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________________ 38. गामणी (पु.) हे गामणि (संबोधन एकवचन ) सयंभू (पु.) हे सयंभु (संबोधन एकवचन ) लच्छी (स्त्री.) हे लच्छि (संबोधन एकवचन ) बहू (स्त्री.) हे बहु (संबोधन एकवचन ) प्राकृत भाषा में अकारान्त संज्ञा शब्दों के अतिरिक्त आकारान्त, इकारान्तईकारान्त, उकारान्त-ऊकारान्त आदि शब्दों के जिस विभक्ति, वचन के प्रत्यय पूर्व नियमों में नहीं बताए गए हैं वहाँ उस विभक्ति व वचन में अकारान्त शब्दों के समान प्रत्यय लगते हैं। शब्द-रूप निम्न प्रकार होंगे। इ-ईकारान्त, उ- ऊकारान्त (पु.) आकारान्त, इ-ईकारान्त, उ - ऊकारान्त (स्त्री.) प्रथमा बहुवचन 1/2, द्वितीया बहुवचन 2/2 प्राकृत भाषा में अकारान्त पुल्लिंग संज्ञा शब्दों के समान प्रथमा विभक्ति बहुवचन में इ-ईकारान्त, उ- ऊकारान्त पुल्लिंग तथा आकारान्त, इईकारान्त, उ- ऊकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञा शब्दों के हस्व स्वर का दीर्घ हो जाता है और दीर्घ स्वर दीर्घ ही रहता है। जैसे प्रथमा बहुवचन 1/2 हरि (पु.) का अंतिम स्वर दीर्घ होने पर हरी (प्रथमा बहुवचन) गामणी (पु.) गामणी का अंतिम स्वर दीर्घ दीर्घ ही रहता है = गामणी (प्रथमा बहुवचन) साहु (पु.) साहु का अंतिम स्वर दीर्घ होने पर = साहू (प्रथमा बहुवचन) `सयंभू (पु.) सयंभू का अंतिम स्वर दीर्घ दीर्घ ही रहता है = संयंभू (प्रथमा बहुवचन) कहा (स्त्री.) कहा का अंतिम स्वर दीर्घ होने पर = कहा (प्रथमा बहुवचन) मइ (स्त्री.) मइ का अंतिम स्वर दीर्घ होने पर = मई (प्रथमा बहुवचन) लच्छी (स्त्री.) लच्छी का अंतिम स्वर दीर्घ दीर्घ ही रहता है = लच्छी (प्रथमा बहुवचन) प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग - 1 ) Jain Education International For Personal & Private Use Only (23) www.jainelibrary.org
SR No.004204
Book TitlePrakrit Hindi Vyakaran Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2012
Total Pages198
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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