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________________ क (कब) (पु.) (क+आहे, आला, इआ) = काहे, काला, कइआ (सप्तमी एकवचन) अन्य रूप - कस्सिं, कम्मि, कत्थ, कहिं त (तब) (पु.) (त+आहे, आला, इआ) = ताहे, ताला, तइआ _ (सप्तमी एकवचन) अन्य रूप - तस्सिं, तम्मि, तत्थ, तहिं ज- (जब) (पु.) (ज+आहे, आला, इआ) = जाहे, जाला, जइआ (सप्तमी एकवचन) अन्य रूप - जस्सिं, जम्मि, जत्थ, जहिं - - - - - - - - - - - - - - - - अकारान्त सर्वनाम (पु.) पंचमी एकवचन 5/1 प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग क, त और ज सर्वनामों के पंचमी विभक्ति एकवचन में विकल्प से 'म्हा' प्रत्यय जोड़ा जाता है। जैसे 8. क (कौन) (पु.) (क+म्हा) = कम्हा (पंचमी एकवचन) अन्य रूप - कत्तो, काओ, काउ, काहि, काहिन्तो, का (पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव के अनुसार) त (वह)(पु.) (त+म्हा) = तम्हा (पंचमी एकवचन) . अन्य रूप - तत्तो, ताओ, ताउ, ताहि, ताहिन्तो, ता (पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव के अनुसार) ज (जो) (पु.) (ज+म्हा) = जम्हा (पंचमी एकवचन) अन्य रूप - जत्तो, जाओ, जाउ, जाहि, जाहिन्तो, जा (पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव के अनुसार) - - - - - - - प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1) . (53) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004204
Book TitlePrakrit Hindi Vyakaran Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2012
Total Pages198
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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