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________________ 39. 40. उम्हत्तो, उम्हाओ, उम्हाउ, उम्हाहि, उम्हाहिन्तो, उम्हासुन्तो (पंचमी बहुवचन) तथा तुम्हत्तो, तुम्हाओ, तुम्हाउ, तुम्हाहि, तुम्हाहिन्तो, तुम्हासुन्तो तुज्झत्तो, तुज्झाओ, तुज्झाउ, तुज्झाहि, तुज्झाहिन्तो, तुज्झासुन्तो भी होते हैं। (हेमचन्द्र की वृत्ति के अनुसार) नोट- दीर्घ स्वर के आगे यदि संयुक्त अक्षर हो तो दीर्घ स्वर का ह्रस्व हो जाता है। षष्ठी एकवचन 6/1 प्राकृत भाषा में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग तथा स्त्रीलिंग तुम्ह सर्वनाम के षष्ठी विभक्ति एकवचन में 'तइ, तु, ते, तुम्हं, तुह, तुहं, तुव, तुम, तुमे, तुमो, तुमाइ, दि, दे, इ, ए, तुब्भ, उब्भ, उय्ह होते हैं। तुम्ह (तुम) (तीनों लिंग) - तइ, तु, ते, तुम्हं, तुह, तुहं, तुव, तुम, तुमे, तुमो, तुमाइ, दि, दे, इ, ए, तुब्भ, उब्भ, उय्ह (षष्ठी एकवचन) तथा तुम्ह, तुज्झ, उम्ह, उज्झ भी होते हैं। (हेमचन्द्र की वृत्ति के अनुसार ) षष्ठी बहुवचन 6/2 प्राकृत भाषा में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग तथा स्त्रीलिंग तुम्ह सर्वनाम के षष्ठी विभक्ति बहुवचन में 'तु, वो, भे, तुब्भ, तुब्भं, तुब्भाण, तुवाण, तुमाण, तुहाण, उम्हाण' होते हैं। तुम्ह (तुम) (तीनों लिंग) - तु, वो, भे, तुब्भ, तुब्भं, तुब्भाण, तुवाण, तुमाण, तुहाण, उम्हाण (षष्ठी बहुवचन) तथा प्राकृत-हिन्दी व्याकरण ( भाग - 1 ) Jain Education International For Personal & Private Use Only (65) www.jainelibrary.org
SR No.004204
Book TitlePrakrit Hindi Vyakaran Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2012
Total Pages198
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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