SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 77
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तुमत्तो, तुमाओ, तुमाउ, तुमाहि, तुमाहिन्तो, तुमा तुहत्तो, तुहाओ, तुहाउ, तुहाहि, तुहाहिन्तो, तुहा तुभत्तो, तुब्भाओ, तुब्भाउ, तुब्भाहि, तुब्भाहिन्तो, तुम्मा (पंचमी एकवचन) तथा तुम्हत्तो, तुम्हाओ, तुम्हाउ, तुम्हाहि, तुम्हाहिन्तो, तुम्हा तुज्झत्तो, तुज्झाओ, तुज्झाउ, तुज्झाहि, तुज्झाहिन्तो, तुज्झा भी होते हैं। (हेमचन्द्र की वृत्ति के अनुसार) नोट- दीर्घ स्वर के आगे यदि संयुक्त अक्षर हो तो दीर्घ स्वर का ह्रस्व हो जाता है। . ----------------- पंचमी एकवचन 5/1 - 37. प्राकृत भाषा में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग तथा स्त्रीलिंग तुम्ह सर्वनाम के. : पंचमी विभक्ति एकवचन में (विकल्प से) 'तुम्ह, तुब्भ, तहिन्तो' होते - - - - - - - - - - - तुम्ह (तुम) (तीनों लिंग)- तुम्ह, तुब्भ, तहिन्तो (पंचमी एकवचन) तथा तुम्ह और तुज्झ भी होते हैं। (हेमचन्द्र की वृत्ति के अनुसार) अतिरिक्त रूप- नियम 36 के अनुसार . ------------------------------------ पंचमी बहवचन 5/2 38. प्राकृत भाषा में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग तथा स्त्रीलिंग तुम्ह सर्वनाम के पंचमी विभक्ति बहुवचन में 'तुब्भ, तुम्ह, उय्ह, उम्ह' करके अन्त्य स्वर का दीर्घ किया जाता है और पंचमी बोधक त्तो, ओ, उ, हि, हिन्तो और सुन्तो प्रत्यय जोड़े जाते हैं। तुम्ह (तुम) (तीनों लिंग)तुब्भत्तो, तुब्भाओ, तुब्भाउ, तुब्भाहि, तुब्भाहिन्तो, तुब्भासुन्तो तुय्हत्तो, तुम्हाओ, तुम्हाउ, तुम्हाहि, तुम्हाहिन्तो,तुम्हासुन्तो उय्हत्तो, उयहाओ, उय्हाउ, उय्हाहि, उम्हाहिन्तो, उपहासुन्तो (64) प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004204
Book TitlePrakrit Hindi Vyakaran Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2012
Total Pages198
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy