइ+णो) = राइणो (द्वितीया बहुवचन) अन्य रूप - राया, राये राआ, राए रायाणा, रायाणे प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1) (33) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004204
Book TitlePrakrit Hindi Vyakaran Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2012
Total Pages198
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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