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घेणु (स्त्री.) = हे घेणू, हे घेणूउ, हे घेणूओ (संबोधन बहुवचन) बहू (स्त्री.) = हे बहू, हे बहूउ, हे बहूओ (संबोधन बहुवचन)
अकारान्त (पु., नपुं)
चतुर्थी एकवचन 4/1 47. प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग व अकारान्त नपुंसकलिंग में
चतुर्थी विभक्तिबोधक प्रत्ययों का अभाव होने से षष्ठी. विभक्ति एकवचन में प्रयुक्त स्स' तथा षष्ठी विभक्ति बहुवचन में अन्त्य अं का आ करके उसमें प्रयुक्त ण और णं' प्रत्यय जोड़े जाते हैं। जैसेदेव (पु.) (देव+स्स) = देवस्स (चतुर्थी एकवचन) कमल (नपुं.) (कमल+स्स) = कमलस्स (चतुर्थी एकवचन)
चतुर्थी बहुवचन 4/2 देव (पु.) (देवा+ण, णं) = देवाण, देवाणं (चतुर्थी बहुवचन) कमल (नपुं.) (कमला+ण, णं) = कमलाण, कमलाणं (चतुर्थी बहुवचन)
पचन)
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48.
अकारान्त (पु., नपुं)
चतुर्थी एकवचन 4/1 प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग तथा अकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञा शब्दों के चतुर्थी विभक्ति एकवचन में विकल्प से 'आय' प्रत्यय भी जोड़ा जाता है। जैसेदेव (पु.) (देव+आय) = देवाय (चतुर्थी एकवचन) अन्य रूप - देवस्स कमल (नपुं.) (कमल+आय) = कमलाय (चतुर्थी एकवचन) अन्य रूप - कमलस्स
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प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1)
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