SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 68
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अन्य रूप - जेण, जेणं (पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव के अनुसार) त (वह) (पु.) (त+इणा) = तिणा (तृतीया एकवचन) अन्य रूप - तेण, तेणं (पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव के अनुसार) 12. अकारान्त सर्वनाम (पु.) प्रथमा एकवचन 1/1 प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग एत और त सर्वनामों के प्रथमा विभक्ति एकवचन में त का स करके विकल्प से 'ओ' प्रत्यय जोड़ा जाता है और 'स' भी बना रहता है। जैसेत→स (वह) (पु.) (स+ओ) = सो (प्रथमा एकवचन) अन्य रूप - स एत-एस (वह) (पु.) (एस+ओ) = एसो (प्रथमा एकवचन) अन्य रूप - एस अकारान्त सर्वनाम (पु.) प्रथमा एकवचन 1/1 13. (i) प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग इम सर्वनाम के प्रथमा विभक्ति एकवचन में 'ओ' प्रत्यय जोड़ा जाता है। जैसे इमं (यह) (इम+ओ) = इमो (प्रथमा एकवचन) • अन्य रूप - सभी विभक्तियों में देव के अनुसार आकारान्त सर्वनाम (स्त्री.) प्रथमा एकवचन 1/1 (ii) प्राकृत भाषा में आकारान्त स्त्रीलिंग इमा सर्वनाम के प्रथमा विभक्ति एकवचन में इमा होता है। प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1) __(55) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004204
Book TitlePrakrit Hindi Vyakaran Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2012
Total Pages198
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy