SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 26
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कमल (नपुं.) (कमल+) = कमलं (प्रथमा एकवचन) वारि (नपुं.) (वारि+) = वारिं (प्रथमा एकवचन) महु (नपुं.) (महु+) = महुं (प्रथमा एकवचन) अकारान्त, इकारान्त, उकारान्त (नपुं.) (क) प्रथमा बहुवचन 1/2 (ख) द्वितीया बहुवचन 2/2 20. प्राकृत भाषा में अकारान्त, इकारान्त और उकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञा शब्दों के प्रथमा विभक्ति बहुवचन व द्वितीया विभक्ति बहुवचन में 'ई', 'ई' और 'णि' प्रत्यय जोड़े जाते हैं। प्रत्यय जोड़ने के पूर्व शब्द का अंतिम हस्व स्वर दीर्घ हो जाता है। जैसे प्रथमा बहुवचन 1/2 (क) कमल (नपुं.) (कमल-कमला+इँ, इं, णि)= कमला', कमलाई, कमलाणि (प्रथमा बहुवचन) वारि (नपुं.) (वारि-वारी+इँ, इं, णि) = वारी, वारीइं, वारीणि . __ (प्रथमा बहुवचन) महु (नपुं.)(महु→महू+इँ, इं, णि)= महू , महूई, महूणि (प्रथमा बहुवचन) द्वितीया बहुवचन 2/2 (ख) कमल(नपुं.)(कमल-कमला+इँ, इं, णि)= कमलाइँ, कमलाई, कमलाणि (द्वितीया बहुवचन) .. · वारि (नपुं.)(वारि-वारी+इँ, इं, णि) = वारी', वारीई, वारीणि (द्वितीया बहुवचन) . महु (नपुं.)(महु-महू+इँ, इं, णि)=महू., महूहूं, महूणि (द्वितीया बहुवचन) अकारान्त (नपुं.) द्वितीया एकवचन 2/1 21. प्राकृत भाषा में अकारान्त नपुंसकलिंग संज्ञा शब्दों के द्वितीया विभक्ति प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1) (13) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004204
Book TitlePrakrit Hindi Vyakaran Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2012
Total Pages198
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy