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________________ वारि (नपुं.) (वारि-वारी+दो, दु) = वारीदो, वारीदु (पंचमी एकवचन) महु (नपुं.) (महु-महू+दो, दु) = महूदो, महूदु (पंचमी एकवचन) कहा (स्त्री.) (कहा+दो, दु) = कहादो, कहादु (पंचमी एकवचन) मइ (स्त्री.) (मइ-मई+दो, दु) = मईदो, मईदु (पंचमी एकवचन) लच्छी (स्त्री.) (लच्छी+दो, दु) = लच्छीदो, लच्छीदु (पंचमी एकवचन) धेणु (स्त्री.) (धेणु-धेणू+दो, दु) = घेणूदो, घेणूदु (पंचमी एकवचन) बहू (स्त्री.) (बहू+दो, दु) = बहूदो, बहूदु (पंचमी एकवचन) ---------- 3. अकारान्त (पु., नपुं.) पंचमी बहुवचन 5/2 शौरसेनी भाषा में अकारान्त पुल्लिंग व नपुंसकलिंग संज्ञा शब्दों के पंचमी विभक्ति बहुवचन में अन्त्य 'अ' का 'आ' करके उसमें 'दो' और 'दु' प्रत्यय जोड़े जाते हैं। जैसेदेव (पु.) (देवा+दो, दु) = देवादो, देवादु (पंचमी बहुवचन) कमल (नपुं.) (कमला+दो, दु) = कमलादो, कमलादु (पंचमी बहुवचन) ...........--------------------- इकारान्त-ईकारान्त, उकारान्त-ऊकारान्त (पु.) इकारान्त, उकारान्त (नपुं.) __ आकारान्त, इकारान्त-ईकारान्त, उकारान्त-ऊकारान्त (स्त्री.) __ पंचमी बहुवचन 5/2 4. ... शौरसेनी भाषा में इ-ईकारान्त, उ-ऊकारान्त पुल्लिंग, इकारान्त-उकारान्त नपुंसकलिंग व आकारान्त, इ-ईकारान्त, उ-ऊकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञा शब्दों के पंचमी विभक्ति बहुवचन में 'दो', और 'दु' प्रत्यय जोड़े जाते हैं तथा ह्रस्व स्वर का दीर्घ हो जाता है और दीर्घ स्वर का दीर्घ __ ही रहता है। जैसे प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-1) (41) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004204
Book TitlePrakrit Hindi Vyakaran Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2012
Total Pages198
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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