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________________ 11. (36) षष्ठी बहुवचन 6/2 प्राकृत भाषा में पुल्लिंग संज्ञा शब्द राज के षष्ठी विभक्ति बहुवचन में राज के ज का विकल्प से 'इणं' करके राइणं रूप बन जाता है। रायाण, रायाणं, राआण, आणं रायाणाण, रायाणा अन्य रूप - तृतीया बहुवचन 3 / 2 प्राकृत भाषा में पुल्लिंग संज्ञा शब्द राज के तृतीया विभक्ति बहुवचन राज के ज का विकल्प से 'ई' करके हि, हिं, हिं प्रत्यय जोड़ दिए जाते हैं। जैसे राज (पु.) (राई+हि, हिँ, हिं) = राईहि, राईहिं, राइहिं (तृतीया बहुवचन), अन्य रूप - रायेहि, रायेहिं, रायेहिं एहि, राएहिं, राएहिं रायाणेहि, रायाणेहिं, रायाणेहिं पंचमी बहुवचन 5/2 प्राकृत भाषा में पुल्लिंग संज्ञा शब्द राज के पंचमी विभक्ति बहुवचन में राज के ज का विकल्प से 'ई' करके त्तो, ओ, उ, हिन्तो, सुन्तो प्रत्यय जोड़ दिए जाते हैं। जैसे - -- राज (पु.) (राई+त्तो, ओ, उ, हिन्तो, सुन्तो) राईतो राइतो, राईओ, राईउ, राईहिन्तो, राईसुन्तो ( पंचमी बहुवचन) अन्य रूप - (i) रायत्तो, रायाओ, रायाउ, रायाहि, रायाहिन्तो, रायासुन्तो, रायेहि, रायेहिन्तो, रायेसुन्ता (ii) राअत्तो, राआओ, राआउ, राआहि, राआहिन्तो, राआसुन्तो, राएहि, राएहिन्तो, राएसुन्तो (iii) रायाणत्तो, रायाणाओ, रायाणाउ, रायाणाहि, रायाणाहिन्तो, प्राकृत-हिन्दी- व्याकरण (भाग - 1 ) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004204
Book TitlePrakrit Hindi Vyakaran Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2012
Total Pages198
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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