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________________ - इ-ईकारान्त, उ-ऊकारान्त (पु., स्त्री.) प्रथमा एकवचन 1/1 13. प्राकृत भाषा में इ-ईकारान्त, उ-ऊकारान्त पुल्लिंग और इ-ईकारान्त, उ ऊकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञा शब्दों के प्रथमा विभक्ति एकवचन में हस्व स्वर का दीर्घ हो जाता है और दीर्घ दीर्घ ही रहता है। जैसेहरि (पु.) हरि का अंतिम स्वर दीर्घ होने पर = हरी (प्रथमा एकवचन) ... गामणी (पु.) गामणी का अंतिम स्वर दीर्घ दीर्घ ही रहता है = गामणी __(प्रथमा एकवचन) साहु (पु.) साहु का अंतिम स्वर दीर्घ होने पर = साहू (प्रथमा एकवचन) सयंभू (पु.) सयंभू का अंतिम स्वर दीर्घ दीर्घ ही रहता है = सयंभू (प्रथमा एकवचन) मइ (स्त्री.) मइ का अंतिम स्वर दीर्घ होने पर = मई (प्रथमा एकवचन) लच्छी (स्त्री.) लच्छी का अंतिम स्वर दीर्घ दीर्घ ही रहता है = लच्छी (प्रथमा एकवचन) घेणु (स्त्री.) घेणु का अंतिम स्वर दीर्घ होने पर = घेणू (प्रथमा एकवचन) बहू (स्त्री.) बहू का अंतिम स्वर दीर्घ दीर्घ ही रहता है = बहू (प्रथमा एकवचन) ---------------------------------------- इकारान्त-ईकारान्त, उकारान्त-ऊकारान्त (पु.) प्रथमा बहुवचन 1/2 14. प्राकृत भाषा में इ-ईकारान्त व उ-ऊकारान्त पुल्लिंग संज्ञा शब्दों के प्रथमा विभक्ति बहुवचन में 'अउ' और 'अओ' प्रत्यय विकल्प से जोड़े जाते हैं। जैसेहरि (पु.) (हरि+अउ, अओ) = हरउ, हरओ (प्रथमा बहुवचन) अन्य रूप - हरी, हरिणो गामणी (पु.)(गामणी+अउ,अओ) = गामणउ, गामणओ (प्रथमा बहुवचन) प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004204
Book TitlePrakrit Hindi Vyakaran Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2012
Total Pages198
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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