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________________ इम-•ण (यह) (पु.) (ण+0) = णा, णे (द्वितीया बहुवचन) अन्य रूप- इमे, इमा (पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव के अनुसार) तृतीया एकवचन 3/1 (ii) प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग इम सर्वनाम के तृतीया विभक्ति एकवचन में विकल्प से इम का ण हो जाता है और उसके पश्चात् ‘इणा' प्रत्यय जोड़ा जाता है। जैसेइम→ण (यह) (पु.) (ण+इणा) = णिणा (तृतीया एकवचन) अन्य रूप - इमेण, इमेणं, पेण, णेणं, इमिणा (पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव के अनुसार) - तृतीया बहुवचन 3/2 (iv) प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग इम सर्वनाम के तृतीया विभक्ति बहुवचन में विकल्प से इम का ण हो जाता है और उसके पश्चात् 'हि', 'हिं', 'हिं' प्रत्यय जोड़े जाते हैं और अन्त्य अ का ए हो जाता है। जैसेइम→ण(यह) (पु.) (ण+हि, हिँ, हिं)=णेहि, णेहिँ, णेहिं (तृतीया बहुवचन) अन्य रूप - इमेहि, इमेहिं, इमेहिं (पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव के अनुसार) .. अकारान्त सर्वनाम (पु.) द्वितीया एकवचन 2/1. 18. प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग इम सर्वनाम के द्वितीया विभक्ति एकवचन में इणं होता है। अन्य रूप - इमं (पुल्लिंग संज्ञा शब्द देव के अनुसार) •--------------- अकारान्त सर्वनाम (नपुं.) प्रथमा एकवचन 1/1, द्वितीया एकवचन 2/1 19. प्राकृत भाषा में अकारान्त नपुंसकलिंग इम सर्वनाम के प्रथमा विभक्ति (58) प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004204
Book TitlePrakrit Hindi Vyakaran Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2012
Total Pages198
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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